दिल कि आवाज नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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दिल कि आवाज



डॉ तरुण राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इंटर्नशिप किया था उसी समय उसकी मुलाकात डॉ सुमन लता से मुलाकात हुई दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे।

डॉ तरुण को जब भी फुरसत मिलती वह डॉ लाता से मिलने चला जाता और देर रात शॉपिंग मॉल से होटल डिनर के बाद दोनों अपने अपने घर चले जाते।

दिल्ली के मेडिको सोसायटी में जितने भी नौजवान डॉक्टर थे उनमें डॉ तरुण एव डॉ सुमन लता सबसे आकर्षक एव प्रभावी दिखते भी थे और वास्तव मे थे भी दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की बैठकों में अक्सर डॉक्टर्स डॉ तरुण एव डॉ सुमन लता पर कसीदे गढ़ते व्यंग की बौछार करते लेकिन डॉ तरुण एव डॉ सुमन लाता सबसे बेखबर अपने उद्देश्यों पर बढ़ते रहे।

दोनों दोस्त बहुत अच्छे थे लेकिन प्यार नही करते एक दूसरे को डॉ सुमन लता राम मनोहर लोहिया से जॉब छोड़ दिया और दिल्ली के मशहूर हेल्थ सर्विसेज फोर्टिस में बातौर कार्डियोलॉजिस्ट अपनी सेवाएं दे रही थी बावजूद व्यस्तता के डॉ सुमन लता एव तरुण लगभग प्रतिदिन एक दूसरे से मिलने का समय निकाल देते
निश्चित मिलते ।

अपने व्यवसायिक अनुभवों को एक दूसरे से शेयर करते घूमते फिरते डॉ तरुण एव डॉ सुमन लता की दोस्ती से कुछ डॉक्टरों को भी रस्क था ।

डॉ उत्कर्ष जो सुमन लता से तबसे प्यार करते थे जब वह एम बी बी एस में प्रवेश के लिए काउंसलिंग कराने गए थे तभी सुमन से मुलाकात हुई थी दोनों ने साथ ही भारतीय सेना के मेडिकल कॉलेज से एम बी बी एस किया था एव साथ साथ राम मनोहर लोहिया में भी कुछ दिनों कार्य किया था लेकिन सुमन लता ने डॉ उत्कर्ष को कभी अपने प्यार के रूप में नही देखा वह सिर्फ एक अच्छा क्लास फेलो बैच मेट ही मानती सम्मान देती ।

चूंकि दोनों पूना पढ़ते समय अक्सर साथ साथ घर आते सुमन सुमन दिल्ली की रहने वाली थी तो उत्कर्ष गाज़ियाबाद का संयोग ही था दोनों ने कार्डियोलॉजी में ही विशेषज्ञता हासिल किया था और राम मनोहर लोहिया में कुछ दिनों ने एक साथ जॉब किया और एक साथ छोड़ कर फोर्टिस में आये थे उन दोनों के आने से फोर्टिस का कार्डियोलॉजी विभाग बहुत ख्याति प्राप्त करने लगा और लोंगो का विश्वास पहले से जितने लगा अस्पताल प्रशासन दोनों को किसी भी कीमत में छोड़ना नही चाहता था ।

भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में एम बी बी एस या मेडिकल विशेषज्ञ छात्र कभी अप्लाई नही करते जिसका प्रमुख कारण था कि अच्छे डॉक्टर्स की अपनी प्रैक्टिस बहुत अच्छी चलती जो प्रैक्टिस नही करता उंसे सरकारी अस्पतालों में जॉब मिल जाता जो सुविधा आदि में भारतीय सिविल सेवा के लगभग बराबर ही रहती डॉक्टरों को इस मिथक को वर्ष उन्नीस सौ पचासी में तोड़ा बिहार मुजफ्फरपुर निवासी डॉ ललित वर्मा ने जो भारतीय सिविल सर्विसेज के पहले टॉपर फिफ्थ रेंक होल्डर एव पहले मेडिको आई ए एस थे ।

उनके बाद मेडिकल के छात्रों में भी भारतीय सिविल सेवा के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा डॉ तरुण भी एक अच्छे डॉ होने के बाद भी भारतीय सिविल सर्विसेज में जाना चाहता था कारण था उसके परिवार में पिछले तीन पीढ़ियों से सभी भारतीय सिविल सर्विसेज में ही थे राममनोहर लोहिया छोड़ने एव फोर्टिस आने के बाद उसने अपने समय का प्रबंधन बेहतर किया जिससे कि फोर्टिस की प्रतिष्ठा पर कोई प्रभाव ना पड़े एव सिविल सर्विसेज की उसकी तैयारी भी हो जाय हुआ भी यही उसने इंडियन सिविल सर्विसेज की परिक्षा में भी रैंकिंग के साथ सफल हुआ ।

उंसे सिविल सर्विसेज कि ट्रेनिंग में जाना था जिसके कारण फोर्टिस में सिर्फ ऑचरिकता के तौर पर इसलिये आता कि उसे विश्वास था कि डॉ सुमन लता से मुलाकात हो होगी डॉ सुमन लता उत्कर्ष को भावनाओ से बेफिक्र अपने काम मे व्यस्त रहती और जब भी समय मिलता वह डॉ तरुण के साथ ही बिताना चाहती ।

डॉ उत्कर्ष को ट्रैनिंग में जाना था उसने सपने रिश्तेदारों एव दोस्तो को होटल ओबेरॉय में पार्टी दिया जिसमें डॉ तरुण एव डॉ सुमन लता भी निमंत्रित थे पार्टी में मेहमानों का तांता लगने लगा लगभग सभी आमंत्रित अतिथियों के आने के बाद पार्टी शुरू हुई डॉ तरुण एव डॉ सुमन लता आपस मे बाते कर रहे थे तभी डॉ उत्कर्ष डॉ सुमन लता को अपने साथ लेकर अपने रिश्तेदारों एव अन्य मित्रों से ऐसे परिचय करवाने लगा जैसे डॉ सुमन लता और डॉ उत्कर्ष की मंगनी रश्म की पार्टी हो और सिर्फ वैवाहिक रस्मे होनी शेष हो ।

डॉ सुमन लता को डॉ उत्कर्ष के अजीब व्यवहार जिसकी उन्होंने कभी कल्पना नही किया था
के लिए बहुत दुविधा जनक थी वह कुछ नही बोल पा रही थी क्योकि डॉ उत्कर्ष एम बी बी एस से पी जी स्पेसिलाइजेशन इंटर्नशिप के साथ साथ राम मनोहर लोहिया से लेकर फोर्टिस तक साथ साथ ही रहे और डॉ उत्कर्ष उसके मौन को उसकी सहमति समझ रहा था वह कुछ भी बोल सकने की स्थिति में नही थी ।

डॉ तरुण इस पूरे दृश्य को देखकर परेशान जैसे उसकी बहुत कीमती वस्तु उससे कोई छीन रहा हो लेकिन कर भी क्या सकता था इधर डॉ उत्कर्ष बड़े गर्व गुरुर सफलताओ के मद में चूर चाहत की हुस्न को अपनी आशिकी का अक्स बनाने को बेताब था ।

डॉ तरुण दिल में चुभते नश्तर के एक एक जख्मो पर तड़फ उठता लेकिन वक्त हालात ने एक अजीब स्थिति पैदा कर रखी थी पार्टी खत्म हुई सबने उत्कर्ष एव उसके मम्मी पापा जयंत एव ज्योति को अपनी शुभकामनाएं देते हुए जाने लगे।

दम घुटते डॉ तरुण को मौका मिला उसने फौरन डॉ उत्कर्ष के मम्मी पापा जयंत एव ज्योति के पास पहुंचा और बोला अंकल आंटी आप बहुत किस्मत वाले है जिसका उत्कर्ष जैसा बेटा है जिसने आज के जमाने मे किसी भी माँ बाप के अरमानों की सभी हदों को पार कर लिया है डॉ उत्कर्ष बहुत अच्छा
कार्डियोलोजिस्ट है और भारतीय सिविल सर्विसेज का टॉपर भी है साथ ही साथ डॉ सुमन लता जैसी खूबसूरत डॉक्टर आपकी होने वाली बहु है और क्या चाहिये किसी भी माँ बाप को ।

डॉ तरुण ने यह बात सिर्फ यह जानने के लिए उत्कर्ष के मम्मी पापा से कही क्योंकि वह जानना चाहता था कि क्या वास्तव में डॉ उत्कर्ष के मम्मी पापा भी डॉ सुमन लता को अपनी होने वाली बहु ही मानते है या सिर्फ डॉ उत्कर्ष ही डॉ सुमन लता से प्यार करता है जिसकी जानकारी एकाएक पार्टी में उसके मम्मी पापा को उसके आचरण से मिली जो वह डॉ सुमन लता के लिए अभिव्यक्त कर रह था।

डॉ तरुण को विश्वास हो गया कि डॉ उत्कर्ष एव डॉ सुमन लता एक साथ बहुत दिन तक साथ साथ रहे है पढ़े है काम किया है और दोनों के परिवार में एक मौन स्वीकृति उत्कर्ष एव डॉ सुमन लता के रिश्ते को लेकर है जिसमे कोई संसय नही हो सकता औऱ डॉ सुमन लता के विषय मे सोचना भी गुनाह है एव सभ्यता कि मर्यादा नही है।

वह उत्कर्ष एव उसके मम्मी पापा को शुभकामनाएं एव बधाई देते हुए घर लिये चल दिया ।

अगले दिन वह अपनी नियमित ड्यूटी पर फोर्टिस गया उस दिन से वह व्यस्त रहने की कोशिश करता और उसने डॉ सुमन लता की तरफ से ध्यान हटाना शुरू कर दिया एक दिन दो दिन सप्ताह बीत गए डॉ तरुण की डॉ सुमन लता से मुलाकात नही हुई इधर डॉ उत्कर्ष अपने एक वर्ष के प्रशिक्षण हेतु लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक प्रशिक्षण केंद्र मसूरी जा चुका था ।

एका एक दिन डॉ सुमन लता स्वयं डॉ उत्कर्ष से मिलने पहुची डॉ तरुण ने मना कर रखा था कि यदि डॉ सुमन लता उनसे मिलने
आये तो उनसे बोला जाय तरुण बहुत व्यस्त है डॉ सुमन लता ने डॉ तरुण के चेम्बर के सामने खड़े गेटकीपर से एक दो बार विनम्रता से पूंछा जब उसे विश्वास हो गया कि कोई न कोई गलत फहमी है जिसके चलते इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है अतः एक झटके से उसने गेट कीपर को एक किनारे कर दिया और बन्द दरवाजे को किक से खोल कर अंदर दाखिल हुई एव बिना किसी औपचारिकता के डॉ तरुण के सामने रखी चेयर पर बैठ गयी।

डॉ सुमन लता का क्रोधित खूंखार शेरनी जैसा व्यवहार देखकर डॉ तरुण की घिघ्घी बध गयी उनको समझ ही नही आ रहा था कि बात क्या है ?

डॉ तरुण कुछ सोच ही रहे थे तभी डॉ सुमन लता बोली ए मिस्टर एक हप्ते से तुम्हारा आता पता नही है मैं तो सोच रही थी कि तुम किसी आकस्मिक कार्य से एका एक कही बाहर चले गए हो क्योकि यदि पहले से प्रोग्राम होता तो तुम निश्चित बताते क्या बात है?

तरुण तुम दिल्ली में हो भी और और मुझसे मुलाकात नही हुई यह विश्व का अजूबा आश्चर्य है क्यो ? हुआ एक दिन भी ऐसा नही होता जब मुझसे मीले बिना तुम कभी भी घर जाते हो एक सप्ताह बीत गए कैसे ?

डॉ तरुण तुम बिना अपने बेस्ट फ्रेंड से मिले डॉ सुमन लता बोलती रही और डॉ तरुण सुनता रहा जब डॉ तरुण ने बोलना चाहा ज्यो ही पूरी ऊर्जा से बोलने ही जा रही थी तभी डॉ तरुण बोला मैडम अब पूरा जमाना आपके मैडम उत्कर्ष बनने कि शुभ घड़ी की प्रतीक्षा में है इतना सुनते ही डॉ सुमन लता ने कहा (हाउ डेयर टू से )
डॉ तरुण ने कहा (मैडम आई एम नॉट डेयरिंग तो हर्ट यू थिस फैक्ट ऑफ थ टाइम )

डॉ सुमन लता और अधिक क्रोधित मुद्रा में बोली

(हॉउ यू कॉन्क्लूड दैट आई एम इन लव विथ उत्कर्ष थिस इस फैक्ट दैट माई सेल्फ एंड उत्कर्ष वाज क्लास मेट फ्रॉम वेरी बिगनिंग टू लास्ट डे ऑफ एकेडमिक एजुकेशन आलासो फैक्ट ही वर्क विथ मी इन इंटर्नशिप इन राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल बट थेएर इज नो क्वासचन अबाउट माय मैरेज टू उत्कर्ष आफ्टर थिस फैक्ट्स ही इज एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी ब्रिलिएंट स्मार्ट एंड हैंड सम ग्रैंड एंड ग्रेट सक्सेस पर्सनेलिटी एंड बिलांगस टूं ट्रेडिशनल रिचेस्ट फेमिली आफ्टर लॉटस ऑफ प्लस पॉइंट एंड नो एनी नेगेटिव पॉइंट्स आई एम नॉट गोइंग टू मेरी विथ उत्कर्ष बीकॉज आई डोंट लव टू उत्कर्ष नॉट थिंक अबाउट )

तरुण बहुत गम्भीरता से डॉ सुमन लता के हाव भाव एव बॉडी लैंग्वेज को वाच कर रहा था उंसे यकीन नही हो रहा था कि वह जो कह रही है वह सत्य है या उत्कर्ष की पार्टी में उसने जो देखा वह सत्य है उसने डॉ सुमन से कहा

(बट ऑन द डे ऑफ पार्टी इन पार्टी यू आर इंट्रोड्यूस बाय उत्कर्ष एज यू आर हिज बीलवर एंड ओनली कस्टम ऑफ मैरेज मीन्स मैरेज सेरेमनी इज रेस्ट वेटिंग टू प्रॉपर टाइम टू बी हेल्ड)

डॉ सुमन बहुत शांत हो गई क्योकि उन्हें गलतफहमी के कारण का पता चल चुका था बोली नही डॉक्टर तरुण मैंने कभी डॉ उत्कर्ष से प्यार नही किया यह बात सही है कि डॉ उत्कर्ष और मैं एम बी बी एस की काउंसलिंग से लेकर स्पेसलाईजेशन इंटर्नशिप एव नौकरी बहुत दिनों तक साथ साथ रहे यह भी सही है कि डॉ उत्कर्ष मुझे चाहता भी दिल की गहराईयों से है लेकिन मैं उसको प्यार नही करती ।

कारण मैं और उत्कर्ष एक दूसरे को बाखूबी जानते है और मैं जानता हूँ कि डॉ उत्कर्ष में हज़ारों खूबियों के बाद उसमें एक स्तर पर गुरुर मौजूद है जहाँ वह सारी मानवता को भूल जाता है।

रही बात पार्टी की तो जब वह मेरा परिचय अपने परिवार रिश्तेदारों से करा रहा था मै चुप रही कारण की पार्टी में एकाएक उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और परिचय करवाने लगा मैं तो कुछ समझ ही नहीं पाई की मुझे क्या करना चाहिये और मैं ठगी सी रह गई ।

डॉ तरुण मेडिकल साइंस में हमे पढ़ाया जाता है कि संदेह में शुरुआत ना कि जाय जब किसी मरीज की चिकित्सा शुरू करनी हो तो आश्वत होना आवश्यक होता है कि उसे वास्तव में समस्या क्या है ?एव किन कारणों से है? तभी डाक्टर समस्या के फौरी निदान और कारक कारण का स्थायी निदान करता है जिससे कि समस्या दोबारा उतपन्न ही ना हो।

डॉ तरुण सिर्फ उत्कर्ष की पार्टी में उत्कर्ष द्वारा मेरा हाथ पकड़ कर अपने रिश्ते नाते मित्रों से परिचय कराना किसी भी संसय का कारण नही हो सकता है ।

पुनः डॉ तरुण ने डॉ सुमन लता से सवाल किया मैडम उत्कर्ष से आप क्या कहने वाली है या उसके साथ क्या करने वाली है ? उसका भ्रम संसय जो आपको लेकर पाल रखा है का क्या करने वाली है ?क्योंकि आप ही कह रही है कि उत्कर्ष में लाखों अच्छाईयों के बाद गुरुर एक स्तर पर अनुदार एव कठोर है।


डॉ सुमन लता ने कहा हम लोंगो को मेडिकल साइंस में यह भी पढया जाता है कि यदि किसी बीमार शरीर का इलाज किया जाता है और कोई लाभ न हो और नुख्से बदलते जाए एक लंबे इलाज़ के बाद भी कोई फायदा ना दिखे तब भी हार नही माननी चाहिये और नए प्रयोग करते रहना चाहिये इसके दो परिणाम होगे एक तो लंबे समय तक दी जाने वाली बिभन्न दवाएं बीमार शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगी या नकारात्मक यदि नकारात्मक प्रभाव डालती है तो परिणाम आएगा कि लंबे समय तक दी जाने वाली दवाओं ने नकारात्मक प्रभाव इसलिये डाला क्योकि बीमार शरीर के जो कारण दृष्टिगत थे वह सही नही थे और वास्तविक कारण का पता लग जायेगा ।

यही वास्तविकता मानव रिश्तो और समाज की है जो बात समझ मे ना आती हो उंसे वक्त समझा देता है डॉ तरुण उत्कर्ष को वक्त ही सही का आईना दिखा देगा ।

डॉ तरुण का संसय लगभग समाप्त हो चुका था उसने कहा (मैडम आई एम वेरी सैरी फ़ॉर कंफ्यूज़न )दोनों एक साथ उठ कर खड़े हो गए और दिल्ली की फर्राटेदार सड़को पर कार दौड़ाने लगे और होटल मौर्या शेरेटन में डिनर करने के बाद अपने अपने घर लौट गए।

अब दोनों कि दिनचर्या पर्वत हो गयी दोनों के दिल में प्यार की पटरी प्यार के सपनों एव आकांक्षाओ की रेल दौड़ने लगी दोनों एक दूसरे के साथ काफी समय बिताते लेकिन दोनों कभी भी शादी विवाह या प्यार वार की बाते नही करते घूमते फिरते प्राकृतिक नज़ारा अपने अनुभव एव मेडिकल साइंस के नए नए शोध पर ही अधिक बात करते रहते ।

सच्चाई यह थी कि डॉ सुमन लता डॉ तरुण से प्यार करने लगी थी जो बहुत दिनों तक उत्कर्ष के साथ रहने पर भी सम्भव नही हुआ और डॉ तरुण भी डॉ सुमन लता को बेहद चाहता लेकिन दोनों अभिव्यक्ति के लिए एक दूसरे की जैसे प्रतीक्षा कर रहे हो दोनों मेडिको तो थे ही मगर दोनों के फील्ड में जमीन आसमान का अंतर था तरुण चाइल्ड स्पेशलिस्ट था तो डॉ सुमन कार्डियोलोजिस्ट मेडिको में भी डॉक्टर एक दूसरे को तब अधिक पसंद करते है जब मेल फीमेल के फील्ड में कंट्राडिक्टसन बहुत ना हो जैसे मेल चाइल्ड स्पेशलिस्ट है तो चाहेगा कि उसकी लाइफ पार्टनर गाइनो ही हो यदि कोई डॉक्टर आर्थो है तो वह अपने पार्टनर को जनरल सर्जन को पसंद करेगा।

आदि आदि इधर डॉ सुमन लाता एव डॉ तरुण एक दूसरे के करीब आते जा रहे थे तब उधर डॉ उत्कर्ष सिविल सर्विसेज की ट्रेनिंग में प्रशासनिक बारीकियों को जानने समझने में व्यस्त था ।

डॉ तरुण एव डॉ सुमन लता लौटकर अपनी सामान्य दिन चर्या में लौट आये डॉ तरुण का अपने हॉस्पिटल जाना अपने मरीजों कि देख रेख एव प्रशासनिक कार्यो की देख रेख डॉ सुमन नियमित फोर्टिस से खाली होने के पश्चात डॉ तरुण से मिलने प्रति दिन जाती दोनों रात्रि आठ नौ बजे तक अपने अपने घर को जाते ।

डॉ सुमन लता के पिता प्रोफेसर सुशांत उरांव ने एक दिन बेटी सुमन से कहा बेटी उत्कर्ष बहुत अच्छा लड़का है तुम उसे और वह तुमको बहुत करीब से जानते हो और साथ साथ पढ़े भी हो जिसके कारण दोनों एक दूसरे की अच्छाईयों एव कमियों से भलीभाँति परिचित हो अब तो उत्कर्ष डॉक्टर के साथ साथ प्रतिष्ठित भारतीय सेवा आई ए एस भी बन चुका है मैं चाहता हूँ कि अब तुम दोनों शादी कर लो उत्कर्ष के मम्मी डैडी जयंत और ज्योति भी यही चाहते है ।

डॉ सुमन ने पापा की बात को ध्यान से सुना और बोली पापा आपकी सभी बातें सही है लेकिन मैं उत्कर्ष से प्यार नही करती डॉ सुमन के पिता सुशांत को लगा जैसे उनकी बेटी शर्म के मारे ऐसा कह रही हो उन्होंने कहा बेटी मम्मी सुजाता से जो कुछ कहना हो बता देना मैं चाहता हूँ कि अब तुम्हारी शादी हो जानी चाहिये ।

डॉ लता ने कहा लगता है पापा मैं बोझ बन गयी हूँ पापा सुशांत ने कहा नही बेटे तुम जैसी बेटियां बाप पर बोझ नही बल्कि अभिमान होती है ऐसा तुमने सोचा भी कैसे तुम अपनी पसंद मम्मी को बता देना मैं भी तो जानू आपकी पसंद क्या है ।

खाना खाने के बाद डॉ सुमन अपने कमरे में चली गयी कुछ देर पढ़ने लिखने के बाद वह सोने ही जा रही थी कि मम्मी सुजाता ने उसका दरवाजा नॉक किया और अंदर आ गयी थोड़ी बहुत औपचारिकता के बाद सुजाता ने कहा बेटे पापा ने आज तुमसे तुम्हारी शादी की बात की तुमने कहा कि उत्कर्ष से तुम प्यार नही करती हो डॉ सुमन ने कहा हा मम्मी हम उत्कर्ष बहुत अच्छे दोस्त अवश्य है लेकिन मैं उत्कर्ष से प्यार नही करती सुजाता ने कहा उत्कर्ष तो तुमसे बहुत प्यार करता है और आज कल उत्कर्ष जैसे काबिल लड़के मिलते कहा है ।

डॉ सुमन ने कहा मम्मी मैं जानती हूँ मगर मैंने कभी भी उत्कर्ष को अपने जीवन साथी के रूप में नही देखा वह सदैव ही हमारा अच्छा दोस्त रहा और रहेगा सुजाता ने कहा बेटे अगर तुम उत्कर्ष से प्यार नही करती जो तुम्हारे करीब बहुत दिनों तक रहा तुम दोनों ने साथ साथ मेडिकल कालेज से लेकर राम मनोहर लोहिया में इंटर्नशिप एव फोर्टिस की जाब तक साथ साथ रहे तो मैं भी तो जानू की मेरी बेटी अपने जीवन के लिए किसे चुन रखा है।

डॉ सुमन ने कुछ शर्माए अंदाज में डॉ तरुण का नाम लिया और कहा मेरे पसंद पर डॉ तरुण खारा है मैं उससे प्यार भी करती हूँ मुझे विश्वास है कि आप और पापा मेरी भावनाओं का ख्याल करेंगे सुजाता ने कहा बेटे तुहारी ही भवनाओं को जानने के लिए तुम्हारे पिता ने मुझे तेरे पास भेजा है क्योंकि उनको लगता था कि तुम उत्कर्ष से प्यार करती हो खैर तुहारी खुशियां हम लोंगो के लिये महत्वपूर्ण है अतः जैसी तुम्हारी मर्जी कल पापा तरुण के पापा से मिलने जाएंगे डॉ लता मम्मी सुजाता के गले लिपट गयी और दोनों की आंखे नम हो गयी जैसे अभी सुमन विदा हो रही हो।

सुजाता ने आकर पति सुशांत से बेटी की इच्छा बताई सुबह जब डॉ सुमन प्रतिदिन की तरह अपनी दिन चर्या पर चली गयी तो प्रोफेसर सुशांत पत्नी सुजाता एव बेटे आलोक को लेकर सबसे पहले विराज के घर गए विराज उन्हें नही जानते थे प्रोफेसर सुशांत ने अपना परिचय दिया और बताया वह डॉ सुमन लता के पिता और सुजाता माँ एव आलोक भाई है तो बड़े ही आदर सम्मान के साथ बैठाया विराज ने और पत्नी तांन्या को बुलाया और परिचय कराते हुए बोले ये लोग तरुण की शादी के लिए आये है इनकी बेटी डॉ सुमन लता है तांन्या बोल उठी अब आप कुछ ना ही बोलिये तो अच्छा होगा तरुण तो सदा डॉ सुमन की तारीफ में कसीदे गढ़ता रहता है मम्मी ऐसी है मम्मी वैसी है मम्मी मुझे बहुत अच्छी लगती है जाने क्या क्या यदि आप लोग कुछ दिन और नही आते तो मैं और विराज ही आते तरुण के लिए सुमन का हाथ मांगने ।

सुशांत सुजाता आलोक एव विराज एव तांन्या थोड़ी ही देर में एक दूसरे से घुल मिल गए जैसे दो परिवार मिलकर एक हो गए हो डॉ सुमन एव डॉ तरुण का विवाह निश्चित हो गया और तिथि भी निर्धारित कर दी गयी सुबह का लंच विराज तांन्या शुशांत सुजाता एव आलोक ने साथ साथ ही किया और वहां से सीधे तरुण के अस्पताल पहुंचे और तरुण को डॉ लता से उसके विवाह की तिथि बताई तरुण ने भी खुशी से डॉ सुमन लाता के मम्मी पापा का स्वागत किया प्रोफेसर सुशांत पत्नी बेटे के साथ घर शाम पांच बजे तक लौट आये ।

उधर डॉ लता डॉ तरुण से मिलने पहुंची उनको तरुण से अपनी शादी फाइनल होने की नहीं बताई
सुमन के पहुंचते ही डॉ तरुण बोला मैडम आप बिना अनुमति मेरे केबिन में नही आ सकती है सुमन बोली क्यो तरुण ने कहा ठहरो थोड़ी देर बताता हूँ कुछ ही देर में तरूण के अस्पताल का पूरा स्टाफ एकत्र हो गया और डॉ सुमन के कदमो के नीचे फूलों की चादर बिछाता गया कुछ लोग उनके ऊपर से फूल वर्षाते रहे फिर तरुण ने अपने केबिन का दरवाजा खोला और डॉ सुमन का हाथ पकड़ कर केबिन के अंदर ले गए औऱ डॉ सुमन को अपने चेयर पर बैठाया और स्वयं वहां बैठ गए जहाँ प्रति दिन सुमन बैठती थी और बोला मैडम आखिर आपने मुझे बंधक बना ही लिया अपने प्रेम जाल में अब तो जिंदगी भर आपके ही आगे पीछे चक्कर काटना है और आपके ही आदेशो पर चलना है ।

डॉ सुमन ने कहा क्या हुआ डॉ तरुण आपकी तबियत तो ठीक है तरुण बोला जी मैडम तबियत तो ठीक है नियत नही ठीक है डॉ लता को तरुण के रोमांटिक अंदाज़ समझ नही आ रहे थे वह बोली क्या बात है बरफुरदार आज बहुत रोमांटिक हो रहे है आप तरुण बोला मैडम बात ही है कुछ खास।

फिर डॉ सुमन लता से बहुत शोखिया अंदाज़ में बात करता रहा जब उंसे लगा कि अब डॉ लता के साथ वह ज्यादति कर रहा है तो उसने बताया कि डॉ लता आपके मम्मी पापा मेरे घर गए थे और वहाँ से सीधे मेरे हॉस्पिटल आये उन्होंने बताया कि तुम्हारी एव दोनों परिवारों की सहमति से मेरी तुम्हारी शादी फाइनल हो चुकी है ।

मंगनी का कार्यक्रम होटल ओबेरॉय जहाँ हम लोग रोज शाम को जाते है से होगा जो दो फरवरी को होना है एव विवाह तेईस मार्च को होटल अशोका से होना निश्चित है डॉ लता को तो जैसे उसके मन की मुरादे ही मिल गयी हो अब डॉ लता एव तरुण का परिवार वैवाहिक आयोजन की तैयारियों में लग गया ।

डॉ सुमन लता ने डॉ उत्कर्ष को मंगनी में आने के लिए निमंत्रित किया ज्यो ही डॉ उत्कर्ष को पता चला कि डॉ लता उससे प्यार नही करती है वह टूट कर विखर गया लेकिन वह मजनू अंदाज़ का इंसान नही था अतः उसने स्वय को संयमित किया और डॉ लता के मंगनी में आना स्वीकार कर लिया दो फरवरी को मंगनी थी और इकत्तीस जनवरी को ही उत्कर्ष दिल्ली पहुंच गया और उसने डॉ लता से मिलने के लिए निवेदन किया डॉ लता को कोई आपत्ति नही थी वह डॉ उत्कर्ष के बुलाने पर अकेले चली आयी डॉ लता को देखते ही उत्कर्ष बोल उठा बधाई हो मैडम आपकी एव तरुण की जोड़ी बहुत शानदार एव सफल हो लेकिन मुझे एक संसय ने घेर रखा है कि हम औऱ तुम एक साथ एम बी बी एस कि कॉउंसलिंग से स्पेसलाइज़्ड कोर्स एव इंटर्नशिप एव साथ साथ फोर्टिस में जॉब तक लगभग जीवन के पंद्रह महत्व पूर्ण वर्ष साथ साथ रहे एक दूसरे को बहुत करीब से जाने समझे मैं तुमसे प्यार भी करता हूँ और आई ए एस प्रशिक्षण के बाद शादी भी करना चाहता था क्या खास बात आपको तरुण में नज़र आई ? आपने मेरे प्यार को ठुकरा दिया ।

डॉ सुमन लता ने बोलना शुरू किया उत्कर्ष तुम जैसा समझदार इंटेलिजेंट काबिल सफल युवा शायद कभी कभी
ही मिलते है तुम बेहद खूबसूरत प्रभावी व्यक्तित्व के मालिक हो तुमने अपने मम्मी पापा की इच्छाओं को ऊंचाई आयाम दिया एव खानदान में नए अध्याय की शुरुआत किया तुम्हारे परिवार में आई ए एस तो अंग्रेजो के जमाने से है मगर डॉक्टर एव आई ए एस तुम मात्र अकेले हो तुम और हमने अपने बेहतरीन पंद्रह साल एक साथ बिताए हैं जब हम और तूम एम बी बी एस काउंसलिंग के समय मिले थे तब और पूरे पढ़ाई के दौरान जब साथ साथ घर छुट्टियों में आते थे जाते थे एव मेरे तुम्हारे परिवार में भी बहुत अच्छे रिश्तो के आधार थे मैंने बहुत बार अपने मन को को मनाने की कोशिशे की उत्कर्ष ही उपयुक्त जीवन साथी हो सकता है और अनेको बार तुमसे प्यार करने के लिए मन मस्तिष्क दिल को समझाने की कोशिश करती रही मगर हर बार दिल दिमाग एक ही बात कहता कि एक घर मे भाई बहन रहते है माँ बाप रहते हैं सबकी रिश्तो की अपनी मर्यादा है और नैतिकता के मर्यादित धागे में बंधा परिवार का संस्कार है मैने जितनी बार तुम्हे जीवन साथी के रूप में देखना चाहा उतनी बार तुम भाई दोस्त ही नज़र आये।

मैं क्या करती मेरे सामने सिवा इसके की मैं तुम्हे अपना अच्छा दोस्त या भाई मान नैतिकता के मर्यादित धागे में बंध तुमसे पावन पारिवारिक रिश्तों को उम्र भर निभाती रहूं उत्कर्ष यही सच्चाई है मेरे और तुम्हारे रिश्ते की ।

प्यार के लिए चुनांव का विकल्प तो जीवन मे बहुत होता है किंतु प्यार आत्मा की अंतर्चेतना की गहराई की आवाज है प्यार परमात्मा ईश्वर खुदा भगवान अल्लाह जीजस बुद्ध गुरुओं एव आदि देवो के आशीर्वाद का पुण्य प्रसाद एव प्रताप है जो एक बार प्रस्फुटित होकर किसी मनचाही आकर्षक अन्तरात्मा की गहराईयों में समाहित हो जाता है इसीलिए कहा जाता है प्यार किया नही जाता है हो जाता है।

देखो ना तुमसे प्यार करने की कोशिशे कामयाब नही हुई और तरुण पर दिल मर मिट गया उत्कर्ष तुम्हे तुम्हारा प्यार इंतज़ार कर रहा है जो निश्चित ही जल्दी मिल जाएगा यह मेरी भगवान से प्रार्थना है।

उत्कर्ष बड़े ध्यान से डॉ सुमन लता की बाते सुन रहा था उसको लगा जैसे सुमन लता के आभा मण्डल के चारो तरफ से प्रकाशमय है और वह बिल्कुल सही बोल रही थी वह डॉ लता से बोला मेरी तरफ से तुम्हे तरुण को ढेर सारी शुभकामनाएं एव बधाई और वह चला गया।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश