Saat fere Hum tere - 86 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 86

फिर सब दिल्ली वापस आ गए। सपना का दिल नहीं लग रहा था उसको तो और घुमना था।
दादी मां ने कहा अच्छा बाबा मैं अब जाऊंगी।
माया ने कहा हां दादी मां हम सब जाएंगे।
दादी मां ने कहा हां मुझे बड़ा मन है।
फिर माया ने कहा अरे दादी मां आओ पैर की मालिश कर दूं।
दादी मां ने कहा हां ठीक है मेरी बच्ची।
कुछ देर बाद ही माया ने दादी मां के पैर दबा दिया था।
फिर तेल गरम करके माया ने बहुत ही अच्छे से दादी मां की पैरों पर मालिश करने लगी।
दादी मां ने कहा जुग जुग जियो मेरी बच्ची।।
माया ने कहा हां दादी मां मैं अब हर रोज कर दुंगी अब चलिए आराम कर लिजिए।
फिर माया ने धीरे धीरे सहारा देकर दादी मां को उनके कमरे तक ले गई।
और फिर बिस्तर पर लिटा दिया और उनके बालों को सहलाने लगी और फिर दादी मां सो गई।
फिर माया कमरे बाहर आ गई और देखा कि सांस और चाची पापड़ बेलने में लगी हुई है।
माया वहां जाकर बोली कि अब मुझे दिजिए।
चाची ने कहा तुझे आता है सब?
माया ने कहा हां चाची जी।
सासू मां ने कहा हां ठीक है करो।।
माया वहां पर बैठ कर जल्दी जल्दी पापड़ बेल कर सुखाने लगी।
बस कुछ ही घंटों में सारा पापड़ भी लग गया।
सब देख कर हैरान हो गई।
माया ने कहा अब चलिए अदरक वाली चाय बनाती हुं।
फिर माया किचन में जाकर जल्दी से चाय बनाने लगी।
फिर चाची और सासू मां को दिया।
चाय पीने के बाद दोनों ही बहुत खुश हो गई और फिर बोली अरे वाह माया क्या चाय बनाती हो।
माया हंसने लगी।
शाम होते ही सब लोगों एक जगह एकत्रित हो गए।
सागर के पापा ने कहा हां आप सही कह रही हो सच में माया के आने से घर में रौनक लौट आईं हैं और फिर रुका हुआ काम शुरू हो गया और फिर जहां जहां पैसे रुके हुए थे तो वो सब आ गए।
सब सुन रही रहे थे कि सपना ने कहा कि ये तो गलत बात है सारा प्रशंसा तो माया भाभी लेकर जाएंगी और मेरा क्या?
माया की सास ने कहा हां जो सच है तो वो है।। सपना नाराज़ हो कर जाने लगी तो माया ने कहा अरे सपना नाराज़ हो गई क्या ऐसा कुछ भी नहीं है।
चाची ने कहा हां जो है वो है।।
और फिर माया ने सबका बहुत ही अच्छे से ख्याल आता है और फिर एक जगह बना लिया है और फिर जो है सब कुछ ठीक हो गया।।
दादी मां ने कहा हां मेरी रानी बिटिया ने आज कमाल कर दिया।
दादाजी ने कहा हां माया यहां पर आओ।
माया दादाजी के पास जाकर खड़ी हो गई और फिर बोली हां।
दादा जी ने कहा ये लो सोने के कंगन।
माया ने ले लिया और फिर पैर छुए और वो अपने हाथों में पहन लिया।
सपना ने कहा हां ठीक है सब कुछ भाभी को दे दिया पर जब मेरी शादी में कुछ भी नहीं।।
सपना की मां ने कहा अरे बाबा सपना ये माया का हक है वो तो आज से पच्चीस साल पहले ही इस घर की बहू थी।
माया ने कहा सपना जो मेरा है वो तेरा भी है।
सपना बिना कुछ बोले चली गई।

माया ने कहा देखा दादी मां सपना नाराज़ हो गई। अब आप लोग देखना मैं कैसे उसकी नाराजगी दूर करती हुं।
माया वहां से सीधे किचन में चली गई।
और फिर उसने पिज्जा, बर्गर और पास्ता विद ग्रीन चिली बना दिया। और फिर उसको बहुत ही अच्छे से सजा कर सपना के रूम में पहुंच गई।
माया ने कहा क्या मैं अन्दर आ जाऊं?
सपना ने कहा अरे बाबा अब क्या चाहिए।
माया ने कहा अरे कुछ भी नहीं पर कुछ देना था।
ये लो तुम्हारा पसंदीदा खाना।।
सपना ने देखा और कहा कहां से मंगवाया?
माया ने कहा हां ठीक है पर मैं देखना चाहती हुं ‌
पहले खाओ तो बताती हूं।
सपना ने कहा हां ठीक है कहते हुए वो पहले पास्ता और फिर पिज्जा और बर्गर भी खाने लगीं।
सपना का कहा कि सब ठीक हो जाएगा पर भाभी कहां से मंगवाया?
माया हंसते हुए बोली अरे वाह मैंने बनाया क्या।

सपना ने कहा ओह माई गॉड भाभी सो स्वीट।।
माया ने कहा बस अब और नहीं पुरा खा लो और सो जाओ।।

माया ने कहा हां ठीक है गुड नाईट।।
फिर माया अपने रूम में पहुंच गई और फिर देखा तो सागर किसी से फोन पर बात कर रहा था।
माया रुम में आकर कुछ देर बैठ गई और फिर सागर ने कहा क्या हुआ थक गई थी।


माया ने कहा नहीं तो बिल्कुल नहीं। आज तो बरसों के बाद एक खुशी लेकर आया है। देखा तो वो ये सबकुछ मेरा ही है पर ये सब देर से मिला।
सागर ने कहा हां मैं जानता हूं तुम मुझे मेरे घर को बहुत ही जल्दी अपना बना लोगी।
माया ने गले से लगा लिया।

सागर ने कहा हां मेरी मायु।
माया ने कहा वाह क्या नाम है।
सागर ने कहा कल एक पार्टी में जाना होगा वो भी दोस्तो ने मेरे और तुम्हारे लिए रखा है।
माया ने कहा हां ठीक है जरूर चलुगी।
फिर दोनों एक दूसरे को देखने लगें और फिर सागर ने आगे बढ़कर माया के बाल खोल दिया और फिर दोनों एक दूसरे में समां गए।

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर नीचे पहुंच गई और पुजा भी करने के बाद किचन पहुंच गए और फिर जल्दी जल्दी चाय और नाश्ता में पुरी और आलू दम बना दिया।
फिर सभी लोग खाने की टेबल पर बैठ गए।


चाची बोली अरे वाह माया तुमने नाश्ता बनाया।
माया ने कहा हां मैने सोचा कि कुछ खास कर देते हैं।
फिर माया ने सबको खाना सर्व किया। सब बहुत खुश हो गए पुरी और छोले बना था।
सभी बहुत ही चाव से खाना खाने लगे।
सागर ने कहा वाह वाह क्या बात है माया बहुत ही अच्छा बना है।
दादी मां ने माया को अपने पास बुलाया और कहा ये लो पांच हजार शगुन।।
माया ने पैर छुए और पैसे ले लिया।
फिर माया मिठाई भी लेकर आ गई।
दादा जी ने कहा ये क्या बात है माया ने तो कमाल कर दिया।।

माया ने कहा ये खीर बनाई हुं।
सब खीर खाने लगे और बोले कि वाह क्या स्वादिष्ट बना है।
माया ने कहा हां आप लोगों को मैं रोज कुछ न कुछ बना कर खिलाऊंगा।

फिर सब अपने -अपने काम में चले गए। सागर भी चला गया।
सपना ने कहा भाभी मेरी सगाई की तैयारी कब से होगा।।

माया ने कहा हां ज़रूर बस दो दिन बाद से तैयारी शुरू हो जाएगी।

क्रमशः

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED