मैं एक मुसाफिर vedika patil द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मैं एक मुसाफिर

मुझे ज़िंदगी के साथ अड़जस्टमेंट नहीं करनी...!

पर मुझे पता भी नहीं कि मैं क्या चाहती हूँ खुद से | लोग जीते हैं अपने सपनों को पीछे छोड़कर, अपने लोगों के लिए वही रोज़ की ज़िंदगी जीते हैं | ये सोचकर कि उनके पास कोई और ऑप्शन नहीं है | वही रोज़ का बस और ट्रेन का ट्रैवल, बॉस की कटकट, सेल्फिश लोग, ज़िम्मेदारियों का बोझ लेकर एक रोबोट वाली ज़िंदगी जीते हैं |

मुझे पता है उसमें उनकी भी कोई गलती नहीं होती | क्योंकि ये सारी चीजें हर किसी को फेस करनी पड़ती हैं, अपने हालातों के कारण...! ज़िंदगी कोई फ़ेरी टेल तो नहीं होती ना...! आप उस दुनिया में रहते हो, जहाँ आप ज़िंदगी से क्या चाहते हो उससे पहले लोग आपसे क्या चाहते हैं, ये सोचना पड़ता है | जहाँ सपनों से ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ मायने रखती हैं | जहाँ ख़ुशी से ज़्यादा पैसे मायने रखते हैं |

पर ऐसा क्यों यार? ज़िंदगी तो एक ही बार मिलती है ना! तो जी लेते हैं ना थोड़ा...! थोड़ी देर रुककर दिल से हँसते हैं | दूसरों से तो हम रोज़ मिलते हैं ना, कभी खुद से भी थोड़ा मिलते हैं | बाहर बहुत शोर मचा है, चलो आज थोड़ी देर अंदर की ख़ामोशी को महसूस करते हैं! मुझे भी कुछ ऐसा ही करना है यार | खुदको जानना है, खुद से प्यार करना है | सपने देखने हैं और उसको पूरा भी करना है |

पर पता नहीं क्यों मेरे सपने मुझे मिल नहीं रहे | जिसकी तलाश मैंअब कर रही हूँ! जिन सपनों को मैं मेरी ज़िंदगी की वजह बनाना चाहती हूँ | वैसे तो लाइफ में कुछ सही नहीं चल रहा है | बाहर से ख़ामोश हूँ पर इंडर सारा शोर मचा हुआ है | दूर लगता है मुझे कि, क्या मैं इस दुनिया से डील कर पाऊंगी?
तो क्या लगता है आपको? जरूर बताना...!

और चलो तुम भी खुदको ढूंढना, उसी रास्तों पर अपना एक नया घर बसाना। कई सारे सवाल होंगे, कई सारी मुश्किलें होंगी, भीड़ में भी तन्हा लगेगा, जब तुम्हारे साथ कोई नहीं होगा। ऐसे में खुद खुद का साथी बन जाना, अकेले में ही मुस्कुराना, रोना आए तो रो देना, बस कभी हार मत मानना!क्योंकि सफर अभी जारी है, दोस्त और ज़िंदगी शायद छोटी। तो जी लेते हैं ना थोड़ा खुलकर। लोग क्या सोचते हैं ये क्यों सोचना? अगर ये भी हम सोचेंगे तो लोग क्या सोचेंगे!चलो थोड़ा गिरते हैं, चलो थोड़ा उड़ते हैं | क्योंकि गलतियाँ तो ज़रूरी हैं लाइफ में | दुनिया में कोई परफ़ेक्ट नहीं होता और मुझे तो परफ़ेक्ट नहीं बनाना | मुझे जीना है! उन हवाओं के तरह लहराना है, बादलों के तरह बरसना है, बस कभी रुकना नहीं है |

कल क्या होगा, किसने देखा है? या आज का भरोसा नहीं है तो हम कल का क्या ही बता पाएंगे। तो थोड़ा प्यार और ख़ुशी बताते हैं। किसी के आंसू पोंछते हैं। चलो आज से थोड़ा दिल से जीते हैं...!एक नयी शुरुआत, नयी उम्मीदों के साथ।बस इन्हीं लाइन्स को याद करके...
"ज़िंदगी एक सफ़र है सुहाना, यहाँ कल क्या हो किसने जाना...!"