दर्द ए इश्क - 38 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

दर्द ए इश्क - 38

विक्रम सुबह गाना गुनगुनाते हुए बाल सवार रहा था । वह परफ्यूम को छिड़कते हुए आखिरी बार खुद को देखता है! और रुम से बाहर जाते हुए दरवाजा बंद करता है। वह जैसे ही हॉल से गुजरता है तो सुलतान सोफे पर बैठे हुए कुछ पेपर पढ़ रहा था... । वह सुलतान के पास जाते हुए कहता हैं ।


विकी: कैसा लग रहा हूं मैं!? ।


सुलतान: ( अजीब तरह से विकी की ओर देखते हुए ) क्या!? ।


विकी: बताओ ना यार कैसा लग रहा हूं!? ।


सुलतान: ( अजीब हावभाव के साथ ) जैसे रोज दिखते हो वैसे! ।


विकी: क्या यार इतना भी नहीं बता सकते...! । खैर! मुझे देर हो रही है... बाद में मिलेगे बाय.... ।


सुलतान: ( सिर को हां में हिलाते हुए... फिर से काम में व्यस्त हो जाता हैं। ) ।


विकी बेवजह पागलों की तरह मुस्कुराते हुए ....... कार का दरवाजा खोलता है। और कार चलाते हुए... स्मृति ( स्तुति ) के बेकरी के रास्ते की ओर चलाता है। विकी काफी अच्छे मुड़ में गुनगुनाते हुए... कार चला रहा था । काफी समय के बाद विक्रम इतना खुश महसूस कर रहा था या फिर स्तुति की मौत के बाद पहली बार आज खुशी महसूस की है। विकी ऐसे चहकते हुए... स्मृति के बेकरी के एरिया में पहुंच जाता है। कार को साइड में पार्क करता है। और उतरते हुए.... वह धीरे धीरे बेकरी के नजदीक कदम बढ़ाता है । जैसे जैसे वह कदम बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसकी धड़कन भी तेज होती जा रही थी। विकी... फिर बेकरी का दरवाजा खोलते हुए...... दाखिल होता है। वह एक नजर चारो और घुमाता है। तो कुछ लोग... बैठ कर बाते करते हुए... पेस्ट्री और ब्रेड वगेरह खा रहे थे । विकी काउंटर की ओर देखता है तो एक बूढ़ी औरत वहां पर बैठी थी जो की स्मृति की नानी थी ऐसा उस फ़ाइल में लिखा था । विकी उनकी ओर कदम बढ़ाते हुए... कहता हैं ।


विकी: एकस्कयुज्मी... मैं स्मृति से मिल सकता हूं!? ।


नानी: वो अभी यहां नहीं है! तुम कौन!? ।


विकी: मैं... मैं..... ( सोचते हुए ) उसका दोस्त हूं! ।


नानी: अच्छा!? पहले तो कभी नहीं देखा तुम्हे और ना ही स्मृति ने कभी बताया तुम्हारे बारे में!? ।


विकी: वो... वो... मैं लंदन गया था..! पढ़ाई के लिए...! ।


नानी: अच्छा..! वह ( तभी आवाज आती हैं। ) ।


स्मृति: नानी... ( बेकरी में दाखिल होते हुए ) आप फिर से आ गई यहां मैने कहां था की पहले नाश्ता कर के दवाई खा.... ( जैसे ही वह विकी के बगल में आते हुए... विकी को देखती है..! तो उसके लफ्ज़ रुक जाते हैं। )


विकी: ( स्मृति की ओर देखते हुए ) हाय... ।


नानी: तुम्हारा दोस्त आया है...! तुम दोनो बात करो! तब तक मैं नाश्ता कर के आती हो! उसे कुछ नाश्ता करवा के भेज ना । ( इतना कहते ही वह लकड़ी के सहारे दूसरे दरवाजा खोलते हुए... चली जाती है। ) ।


स्मृति: ( संभालते हुए ) हेय..! तुम... तुम... यहां कैसे!? ।


विकी: ( गला साफ करते हुए ) तुम से कुछ बात करनी है! बैठ के बात कर सकते है.. क्या!? ।


स्मृति: ( बौखलाते हुए ) हां... हां क्यों नहीं! ।


विकी: ( नजदीक के टेबल पर बैठते हुए ) प्लीज सीट! ( हाथ के इशारे से स्मृति को सामने की चेयर पर बैठने को कहता है। ) ।


स्मृति: हा.... हां! ( बैठते हुए ) ।


विकी: ( गहरी सांस लेते हुए एक दफा स्मृति की ओर नजर डालता है... कुछ क्षण देखने के बाद कहता है। ) तो! मुझे पता नहीं मैं कहां से शुरू करु और कहां पर खतम करु... पर अभी मैं काफी नर्वस हूं तो तुम प्लीज... थोड़ा कंफर्टेबल होने की कोशिश करो... और एटलिस्ट नजर तो उठाओ... ताकि मैं बात कर सकू।


स्मृति: ( गहरी सांस लेते हुए...! अपना सिर उठाते हुए... विकी की ओर देखते हुए कहती हैं। ) तो... तुम यहां कैसे!? ।


विकी: कुछ सवाल थे जिसका जवाब सिर्फ तुम ही दे सकती हो! ।


स्मृति: सवाल!? ( आंखो को छोटी करते हुए पूछती है ।)।


विकी: ( स्मृति के हावभाव दिए वह बिल्कुल स्तुति की तरह थे.....। विकी वह देख ही रहा था की तभी स्मृति होठ को चबा रही थी! जो की स्तुति तब करती है... जब वह नर्वस हो या कोई अंजान इंसान से बात करनी पड़े तब । ) हां.... स्तुति के बारे में!? ।


स्मृति: ( विकी की ओर आंखे बड़ी करते हुए देखती है। जैसे मानो उसकी चोरी पकड़ी गई हो! ) स्तुति... वह कौन है!? ।


विकी: ( मुस्कुराते हुए स्मृति की ओर देख रहा था क्योंकि स्मृति का चेहरा बिल्कुल वैसे हावभाव दे रहा था जब स्तुति की चोरी पकड़ी जाए! ) स्तुति... मेरी फ्रेंड थी ... जो की कुछ साल पहले ये दुनिया छोड़कर जा चुकी है! लेकिन मुझे पता चला है की! ( जानबूझ कर रुकते हुए )।


स्मृति: की क्या!? ।


विकी: की तुम भी उसे जानती हो!? ।


स्मृति: ( बौखलाते हुए ) नहीं .. तो ऐसा किसने कहां ... तुम्हे मैने मैने तो यह नाम भी पहली बार सुना है और मैं तो पहली बार तुम्हे एयरपोर्ट मिली थी बस वही ।


विकी: तो फिर उस रात तुम्हारी बाते बिल्कुल स्तुति जैसी क्यों थी ... मानो जैसे खुद स्तुति बोल रही हो!? ।


स्मृति: ( गुस्से में ) क्या..! पागलपन है ये..! जब मैंने कहां की मैं नहीं जानती किसी स्तुति को तो तुम बार बार एक ही सवाल पूछ के क्या साबित करना चाहते हो!? ।


विकी: यहीं की तुम खुद स्तुति हो! ? ।


स्मृति: ( खड़े होते हुए आश्चर्य में विकी की ओर देखे जा रही थी । वह आंखे जपकाते हुए विकी को देख रही थी। और ना ही नजर घुमा पा रही थी और ना ही नजर मिला पा रही थी। )।


विकी: ( स्मृति के करीब जाते हुए ) तो क्या कहना है... तुमहारा इस बारे... ( कदम आगे बढ़ाते हुए...! ) ।


स्मृति: ( कदम पीछे लेते हुए ) देखो.... देखो मैने कह दिया ना... नहीं जानती मैं किसी भी स्तुति को... तो तुम क्यों परेशान कर रहे हो मुझे!? । और....


विकी: और क्या!? ।


स्तुति: और अगर तुम अभी नहीं गए तो... मैं चिल्लाकर सभी को कहूंगी कि तुम मेरे साथ बदतमीजी कर रहे हो!?।


विकी: ( हंसते हुए ) अच्छा तो फिर चिल्लाओ... पर ( आखिरी कदम आगे बढ़ाता है जिससे स्मृति काउंटर की वजह से और कहीं नहीं जा पाती और विकी उसके करीब जाते हुए कहता है। ) ( झुकते हुए धीरे से कान में कहता है। वह स्मृति के बालो की महक को महसूस करने के लिए गहरी सांस लेता है! बिल्कुल वही महक थी जो स्तुति के बालो में से आती थी।) आसपास देखो..! एक आदमी भी नहीं है! और तुम्हारी नानी को वैसे ही सुनने में दिक्कत है! सबसे बड़ी बात मैने दरवाजे पर क्लोज का बोर्ड लगा दिया है। तो अब बिना जवाब दिए तुम कहीं नहीं जा सकती।


स्मृति: ( आसपास देखती है तो कोई नहीं था... दरवाजे की ओर देखती हैं तो क्लोज का बोर्ड लगा हुआ था! और नानी के कमरे की ओर भी नजर जाती है तो..! ) ।


विकी: ( स्मृति का चेहरा उंगली से अपनी ओर करते हुए ) तो... जैसा कि तुम हमेशा करती हो..! मेरी बात पर भरोसा ना करना... अब सबकुछ कन्फर्म हो गया हो तो... अब कुछ बोलोगी!? ।


स्मृति: ( जीभ को होठ पर फेरते हुए खुद को कैसे बचाए यह सोच रही थी। ) मैने...! ।


विकी: ( स्मृति की हरकत की वजह से विकी की नजर एक पल के लिए...! उसके होठ पर ठहर जाती है..! लेकिन फिर गहरी सांस लेते हुए ) क्या!? ।


स्मृति: ( विकी की पकड़ में से खुद के चेहरे को छुड़वाते हुए ) मैने कहां ना..... ना ही मैं... किसी स्तुति को जानती हूं! और ना ही में स्तुति हू.... मेरा नाम स्मृति है।


विकी: ( विकी सोच ही रहा था कुछ लेकिन तभी स्मृति... उसको धक्का देते हुए दूसरी ओर से दरवाजे की ओर जाने की कोशिश करती है। लेकिन विकी करीब जाते हुए... काउंटर के एक तरफ हाथ रख देता है। तो स्तुति दूसरी और मुड़ती है । विकी दूसरी ओर भी हाथ रखते हुए... बिल्कुल करीब आ जाता है। तभी स्मृति लात मारने का सोच रही थी तो विकी कहता है। ) सोचना भी मत...! क्योंकि अभी जितनी थोड़ी बहुत दूरी है... वह भी नहीं रहेगी अगर तुमने ऐसा वैसा करने का सोच भी तो.... ।


स्मृति: (खखार निगलते हुए ) देखो... मैं सच में कुछ नहीं जानती... तुम्हे गलत फहमी हुई है।


विकी: ( मुस्कुराकर...झुकते हुए... स्मृति की आंखों में देखते हुए ) उस रात याद है! तुम्हारी बातों का लहजा!? ।


स्मृति: अरे! उस रात में! शराब के नशे में थी कुछ अनापशानप बोल दिया होगा!? और तो और उस रात किस... के अलावा कुछ हुआ भी नहीं था... हमने ज्यादा वक्त बिताया ही नहीं था । तो तुम उस छोटी सी मुलाकात के आधार पर कैसे कह सकते हो की मैं ही स्तुति हू! ।


विकी: ( एक पल के लिए तो स्मृति को बिना बोले गौर से देख रहा था! मानो जैसे कुछ सोच रहा था। फिर अचानक झुकते हुए .... स्मृति को किस करने लगता है! । स्मृति को आश्चर्य में... विकी की ओर देखते हुए... उसे धक्का देने वाली ही थी... लेकिन विकी उसके दोनो हाथ पीछे मोड़ते हुए उसे और भी अपने करीब कर लेता है!.. एक हाथ गर्दन पर रखते हुए... स्मृति को और भी करीब कसते हुए किस कर रहा था। स्मृति विकी की पकड़ में से छूटने के लिए.... बौखला रही थी । लेकिन विकी किसी भी कीमत पर उसे जाने नहीं देना चाहता था। जब दोनो की सांसे गहरी होने लगी और ऑक्सीजन की खपत महसूस हुई तब विकी ने स्मृति को अपनी पकड़ में से छोड़ते हुए थोड़ी दूरी बनाई..! । और जैसे ही विकी ने स्मृति के हाथ छोड़े...! तब स्मृति सीधा विकी को कस के एक तमाचा मारती है । जिससे विकी... मुस्कुराते हुए... उसकी ओर ही देख रहा था । स्मृति दूसरा तमाचा भी मारने वाली थी लेकिन विकी उसके हाथ को पकड़ते हुए... अपनी ओर खींचते हुए... धीरे से कहता है....! .


" आज के लिए इतना काफी है!... लेकिन मैं फिर से आऊंगा... जब तक तुम मान नहीं लेती की तुम स्तुति हो तब तक मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाला! सो बी रेड्डी! इस बार तुम कहीं भी नही। जा सकती । "

इतना कहते ही वह स्मृति के सिर पर किस करते हुए बेकरी से निकल जाता है।