प्रतिशोध नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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विशम्भर मराछि गांव के माध्यम परिवार के मुखिया थे उनकी जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत खेती ही था विशम्भर पढ़े लिखे आधुनिक सोच के व्यक्ति थे तकिया नुकुसी और अंध विश्वास में उनका विश्वस विशुद्ध वैज्ञानिक और वैज्ञानिक था वह गांव में अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक पढ़े लिखे व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त था गांव वाले उनकी बड़ी इज़्ज़त करते वह एम ए सैन्य विज्ञान से थे बहुत नौकरियां मिली मगर माँ बाप के एकलौती संतान होने के कारण नौकरी नही कर सके ऐसी नौकरी उन्हें मिली नही जो गाँव पर रह कर की जा सके तब बिशम्भर ने गांव पर ही आय के संसाधन के लिये ट्रेक्टर थ्रेसर आटा चक्की स्पेलर आदि से सुसज्जित आधुनिक कृषि करते और किसी शहरी नौकरी से कम आय नही थी सौभाग्य से उनकी पत्नी लता भी बहुत ही नहीं है कि वह अपने पति की सहयोगी और बेहद कुशल गृहणी थी विशम्भर की दो संताने अनुराग और आकांक्षा पढ़े लिखे होने के नाते लता और आकांक्षा अनुराग और आकांक्षा की परिवश खासा ध्यान देते विशेषकर बच्चों के स्वास्थ शिक्षा और संस्कार पर पति पत्नी बच्चों की प्रत्येक क्रियाकलाप पर गंभीरता से ध्यान देते और स्कूल का होम वर्क स्वयं कराते पेरेंट्स टीचर मीटिंग में बच्चो के एक एक एक्टिविटी की जानकारी लेते और बच्चो में अपेक्षित सुधार के लिये स्वंय के रहन सहन आचरण में परिवर्तन करना होता परिवर्तन करते विशम्भर की दोनों संताने क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल में पढ़ रहे थे जहाँ शुरू से ही आधुनिक शिक्षा संबंधित सभी आवश्यक प्रणाली से युक्त शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्थाये मौजूद थी अनुराग और आकांक्षा कम्प्यूटर की भी आवश्यक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे विशम्भर मराछि गांव के माध्यम परिवार के मुखिया थे उनकी जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत खेती ही था विशम्भर पढ़े लिखे आधुनिक सोच के व्यक्ति थे तकिया नुकुसी और अंध विश्वास में उनका विश्वस विशुद्ध वैज्ञानिक और वैज्ञानिक था वह गांव में अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक पढ़े लिखे व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त था गांव वाले उनकी बड़ी इज़्ज़त करते वह एम ए सैन्य विज्ञान से थे बहुत नौकरियां मिली मगर माँ बाप के एकलौती संतान होने के कारण नौकरी नही कर सके ऐसी नौकरी उन्हें मिली नही जो गाँव पर रह कर की जा सके तब बिशम्भर ने गांव पर ही आय के संसाधन के लिये ट्रेक्टर थ्रेसर आटा चक्की स्पेलर आदि से सुसज्जित आधुनिक कृषि करते और किसी शहरी नौकरी से कम आय नही थी सौभाग्य से उनकी पत्नी लता भी बहुत ही नहीं है कि वह अपने पति की सहयोगी और बेहद कुशल गृहणी थी विशम्भर की दो संताने अनुराग और आकांक्षा पढ़े लिखे होने के नाते लता और आकांक्षा अनुराग और आकांक्षा की परिवश खासा ध्यान देते विशेषकर बच्चों के स्वास्थ शिक्षा और संस्कार पर पति पत्नी बच्चों की प्रत्येक क्रियाकलाप पर गंभीरता से ध्यान देते और स्कूल का होम वर्क स्वयं कराते पेरेंट्स टीचर मीटिंग में बच्चो के एक एक एक्टिविटी की जानकारी लेते और बच्चो में अपेक्षित सुधार के लिये स्वंय के रहन सहन आचरण में परिवर्तन करना होता परिवर्तन करते
विशम्भर की दोनों संताने क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल में पढ़ रहे थे जहाँ शुरू से ही आधुनिक शिक्षा संबंधित सभी आवश्यक प्रणाली से युक्त शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्थाये मौजूद थी अनुराग और आकांक्षा कम्प्यूटर की भी आवश्यक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे
अनुराग और आकांक्षा आई सी एस सी बोर्ड से हाईस्कूल से परीक्षा पास कर दोनों ने इंटरमीडिएट सी बी एस सी से उत्तीर्ण किया अनुराग आकांक्षा से तीन वर्ष बढ़ा था अतः दोनों के पढ़ने में भी तीन वर्ष का अंतर था अनुराग जब हाई स्कूल किया आकांक्षा सेवेंथ में थी जब अनुराग इंटरमीडिएट में था तब आकांक्षा नाइन्थ में पढ़ रही थी अनुराग ने रसायन शास्त्र से एम एस सी किया और फोरहेंसिग एक्सपर्ट की विधिवत शिक्षा ग्रहणऔर जैविक प्रयोग एव उसके मानव पर पड़ने वाले विभन्न प्रभावों पर अध्ययन किया विदेश से फेलोशिप किया और भरतीय फोरहेंसिक प्रयोगशाला में नियुक्त पाकर एक शानदार कैरियर की शुरुआत किया इधर आकांक्षा ने आई आई टी से चेन्नई से इलेक्ट्रॉनिक में इंजीनियरिंग एव मास्टर डिग्री प्राप्त कर वह आई आई टी में ही अध्यापन कार्य करने लगी विशम्भर लता की किस्मत में चार चांद लग गए बेटे बेटी दोनों ने उनकी इच्छाओं का सम्मान किया और देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों मर प्रतिष्टित पदों पदासीन थे आकांक्षा अपने बड़े भाई को बचपन से राखी प्रति रक्षाबंधन पर बड़े गर्व से राखी बांधती और मन माफिक तोहफा पाती और भैया दूज के दिन भाई के दीर्घायु और अनेक सफलता की कामना ईश्वर से करती हर वर्ष आकांक्षा को भैया दूज और रक्षा बंधन पर खास मनचाहा तोहफा मिलता लेकिन एक वचन वह अनुराग से लेने में नही चूकती वह हर बार यही कहती कि भीईया जीवन मे जो भी मुझे दुःख दे आपकी जिम्मेदारी होगी कि आप उसे उसकी सजा अवश्य देना वैसे ईश्वर ना करे कभी ऐसा अवसर आये मगर किसी कारण से खुदा न खास्ता यदि ऐसा हो ही गया तो आप उसे नही छोड़ोगे जिसके कारण मुझे दुख या पीड़ा होगी अनुराग तरह तरह से बहन आकांक्षा को आश्वस्त करता विशम्भर और लता भाई बहन के आपसी प्यार और सफलता से बेहद खुश और स्वयको भाग्यशाली समझ ईश्वर का बार बार धन्यवाद करते ।कहते है कि किसी की जिंदगी में उसकी सारी चाहत मिल जाय कोई न कोई कमी जीवन की संपूर्णता को अपूर्ण अतृप्ति रखती है
आकांक्षा आई आई टी में पढ़ाने के साथ साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रही थी उसी दौरान उसकी मुलाकात रबिन से हुये रबिन भी आई आई टी गोल्ड मेडलिस्ट था आकांक्षा और रबिन अपनी तैयारियो में एक दूसरे की जनकारी एव अनुभव को मिल बैठकर करते तो मोबाइल फेसबुक और बिभिन्न माध्यमो से भी चैटिंग कर एक दूसरे की तैयारियों में मदद करते इस दौरान दोनों भावनात्मक तौर पर कब करीब आ गए पता नही चला दोनों में प्यार पनपने लगा रॉबिन कैथोलिक क्रिश्चियन था आकांक्षा एव रॉबिन एक साथ आई ए एस की परीक्षा में सफलता अर्जित किया और साथ साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया दोनों की नियुक्ति भी एक ही जनपद में बिभिन्न पदों पर हो गयी दोनों में प्यार का आलम यह था कि शायद कभी एक दूसरे के बैगर देखे जाते हों जिला प्रशासन में दोनों के प्यार की चर्चा होती रहती रॉबिन ने अपने पिता रोड्रिक्स और माँ रुबिया से अपने प्यार आकांक्षा के विषय मे स्पष्ठ बताया मगर आकांक्षा आधुनिक शिक्षा समाज में पलने बढ़ने के बाद भी अपने प्यार के विषय पिता विशम्भर और माँ लता नही पता सकी उसने भाई आकांक्षा को भी प्रत्यक्ष नही बल्कि व्हाट्सएप और पर थी अनुराग ने माँ लता एव पिता विशम्भर से आकांक्षा के प्यार और विवाह के विषय मे बात किया विशम्भर गांव में रहने के बावजूद बदलते सामाजिक परिवेश से परिचित थे उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि आकांक्षा की खुशी उसके प्यार में है तो हमे क्या आपत्ति हो सकती है माँ लता ने अंतर्धार्मिक विवाह का विरोध किया लेकिन पति पुत्र के समझाने के बाद उसको भी लगा कि बच्चों की खुशी में ही उनकी खुशी है जिद्द से कुछ भी हासिल नही होने वाला आकांक्षा और रॉबिन की शादी हुई जिसमें विशम्भर के एक दो रिश्तेदारों को छोड़ कर सभी ने विरोध स्वरूप वैवाहिक संस्कार का विरोध किया गांव के लगभग सभी ने इस अन्तर्ध्म विवाद के विरोध में वैवाहिक कार्यक्रम का वहिष्कार किया सामाजिक विरोध के बावजूद विशम्भर लता की सहमति से आकांक्षा और रबिन का विवाह सनातन धर्म और क्रिस्चियन धर्म के अनुसार हुआ आकांक्षा और रॉबिन हनीमून के लिये स्विट्जरलैंड गए विशम्भर और लता साथ ही साथ अनुराग बहुत खुश थे कि आकांक्षा को उसकी पसंद का जीवन साथी मिल गया ।रबिन और आकांक्षा हनीमून से लौट आये और लौट कर अपने पदस्थापित जनपद के प्रशासनिक सहयोगियों को उनकी पसंद की पार्टी दिया सभी ने आकांक्षा और रॉबिन के शानदार जीवन की शुभकामनाएं दी राँबिन और आकांक्षा का जीवन बहुत शानदार सम्मानित और चाहत की राहों पर चल रहा था दोनों में सामंजस्य बहुत था धार्मिक पृष्ठभूमि अलग होने का कोई प्रभाव उनके जीवन मे नही था दोनों खुश थे।
विवाह के दो वर्ष बीत चुके थे एक दिन आकांक्षा अपने विभागीय कार्य से दौरे पर निकली दिन भर दौरे का निर्धारित कार्य निबटाने के बाद शाम को लौट रही थी कार ड्राइवर दिनवन्धु आकांक्षा से बाते करता दिन भर के कार्यो गतिविधियों में अपनी जानकारी के अनुसार मैडम को आगाह करता तभी आकांक्षा के कार का दाहिना टायर एक एक ब्रस्ट हो गया कार असंतुलित होकर पहले पेड़ से टकराने के बाद लगभग बीस फुट खाई में गिर गई ड्राइवर दिन बंधुकी घटना स्थल पर मृत्यु हो गयी जब घटना की सूचना प्रशासन को पता चली तब पूरा प्रसाशन लाव लश्कर के साथ घटनास्थल पर पहुँचा और आकांक्षा की कार को खाई से निकाला गया चूंकि मामला खुद के एक प्रशासनिक अधिकारी का था अतः किसी कोताही की गुंजाइश नही थी तुरन्त आकांक्षा को चिकित्सालय लाया गया उसकी सांस चल रही थी डॉक्टरों ने उसे बचाने के लिये सभी संभव असंभव प्रायास किया विशम्भर लता और रोड्रिक्स रुबिया भी पहुंच चुके थे आकांक्षा कोमा से बाहर लगभग एक माह की चिकित्सा के बाद आ चुकी थी और बहुत जल्द रिकवर कर रही थी लेकिन उसके दोनों पैर बेकार हो चुके थे डॉक्टरों ने आकांक्षा के दोनों पैर घुटनों से नीचे काटने का फैसला किया क्योकि बिना दोनों पैर के काटे आकांक्षा को बचा पाना संभव नही था डॉक्टरों ने विशम्भर ,लता ,अनुराग, रोड्रिक्स एव रुबिया राँबिन को एक साथ बैठाकर आकांक्षा के स्वस्थ की स्थिति जनकारी दिया और दोनों पैर काटने की सलाह दिया दोनों परिवारों ने आपसी विचार विमर्श से आकांक्षा के पैर काटने के लिये सलाह को स्वीकार कर लिया आकांक्षा के दोनों पैर डॉक्टरों ने काट दिया उंसे स्वस्थ होने में दो तीन माह का समय लगना था आकांक्षा खतरे से बाहर थी अतः विशम्भर और लता कुछ दिनों के लिये गांव लौट आये थे रबिन रोड्रिक्स और रुबिया थे और अनुराग हर सप्ताह प्लाइट से आता और बहन आकांक्षा की चिकित्सा एव प्रगति की जानकारी हासिल करता और अगले सप्ताह के लिये सारी व्यवस्थाओं से आश्वस्त होकर जाता आकांक्षा के दोनों पैर कटने के बाद राँबिन रोड्रिक्स और रुबिया का ध्यान आकांक्षा की तरफ औपचारिक रह गयी अक्सर बेटे रॉबिन को इमोशनल हिट करते कहते अब तो रॉबिन को हैंडीकैप बीबी की जीवन भर सेवा करनी है रोज रोज माँ बाप के द्वारा इमोशनल हिटिंग से रॉबिन भी इस विषय पर गम्भीरता से सोचने लगा और उसे आकांक्षा की चिकित्सक टीम में ही उसके भावी जीवन का भविष्य राह दिख गया चिकित्सक टीम में सीनियर सर्जन डॉ जेमना जो बेहद आकर्षक और खूबसूरत भी थी और जो अक्सर रॉबिन से कहती कि आप कितने महान लांगो की सूची में सम्मिलित होने वाले है लोग कहेंगे भारतीय प्रशासनिक सेवा का तेज तर्रार अधिकारी ने हैंडीकैप पत्नी की जीवन भर देखभाल करते आदर्श पति की फेरहिस्त में एक और रोशन नाम दर्ज करेगा और अपनी जलिम तिरझी नज़र से राँबिन को देखती राँबिन को मालूम था कि वह ताना मार रही है ध्यान नही देता लेकीन पिता रोड्रिक्स माँ रुबिया के गम्भीर इशारे के बाद वह स्वयं ही डॉ जेमिना के तरफ प्यार का हाथ बढ़ा दिया जेमिना कैथोलिक क्रिस्चियन भी थी जेमिना तो जैसे रॉबिन का राह ही देख रही थी उसने रॉबिन से अधिक तेजी से राँबिन की प्यार की तरफ कदम बढ़ाया अब जेमिना बेखौफ रॉबिन के साथ डेट करती घूमती फिरती उसके माँ रुबिया और रोड्रिक्स के साथ भी रहती कहते है प्यार छुपता नही है हर सप्ताह बहन की देखभाल के लिये आते अनुराग को सच्चाई का पता लग गया उसने राँबिन एव उसके मां बाप से बात किया और समजाने की बहुत कोशिश किया कि आर्टिफिशियल लिम्स बहुत विकसित है और आकांक्षा भी आर्टिफिशियल लेग के सहारे चल फिर सकेगी और समान्य जीवन को तरह ही रहेगी रोड्रिक्स और रुबिया ने सवाल किया कि घर पर तो हैंडीकैप ही रहेगी आकांक्षा हर तरह के तर्क समस्या का सार्थक समाधान देने पर भी रॉबिन रोड्रिक्स और रुबिया नही माने और डायबोर्स के लिये कोर्ट मे प्रार्थना पत्र देने के लिये राँबिन को कहा जब अनुराग आश्वस्त हो गया कि रोड्रिक्स की फैमिली समझने और मानने वाली नही है तो पिता विशम्भर और माँ को बुलाया और सारी सच्चाई बताई और बोला कि आप लोग चाहे तो रुबिया रोड्रिक्स और राँबिन से बात कर ले लेकिन विशम्भर और लता ने इनकार कर दिया उधर रॉबिन ने कोर्ट से आकांक्षा से तलाक का नोटिस भेजा आकांक्षा को तलाक की बात माँ बाप एव भाई ने नही बताई और कोर्ट से आकांक्षा के दुर्घटना का हवाला देकर कोर्ट से दो महीने का समय मांगा आकांक्षा को अस्पताल से तीन माह बाद छुट्टी मिली वह बार बार रबिन के विषय मे पूछती लेकिन माँ लता पिता विशम्भर और भाई अनुराग खूबसूरत बहाना बनाकर डाल देते आकांक्षा तेजी से स्वस्थ हो रही थी एकाएक उसको ध्यान आया कि दुर्घटना एव अस्पताल दौरान उसने अपना मोबाईल आन नही किया उसने अपना मोबाइल आन किया लगभग दो तीन घंटे बाद आकांक्षा की मोबाइल रिस्टोर हुई तो उसने सबसे पहले राँबिन का व्हाट्सएप चेक किया जिस पर कोर्ट द्वारा राँबिन ने तलाक की नोटिस भेजी थी जिसे पढ़ने के बाद वह आबे से बाहर चिल्लाते हुये पिता विशम्भर और माँ लता और भाई अनुराग को पुकारा तीनो एक साथ आकांक्षा के पास पहुँचे जब आकांक्षा ने तलाक के बाबत सवाल किया तो माँ बाप और भाई ने उसे सच्चाई बताई जिसके बाद आकांक्षा को बेहद शर्मिंदगी हुई अपने अन्तर्ध्म विवाह पर
वह अपने भाई अनुराग पिता विशम्भर और माँ लता से माफी मांगी माँ पिता ने कहा संतान की खुशी के लिये कुछ भी करते बेटे आकांक्षा जो भी तुमने किया उसमें तुम्हारी खुशी थी वही हम लोंगो ने भी किया जिसमें तुम्हारी खुशी थी अब भी वही करेंगे जिसमे तुम्हरी ख़ुशी और बेहतर भविष्य होगा
आकांक्षा ने अपने भाई अनुराग से कहा अब भाई होने का फर्ज तुम्हे निभाना है तुमको जब भी रखी बांधी है एक ही सौगात माँगी है कि मुझे जिससे दुःख पहुंचे उसको चैन तुम नही लेने दोगे तुमने भी इस बाबत सदैव वचन दिया है आज तुम्हारी अभगी बहन जीवन की आकांक्षाओ को हार चुकी आकांक्षा के दुःख के कारण रॉबिन को उसके किये की सजा देना तुम्हारा कर्तव्य है अनुराग ने कहा बहन अब वही होगा जो तुम्हारी खुशी के लिये सही होगा और अनुराग सीधे अपने कमरे में चला से दो दिन बाद क्रिसमस था उसने बहुत गम्भीर योजना बना रखी थी उसने घोड़े की नाल पर कोबरा पॉइजन को जर्मीनेट किया और उस नाल को राँबिन तक पहुंचाने के लिये नायब रास्ता अपनाया उसने उस कोबरा पॉइजन से जर्मीनेट घोड़े की नाल से एक रिंग बनवाई और कुछ ऐसी बनवाई की उस अंगूठी को पहने वाले कि उंगलियों की त्वचा से कोबरा पॉइजन उसके शरिर में प्रवेश कर जाए क्रिस्चियन मे घोड़े की नाल की रिंग शुभ मानी जाती है रिंग को लेकर क्रिसमस के सेरेमनी में गया लेकिन उसकी मुलाकात जेमिना और रॉबिन से नही हुई लेकिन अनुराग ने उन दोनों को देखा अनुराग ने उस रिंग को बड़ी चतुराई से राबिन के कार के डेसबोर्ड पर रख दिया मध्य रात्रि के तक क्रिसमस सेरेमनी से खाली हुआ तो जेमिना के साथ सीधे अपनी स्टाफ कार में बैठ गया स्टाफ कार का ड्राइवर आया और कार स्टार्स करने के लिये सेल्फ मारा तभी उसे सामने लोहे की रिंग दिखाई दी उंसे लगा कि शायद यह साहब की हो उसने रिंग राँबिन को दिया ज्यो ही रिंग ड्राइवर ने राँबिन को दिया जेमिना ने कहा आज क्रिसमस को लोहे की रिंग वन्डरफुल मेबी लकी इतना सुनते ही रॉबिन ने अपनी उंगलियों में उस लोहे की रिंग को अंदर बाहर करने लगा रिंग की बनावट ही इस प्रकार की थी कि एक दो बार किसी भी उंगली में अंदर बाहर करने पर त्वचा से रक्त के सम्पर्क में आये हुआ भी यही ज्यो ही रॉबिन के त्वचा के द्वारा उसके रक्त कणिकाओं का संपर्क उस लोहे की रिंग का हुआ राँबिन के पूरे शरीर मे कोबरा का जहर फैल गया जब तक डॉ जेमिना कुछ भी संमझ पाती तब तक राँबिन दुनियां को अलविदा कह चुका था जेमिना को लगा राँबिन की स्वाभाविक मृत्यु नही है उसने उसका पोस्ट मार्टम कराया तो उसमें कोबरा का जहर पाया गया जो उस लोहे की रिंग से राँबिन के शरीर में पहुंचा था चूंकि मामला एक प्रशासनिक अधिकारी का था शासन द्वारा भी हर सम्भावना पर जांच दर जांच कमेटी दर कमेटी बनाई गई मगर कुछ भी हासिल नही हुआ घूम फिर कर शक की सुई राँबिन के ड्राइवर के ऊपर जाती मगर झूठ सबित हुई कोर्ट ने भी केश बन्द कर दिया अनुराग ने बहन आकांक्षा से कहा बहन मैने तुम्हे दिया वचन पूरा किया आकांक्षा समझ गयी राबिन कैबरे का जहर रबिंन की मौत का रहस्य।।

कहानीकार ---नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश