Saat fere Hum tere - 95 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 95

दूसरे दिन सुबह सब नाश्ता करने बैठ गए।
नैना भी आकर चाय पीने लगीं और फिर बोली दादी मां कैसे हो।
दादी मां ने कहा हां ठीक है सब।
बेटा एक काम कर दो कल जो जो गिफ्ट मिला है वो तुम और विक्की मिलकर खोल देना।
नैना ने कहा हां ठीक है।
विक्की ने कहा मैं एक बार आफिस होकर आता हूं।
विक्की ने कहा नैना मैं आता हूं फिर कुछ बातें करनी हैं।
नैना मन में सोचने लगी कि कल कुछ किया क्या मैंने उस शर्बत को पीने के बाद पता नहीं मुझे कुछ भी याद नहीं मैं डांस करने के बाद क्या हुआ था शायद विक्की को पता होगा।

फिर नैना दादी मां के पास जाकर बैठ गई दादी मां ने कहा बेटा विक्की की मां को देख बिल्कुल तेरी छवि है।
नैना ने पूछा विक्की के मम्मी पापा कैसे चले गए।
दादी मां ने कहा बेटा ये बहुत ही दुःख भरी कहानी है लक्ष्मी की जैसा नाम वैसा ही गुण । विक्की के पिता यानी कि मेरा बेटा बहुत ही घमंडी अंग्रेजो से मिलना जुलना बहुत ही अच्छा लगता था ‌।
विक्की के दादा जी ने जबरदस्ती लक्ष्मी से प्रताप की शादी करवा दी जो एक बेमेल शादी थी।
लक्ष्मी ने हमारे परिवार को वो सब कुछ दिया जिसका हम उम्मीद भी नहीं किया।
शादी की पहली रात को ही शराब पीकर आए प्रताप और फिर अपनी पत्नी पर हक़ जता कर जो करना था वो किया।
लक्ष्मी भी अपना धर्म समझ कर वो सब कुछ करने दिया।
सुबह होते ही प्रताप वो सब कुछ भुल जाता और लक्ष्मी पर अत्याचार करता था।
नैना ने कहा अरे बाबा ये क्या।
दादी मां ने फिर कहा हमलोग समझाते पर प्रताप अपनी हरकतों से बाज नहीं आता।
लक्ष्मी गरीब थी और ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी जिसके लिए उसे ये सब सहना पड़ता था।
नैना रोने लगी और फिर बोली फिर क्या हुआ?
दादी मां ने आगे कहा ये रोज की बात थी। ऐसे ही छ महीने निकल गए और फिर हमें एक खुशखबरी मिला। लक्ष्मी मां बनने वाली थी।
हम सब बहुत खुश हुएं।
जब प्रताप को पता चला तो वो बोला कि किसका पाप है? क्योंकि उसे तो हर रात को याद नहीं रहता कि क्या हुआ।
फिर हम सब सोचें कि जब बच्चा आ जाएगा तो उसमे कुछ बदलाव आएगा।
फिर इसी तरह से समय बितने लगा।


फिर नौ महीने बाद विक्की का जन्म हुआ।
प्रताप में कोई भी बदलाव दिखाई नहीं दिया।
लक्ष्मी मुंह बंद करके अपना दुःख दर्द भुला दिया और विक्की को लेकर समय बिताने लगी थी।
प्रताप सिर्फ रात को शराब पीकर आता और एक जानवर की तरह लक्ष्मी को नोच कर चला जाता।

इसी तरह समय बीतने लगा।
हमारा पोता अभी स्कूल भी जाने लगा था।
लक्ष्मी पढ़ी लिखी नही थी इसलिए वो विक्की को कोशिश करने पर भी नहीं पढ़ा पाती थी।
तुम्हें याद होगा कि विक्की हमेशा कहता है कि पढ़ाई लिखाई करके अपने पैरों पर खड़ी हो।।

नैना ने कहा हां, हां विक्की हमेशा से यही कहते हैं।
आगे क्या हुआ दादी मां।
दादी मां ने कहा अमेरिका में तो भारतीय लोग बहुत ही कम है तो विक्की के दादा जी ने एक मैडम जो कि विदेशी थी।
एक दिन वो मैडम हमारे बंगले पर आ गई।
जिसका नाम ऐना था।
लक्ष्मी विक्की को लेकर आ गई।।

ऐना ने विक्की को अपने पास बुलाया और कुछ पुछा।
विक्की ने सब कुछ सही सही बता दिया।
लक्ष्मी ने कहा कि मैडम मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा एक बहादुर फौजी बने।
ऐना ने सुन कर कहा कि यस,यस।
दादाजी ने कहा फिर आप आज से विक्की को पढ़ाए।
विक्की को और ऐना को लक्ष्मी स्टडी रूम में लेकर गई।
फिर वो मैडम हर रोज आ कर विक्की को पढ़ाया करती थी और लक्ष्मी भी वही पर खड़ी खड़ी सुनकर विक्की की पढ़ाई जुबानी बोलने लगी थी और साथ में अंग्रेजी भी।
विक्की बहुत ही अच्छी अंग्रेजी बोलने लगा था। इसी तरह एक महीने बीत गए।
फिर विक्की का एग्जाम हुआ और उसका रेज्लट भी बहुत ही अच्छा हुआ पुरे स्कूल में टाॅप भी किया।
पुरे बंगले में जैसे खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। मिठाई और खिलौने और खाना पीना सब कुछ हुआ।
प्रताप को जब पता चला तो वो भी खुश हुआ पर विक्की को कभी भी अपना बेटा नहीं कह पाया।
विक्की हमेशा अपने पापा के पास जाता पर विक्की को प्रताप हमेशा दुत्कार दिया करता था।।
नैना ने कहा अच्छा फिर क्या हुआ दादी मां।
फिर क्या होगा एक दिन एक मनहूस रात ने लक्ष्मी का सब कुछ छिन ही लिया जिसका मुझे डर था।
एक तुफानी रात को जिस दिन विक्की का जन्मदिन था। विक्की सिर्फ पांच साल का था और उसके दोस्त उसके टीचर सब आए थे।

पार्टी अच्छी चल रही थी कि तुफानी हवाएं चलने लगी। आसपास के लोग सब अपने घर चले गए।
पर ऐनी बहुत ही दूर रहती थी इसलिए वो बहुत ही डर गई थी।
दादाजी ने कहा कि वो यहां रूक जाएं। ऐना भी रूकने को तैयार हो गई।
दादी मां ने कहा गेस्ट रूम में आप सो जाइएगा।
लक्ष्मी ने कहा अगर कोई भी जरूरत हो बोलना।
ऐना ने हां कह कर चली गई।
रात काफी हो गई थी लक्ष्मी भी विक्की को सुलाने की कोशिश में लगीं थीं।
पर विक्की सो नहीं रहा था उसे डर लग रहा था कि कहीं कुछ हो न जाएं।
लक्ष्मी ने कहा बेटा तुम सो जाओ मैं हुं यहां।
कुछ देर बाद ही गाड़ी की आवाज आई तो लक्ष्मी ने विक्की को सोने के लिए कहा और फिर नीचे आ गई।
फिर प्रताप आज भी पी कर आएं।
दादाजी ने कहा बेटा अब कितने दिन ये सब चलेगा। प्रताप ने कहा अरे बाबा जब तक वो मनहूस है और उसका पाप।
दादाजी ने कहा प्रताप तुम ये नहीं कह सकते हो मैं तुम्हें बेदखल करता हूं और सब कुछ मैं लक्ष्मी के नाम कर देता हूं।चले जाओ।
लक्ष्मी ने कहा बाबूजी मैं विनती करती हुं कि आप ऐसा न करें। मुझे कुछ नहीं चाहिए।जो है सब इनका है मैं ही चली जाती हुं।

अब मैं चलता हूं ये कह कर प्रताप ऊपर चला गया।
लक्ष्मी भी ख़ाना लेकर कमरे में पहुंच गई और फिर बोली ये खा लिजिए और मैं कल ही चली जाऊंगी।
प्रताप ने पुरा खाना पटक दिया और फिर बोला कि तुम मनहूस हों और वो पाप है।
लक्ष्मी ने रोते हुए कहा नहीं नहीं वो आपका खून है। आप विश्वास किजिए मेरा किसी ओर से कभी भी शारीरिक संबंध नहीं हुआ है और फिर शादी के बाद हर रात आपने मुझे नोंचा है काटा है मैं ही वो हुं हर रात आपकी जुल्मों को सहा है और फिर।
प्रताप ने कहा बस करो अब जाओ यहां से।
फिर लक्ष्मी रोते हुए विक्की के कमरे में गई तो देखा कि विक्की सो गए।
लक्ष्मी भी थकी सी वहीं पर सो गई और फिर अचानक आंख खुली तो एक आवाज ने उसके दिलो-दिमाग में अजीब सा डर बैठ गया।
किसी लड़की की हंसने की आवाज़ थी वो बाहर की ओर आईं तो आवाज प्रताप के कमरे में से थी।
लक्ष्मी हिम्मत करके आगे बढ़ गई और फिर जो देखा उसके पैरों तले जमीन नहीं रही।
उसने देखा कि प्रताप और ऐना एक ही बिस्तर पर निर्वस्त्र होकर एक दूसरे को चूमते हुए नजर आए और फिर जो कुछ सुना वो तो बस रूह कंपा देने वाली बातें थीं।
ऐना ने कहा देखो प्रताप जो कुछ किया तुम्हारे कहने पर और फिर तुम तो चार साल से मेरे पास आ रहे हो।अब मौका मिला तो मैं आ गई।
प्रताप ने चूमते हुए कहा अरे बाबा ये तो कुछ भी नहीं है मैं देखो अब क्या करता हूं।
ऐना ने कहा हां ठीक है मैं भी बहाना बना कर कल रूक जाती हुं।
लक्ष्मी रोते हुए ये सब देख रही थी और खुद को दोषी मान रही थी और फिर उसने सोचा कि अब मुझे सिर्फ विक्की के लिए ये कदम उठाना होगा वरना ये सब मेरे बेटे के साथ कुछ भी कर सकते हैं।
फिर वहां से निकल कर सीधे वहीं तुफानी रात में छत पर चली गई और फिर पांच मंजिला इमारत से उसने कूद कर अपनी जान दे दिया।
फिर क्या था सब कुछ थम गया।
सुबह लक्ष्मी की पार्थिव शरीर लेकर पुलिस चली गई क्योंकि ये सुसाइड केस था।
क्रमशः

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