फातिमा बीबी [जन्म 30 अप्रैल 1927]सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं। वे वर्ष 1989 में इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्हें 3 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य बनाया गया। उनका पूरा नाम मीरा साहिब फातिमा बीबी है। वे तमिलनाडू की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं| राज्य के राज्यपाल के रूप में, उन्होंने राजीव गांधी हत्या मामले में चार निंदा करने वाले कैदियों द्वारा दायर दया याचिकाओं को खारिज कर दिया। कैदियों ने संविधान के अनुच्छेद 161 (क्षमा प्रदान करने की गवर्नर की शक्ति) के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने की अपील करते हुए, राज्यपाल को दया याचिकाएँ भेजी थीं।
न्यायमूर्ति मीरा साहिब फातिमा बीबी का जन्म केरल के पथानामथिट्टा में हुआ था। उनके पिता का नाम मीरा साहिब और माँ का नाम खदीजा बीबी है। उनकी विद्यालयी शिक्षा कैथीलोकेट हाई स्कूल, पथानामथिट्टा से हुई।
उन्होंने 1943 में कैथोलिकेट हाईस्कूल, पठानमथिट्टा से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. वो अपनी उच्च शिक्षा के लिए त्रिवेंद्रम चली गईं, जहां छह साल तक रहीं. इसके बाद बी.एस.सी. यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से करके गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से कानून की पढ़ाई के लिए अपना नामांकन कराया.
पहले वो विज्ञान का अध्ययन करना चाहती थी, लेकिन उनके पिता जस्टिस अन्ना चांडी (भारत की पहली महिला न्यायाधीश और उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली भारत की पहली महिला) की सफलता से प्रेरित थे. ये उनके घर के पास काम कर रही थीं. इसलिए उन्होंने अपनी बेटी फातिमा बीवी को भी साइंस की जगह कानून का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया. फातिमा बीवी लॉ स्कूल में अपनी कक्षा की केवल पांच छात्राओं में से एक थीं, जो बाद में घटकर तीन रह गईं.
उन्होने यूनिवर्सिटी कॉलेज, त्रिवेंद्रम से स्नातक और लॉ कॉलेज, त्रिवेंद्रम से एल एल बी किया। 14 नवम्बर 1950 को वे अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुयी, मई, 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुयी, 1968 में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुयी। 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, 1980 में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और 8 अप्रैल 1983 को उन्हें उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 06 अक्टूबर 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुई। जहां से 24 अप्रैल 1992 को वे सेवा निवृत हुई।
एम. फातिमा बीबी ने कहा था कि बार और बेंच, दोनों ही क्षेत्रों में अब बहुत सी महिलाएं हैं लेकिन उनकी भागीदारी कम है. उनका प्रतिनिधित्व पुरुषों के बराबर नहीं है|
मैंने एक बंद दरवाज़े को खोला था.", 'द स्क्रोल' को दिए गए एक इंटरव्यू में यह कहा था भारत ही नहीं बल्कि एशिया में पहली सुप्रीम कोर्ट की महिला जज एम. फातिमा बीवी (Supreme Court woman Judge M. Fathima Beevi) ने. वह पहली ऐसी महिला हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर नियुक्त किया गया था|
फातिमा बीवी भारतीय इतिहास में एक बड़ा नाम हैं. एक ऐसा नाम जिससे ज्यूडिशरी से जुड़ा तकरीबन हर शख्स परिचित है| वो भारत की सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थीं. वो उच्च न्यायपालिका में पहली मुस्लिम महिला और एशियाई देशों में सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली भी पहली महिला-- Salute Woman empowerment.