Aurat ek Shakti - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

औरत एक शक्ति - भाग 2

पंखुरी और गजरी एक बिस्कुट फैक्ट्री मे काम करती है.दोनों वहा पैकिंग करा करते थे। दोनों जब वहा पाउचके अपने काम पर लग जाते है। पंखुरी अब ज्यादा काम नहीं कर पा रही वो जल्दी ही थक जाती थी। पंखुरी रूककर बैठ जाती है और पानी पीने लगती है।
तो वहा पर उस फैक्ट्री का मनजेर आता है. अभी आये हुए वक़्त हुआ नहीं और लगी आराम फरमाने। यह कहेके वो उसके पास आते हुए तुम छोटे लोगो का यही प्रॉब्लम है । जाम काम मांगे आते है तो कितनी मिन्नत करते है। और जब काम मिल जाता है तो आराम फरमाते है।
पंखुरी खड़े होते हुए ऐसा नहीं है साहब मेरा आखरी महीना चल रहा है। इसलिए थोड़ा थक गयी थी। तो बैठ गयी थी। अभी सारा काम करदुगी आप चिंता मत करो।
मैनेजर,, ठीक है यह बहाने मत बनाओ और जाओ. यहाँ से।
पंखुरी वहा से चली जाती है। तो वो मैनेजर पता नहीं खा से खा से आजाते है।

यह कहेके वो वहा से चला जाता है। वही दुपहर के लंच टाइम हो रहा था।पंखुरी और गजरी वही बैठी खाना खा रहे थे। गजरी,, पंखुरी आज डॉक्टर के यहाँ चलना है याद है ना।
पंखुरी,, हां याद है। शाम को चलेंगे। वैसे यह शैतान कभी भी आसकता है यह कहेके वो अपना पेट सलेहा रही थी।
गजरी, हा मुझे भी इंतजार रहेगा इसके आने का और मे मौसी बनजाओगी।

पंखुरी मुस्करा देती है। ऐसे ही शाम हो जाती है .। और वो दोनों डॉक्टर के वहा जाती है। डॉक्टर बस उन्हें बस यही कहती है की कभी भी हो सकता है बच्चा तो वो ध्यान रखे। अपना बस।
वो हॉस्पिटल से निकलकर वहा से घर आजाते है। पंखुरी तो अपने घर का काम समेट रही है.। और थोड़ी देर मे उसकी मदद करने गजरी भी आगयी। थी.
थोड़ी देर मे वो लोग खाना बनती है। तभी उसका पति केशव वहा आता है। और वही आकर खाट पर लेट जाता है।
गजरी अगएगा पीके बेबाड़ा कही का.पंखुरी क्या तू भी चल खाना खा ले।
यह कहेके वो दोनों खाना खा लेते है. और गजरी भी वहा से चली जाती है।
पंखुरी भी चटाई भींचती है। और उस पर संभाल कर लेट जाती है।
आदि रात का वक़्त पंखुरी को बहोत बेचैनी सी हो रही थी। उसकी आँख एकदम से खुल जाती है। वो संभाल के उठकर अपने पेट पर हाथ रखती है। फिर उठकर पानी लेने चली जाती है। वो जैसे ही पानी पीती है। उसके पेट मे अचानक से दर्द शुरू हो जाता है। और उसके हाथ से गिलास छूट जाता है। वो हिम्मत करके आगे बढ़ाते हुए। अपने पति केशव के पास जाती है।
केशव सुनो मुझे बहोत दर्द हो रहा है। उठो
ऐ सोने देना क्यों चीला रही है
पंखुरी उठो मेरा दर्द बढ़ रहा है।
केशव उठाते हुए रुक तू आता हु रिक्शा लेकर चैन से सोने देती नहीं है।यह कहेके वो बाहर चला जाता है। और गजरी को आवाज देता जाता है।
गजरी अंदर आते हुए तू सही है। पंखुरी
बहोत दर्द हो रहा है गजरी मुझे यह कहेके वो नीचे बैठ जाती है। गजरी सँभालते हुए चल पंखुरी थोड़ी हिम्मत करले और चल ध्यान से यह कहकर वो ध्यान से उसे बाहर लेकर अति है।
बाहर केशव ऑटो लेकर खड़ा था। गजरी संभाल के पंखुरी को ऑटो मे बिठाती है और खुद भी ऑटो मे बैठ जाती है और उसका सर सलेहाने लगती है.केशव भी आगे बैठ जाता है। और वो लोग सिटी हॉस्पिटल के लिए निकल जाते है.।थोड़ी देर मे वो लोग हॉस्पिटल पाउचते है। तो गजरी संभाल के पंखुरी को नीचे उतरती है। और केशव स्टेचार लेने चला जाता है।


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