वरदान सीमा द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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वरदान

पति देव से लड़ाई हो गई जो आज तक कभी नहीं हुई। मेरे लिए लाल साड़ी लाए थे जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नही आई।
 
पहली बार लड़ाई हुई एक नया अनुभव हुआ पर साथ में रोना भी बहुत आया और मन दुखी हुआ सो अलग।
 
रोते रोते मंदिर में बैठ गई और भगवान से कहा कि भगवान कुछ तो चमत्कार कर दो।
 
अरे ये क्या भगवान सामने प्रगट हो गए और बोले क्या चाहिए बोलो।
 
अब तो मैं डर गई कि भगवान जी मेरे सामने है या मैं उनके पास पहुंच गई।
 
खुद को चुखोटी काटी, अरे नही नहीं मैं तो अभी जिंदा हूं।
 
बोलो तुम्हे क्या वरदान चाहिए।
 
भगवान जी मुझे कोई अनोखा फिल्मी वरदान चाहिए।
 
फिल्मी वरदान, ठीक है दिया, आज के बाद तुम जब जब लाल साड़ी पहनोगी तब तब तुम अदृश्य हो जाओगी बिलकुल मिस्टर इंडिया के अनिल कपूर की तरह।
 
भगवान जी उसे तो लाल कांच से देख पाते थे और आप मुझे लाल साड़ी पहना कर गुम कर रहे है।
 
यही तो ट्विस्ट है यहां, अगर तुमने लाल साड़ी पहनी तब ही तुम अदृश्य हो पाओगी वर्ना नही।
 
भगवान जी सुबह पति देव से लड़ाई लाल साड़ी को लेके ही हुई थी।
 
इसलिए तो तुम्हे लाल साड़ी का वरदान दिया है।
 
अब जाओ बाजार और लाओ ढेर सारी लाल साड़ी उन्हे पहनो और अदृश्य होकर जो मन करे वो करो।
 
और भगवान जी गायब
 
हे भगवान ये कैसा वरदान दे दिया लाल साड़ी ही तो नहीं पहननी थी।
 
अब एक साड़ी रखी है उसे पहनकर बाहर निकली मोहल्ले में किसी ने देखा नही वाह वाह मैं सही में अदृश्य हो गई।
 
साड़ी की दुकान पर गई वहां जितनी लाल साड़ी थी सब उठा ली और लेके जाने लगी दुकान वाले को लाल साड़ी इधर से उधर घूमते दिख रही थी पर मैं नहीं वाह वाह ये तो मजा आ गया।
 
घर में लाल साड़ियों का ढेर लग गया।
 
शाम को जब पतिदेव के सामने लाल साड़ी पहन कर आई ताकि वो मुझे देख खुश हो जाए पर ये क्या मैं तो इनको दिख ही नही रही।ये सारे घर में मुझे ढूंढ रहे है और मै इनके सामने इतनी सज धज के खड़ी हूं फिर भी नही दिख रही इनको। हे भगवान ये तो लोचा हो गया।
 
भगवान जी ये नही चलेगा ऐसा ट्विस्ट हटाइए कुछ ऐसा करिए कि अपने पति को लाल साड़ी में दिख जाऊ।
 
भगवान जी वापस आए और बोले तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता मै अपना वरदान वापस लेके जा रहा हूं।
 
अरे अरे सुनिए तो
 
तब तक पतिदेव आ गए और बोले कहा चली गई थी और किसे बुला रही थी मैं तो तुम्हे कब से ढूंढ रहा था।
 
फिर उनकी नजरें जो मुझ पर गई और मुझ पर ही ठहर गई।