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अरमानों का आकाश




मानवेन्द्र के पिता सोमेंद्र और माँ रितिका अपने समय के मशहूर चिकित्सक थे डेहरी गांव के नजदीक कस्बे कखारदुल में पाइवेट नर्सिंग होम चलाते थे दोनों की प्रैक्टिस अच्छी खासी थी और दूर दूर से मरीज अपने इलाज के लिये आते थे। सोमेंद्र और रितिका की दो संताने थी मानवेन्द्र और मनीषा दोनों को पढ़ने के लिये क्लास सिक्स के बाद ही भोपाल के प्रतिष्ठित कैथोलिक चर्च के स्कूल में एडमिशन करा दिया था सोमेंद्र और रितिका की चाहत थी कि उनके बेटे बेटी डॉक्टर बनकर उनके कार्य को और आगे बढ़ाए उनकी संतानो ने भी इसके लिये कोई कोर कसर नही उठा रखी थी मानवेन्द्र को एम बी बी एस में पूना प्रवेश मिला मनीषा को भोपाल में ही महात्मा गांधी मेडीकल कालेज में एडमिशन मिल चुका था। मानवेन्द्र और मनीषा की मेडिकल की पढ़ाई बहुत शानदार चल रही थी दोनों अपने कॉलेज में गोल्ड मेडल के साथ एम बी बी एस की परीक्षाओं को पूर्ण किया सोमेंद्र और रितिका को अपने संतानो पर गर्व था जो भी मरीज उनके नर्सिंग होम से ठीक होकर जाने लगता वही अपनी दुआओं में डॉक्टर दंपति को उनके लायक बच्चों की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की दुआएं देता डॉक्टर दंपति को बहुत आत्मिक खुशी और संतोष की प्राप्ति होती। मानवेन्द्र पीजी की पढाई के लिए ब्रिटेन चला गया दाखिले के बाद जब सत्र की शुरुआत हुई मेडिकल कॉलेज में एक दिन कालेज की लाइब्रेरी में पढ़ रहा था पढ़ते पढ़ते रात्रि के लगभग बारह बज चुके थे उंसे टाइम का कुछ पता ही नही था एकाएक मानवेन्द्र ने देखा कि उसके सामने एक लड़की बैठी अपने अध्ययन में लीन थी मानवेन्द्र ने उठते हुए बोला मैडम रात के बारह बज चुके है लाइब्रेरी की चाभी आज मैंने बहुत रिकेस्ट करके डाईरेक्टर महोदय से अनुमति के बाद माँगी थी अब आप उठिए हमे लाइब्रेरी बंद करनी है ।कामिनी ने बड़े विनम्रता पूर्वक कहा डॉ साहब आप देखने से भारतीय लगते है जो भावनाओ के परिपेक्ष्य में संबंधों का निर्बहन करते हैं ड्यूटी के दौरान एक मरीज महिला जिनकी उम्र पचास वर्ष है और क्रॉनिक कार्डियो डिजीज से ग्रसित है मैं उन्ही के लिये लेटेस्ट मेडिकल अपडेट्स देख रही ज्यो ही किसी मेडिकल जनरल में उनके बीमारी के लक्षण के कोई क्लू मिल गए मैं फौरन चल दूंगी और कामिनी उठी और लेटेस्ट मेडिकल बुलेटिन जनरल खोजती पूछा आपका नाम मानवेन्द्र मैं कार्डियो सर्जरी में पी जी करने बाद उच्च अध्ययन के लिये भारत से यहाँ आया हूँ मै एक पुराने रियासत परिवार से ताल्लुक रखता हूँ जो मध्य प्रदेश के मंदसौर से संबंधित है अब रियासत है नही मेरे मम्मी डैडी डॉक्टर है और अपना नर्सिंग होम चलाते है मेरी बहन मनीषा भी गईनो से पी जी इंडिया से ही कर चुकी है।कामिनी ने एका एक कहा मिल गया आप पहले ही अपना परिचय बता देते तो हमे उस अधेड़ महिला के इलाज का लेटेस्ट उपडेट्स पहले मिल जाता मैं कामिनी
माँ बाप की इकलौती प्यारी लाडली मेरे माम् डैड कार्डियो सर्जन भारत मे राज कोट गुजरात मे अपना नर्सिंग होम चलाते है क्या खूब हम दोनों की कुंडली एक जैसी है ।अब कामिनी और मानवेन्द्र दोनों को जव भी खाली समय मिलता मिलकर आपस मे बाते करते धीरे धीरे दोनों की मुलाकात प्यार में कब बदल गयी पता ही नही चला दोनों ने फाइनल की परीक्षा दिया और दो तीन महीने के लिये भारत लौटने की तैयारी करने लगे कामिनी ने बताया कि उसे मुंबई अंतरराष्ट्रीय डांस कम्पेटिसन में भाग लेना है मानवेन्द्र ने कहा कि चलिये मैं भी मुंबई आपके साथ चलता हूँ और आपके डांस चैम्पियन बन जाने के बाद मम्मी डैडी के पास चला जाऊंगा।मानवेन्द्र और कामिनी एक साथ मुम्बई पहुंचे कामिनी डांस के रियाज में मशगूल हो गयी उंसे उसके बचपन का दोस्त डांस मास्टर निहार डांस कम्पेटिसन जितने का टिप्स देता मानवेन्द्र भी साथ रहता मगर कामिनी का ध्यान प्यार निहार की तरफ अधिक रहता उंसे डांस चैंपियनशिप जितने का जुनुन सवार था डांस कम्पेटिसन कामिनी ने जीता जिसके लिये उंसे एक करोड़ नगद और एक फ़िल्म में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ अब कामिनी निहार से ही मिलती उंसके ही साथ घूमती उंसे ही डेट करती मानवेन्द्र की अच्छी खासी जिंदगी में भूचाल आ गया वह शराब के नशे में फंस गया जब मानवेन्द्र का दो तीन महीनों तक कोई हाल चाल नही मिला तो उसके मम्मी डैडी मुंम्बई मानवेन्द्र की खोज खबर लेने पहुँचे जब उन्होंने देखा की मानवेन्द्र जीवन के दलदल में प्यार के तिरस्कार से फंस नशे की लत का शिकार हो चुका है। सोमेंद्र और रितिका मानवेन्द्र के मम्मी डैडी ने समझा बुझा कर उसे निराशा हताश से बाहर निकाला और कहा बेटे जिंदगी में बहुत उतार चढ़ाव आते है उंसे हिम्म्मत हौसलों और सूझ बूझ से अपने अनुसार मोड़ा जा सकता है हमेशा किसी लाइन को छोटी करने के लिये बड़ी लाइन खिंचने का प्रयास करना चाहिये ना कि छोटी लाइन को मिटाने के लिये खुद मिट जाना चाहिये । मानवेन्द्र का एडमिशन भारतीय फिल्म इंस्टीट्यूट पूना में करा दिया दो साल की कड़ी मेहनत के बाद मानवेन्द्र में एक सशक्त कलाकार ने जन्म ले लिया था और डॉक्टर लगभग दम तोड़ चुका था मानवेन्द्र अब सपनो की नगरी में काम की तलाश में इधर उधर भटक रहा था उधर कामिनी सफलता की ऊंचाइयों पर चढ़ती बढ़ती जा रही थी समय उसके पास नही था निहार और उसके मध्य आये दिन की कलह मीडिया और अदालत में पहुँच चुकी थी धीरे धीरे कामिनी के ग्लेमर और सोहरत में कमी आने लगी और निहार से तलाक हो गया संघर्ष करते मानवेन्द्र को एक फ़िल्म में मुख्य कलाकार की भूमिका मिली वह फ़िल्म सुपर हिट हुई उसके बाद उसके पास फिल्मों की लाइन लग गयी वह सुपर स्टार बन चुका था
कामिनी धीरे धीरे नशे के अंधकार में डूबती गयी एका एक एक दिन उसे मानवेन्द्र की याद आयी ठीक उसी दिन वह मानवेन्द्र के नई फिल्म के प्रीमियर पर आमंत्रित अतिथि के रूप में पहुची जब पार्टी खत्म हुई तब उसने मानवेन्द्र से कहा कामिनी आज भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहीं है मानवेन्द्र ने कहा कि कोई फायदा नही तुम तो सिर्फ भावनाओ की लाशों को सीढ़ी बनाकर अपनी मंज़िल सोहरत दौलत इज़्ज़त चाहने वाली हो जो सब तुमको मिल चुका है और खो चुका है जैसे कि मैं और निहार दोनों तुम्हारे प्यार थे अब नही है जीवन मे व्यवसायिता की मर्यादा होती है जिसे तुमने कभी समझा ही नही अब पछताने से क्या फायदा मेरी शादी मेरी बचपन की दोश्त कुमुदिनी से मेरे ममी डैडी ने निश्चित कर दी है मै तुम्हे शादी में आने की दावत देता हूँ।जिस दिन मानवेन्द्र की शादी थी उसी दिन कामिनी ने आत्म हत्या कर ली खबर आम थी आकांक्षाओं के आकाश में अदाकारा का अंत।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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