Saat fere Hum tere - 64 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 64

नैना कमरे में खुद को बन्द करके रख दिया और फिर वो रात भर रोती रही पर उसका गुस्सा कम नहीं हुआ।

दूसरे दिन सुबह सब जल्दी उठकर तैयार हो गए पर नैना नहीं उठीं और अभी तक विक्की के उस हरकत पर गुस्सा आ रहा था।।

ऐसे कैसे कर सकता है विक्की मेरे साथ।।
माया ने दरवाजा खटखटाया और फिर बोली अरे नैना अब तो बाहर आओ ।।आज मैडम के घर पार्टी में जाना है कि नहीं।।

नैना ने जोर से कहा मुझे कहीं नहीं जाना है दी।
आप लोग ही जाओ।मेरा तबीयत ठीक नहीं है।
विक्की ने कहा हां सब पता है बहाने है बस और कुछ नहीं।।

नैना ने कहा मुझे किसी से बात नहीं करनी है।।
और फिर दोपहर तक दरवाजा नहीं खोली।।
तो फिर विक्की ने कहा अब मैं तीन तक गिनुगा। अगर बाहर नहीं निकली तो मैं दरवाजा तोड़ दुंगा।
विक्की ने गिनती शुरू किया एक,दो ,तततीन। जैसा ही दरवाजा तोड़ने के लिए पीछे हुआं तो नैना ने दरवाजा खोल दिया पर खुद को एक दुपट्टे से मुंह ढंक लिया था।
विक्की ने कहा अब ये क्या हैं?
नैना ने कहा हां ये अब हमेशा के लिए रहेगा तुम मुझे नहीं देख पाओगे।
विक्की ने कहा ओह माई गॉड तुम सच में एक बहुत बड़ी।।
नैना ने कहा क्या बहुत बड़ी।।
माया ने हंसते हुए कहा अच्छा ठीक है चलो अब खाना खा लो कल से कुछ भी नहीं खाई।
नैना ने कहा हां किसको फर्क पड़ता है कल से मैंने जितना परेशान हुईं और कोई नहीं हुआ सब खा पी कर आराम करने में लगे थे।
माया ने कहा अरे नहीं कल रात विक्की भी ज्यादा नहीं खा पाया।
नैना ने कहा हां कैसे खाएगा पेट तो जनाब का पिज्जा बर्गर से भर गया था और क्या।।
ये सुनकर हंसने लगे।
नैना ने कहा हां हंसो सब।
अच्छा चलो ये लो खाना।पर खाओगी कैसे?
नैना ने कहा दीदी आप शायद भुल गई कि मैं अंधी थी तो मुझे सब कुछ याद है।
विक्की ने कहा हां,हा सब मेरी गलती है।

नैना खाना खाना शुरू कर दिया वो चुन्नी डाल कर ही अपने मुंह में खाना डाल रही थी।
माया ये देख कर बोली अरे विक्की से पर्दा कर रही है पर क्यों।
विक्की ने कहा जाने दो दीदी गुस्ताखी मैंने किया है तो उसका जवाब मुझे ही देना होगा।
फिर किसी तरह सब खाना खा कर उठ गए।
नैना खुद को पर्दे में रखकर अपने कमरे में चली गई।।

विक्की ने कहा अब मैं बताता हूं कि मैं क्या क्या कर सकता हूं।
माया ने कहा चल भाई चल कर आराम करते हैं।
फिर दोनों भाई बहन बैठ कर बातें करने लगे।

विक्की ने कहा आज मुझे बुई के पास जाना होगा और नैना के बचपन से जुड़ी सारी बातें जाननी होगी।
माया ने कहा अच्छा ठीक है पर नैना को मत बताना वरना वो बहुत नाराज़ हो जाएगी।।

कुछ देर बाद ही विक्की तैयार हो कर निकल गया और फिर सीधे कोकिला जी के घर पर पहुंच गया।
कोकिला ने कहा अरे विक्की कैसे आना हुआ?
विक्की ने पैर छुए और फिर कहा आंटी आप नैना को मत बताना कि मैं यहां आया था।
कोकिला ने कहा हां ठीक है पर क्या हुआ?
विक्की ने कहा मैं आपको बुई बुला सकता हूं।।
कोकिला ने कहा हां क्यों नहीं बेटा।
विक्की ने कहा हां ठीक है बुई मैं तो एक बार नैना के बचपन के बारे में कुछ जानना चाहता हु।
कोकिला ने कहा कि हां तो।
विक्की ने कहा नैना के अन्दर बहुत ही ज़िद है जिंदगी को जीने का अंदाज़ नहीं पता है उसको।


कोकिला ने कहा हां ठीक कहा उसे तजुर्बा बहुत कम है क्योंकि अपने इकलौते मां बाप की बेटी थी और जब एक दुर्घटना में उसने अपनी आंख और सब कुछ खो दिया तो उसकी जिंदगी बिखर गई थी और फिर निलेश ने आकर उसको सब कुछ सिखाया।
विक्की ने कहा क्या मैं नैना का रूम देख सकता हूं।

कोकिला ने कहा हां, हां बेटा जरूर।।
विक्की उठकर नैना के कमरे में गया और फिर पुरा कमरे को गौर से देखने लगा।
देखा तो बहुत कुछ बयान कर रहा था उसकी कुछ, कुछ तस्वीरें और कुछ टुटे फुटे कागज,कलम । विक्की को बहुत आश्चर्य हुआ कि ये सब क्यों रखा है नैना ने यहां।
फिर जब स्टडी टेबल पर देखा तो कुछ अटपटा सा लग रहा था।
फिर देखा तो एक डायरी मिली।
खोलने पर देखा तो सब कुछ लिखा हुआ था। विक्की ने कहा लगता है डायरी लिखतीं थी।
और फिर जैसे ही एक पन्ना पलटा तो लिखा था कि मैं अपने साइंस टीचर से बहुत नफरत करतीं हुं।।।
फिर विक्की ने डायरी बन्द कर दिया।। विक्की ने कहा पता नहीं पर कुछ तो है मुझे ये डायरी ले जाना होगा।
फिर विक्की ने वो डायरी अपने बैग में रख दिया।
फिर विक्की ने अलमारी खोला तो देखा कि कुछ अलग-अलग कपड़े दिखाई दिया।
विक्की ने कहा अरे ये सब नैना कब पहनी थी।
फिर विक्रम सिंह शेखावत बाहर आ गए।

कोकिला ने कहा आओ बेटा समोसे खाओ।
तुम्हें बहुत पसंद हैं ना।
विक्की ने कहा हां आंटी जी।
विक्की ने समोसे और चाय पी ली और फिर वहां से वापस घर आ गए।


विक्की घर पहुंच कर बोला कि चलो तैयार हो ले।
माया ने कहा हां आठ बजे तक निकल जाएंगे ‌


माया ने कहा पता नहीं नैना क्या करेंगी।
विक्की ने कहा अरे जाएगी और क्या? अकेले कहां रहेंगी?
नैना ने अन्दर से कहां कि अरे ये क्या आप लोग चाहते हो तो नहीं जाऊंगी।

ये सुनकर हंसने लगे विक्की।। अरे बाबा ये तो सुन लीं।
माया ने कहा अब चलो तैयार हो जाओ।
फिर विक्की फेश् होने चला गया।
माया ने सागर का दिया हुआ एक पीले रंग का लहंगा पहना।
उधर नैना भी तैयार हो गई थी उसने एक सूट पहना था और उसी की चुन्नी को अपने मुंह पर ढंक लिया और बाहर आकर बैठ गई। माया ने कहा अरे बाबा ये क्या।
नैना ने कहा अरे डर क्यों रही हो।
फिर विक्की भी आ गया और फिर बोला मैं गाड़ी निकालता हूं आप लोग आओ।
माया और नैना ने अपना बैग ले लिया।
और फिर घर से निकल गए।
नीचे पहुंच कर दोनों गाड़ी में बैठ गए।
माया आगे बैठी थी।
विक्की ने कहा आप जगह बता दिजिए।
माया ने कहा हां रुको। फिर माया ने डायरी देखा और बोली कि मोती बिहार सोसायटी।

विक्की ने कहा हां ठीक है। फिर विक्की गाड़ी चलाने लगा।
एक घंटे बाद ये लोग मोती बिहार सोसायटी पहुंच गए।
गाड़ी पार्क करने के बाद तीनों मिलकर जाने लगें।
माया ने कहा उनका सेकेंड फ्लोर पर ही है।
तीनों मिलकर पहुंच गए माया की प्रिंसिपल मैम के घर।
एक लड़की ने दरवाजा खोला।
माया ने कहा मैडम है।
लड़की ने कहा हां आइए आप लोगों का इंतजार हो रहा था सब लोग गार्डन में है।
ये लोग गार्डन पहुंच गए।
माया ने देखा गार्डन को सजाया गया था बस बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
मैडम ने कहा आओ,आओ तुम लोग।
सब आ गए थे पर दुल्हन लेट कर दी।
हंसने लगे सबके सब।
मैडम ने नैना को देखते कहा कि ये क्या आज पर्दा क्यों है?

क्रमशः

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