अल्लाह देख रहा है ? - भाग 2 Altaf Raja द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अल्लाह देख रहा है ? - भाग 2

मुलाक़ात 📔



आयशा घर पर बैठी अपनी अम्मी से बाते कर रही थी तभी दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी आयशा ने दरवाज़ा खोला तो पड़ोस वाली खाला थी उसने ख़ुशी से उनसे बोला अस्सलाम वालैकुम खाला कैसी है आप खाला ने बोला वालैकुम सलाम बेटा मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो माशाल्लाह बहुत प्यारी लग रही हो , मैं ठीक हूँ अंदर आइए ना खाला आप बैठिए अम्मी के पास मैं आपके लिए चाय लाती हूँ फिर वो रसोई में चली गई ।


आयशा की खाला : अरे बाज़ी आप को पता है क्या हुआ है मोहल्ले में ?


आयशा की अम्मी : नही तो क्या हुआ है ?


आयशा की खाला : अरे वो रबिया है ना साथ वाले गली की .


आयशा की अम्मा : हाँ उससे मिले तो बहुत दिन हो गये है क्या हुआ उसे ।


आयशा की खाला : अरे होना क्या था उसकी बेटी है ना जोया वो अपने कॉलेज के एक आशिक़ के साथ भाग गई है और घर से सारे पैसे लेकर भी गई है पूरे मोहल्ले में थु थु हो रही है ।


आयशा की अम्मी : पता नहीं इतनी बेहयाही कहा से आ गई है इन लड़कियों में अपने माँ बाप का भी जरा सी फ़िकर नहीं करती है कितनी परेशानी में होंगे उसके माँ बाप इस समय अल्लाह उन्हें हिम्मत दे ।



आयशा की खाला : अच्छा उसे छोड़े मैं ये बताने आयी थी की कल घर पे पारा पढ़ाने का प्रोग्राम रखा गया है और शाम में मिलाद है और दावत भी तो आप लोग कल सुबह ही आ जाइएगा ।



आयशा की अम्मी : ये तो बड़ा नेक काम है क्यों नहीं हम ज़रूर आयेंगे आयशा ने भी कुछ पारे पढ़ रखे है उसको भी शामिल करवा दूँगी ।



आयशा की खाला : आयशा बहुत ही प्यारी और दीनदार बच्ची है माशाल्लाह , अच्छा बाज़ी अब मैं चलती हूँ बाक़ी लोगो को भी दावत देनी है ।



आयशा : अरे अरे कहा चलती हूँ कही नहीं जा रही आप इतनी मेहनत से चाय बना के लायी हूँ आप दोनों के लिए बिना पिये कही नहीं जा रही है आप .


आयशा की खाला : हस्ते हुए , हाँ अब मैं अपनी बेटी को कैसे मना कर सकती हूँ , लाओ बिस्मिल्ला ।




दानिश और रेहान गाव की एक दुकान पर चाय पी रहे थे तभी साहिल वहाँ आता है ।


साहिल : अरे तुम दोनों यहाँ बैठे हो वहाँ गाव में कांड हो गया है जोया घर से भाग गई है साला एक बार मिल जाये वो हरामी छोड़ूँगा नही उसे मैं ।


दानिश : हस्ते हुए ,तो तू उसका भाई या बाप लगता है क्या जो इतना परेशान हो रहा है भागी है अपने मर्ज़ी से वो जाने और उसके घर वाले ।


साहिल : अबे उसको मैंने पूछा कि मेरे से शादी करोगी तो बोलने लगी मैं प्यार व्यार के चक्कर में नही पड़ती घर वाले इसके ख़िलाफ़ है और आज देखो भाग गई किसी और के साथ , कितनी बड़ी झूठी और मक्कार है ये लड़की ।



दानिश : अरे सारी लड़कियाँ ऐसी ही होती है इनको बस अच्छी सकल और पैसे वाले लड़के ही पसंद आते है समाज के सामने अच्छा बनने का नाटक करती है और मौक़ा मिलते है कांड कर देती है इनका कोई दिन ईमान नहीं होता ।



रेहान : अबे साले दिन और ईमान की तू बात कर रहा है तेरे बारे में आस पास के गाव में किसको नहीं पता कितना बड़ा लौंडियाबाज़ है तू तेरे मुँह से ये सारी बाते अच्छी नहीं लगती ( फिर हसने लगा ) ।


साहिल : अच्छा वो छोड़ों ये बताओ कल तुम लोग आ रहे हो ना मेरे घर पे पारा है और शाम में दावत भी सुबह पारा पढ़ने चले आना दोनों ।


हाँ ठीक है आ जाएँगे अब चल एक चाय पीला और साथ में 2 सिगरेट भी ले लेना ।


आयशा ख़ाना बना कर छत पर बैठी थी तभी सकीना आ गई और हल्की मुस्कान में कहने लगी अरे मेरी रानी यहाँ अकेली बैठ के किसको याद कर रही हो अपने आशिक़ को ?


आयशा : अल्लाह का ख़ौफ़ करो सकीना कैसी बाते कर रही हो तुम ये सब करने वाली लगती हूँ मैं तुम्हें जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती नाराज़ हूँ मैं तुमसे ।


सकीना : अच्छा ना नाराज़ ना हो ये देखो मैं क्या लेके आयी हूँ ।

आयशा : ( चिंता में ) अरे ये मोबाइल कहा से मिला तुम्हें ।

सकीना : मेरा कजन है ना उसने दिया है ।

आयशा : तुम्हारे अम्मी अबू को पता है ?

सकीना : पागल हो क्या उनको कौन बताएगा मार थोड़ी ख़ानी है ।

आयशा : तो तुमको उसने ये मोबाइल क्यों दिया है ?

सकीना : अरे मेरी भोली बहन क्यों दिया है का क्या मतलब ? बात करने के लिए दिया है मोहब्बत करता है मुझसे और मैं भी , उसने बोला है अगले साल अपनी अम्मी को भेजेगा रिश्ता ले कर मैं बहुत खुश हूँ ।


आयशा : अल्लाह करे तुम दोनों एक हो जाओ मगर ये अपनी अम्मी अब्बू से छुप कर फ़ोन पर बाते करना बहुत बुरी बात है , गुनाह है ये ये सब छोड़ दो तुम्हारे घर पे पता चलेगा तो बहुत मुसीबत हो जाएगी ।


सकीना : ( मुस्कुराते हुए ) जब प्यार किया तो डरना क्या ।


फिर सकीना आयशा को फ़ोन दिखाने लगती है ।



सुबह का समय होता है तो आयशा की अम्मी बोलती है एक काम करो तैयार हो जाओ पारा पढ़ने का समय हो गया है तुम्हारे अब्बा साम में आयेंगे मिलाद के समय मैंने उनको बता दिया है ।


आयशा : ठीक है अम्मी मैं कुछ देर में तैयार हो के आती हूँ ।

उधर दानिश सो रहा होता है तभी उसकी बहन उसको उठाने जाती है : अरे भाई उठ जाइए आपको साहिल भाई के घर नहीं जाना मैं और अम्मी जा रहे है पारा पढ़ने घर बंद करके जाना है उठिये आपके वजह से लेट हो गये है ।


दानिश : अच्छा ना नीचे इंतज़ार करो मेरा मैं बस दस मिनट में आ रहा हूँ । अच्छा ठीक है मगर जल्दी आइए बोल कर दानिश की बहन चली गई ।


आयशा और उसकी अम्मी साहिल के घर पहुँच गए थे और उसकी अम्मी रसोई में चली गई और आयशा बाक़ी लड़कियों के साथ पारा पढ़ने बैठ गई ।


कुछ देर बाद दानिश और उसके घर वाले साहिल के घर आते है उसकी अम्मी रसोई में चली जाती है मदद करने के लिए और दानिश की बहन पारा पढ़ने लगती है और दानिश साहिल और बाक़ी के दोस्तों को ढूँढने लगता है ।


दानिश एक लड़के से पूछता है अरे सुनो ये साहिल और रेहान कहा है वो जवाब देता है भाई वो लोग तो छत पे है . अच्छा ठीक है दानिश बोलता है फिर वो छत पे चला जाता है ।


अरे तुम लोग यहाँ छत पे बैठे हो मैं वहाँ नीचे तुम लोगो को ढूँढ रहा था .


साहिल : अबे तुम लोगो को मैंने पारा पढ़ने के लिए बुलाया था और तुम दोनों यहाँ मेरे साथ बैठ के टाइम पास कर रहे हो ?


रेहान :( हस्ते हुए ),अबे तो तू कौन सा पारा पढ़ रहा है तू भी तो टाइम पास ही कर रहा है ना ।


तब तक साहिल की अम्मी अपर आ जाती है कहती है अरे नालायकों यह ऊपर सिगरेट पीने के लिए आये हो ना तुम लोग मालूम है मुझे शर्म नहीं आती तुम लोगो की बहने नीचे पारा पढ़ रही है और तुम लोग यहाँ टाइम पास कर रहे हो चलो नीचे और पारा पढ़ो ।


जी खाला बोल के तीनों नीचे चले जाते है और एक एक पारा उठा के पढ़ने लगते है .


तभी अचानक दानिश की नजर आयशा पे पड़ती है उसको देख के दानिश रुक सा जाता है उसकी नजरे आयशा से हटती ही नहीं है फिर वो मन में ही बोलता है बोलता है ,


या अल्लाह आयशा को देखे एक जमाना हो गया था कितनी खूबसूरत है ये , आमिर चाचा तो ना मुझे अपने घर आने देते है और ना ही आयशा को बाहर निकलने देते है सुकर है साहिल की अम्मी का जो ये प्रोग्राम रख लिया वरना मेरी तो इससे देखने का सपना सपना ही रह जाता ।



तभी अचानक आयशा की नज़र दानिश पर पड़ती है वो उसे देखे ही जा रहा था तभी आयशा ने ओढ़नी से अपना चेहरा ढक कर मुह नीचे करके पारा पढ़ने लगी .


दानिश : शायद आयशा को मेरा ऐसे देखना बुरा लग गया है अब क्या करूँ मैं इससे बात कैसे करूँ मेरा तो दिल ही नहीं मान रहा अब कही ये मेरी शिकायत ना लगा दे अपनी अम्मी से की घूर घूर के देख रहा था ( अरे नहीं इतनी भी पागल नहीं है बोल के पारा पढ़ने लगा ) . मगर अब उसका दिल पढ़ने में नही लग रहा था बार बार वो उसी के बारे में सोचने लगा की अब इससे बात कैसे करूँ ….


फिर उसके दिमाग़ में एक बात आयी और उसने अपनी बहन से बोला सुनो तुम ये मेरा पारा पढ़ दो मुझे कुछ काम है .


दानिश की बहन : पागल हो क्या एक तो तुम्हारे वजह से मैं लेट हो गई और यहाँ सबका सबका पारा ख़त्म होने वाला है और तुमने आधा भी नहीं पढ़ा अभी तक जब पढ़ना नहीं आता तो पढ़ने क्यों बैठ जाते हो ..


सब लोग हँसने लगे दानिश थोड़ा नाराज़ हो गया अपनी बहन से तभी उसकी बहन ने बोला अच्छा सुनो आयशा का पारा ख़त्म होने वाला है उसको देदो , अब दानिश को मौक़ा मिल गया वो आयशा से बोला तुम्हारा पारा ख़त्म हो गया है तो मेरा पढ़ दो , आयशा थोड़ी देर सोच में पड़ गई की क्या करूँ फिर सोचा पारा पढ़ना तो नेकी का काम है पढ़ देती हूँ । उसने दानिश से पारा ले लिया और पढ़ने लगी ।


भाग २ - समाप्त I