Kuchh akahe jajbaat - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

कुछ अनकहे जज्बात! - Part 1

1.बिहारी
एक बिहारी होना गर्व की बात है पर सिर्फ अपने राज्य मे जब आप किसी दूसरे राज्य मे जाते हो तो फिर आप एक गरीब राज्य का नेतृत्व करते हो । कहने के लिए बिहार वो राज्य है जहा संसार का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था, नालंदा विश्वविद्यालय जहा विदेशो से भी लोग पढ़ने आते थे पर मुगलो ने इसे ध्वस्थ कर दिया। उस के बाद से ही बिहार की शिक्षा नीति खराब हो गई और आज तक सुधर नही पाई। पूरे विश्व को जितने वाले सम्राट अशोक बिहार से थे किंतु आज बिहार अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहा है। इसका मुख्य कारण है बिहार की राजनीति राज्य सरकार और केंद्र सरकार सिर्फ चुनाव के लिए ही इसका प्रयोग करते है वरना जितना मेहनती बिहार के लोग है पूरे विश्व मे नही होंगे। अगर वो दूसरे राज्यो मे मेहनत करके उस राज्य कि विकास मे भागीदार हो सकते है तो क्या वो अपने राज्य मे मेहनत करके अपने राज्य का विकास नही कर सकते। आज बिहार को तिरस्कार कि नजर से देखा जाता है तो इसका मुख्य कारण यहा के राजनेता है और सबसे बड़ा कारण जातिवाद राजनीति है काम के नाम पर वोट देने कि बजाए जात के नाम पर वोट दिये जाते है। सबसे ज्यादा आई पीएस, आई ए स बिहार से होने के बावजूद ये तरक्की नही कर पाया। इसका मुख्य कारण है। स्टार्ट - अप कि कमी। लोग व्यापार नही करना चाहते उसका मुख्य कारण है एक तो पैसा नही दूसरा असफलता और कोई भी व्यापारी परिवार से नही है जो उनको मार्ग दर्शन कर सके उसके अलावा शर्म अपने राज्य मे छोटा काम करने मे शर्म आती है पर दूसरे राज्यो मे वही काम शान से करेंगे। ईन लोगो के पास जमींन जायदाद सब कुछ है ये गरीब नही है बस सही मार्ग दर्शन नही मिलने और सहायता नही मिलने के कारण इनको दूसरे राज्यो मे मजदूरी करना पड़ता है।
एक चीज जो बिहार के हर घर मे पैर पसार चुका है वो दहेज प्रथा ऐसा कोई घर ऐसा नही होगा जहा ये होता ना हो पर राज्य सरकार इस पर अंकुश लगाने मे असमर्थ है।
भारत का ऐसा कोई राज्य नही होगा जहा बिहार के मजदूर ना हो छोटे अवदे मतलब सफाई कर्मचारी से लेकर बड़े पद केए नेता तक। अन्न भी उगाते है, कपड़े भी बनाते है, हर चीज जो इंसान प्रयोग करता है कही ना कही बिहारी मजदूरो का हाथ होता है। ये लोग बस दो वक्त की रोटी के लिए दूसरे राज्यो मे जाते है और वहा इनका तिरस्कार किया जाता पर ये लोग चार बाते सुनकर भी चुप रहते है अपने दर्द को अपने अंदर ही दबा लेते है क्या मजदूर होना गलत है गुनाह? ये कैसी इंसानियत है एक पढ़ा लिखा इंसान दूसरे राज्य दूसरे देशों मे काम करे तो उसका सम्मान किया जाता है किंतु एक मजबूर इंसान मजदूरी करे तो उसे अपमानित किया जाता है। एक चीज पे हसी आती है जब पढ़े लिखे लोग एक गरीब ठेले वाले को देख कर जलन के कारण ठेला लगा लेते है और चीख चीख कर कहते है मैने ठेला लगाया है। मै जरा पूछना चाहता हूँ ऐसे लोगो से अगर वो गरीब इतना अमीर होता की दुकान खरीद सकता तो क्या वो ठेला लगता?
! वाह रे इंसानियत इंसानो मे भी भेद भाव करता है और खुद को इंसान कहता है, पूछ जरा खुद से कौन सी चीज तु इस दुनिया मे अपने साथ लेकर आया था जिस पर तु अभिमान करता है, खाली हाथ आया और खाली हाथ जायेगा फिर किस पर गुमान करता है !

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