सात फेरे हम तेरे - भाग 52 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

सात फेरे हम तेरे - भाग 52

सब आईसक्रीम खाने के बाद वापस आ गए।
रात काफी हो गई थी तो माया ने कहा सब सो जाओ।
फिर नैना ने कहा कि विक्की को टीका लगा दूं।
विक्की ने कहा अच्छा अब याद आया।मन में सोचा कब से तरस गए थे इस पल के लिए।
नैना ने एक टीका लगा दिया।
विक्की ने भी मुस्कुराकर नैना के माथे पर टीका लगा दिया।
नैना थोड़ा सा डर रही थी कहीं विक्की कोई नादानी न कर दें।
फिर सब सोने चले गए।
सुबह जल्दी उठकर सबने चाय पी लिया।
विक्की ने कहा अतुल सारे रंग निकाल लो।
बिमल ने कहा हां भाई चलो नीचे।
विक्की ने कहा दीदी आप भी आ जाओ।
माया ने कहा हां भाई बस कुछ काम कर लूं फिर आती हुं।
विक्की ने कहा हां ठीक है नैना को भी ले कर आना।
फिर तीनों नीचे चले गए। और फिर सोसायटी के लोगों के साथ जम कर होली खेलने लगें। वहां पर बहुत ही कम उम्र के लड़के भी थे जो डेक पर गाना भी बजा रहे हैं।
कुछ लोग डांस भी कर रहे थे।
वहां पर खाने पीने का सामान भी रखवा दिया गया था।पोट लक पार्टी जैसा कुछ।
बिमल अतुल सब भूत बन कर खड़े होकर हंस रहें थे।
विक्की भी खुब मस्ती कर रहा था।
कुछ देर बाद माया भी नीचे आ गई। विक्की अतुल और बिमल को देख कर हंसने लगी। विक्की ने कहा अरे दीदी नैना नहीं आई ।।
माया ने कहा नहीं वो नहीं आएगी।
विक्की ने कहा अच्छा मैं उसे मजबूर कर दूंगा देखना।।

बिमल ने कहा हां मैं एक काम करता हूं।
फिर विक्रम ने कान पर कुछ कहा।
और फिर बिमल ऊपर चला गया।
नैना एक बार बालकनी में जाकर बैठ गई।पर उसका मन नहीं लगा।
कुछ देर बाद ही बेल बजा।
नैना ने दरवाजा खोला तो देखा बिमल भूत बन कर खड़ा था।
नैना ने कहा अरे बाबा अब क्या हुआ।
अरे एक जग पानी दो विक्की गिर गया है।
नैना ने कहा हां क्यों क्या हुआ उसे।
बिमल ने कहा अरे बाबा दो जल्दी।
नैना दौड़ कर जग पानी लेकर बिमल के साथ नीचे भागी।
और फिर नीचे जैसे ही पहुंची तो विक्की एक दम से जमीन पर जा गिरा।
नैना दौड़ कर वहां पहुंच गई जहां पर विक्की गिरा था और फिर नैना ने जल्दी से जग का पानी विक्की पर छिड़काव करने लगी और ऐसा करने के लिए उसे जमीन पर बैठना पड़ा और फिर विक्की ने आंख खोल कर अपने हाथों में सने हुए लाल रंग को नैना के मुंह पर रंग दिया।
नैना एक दम से चौंक गई और फिर वो कुछ बोलती तो विक्की ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और फिर बोला बुरा ना मानो होली है।।
नैना उठ गई और फिर विक्की भी उठ कर मुसकारने लगा।
माया ने कहा देखो नैना तुम्हारी पहली होली एक नया शुरुआत।।
रंग तो कोई भी लगा सकता था पर भगवान शिव ने विक्की के हाथों लाल रंग लगवा दिया।
नैना कुछ भी नहीं बोली।
विक्की ने कहा नाराज हो मुझे रंग नहीं लगाओगी।
नैना ने कहा हां ये जबरदस्ती वाला रंग है हां।
विक्की ने कहा कुछ भी कहो तुम्हें आना तो था ही। नैना ने कहा हां किसी की तकलीफ नहीं देख सकती हुं इसलिए आ गई थी। बिमल ने भी।।देख लुंगी सबको।।

फिर काफी देर तक सब रंग खेलने लगें और फिर मस्ती और डांस भी किया।।


फिर वही पर नाश्ता करने लगे और फिर भांग का नशा भी चढ़ने लगा।
फिर सब धीरे धीरे अपने अपने फैल्ट में चले गए।

नैना पुरे समय किसी से बात नहीं किया।
फिर नहाने चली गई।
माया, अतुल बिमल विक्की खुब हंसी मज़ाक करने लगे।

फिर सब नहा धोकर तैयार हो कर बैठ गए।
माया ने जल्दी से खाना बना लिया।

विक्की ने कहा दीदी भुख लगी है। माया ने कहा हां अब आ जाओ सब।
फिर सब खाना खाने बैठ गए।
नैना भी आ गई।
विक्की ने कहा अरे ये क्या रंग बहुत गहरा है।
जल्दी नहीं छुटेगा। वैसे भी तुमने शायद कोशिश नहीं किया होगा है ना।
नैना ने कहा जी नहीं कोशिश किया था पर ।।

बेरंग जिंदगी थी एक दिन के रंग ने हो सकता है मेरा चहेरा बदल जाएं पर मेरी जिंदगी नहीं बदल सकती है।
विक्की ने कहा क्या पता शायद अब जिंदगी भी बदल जाएगी।

माया ने कहा हां ठीक कहा तुमने। नैना देख अब ये रंग तेरे लिए एक नई दिशा लेकर आएगा।
नैना ने कहा दीदी आप भी ना सैम के साथ भी ऐसा होली खेलें थे?

विक्की ने कहा जी नहीं ये गुस्ताखी हम सिर्फ आपके साथ ही कर सकते हैं।
नैना ने मुंह घुमा लिया।।


फिर सब खाना खाने के बाद लस्सी भी पिएं।।
विक्की ने कहा आज शाम को सागर जी आएंगे तो हम बाहर ही खा लेंगे।

माया ने कहा हां ठीक है।
नैना ने कहा क्या हर बार बाहर का खाना।।
विक्की ने कहा हां ठीक है नैना कुछ बना देगी।
नैना ने कहा अरे बाबा बुई ने बुलाया है सबको।

विक्की ने कहा ऐसा क्या ‌फिर तो सही है।
माया ने कहा हां हर साल कोकिला जी हमे होली मिलन समारोह पर बुलाती है।
फिर सब बातों बातों में गिटार बजाने का मन हुआ तो निलेश का गिटार आ गया।
चलो शुरू हो जाओ।
फिर विक्की ने गाना शुरू किया। प्यार दिवाना होता है मस्ताना होता हर खुशी से हर ग़म से बेगाना होता है।


फिर नैना ने गाना शुरू किया।हम थे जिनके सहारे वो हुए ना हमारे,टूटे जब दिल की नईया सामने थे किनारे।

विक्की ने शुरू किया हमें और जीने की चाहत न होती अगर तुम ना होते अगर तुम ना होते।

नैना ने कहा दो नैनों आंसु भरें है निंदिया कैसे समाए।।।।
फिर सब थक गए थे इसलिए सब सो गए।
कुछ देर बाद जब सब सो गए तो विक्की उठकर अलमारी में से एक गिफ्ट निकाल कर नैना के रूम में जाकर उसके सिरहाने रख दिया और फिर वापस आ कर सो गया।
पर किसी तरह वो तोहफा नैना के हाथ लगने से नीचे गिर गया।
फिर जब नैना की नींद खुल गई तो उसे कुछ समझ नहीं आया कि विक्की ने कोई गिफ्ट रखा है।
फिर सब तैयार होने लगे।
जैसा कि विक्की ने उस गिफ्ट पर एक मैसेज भी छोड़ा था कि ये अगर पहनो तो मैं समझ जाऊंगा और अगर ना पहनो तो भी समझ जाऊंगा।
नैना ने अलमारी में से निलेश का दिया हुआ एक सूट पहना।
उधर विक्की भी तैयार हो गया उसने माया का दिया हुआ कुर्ता पहना था।।
फिर सब तैयार हो कर बाहर आया और जब नैना को देखते ही समझ गया कि नैना उसे नहीं चाहतीं हैं।
नैना ने कहा दीदी ये आज पहना मैंने। माया ने कहा हां ये निलेश ने दिया था तुम्हें।
नैना ने कहा हां दीदी मैंने ये निलेश को याद करते हुए पहना है।
विक्की ने गलत समझा और फिर वो धीरे से बोला कि जो है उसकी कोई अहमियत नहीं है पर जो नहीं है उसके लिए।।
विक्की ने कहा हां ठीक है नैना आज बहुत अच्छा तोहफा दिया तुमने।

फिर सब एक दूसरे को टीका लगाने लगे और फिर गुजिया भी खिलाया।
नैना ने देखा कि विक्की ने नैना को टीका नहीं लगाया।
नैना ने कहा क्या बात है कैप्टेन विक्रम सिंह शेखावत आज मुझे टीका नहीं लगाया।
विक्की ने कहा नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है। दीदी हम नीचे जा रहें हैं। अभी सागर जी आ रहें हैं।
नैना एक दम से चौंक गई ये पागल है क्या। पता नहीं क्यों ऐसा करता है।
माया ने कहा हां जाने दो तुम भाव नहीं देती हो।

क्रमशः