इश्क़ ए बिस्मिल - 75 Tasneem Kauser द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ ए बिस्मिल - 75

ये अभी अभी क्या हो गया था?
अरीज को इस बात का ज़रा सा भी इल्म नहीं था की उमैर इस वक़्त यहाँ इस कमरे में मौजूद है।
उसने तो ये सब ज़मान खान को तसल्ली देने के लिए कहा था ताकि उनकी शर्मिंदगी और पछतावा कुछ कम हो सके... मगर यहाँ तो लेनी की देनी हो गई थी।
पहले ही उमैर अरीज से इतना चिढ़ते है... उस से खार खाते है... हर बात पे उसे ताने देते है... अब उसके मूंह से ये सब सुन लेने के बाद और ना जाने क्या क्या बातें उसे सुनाएंगे। ये सोच कर ही अरीज के रोंगटे खड़े हो जा रहे थे।
उमैर अभी भी उसी पोज़िशन में उसे घूर रहा था। अरीज को अब ज़्यादा देर उसके सामने खड़े रहना मुश्किल लग रहा था। अरीज वापस से शेल्वज़ की तरफ़ मुड़ी थी और अब झूठ मुठ का किताबें खंगाल रही थी।
उसको ऐसा करता हुआ देख उमैर भी मुड़ गया था और अब ज़मान खान के पास आया था।
“बाबा मैंने सारे पेपर्स साइन कर दिए है आप एक बार चेक कर लीजिए।“ उसने टेबल पर से फाइल उठा कर उसे देखते हुए कहा था।
वह जैसे कमरे में आया था अरीज के मूंह से अपने बारे में उसके लफ़्ज़ों को सुन कर उसे बोहत हैरानी तो नहीं हुई थी फिर भी उसे गुस्सा ज़रूर आया था।
ज़मान खान उसे देखते ही घबरा गए थे उन्होंने अरीज को रोकना चाहा था मगर उमैर ने उन्हें इशारे से चुप रहने को कहा था और वो फाइल जो वह अपने साथ लाया था उसको टेबल पर रख कर खुद अरीज के पीछे खड़ा हो गया था।
अरीज अपनी धुन में इतनी मगन थी की उसे ज़रा भी एहसास नहीं हुआ उमैर के आने का ना ही उसके perfume की खुशबू से ही वह पहचान पाई थी।
ज़मान खान ने फाइल उठा कर देखा था।
“ठीक है मैं बाद में चेक कर लूंगा।“ उन्होंने वह फाइल वापस टेबल पर रख दी थी।
इस फाइल में उनकी कम्पनी के ऑथोरिटी documents थे जिसे साइन कर के उमैर ने अपनी सारी ऑथोरिटी ज़मान खान के नाम कर दी थी। उमैर की ग़ैर मौजूदगी में वैसे भी सारी ऑथोरिटी उन्हीं के हाथों में थी मगर अब उसकी मौजूदगी में भी अब उन्हीं के हाथों में सब कुछ होगा।
उमैर अपने नाम के सारे shares भी अरीज या फिर ज़मान खान के नाम करना चाहता था मगर ज़मान खान ने उस से request की थी की फिल्हाल ऐसा अभी कुछ ना करे। वह कुछ दिन सब्र से रहे फिर वह कोई हल निकाल कर खुद ही कोई फैसला कर लेंगे इसलिए उमैर भी चुप हो गया था।
उमैर कमरे से निकलने से पहले अरीज को देखना नहीं भूला था। वह अभी भी उसी पोज़िशन में बुक्स शेल्वेज़ की तरफ़ मूंह कर के खड़ी थी।
उमैर के कमरे से जाते ही वह मुड़ी थी।
“बाबा आप मुझे बता नहीं सकते थे की वो मेरे पीछे खड़े है?... पता नहीं अब क्या होगा... मुझे बोहत डर लग रहा है।“ अरीज उनके पास आते हुए कह रही थी।
“मैं क्या बोलता?... उसने मुझे कुछ बोलने से मना कर दिया था।“ ज़मान खान खुद परेशान थे।
अरीज अपने आने वाले कल के लिए दुआएँ कर रही थी। अब उसे उमैर के साए से भी बच कर रहना था।
रात में सनम और उमैर की engagement की शॉपिंग कर के वो लोग वापस घर लौटे थे।
वह लोग आते के साथ लिविंग रूम के सोफे पर थकान के मारे ढह से गए थे। इतने सारे शॉपिंग बैग्स थे की सेंटर टेबल भी छोटा पड़ रहा था।
उमैर अपने कमरे में था इसलिए आसिफ़ा बेगम ने उसे कॉल कर के नीचे लिविंग रूम में बुलाया था।
“देखो उमैर एक ही दिन में हम ने कितना सारा काम निपटा लिया।“ उमैर को आते देख आसिफ़ा बेगम ने कहा था।
सोनिया पानी के साथ इंसाफ कर रही थी मगर सनम को तो खुशी के मारे ना थकान लग रही थी ना प्यास। उसने पूरे शॉपिंग बैग्स को खाली कर के सारी चीज़ें सोफे और टेबल पर फैला दी थी।
उमैर ये देख कर वही सोफे पर लापरवाही से बैठ गया।
“तुम्हें भी हमारे साथ चलना चाहिए था... तुम्हारे सूट का भी काम हो जाता... इन सब चीज़ों में वक़्त लगता है इसलिए थोड़ा तुम्हें टाइम निकालना चाहिए था... अब देखो सनम के engagement का जोड़ा वह लोग एक दिन के बाद तैयार कर के देंगे... I mean alteration वगेराह।“ आसिफ़ा बेगम उमैर को समझ रही थी साथ में चीज़ें भी उलट पलट कर देख रही थी।
मगर उमैर के कानों में तो जूं तक नहीं रेंगी थी। वह आँखों से सब देख रहा था मगर उसका ज़ेहन वहाँ पर मौजूद नहीं था।
“उमैर... उमैर... क्या हुआ?.... कहाँ खोए हुए हो?... मैं तुम से बातें कर रही हूँ और तुम बुत बने बैठे हुए हो।“ आसिफ़ा बेगम ने गौर किया के उमैर उनकी बातों पे ध्यान नही दे रहा तो उन्होंने उमैर के कंधों को हिला कर उसे कहा था।
“हाँ... जी... जी... क्या कहा आपने?” उमैर जैसे होश में लौटा था।
“मैं कह रही हूँ... खैर छोड़ो... तुम बस कल अपनी शॉपिंग का काम खत्म कर लेना... बस इतना ही।“ आसिफ़ा बेगम उसके खोए हुए अंदाज़ से चिढ़ कर उस से बोली थी।
तभी नसीमा बुआ उन सब के लिए चाय लेकर वहाँ पहुंची थी। उसे देख कर अचानक से आसिफ़ा बेगम को अरीज का ख्याल आ गया।
“नसीमा... अरीज कहाँ है?... ज़रा उसे बुलाना तो।“ उनकी बात सुनकर उमैर के कान खड़े हो गए थे। वह सीधा हो कर बैठ गया था। फिर कुछ सोच कर उठ कर जाने लगा था मगर आसिफ़ा बेगम ने उसे रोक लिया था।
“तुम कहाँ जा रहे हो?... चाय तो खत्म करो अपनी... और देखो तुम्हें क्या पसन्द आ रहा है क्या नहीं और तुम्हें अपनी fiancee के लिए क्या चाहिए... कहीं हम से कोई कमी तो नहीं रह गई?” आसिफ़ा बेगम ने उमैर को रोक लिया था साथ में हँस कर उसे छेड़ा भी था। ये सुनकर सनम के गाल शर्म से लाल हो गए थे मगर उमैर को अभी भी इस ज़िक्र से किसी भी तरह के एहसास ने नहीं छुआ था।
पिछले दो सालों से वह अपनी और सनम की शादी का ख्वाहिशमंद था मगर वह जब से यहाँ आया था उसका दिल अपनी और सनम की शादी को लेकर पत्थर का हो गया था जैसे की उसने कोई एहसास... कोई उमंग ही बाकी ना हो। वह अपने इस बदले हुए दिल से काफी परेशान था जब की उसके हिसाब से उसे परेशान नहीं होना चाहिए था बल्कि खुश होना चाहिए था।
फिर वह किस के लिए उदास और परेशान हो रहा था?
अरीज के लिए?
मगर वह तो उसे ना पसंद करता था।
दूसरी बात अरीज की फीलिंग्स भी उसके लिए कोई अच्छे नहीं थे।
उसने दो साल पहले ही आसिफ़ा बेगम के सामने ये बात अपने मूंह से कही थी की उसे उमैर से नफ़रत है और आज वह ज़मान खान को बता रही थी की उसे उमैर पसंद नही है।