दर्द ए इश्क - 43 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दर्द ए इश्क - 43

सुजैन जब जवाब नहीं देती तो विकी जल्दी से हॉल की ओर जाते हुए! कबर्ट में रखे बॉक्स को निकालते हुए उसमे से सूझी जिस रूम में ठहरी थी उस रुम की चाबी ढूंढ रहा था। जैसे ही उसे चाबी की कॉपी मिल गई वह जल्दी से भागते हुए सूझी के कमरे की और जाता है और दरवाजा खोलता है। वह जब दरवाजा खोलते हुए! देखता है! तो सूझी बेड के पास सिर झुकाए है पांव को मोड़कर सिकुड़ कर बैठी हुई थी । विकी भागते हुए! उसके नजदीक जाता है और सूझी को हड़बड़ाते हुए पूछता है ।

विकी: सूझी क्या हुआ! एसे... एसे... क्यों बैठी हो! । कब से आवाज दे रहा हूं! जवाब क्यों नहीं दे रही हो ।
सूझी: आई.... एम.... स्केरड..... विकी! । अगर कुछ उल्टा सीधा हुआ तो!? ।
विकी: क्या उल्टा सीधा होगा सूझी!? कुछ हुआ है क्या!? और एक बार मेरी ओर देखो तो सही! अब मुझे तुम डरा रही हो!?। किसीने कुछ कहां क्या!? ।
सूझी: ( सिर झुकाए ना में हिलाते हुए ) नो... विकी...! अगर! शादी के दिन कुछ हो गया तो!? ।
विकी: सूझी तुम ऐसी बातें क्यों कर रही हो!? कोई आया था क्या यहां!? । ( आसपास देखता है। )
सूझी: ( विकी की बात सुनते ही उसके रोंगटे खड़े हो जाते है। ) नो....नो.... एसा कुछ नहीं है।
विकी: तो फिर कैसा है सुजैन! मैने तुम्हे उस रात के सिवा ऐसी हालत में कभी नहीं देखा ।
सूझी: मुझ उस रात से भी ज्यादा डर लग रहा है विकी!...।
विकी: सूझी फॉर गॉड सेक! बताओगी क्या हुआ है!? मुझे कैसे पता चलेगा की किस बात से तुम डर रही हो!?।
सूझी: ( सिर को उठाते हुए ) एक काम करते है विकी.... हम दोनों ये देश छोड़कर चले जाते है! हां! यहीं सही है! यहीं सही है ।
विकी: ( सूझी के चेहरे को थामते हुए ) सूझी.... सूझी..... काम डाउन! । देखो मैं हूं! यहां! कुछ नहीं होगा! शांत शांत! ।
सूझी: ( विकी की ओर देखते हुए ) तुम्हे कुछ हो गया तो! ? मैं दूसरो के सामने तो नाटक कर लेती हूं! की आई एम स्ट्रॉन्ग! पर जब मैं कमजोर पड़ती हूं! तो तुम एक ही हो जिसे मैं अपना दोस्त,फेमिली,पार्टनर कह सकती हूं! जो मुझे समझता है! मेरे अच्छे बुरे वक्त में साथ रहता है। बाकी तो जितने भी आए दिल बहला कर चले गए।
विकी: ना ही मुझे कुछ होगा! ( सूझी की आंख में देखते हुए ) और ना ही मैं तुम्हे कुछ होने दूंगा । चाहे कुछ भी हो! ।
सूझी: नो विकी! तुम समझ नहीं रहे हो! ये पूरी दुनिया को ना जाने क्या तकलीफ है। हर कोई तुम्हारी जान के पीछे पड़ा है।
विकी: ( सूझी के पास बैठते हुए ) आई नो! ( सूझी के कंधो पर माथा रखते हुए ) ।
सूझी: ( आंसू पोंछते हुए ) पता नहीं भगवान किस बात का बदला ले रहा है!? । जीने ही नहीं देते! और ना जाने कितने दर्द! जख्म बाकी है। अब तो ड्रामा भी नहीं हो पाता मुझसे । की आई एम ओके! ।
विकी: आई नो! ( रोने से रोकते ) ।
सूझी: तुम.. तुम... थकते क्यों नहीं विकी! और कितना संघर्ष करना है। अब छोड़ दो ये सब! और चलो मेरे साथ! इंडिया छोड़कर कहीं दूर चले जाते है ।
विकी: ( आंसू टिप टिप करके गिरने लगते है। ) आई कांट सूझी! मैं चाहकर भी नहीं कर सकता! । मुझे मेरे सवालों के जवाब चाहिए!? । जो दर्द मुझे मिला! तुम्हे मिला! उन सबके जवाब चाहिए! । भला प्यार के बदले कोई दर्द कैसे दे सकता है। प्यार के बदले तो प्यार मिलता है। तो फिर मेरे साथ तुम्हारे साथ ऐसी नाइंसाफी क्यों!? ।
सूझी: ( विकी के सिर के सहारे अपना सिर रखते हुए ) ये रिस्की है! विकी! और... मैं... मैं.... तुम्हे खोना नहीं चाहती!.। एक तो रिश्ता है! अगर वो भी नहीं रहा तो! मैं जीते जी मर जाऊंगी ।
विकी: डोंट वरी! मुझे कुछ नहीं होगा! ।
सूझी: मुझे सच में डर लग रहा है। इतने सालो! बाद किसी को खोने का डर लग रहा है।
विकी: ( दर्द के साथ हंसते हुए ) हाहाहा...हाहा... चलो! अच्छा! है। कम से कम कोई तो है जिसके लिए मैं खास हूं! ।
सूझी: तुम सच में खास हो विकी! ये तो उसकी बदनसीबी है! जो तुम जैसे सच्चे प्यार करने वाले को पहचान ना सकी ।
विकी: बदनसीबी उसकी नहीं मेरी है!..। उसके लिए... शायद में सिर्फ दोस्त ही था, या फिर दोस्त भी नहीं था मे उसका! । अगर होता तो आंख बंद करके भरोसा करती! जैसे तुम करती हो ।
सूझी: कभी कभी तो लगता है! ऊपर वाले ने सारे धोखे, दुःख,दर्द, हम दोनों की ही किस्मत में डाल रखे है। ना तो मां बाप समझते हैं! ना जिनसे प्यार हुआ उसने समझा! और दोस्त तो सिर्फ पैसों के लिए हैं!। ले देके रहे तुम और मैं।
विकी: ( हंसते हुए ) तुम भूल गई मैं! विक्रम ठाकुर हूं! मैं अकेला इसलिए नहीं हूं! की मेरा कोई दोस्त नहीं बल्कि इसलिए हूं! की मेरे दोस्त बनने लायक कोई नहीं है।
सूझी: ( हंसते हुए ) हाहाहाहाहा...... तुम्हे अभी भी याद है! जब पहली बार मिले थे। तब मैने तुम्हारे मुंह पर कीचड़ फेका था गुस्से में। और फिर दोनो को ही लंबा चौड़ा भाषण मिला था। की बड़े घर के बच्चे ऐसी हरकते नहीं करते! । हमे हमेशा एक दम अप टू डेट रहना है।
विकी: ( हंसते हुए ) तुमने कौन सा मानना था उनकी बात। फिर भी सीधा भागते हुए कीचड़ के साथ खेलने लगी थी ।
सूझी: तो क्या करती! मुझे ये रोक टोक बचपन से ही पसंद नहीं था । और कमोन में नो साल की बच्ची थी ।
विकी: नो साल की बच्ची! ( मुंह बिगाड़ते हुए ) बिल्कुल नकचड़ी थी।
सूझी: ( गुस्से में मुंह बिगाड़ते हुए ) ओह हेलो! तो तुम कौन सा जैसे फरिश्ते थे। याद है मेरे बालो मे चिंगम चिपका दिया था। और फिर हर बार सबके सामने टांग अड़ा कर मुझे बेइज्जत किया करते थे।
विकी: ( मुस्कुराते हुए ) बिल्कुल आखिरकार विक्रम ठाकुर हूं! मैं! पंगा लिया था तुमने !? ।
सूझी: मैने!? तुमने लिया था उस दिन मेरे ऊपर पानी वाला ग्लास फेक के ।
विकी: मैंने जो बात कही थी सुनी थी तुमने पहले!? की पांव फिसल गया था। लेकिन तुम तो ठहरी थी नकचडी गुस्से में चली गई।
सूझी: ओह! हैलो! कोई गलती वलती नहीं थी । जानबूझकर किया था क्योंकि तुम्हारे मॉम डैड तुम से ज्यादा मुझ पर ध्यान दे रहे थे ।
विकी: ( धुतकारते हुए ) हअ! मैं और वो भी जेल्स! ।
सूझी: यस दी विक्रम ठाकुर को जलन हो रही थी की मुझे अच्छी अच्छी डिशस मिल रही थी खाने को! और तुम्हे छू ने भी नहीं देते थे। ( जीभ दिखाकर चिढ़ाते हुए ) ।
विकी: ( मुंह फुलाते हुए ) व्हाट एवर । ( दूसरी ओर मुंह मोड़ लेता हैं । ) ।

तभी सूझी के जोर जोर से हंसने की आवाज आती है। जिस वजह से विकी भी थोड़ी देर बाद हंसने लगता है। दोनो कितने समय बाद एसे खुलकर हंस रहे थे। मानो जैसे बचपन में वापस लौट गए हो। विकी हंसते हुए कहता है। " पर मैं सच में जलता नहीं था। " सूझी हंसते हुए! " हां! हां! अगर इससे तुम्हारे दिल को सुकून मिलता है तो एसे ही सही। " तभी विकी कुछ क्षण रुक कर कहता है! " डोंट वरी सूझी! मुझे कुछ नहीं होगा! आई प्रॉमिस! " सूझी ( विकी की ओर देखते हुए ) "अगर कुछ हुआ तो मै तुम्हे कभी माफ नहीं करुगी! इस बार मैं सच में हमेशा हमेशा के लिए दोस्ती तोड़ दूंगी! याद रखना।"
" विक्रम ठाकुर को धमकियों से डर नहीं लगता सुजेन मेहरा! । " जिस पर दोनो ही फिर से हंसने लगते है क्योंकि विकी ने ये डायलॉग तब बोला था जब वह सूझी के कुत्ते से डर लगता था और सूझी कुत्ते को उसके पीछे छोड़ने की धमकी दिया करती थीं।

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