हेलो… दादा….. दादी कैसी हैं?
दादी दाडम के लाल लाल दाना चबाती चबाती सरगवा सिंग की सब्जी बना रही है।
ओह, गुड, और आप कैसे हो?
मेरु बेटू पहले दादी की बात पूछता है बादमे मेरा नंबर लगता है कमाल का तु नटखट। है ना!!
बोल बोल बेटा क्या चल रहा है?
बस, अच्छा लगता है आपके साथ बात करते।
मुझे ये समझाए की आयुष चिकित्सा क्या है?
ये बात अच्छी तरह से पूछ लिया ! तो सुनो
कुदरत का अनमोल वरदान आयुष मतलब
A - Ayurved - आयुर्वेद, Y - Yoga - योग और नेचरापथी, U - Unani - युनानी
S - Siddh - सिद्ध , H - Homiopathy - होमियोपेथी .
जिनका (वात, पित और कफ) ये तीनो दोष समान होगा, अग्नि सम होगी, शरीरकी (खून, मांस, मेद बगेरे ..)
धातुओं सम होगा। मलमूत्र जैसी उत्सर्जन क्रिया नियमित होगी । जिनका आत्मा, इंद्रिय और मन प्रसन्न होगा
उनको स्वस्थ शरीर कहते है। ये बात WHO ने भी कबुली है।
एकश्युली बात ये है की हमारा शरीर ये विश्व का छोटा अंश है। विश्वमें जिस तरह
हवा, जलता सूरज ओर शीतलदायक चंद्र है इसीतरह हमारे शरीरमें वात,पित और कफ नामके तीन मूलभूत
संचालक है। ये तीनो के आधार से हमारी देहधार्मिक क्रिया का नियमन करता है। जबतक ये प्राकृतिक अवस्थामें
है तबतक अपना शरीर स्वस्थ रहता है।
ओह, अदभुत दादाजी ये बात जानकर बहुत अच्छा लगा। अब ये बताए के शरीर को
कब और कैसे स्वस्थ रखा जाए?
मारू बेटू आज दिन तक मनगमता पाया वो खाया, अच्छा कोई बात नही।
जैसे ऋतु बदले वैसे शाक, अनाज, कठोल, फल वगेरे …. बदलता रहेना चाहिए। वातावरण के अनुसार
ठंड, गरम और भेज के तहत अपना शरीरको अपना स्वiथ्यके लिए सतर्क रहेना पड़ेगा।
अच्छा दादाजी बहुत मजेदार बात कहीं और एक बात बताइए की अपना शरीर संतुलन में हैं की नहीं वो कैसे पता करे?
बहुत अच्छा सवाल पूछा। जब अपना शरीर कंपन, कानोमे तमारा, हाथ पैर में खालीपन महसूस हो तब कुछ गड़बड़ी हुई लगती मालूम करना और जब बुखार, सरदर्द, पेसाब की जलन, पतला लैट्रिन का बदलाव आने लगे तब पता चलता हैं की अपना शरीर संतुलन में नहीं हैं।
जब हम कुछ अलग महसूस करने लगे तब सावधानी रखनी चाइए और समय समय से खोरक के बारेमे पता करना चाइए। आयुर्वेद में बहुत सारे अभ्यासक्रम दिए है उनको बराबर समझना चाइए या तो डाक्टर से परामर्श कर लेना चाइए।
दादाजी बहुत बढ़िया आपने बहुत सारी जानकारी दी। में अपना स्वाथ्य के बारे में और कुछ जानकारी प्राप्त कर लूंगा जब कोई सवाल होगा तो आपसे या तो डोक्टर से बात करता रहूंगा।
अरे हा, बेटा ये तो बताओ की आजकल तेरी तबियत तो ठीक हैं ना?
हा, दादाजी अभी तो एकदम खुश और मजेदार हूं। कोई चिंता की आवश्यकता नहीं हैं। और अभी मैं आयुर्वेद के विविध विषयों पर खोजबीन करता हूं इसीलिए मैंने आपको इनकी जानकारी के लिए आपसे बात करने की इच्छा जताई थी। अभी मैंने आयुर्वेद के बारेमे पुस्तक, वीडियो, वगेरे से जानकारी एकजुट कर रहा हु। ताकी माहिती मिलते रहें और किसीको जरूर पड़े तो मैं मदद करता रहूंगा जैसे आपने मुझे कई सारी बातें बताई इसी तरह में भी किसी और को नई सीखी हुई जानकारी देते रहूंगा।
ओके बेटे, चल अब चलते हैं बहुत खूब अच्छा किया तुने मुझे तेरी अहिमियत की जानकारी दिया में भी और कुछ बाद मैं बताता रहूंगा।
आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे और स्वस्थ रक्षक बने,
अस्तु:,