Saat fere Hum tere - 66 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 66

विक्की काफी देर तक नैना के अतीत के पन्नो को पलट कर देखता रहा और फिर बोला कि कैसे कोई इतना सहन कर सकता है मैं नैना को इस अतीत के साये के साथ जीने नहीं दुंगा

मुझे किसी तरह से नैना को हौसला बढ़ाना होगा।
आगे जब विक्की ने पेज पटल कर देखा तो लिखा था कि जो कुछ भी हुआ वो साइंस टीचर की वजह से हुआ था।

विक्की ने कहा ओह तो ये बात है।
फिर आगे लिखा था कि मैं जब पांचवीं कक्षा में थी तो साइस के टीचर किशन सिंह बहुत ही अच्छे से साइंस पढ़ाते थे।उस समय मैं साइंस में बहुत अच्छा नंबर लाती थी पर एक बार कुछ ऐसा हुआ कि मेरे नम्बर कर आने लगें।
साइंस टीचर ने कहा छुट्टी के बाद मुझे आकर मिलो।
मैं छट्टी के बाद उसने मिलने गई तो देखा कि सर

बैठे थे।
मैंने कहा सर मुझे साइंस में इतनी कम नंबर क्यों मिला?
सर ने हंस कर कहा अरे बाबा जैसे लिखा वहीं मिला होगा।
नैना ने कहा नहीं तो।
सर ने गलत तरीके से नैना को छुआ तो नैना ने अपने बोटल से सर के आंखों में मार कर वहां से भाग गई।
नफ़रत है मुझे साइंस टीचर से।।
विक्की ने कहा साइंस टीचर हैं कहां अब?
फिर दूसरे पेज पर बहुत से अप शब्द लिखा था। ये किसके लिए था।
साइंस टीचर तो हमेशा के लिए चले गए पर जाते हुए एक और रावण छोड़ कर चले गए।। गौतम सर इतिहास के टीचर।।
मैं इतिहास नहीं पढ़ना चाहती थी।
पर ये गौतम सर मुझे हमेशा छूने की कोशिश करते थे।
मैं समझ गई थी कि ये भी अच्छे इंसान नहीं है।
एक बार स्कूल में प्रोग्राम था हम सब बच्चे प्रोग्राम की तैयारी कर रहे थे और फिर गौतम सर मुझे बोलें कि आओ इतिहास की कापियां लेकर जाओ।
मैं थोड़ा हिचक रही थी पर मैं क्या करती।
मैं गौतम सर के साथ गई और फिर गौतम सर ने मुझे खींच कर सीढ़ी के पास स्टोर रूम में ले गए।
मैं चिल्लाने लगी पर वो मेरे मुंह पर अपना हाथ रख दिया और फिर बोलें।देखो किसी को कुछ बताओगी तो तुम्हारे मां बाप मर जाएंगे।
मैं रोती रही पर गौतम सर मुझे वो सब करवाया जो मैंने कभी कल्पना भी नहीं किया था। मुझे बेकार लग रहा था वो कुछ मेरे हाथ में रख रहे थे मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो सब क्या हो रहा था।
फिर मुझे छोड़ दिया उन्होंने और कहा कि जाओ अब।।
मैं किसी तरह से उठकर स्टोर रूम से निकल गई और जब घर पहुंची तो मेरी मां ने देखा भी नहीं कि मैं क्यों रो रही हुं।

और फिर बाथरूम में जाकर खुब रोने लगी।
इस तरह एक दिन,दो दिन , तीन दिन, और फिर हफ्ते बीत गए और गौतम सर मुझे रोज़ रोज़ वो सब करने को कहते ये सब क्या था।ये स्कूल है जहां पर ऐसा होता है मुझे नहीं पढ़ना है अब।
विक्की डायरी पढ़ते हुए रोने लगा।
ओह माई गॉड ये सब नैना ने सहा है और वो दरिंदा अब तक आजाद घुम रहा है।
मुझे कुछ करना होगा वरना बहुत देर हो जाएगी। विक्की डायरी अलमारी में रख दिया और फिर सो गया सारी रात वो वहीं सब सोचता रहा।।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गया और फिर नैना के रूम में पहुंच गए और बोला नैना कैसी हो तुम? नैना ने कहा ठीक हुं।
विक्की ने कहा अच्छा नैना वो गौतम सर को तुम जानती हो क्या?
नैना के हाथ से चाय का कप गिर गया।
विक्की ने कहा अरे बाबा ये क्या ऐसा क्या बोला मैंने कि तुम चौंक गई।
नैना ने कहा मुझे अकेले छोड़ दो प्लीज़।।

विक्की ने कहा ऐसे ही नैना देखो जिंदगी हमें बहुत कुछ सीखा देती है पर अगर हम डर कर खुद को दबा कर और फिर जिसमें तुम्हारी कोई गलती ना हो।।
नैना सब कुछ सुन रही थी।
विक्की ने कहा नैना क्या हम बात कर सकते हैं।

नैना ने कहा नहीं नहीं और मुझे कुछ कहना नहीं है। अब आप जाओ।
विक्की ने कहा हां चलो जाता हूं पर एक बात याद रखना जुर्म करना जितना पाप है , जूर्म सहना उससे ज्यादा पाप है।।
नैना एक दम से चौंक गई कि इसे मेरे अतीत का क्या पता? क्या बुई ने कुछ बताया।।
विक्की ने कहा नैना किस सोच में हो तुम। अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करती हो तो तुम्हें बताना होगा कि क्या हुआ था जिससे मेरी नैना इतनी कमजोर दिख रही है प्लीज़ बताओ।
नैना रोने लगी और फिर उसने वो सब कुछ बताया जो उसके साथ एक छोटे-से उम्र में हुआ था।
विक्की ने कहा तुम ने घर में क्यों नहीं बताया? नैना ने कहा क्या बताती मैं कौन सुनता मेरी बात मम्मा को समय नहीं था और डैडी तो सिर्फ पैसे कमाने में रहते थे।
एक बार स्कूल में एक मैम को बताया तो वो मुझे मारी थी और फिर एक दिन मेरी तबियत बिगड़ी गई तो मम्मा ने अपनी डाक्टर सहेली को घर बुलाया और उसने जो कहा ये सुनकर कर मम्मा तो सुन्न पड़ गई।
डाक्टर ने कहा कि मेरी हालत बहुत खराब है तुरंत उपचार नहीं हुआ तो घाव गहरा हो जाएगा।
इस के साथ बहुत महीनों से दर्दनाक हादसा हो रहा है।
रात को मम्मा ने डैडी को बताया तो डैडी ने कहा कि स्कूल न भेजें बहुत बदनामी हो जाएगी अगर पुलिस में गए तो।।
फिर हमने तय किया कि बुई के पास जाकर रहेंगे।
और फिर रात को ही हम कार से रोड पर जाने लगें और एक दुर्घटना में वो लोग चले गए और मेरी आंख भी चली गई।

विक्की के गले लग कर रोने लगी नैना और फिर बोली मैं मनहूस हुं।
विक्की ने कहा नहीं नहीं ऐसा नहीं है तुम एक बहुत अच्छी इन्सान हो।।
और फिर तुम अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेना चाहिए था। तुम्हारे माता-पिता ने अगर तुम्हारा साथ दिया होता तो आज तुम्हें इतनी तकलीफ़ नहीं होती।

नैना ने कहा हां उस समय मैं बहुत छोटी थी और अब जब याद करती हुं तो मुझे ख़ुद से नफ़रत होने लगती है।
विक्की ने कहा गौतम सर अभी तक खुलें आम घुम रहे हैं और ना जाने कितनी बच्चों के साथ ये सब किए थे।
नैना ने कहा मैं क्या कर सकतीं हुं। विक्की ने कहा अगर तुम चाहो तो बहुत कुछ कर सकती हो।।

नैना ने कहा मुझे उस हैवान से नफ़रत है और मेरा बस चले तो मैं उसको तड़पा तड़पा कर मारना चाहती हुं।

विक्की ने कहा हां ठीक है मैं तुम्हारी मदद करूंगा पर हां पहले तुम्हें खुद को इस काबिल बनाना होगा कि कोई भी तुम्हें तुम्हारी इजाज़त के बगैर छू सकें।
कल से मैं एक नयी नैना से मिलुगा।
कल सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर छत पर आ जाना मैं इन्तज़ार करूंगा।
नैना ने कहा यस सर।
फिर सब मिलकर नाश्ता करने लगे।
रोज की तरह शाम होते ही नैना एक बार फिर से सैकड़ों तारों के बीच निलेश को ढूंढने लगीं।
विक्की भी चाय पीने लगा।
अब ज्यादा समय भी नहीं था माया की शादी में।
अगले महीने ही हमें जाना है।
फिर सब खाना खाने के बाद सो गए।
विक्की को नींद कहां थी वो फिर नैना की डायरी लेकर बैठ गया और फिर पन्ने पलटते लगा।

नैना ने लिखा था कि जब वो दसवीं कक्षा की परीक्षा देने गई थी तो उसे साइंस टीचर मिले थे और उसने यह बताया कि जो काम वो नहीं कर पाया तो उसने अपने शागिर्द गौतम सर को भेजें और उनके कहने पर ही गौतम सर ने नैना के साथ ये घिनौना हरकत किया।
नैना जैसे ही ये सब सुनी तो उसके हाथ पर कंपास से साइंस टीचर के आंख में दे मारा।
साइंस टीचर वहीं गिर कर छटपटाने लगे थे फिर उनको डाक्टर के पास भेजा गया पता चला कि उनकी आंख ही चली गई नैना को इस बात पर बहुत ही शुकून मिला।
विक्की ने कहा वाह नैना कमाल कर दिया तुमने।
अब मैं चैन से सो पाऊंगा।
क्रमशः

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