बेटा Prem Parihar द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बेटा

  बहुत समय बाद फूली के घर में बेटा पैदा हुआ। बेटे का नाम कुमार रखा गया। उसका परिवार खुशियां मना रहा है। समय के साथ साथ बेटा भी बड़ा हुआ। कुमार बहुत ही सुन्दर और पढ़ाई में तेज  था। मां का मन उसे बड़ा आदमी बनते देखना चाहता था इसलिए उसकी शिक्षा और स्वास्थ्य  विशेष ध्यान दिया गया। कुमार को हट्टा कट्टा नौजवान बनते हुए देख फूली बहुत खुश होती। बार बार अपने भाग्य और विधाता की सराहना करती। विधाता से प्रार्थना करती की कुमार उसकी आशाओं पर खरा उतरे। कुमार भी अपनी मां फूली का बहुत मान रखता था। उसने बहुत मेहनत करना शुरू कर दिया। पर समय बदलता है कुमार भी बाहर की दुनिया को देखना चाहता है। वह अपने समाज और परिवार में खुश होता हैं।  समय के साथ साथ कुमार का चयन आईआईटी खड़गपुर में हो जाता है। फुली तो मानो फुले नही समा रही थी। पर खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक पाई। कुमार के पिता का निधन हो जाता है। इधर कुमार ने भी दो साल बाद ही आईआईटी जाना छोड़ दिया। फूली ने इन दो सालों में कुमार पर पानी की तरह पैसा खर्च किया। कुमार की हर जायज़ और नाजायज मांग को पूरा किया। यदि कभी मना किया तो वह अपनी पढ़ाई का बहाना बना कर पैसा मंगवा लिया करता था। क्योंकि कुमार घर में इकलौता बच्चा था और वह इसका पूरा गलत फायदा उठा कर पैसा मंगवा लिया करता। हॉस्टल में खूब खर्चा करता। कुमार को पैसा उड़ाते हुए देख फूली को अब अपने भविष्य की चिन्ता होने लगी। उसने कुमार को बहुत ही समझाया कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर बड़ा आदमी बने। वह अब पाई पाई का हिसाब रखने लगी। यह बात कुमार को ठीक नही लग रही थी। अब वह घर में ही रहता और अपनी मां की हर बात और कार्यक्रम पर ध्यान देता। घर में कोहराम मचा रहता है। फूली  इधर उधर होती तो वह घर से  रुपया गायब करने लगा। अपनी आदतों में सुधार की बजाय फूली पर ही हाथ उठता। गाली देता। वह अपनी मां को मरने का प्रयास किया करता। जिस समाज और परिवार पर फूली को नाज था वो अब उसके लिए नरक से कम नही रहा क्योंकि वह कुमार को गलत राह की और ले जा रहे थे। वो कुमार का दिमाग पढ़ाई में लगाने ही नहीं देते। उल्टे उसको बहकाते। घर में पुराना खजाना है तो तुझे   तो बस बैठ कर मजे करने है। तेरी मां के मरने के बाद सारी संपत्ति तेरे अकेले की ही है।  फूली उन सब की बातें सुनकर दुखी  होती।फूली मन ही मन सोचती की जो उसकी आंख का तारा है वही उसके लिए मौत की कामना करता है। इसी उधेड़बुन में एक दिन घर में बहुत लड़ाई होती है और फूली को सिर में चोट लग जाती है। पड़ोसी उसे हॉस्पिटल ले जाते है पर तब तक देर हो चुकी होती है। फूली ने प्राण त्याग दिए। काश फूली मरने से पहले कुमार को बड़ा आदमी बनते देख पाती। समाज और परिवार कुमार को गलत मार्ग पर ना चला कर सुमार्ग पर लाने का प्रयास करते तो आज वह बड़ा आदमी बनता और फुली भी जिंदा होती।