तेरे इंतजार में.... - 2 Heena katariya द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तेरे इंतजार में.... - 2

अनामी जैसे तैसे खुद को संभालते हुए अथर्व के ऑफिस पहुंचती है! । वह ऑटो से उतरकर जैसे ही वह बिल्डिंग की ओर देखती है उसकी आंखो में एक अलग भाव उमड़ रहा था। मानो इतने सालो से जो उसका ख्वाब था वह ख्वाब आज पूरा हो गया है लेकिन फिर भी उसे यकीन नहीं हो रहा था की वह अथर्व के ऑफिस के सामने खड़ी है। और उसे अथर्व के साथ काम करने का मौका मिला है। वह बस बिना किसी हरकत के सामने बिल्डिंग को देखे जा रही थी। तभी ऑटो वाले भैया उसे आवाज देते है। जिस वजह से वह सॉरी कहते हुए उसे ऑटो के पैसे दे देती है। वह फिर से बिल्डिंग की और देखते हुए एक गहरी सांस लेती हैं । और चार कदम बढ़ाए ही थे की तभी आवाज आती है । " दिल जोरो से धड़क रहा है ना! " अनामी पीछे देखती है तो एक लड़का उसकी हम उम्र का था ।
अनामी: जी!?
लड़का: मैने कहां आज कुछ ज्यादा ही उत्सुकता, नर्वसनेश, डर सारे भाव एक साथ उमटेगे।
अनामी: ( आश्चर्य में लड़के को देखे जा रही थी! की ये पागल हो गया है क्या!? । तभी एक लड़की उसको टपली मारते हुए )
लड़की: ये गधा हर बार सभी को ऐसे ही डराता है! तुम उसकी बातो को इतना महत्व मत दो, एंड हाय! रितिका हयर ( खुद की पहचान कराते हुए हाथ आगे बढ़ाती है । ) ।
अनामी: ( रितिका का हाथ मिलाते हुए ) अनामी! ।
रितिका: वाउ काफी प्यारा नाम है।
लड़का: वैद! बंदे को वेद के नाम से जानते है! नाम तो सुना ही होगा.... की... रन।
अनामी: ( मुस्कुराते हुए हाथ मिलाती हैं। ) नहीं मैने नहीं सुना! ।
रितिका: ( हंसते हुए ) वोह! तुम्हारी और मेरी पक्का जमेगी लिख के लेलो ।
वेद: ( मुंह फुलाए हुए ) तुमने मेरा नाम नहीं सुना! हिंदुस्तान का बच्चा बच्चा मुझे जानता है! बालिके तुम कौन से ग्रह से आई हो!? ।
रितिका: ( अनामी का हाथ पकड़ते हुए ) इग्नोर हिम जब इसे कोई भाव नहीं देता तो ऐसे ड्रामा क्वीन बनता रहता है ।
अनामी: ( रितिका के साथ बिल्डिंग में दाखिल होते हुए ) हम्म! ।
रितिका: तो किस डिपार्टमेंट में हो तुम!? ।
अनामी: नहीं वो अभी मैं इंटर्न के तौर पर हूं! डिजाइनर ।
रितिका: ओह! फिर तो हम दोनो सिर्फ ब्रेक पर ही मिल पाएंगे... मुझे लगा कि इस गधे से छुटकारा मिल जाएगा कोई एक नया फ्रेंड मिल गया ... पर ठीक है! कोई नहीं।
वेद: ( गुम हुए बच्चे की तरह दोनो के पीछे चलते हुए ) हेय! हेय! तुमने कहां था मैं तुम्हारा खास दोस्त हूं यहां और अनामी को पहले मैने देखा था तो वो मेरी दोस्त पहले हुई! ।
अनामी: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) गायस! मैं तुम दोनों की दोस्त एक साथ भी तो हो सकती हूं! ।
वेद: यस! ये हुई ना मेरे बेबी वाली बात! ( अनामी के गाल खींचते हुए, वह आश्चर्य में रितिका की ओर देखती है।)।
रितिका: डोंट वरी! ये इसका रोज का है! दो चार दिन मैं तुम खुद इसे मेरी तरह हैंडल करना सीख जाओगी।
अनामी: ( कसमकस में सिर को हां में हिलाते हुए ) ओके! फिर लंच ब्रेक पे मिलते है।

रीसेप्सनिस्ट के पास जाते हुए उसे सारी डिटेल्स कहती है। थोड़ी देर बाद उसे 25 वे फ्लोर जाने के लिए कहा जाता है! । वह थैंक यू कहते हुए जैसा रीसेप्सनिस्ट ने कहां वैसे आगे बढ़ती है। लिफ्ट ऑन करते हुए जब वह 25 वे फ्लोर का बटन दबाती है तो जब लिफ्ट बंद होने ही वाली होती है तब एक हाथ बीच में आता है जिस वजह से लिफ्ट रुक जाती है। जब वह देखती है। तो सामने सूट बूट में अथर्व था ! । वह उसे देखे जा रही थी! उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे!? क्योंकि उसके अथर्व के अलावा लिफ्ट में कोई नहीं चढ़ रहा था! शायद ये लिफ्ट उसके लिए है! वह खुद को मन ही मन कोस रही थी पहला दिन और इतनी बड़ी गलती। वह एक बार और अथर्व की और देखती है तो वह किसी से बात कर रहा था और उसने अभी तक नजर उठाकर भी नहीं देखा । इतने नजदीक देखकर अनामी का दिल धक धक कर रहा था! मानो जैसे अभी बाहर आ जायेगा। वह रीसेप्सनिस्ट की बात को याद करने की कोशिश कर रही थी लेकिन जहां तक उसे पता है रीसेप्सनिस्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहां था की कौन सी लिफ्ट में जाना है। वह जब लिफ्ट से बाहर जाने ही वाली थी की तभी अथर्व कहता है।

अथर्व: डोंट... ( और उसी के साथ वह प्रेस बटन दबा देता है जिससे लिफ्ट चालू हो जाती है। )

अनामी नजर उठाते हुए अथर्व की ओर देखती है । उसने इतने सारे मैगजीन और शोज में तो देखा था लेकिन इतने नजदीक से पहली बार देख रही थी। किसी को भी कायल कर दे! वैसा लुक था उसका। शार्प चेहरा... फिर उसकी आंखों की ओर देखती है फिर नाक और फिर होठ की और मानो जैसे कोई नायब अजूबा हो। बिलकुल कोई कहानी का राजकुमार हो!। अनामी को ध्यान ही नहीं रहा की वह कब से अथर्व को देखे जा रही है ।

अथर्व: मिस... मैं जानता हूं दिखने में अच्छा हूं पर यहां पर आप घूरने तो नहीं आई है! । आगे से गलती ना हो! क्योंकि मुझे फिजूल लोग बिलकुल पसंद नहीं है। वर्ना घर पर रहिएगा यहां जरूरत नहीं है आपकी ।

इतना कहते ही अथर्व लिफ्ट ओपन होते ही निकल गया ! अनामी बेवकूफो की तरह देखती ही रह गई। ना उसे अपनी बात कहने का मौका मिला और ना ही समझने का की क्या हो रहा है। वह एक दो मिनिट तो सदमे में ही अथर्व जिस दिशा में गया वहां देखती रह गई। फिर उसे समझ आ गया की अथर्व को लगा की वह उसके साथ फ्लर्ट कर रही है.... और यह बात सोच सोचकर ही वह खुद को कोसे जा रही थी क्यों!? आखिर पहले ही दिन कबाड़ा कर दिया । वह फिर दूसरे इंटर्न के साथ जाकर अपने वर्क को समझने में व्यस्त हो जाती है।