Dard a ishq - 36 books and stories free download online pdf in Hindi

दर्द ए इश्क - 36

तान्या गुस्से में बैठी हुई थी.... । तभी रेहान उसे पानी का ग्लास देते हुए कहता है ।

रेहान: क्या हुआ वह आया क्यों नहीं!? ।
तान्या: वो आया था! पर अंदर आए बिना ही चला गया! ।
रेहान: लेकिन तुम बाहर खड़ी थी! फिर!? ।
तान्या: ( गुस्से में ) मैं उससे कुछ बात करती उससे पहले ही वह चला गया ।
स्मृति: गायस! कुल डाउन! कोई बात नहीं! आज नहीं तो कल आएगा तो यहीं! ।
तान्या: बात आने की नहीं है स्मृति बात है! प्लान! की आज अगर वह आ जाता तो! हमें आगे तुम्हे इन्वॉल्व नहीं करना पड़ता! ।
रेहान: कहीं उसे पता तो नहीं चल गया कि स्मृति स्तुति नहीं है! ।
तान्या: पता नहीं! जब मैंने उसे पूछा की वह यहां क्या कर रहा है! तो उसके हावभाव से लग रहा था जैसे कुछ हुआ हो उसे! मैने उसे रोकना तो चाहा पर वह रुका ही नहीं! ।
स्मृति: कोई नहीं! अब आगे क्या करना है उसके बारे में सोचते है! ।
रेहान: हम्म! अब क्या करेंगे! अगर वह तुमसे नहीं मिलेगा तो हम तुम्हे उससे मिलवाते है! लेकिन होगा तो वहीं जैसा हमने सोचा है!। ( गुस्से में ) ।
तान्या: राईट! हम स्मृति को ज्यादा शामिल नहीं कर सकते ये डेंजरस है! जितनी जल्दी विकी स्मृति से मिले हमारे लिए अच्छा है! ।
रेहान: डोंट वरी मैं कुछ न कुछ सोच के उसे स्मृति से मिलवा के ही रहूंगा! क्योंकि मैं उसकी शादी सुजैन के साथ तो किसी भी कीमत पर नहीं होने दे सकता! चाहे जो कुछ भी हो! ( टेबल पर से खड़े होते हुए ) ।
तान्या: हम्म्म! ( सोचते हुए ) ।
स्मृति: ठीक है फिर! ।
तान्या: ( स्मृति के हाथ पर हाथ रखते हुए ) थैंक यू तुम जो हमारे लिए कर रही हो! वह कोई अपना भी नही! करता....।
स्मृति: रेहान! ने मेरे लिए काफी कुछ किया है! और फिर तुम लॉग जो भी कर रहे हो मुझे पता है! कुछ गलत नहीं होगा! इतना भरोसा मुझे रेहान और तुम पर! ( तान्या के हाथ पर हाथ रखते हुए ) है! ।
तान्या: सच में थैंक यू! मैं चाहकर भी तुम्हारा एहसान नहीं चुका पाऊंगी! ।
स्मृति: चलो! फिर इसी बात पे! पेस्ट्री हो जाए! मेरी दादी सबसे बेस्ट पेस्ट्री बनाती है! मैं भी लेकर आई! ।
तान्या: ( मुस्कुराते हुए! सिर को हां में हिलाते हुए ) ।
रेहान: मैं अभी एक कॉल करके आया! ।
तान्या: हम्मम! ।

तान्या ऐसे ही मोबाइल में देख रही थी! की तभी वह मैसेज ओपन करके देखती है! । थोड़ी देर स्क्रोल करने के बाद एक कंपनी की ओर से मैसेज था! जब वह ओपन करती है! तो उसमें नोटिफिकेशन में लिखा हुआ था की उसके पुराने नंबर पर एक वाइस मैसेज आया हुआ है! । वह! देखती है! तो विकी का नंबर था! । वह थोड़ी देर तो! मैसेज को देखे जा रही थी! । उसे समझ नहीं आ रहा था की भला वह इतने सालों बाद उसे क्यों मैसेज भेजेगा! और कॉल भी!? । वह बस इसी खयालों में डूबी हुई थी की तभी रेहान उसे कहता है ।

रेहान: तान्या!? ( हड़बड़ाते हुए ) ।
तान्या: हां!? ।
रेहान: कहां खोई हुई हो! मैं कब से तुम्हे आवाज दे रहा हूं! ।
तान्या: ( मोबाइल! को लोक करते हुए ) कुछ नहीं! मैं कुछ सोच रही थी! ।
रेहान: चलो! अब हमें चलना चाहिए! हमारा ज्यादा देर यहां रहना ठीक नहीं है! ।
तान्या: ( उठते हुए ) हम्मम! ।
रेहान: लेट्स गो! ।

दोनों कुछ बात करते हुए शॉप से बाहर चले जाते है । स्मृति पेस्ट्री लेकर आई ही थी की वह दोनो को बाहर जाते हुए आवाज देती है लेकिन वह दोनो सुन नहीं पाते! और वहां से निकल जाते है।


विकी रात में! बालकनी में खड़ा था। वह किसी सोच में डूबा हुआ था । उसे पता ही नहीं था की सुलतान कब से उसके कमरे में खड़ा था । जब सुलतान उसे सिगरेट देते हुए कहता है ।

सुलतान: किस सोच में डूबे हो!? ।
विकी: ( खयालों में से बाहर आते हुए ) हां! कुछ नहीं बस ऐसे ही! ( सिगरेट पीते हुए ) ।
सुलतान: खैर! तो अब... क्या प्लान है! कब जा रहे हो उसे मिलने!?।
विकी: पता नहीं! कुछ सोचा नहीं अभी तक।
सुलतान: हम्म! मैं यूएस जा रहा हूं! ।
विकी: ऐसे अचानक क्यों!? ।
सुलतान: अचानक नहीं है! वैसे भी मेरा प्लान था ही जाने का और.... ! ।
विकी: और... शायद भाभी भी वहीं है!? ।
सुलतान: ( विकी की ओर देखते हुए ) तुम्हे कैसे पता चला!? ।
विकी: अब मैंने पहली बार द ग्रेट सुलतान मल्लिक को शरमाते हुए देखा है! तो जाहिर सी बात है! सिर्फ एक ही इंसान है! जो तुम पर काबू रखने की ताकत रखती है! वर्ना जान से ना मार डालो इस इंसान को जो तुम्हे काबू करने की कोशिश करे! ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) हहाहाहां...... पर मैने अभी तक उसे भी इतना हक नहीं दिया की वह मुझे काबू कर सके! हां कभी कभी मैं अजीब बर्ताब कर बैठता हूं उसकी वजह से पर उसके अलावा कुछ नहीं तो पहली बात गलत है हां दूसरी बात तुम्हारी सही है ।
विकी: ( सुलतान की पीठ थपथपाते हुए ) जल्द ही वह बात भी सच हो जाएगी क्योंकि जो मैं देख रहा हूं! उस हिसाब से बहुत जल्द तुम शेर में भीगी बिल्ली बनने वाले हो ! ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) सुलतान मल्लिक नाम है मेरा विक्रम ठाकुर तो तुम्हारे जैसा तो मैं बिल्कुल नहीं बनुगा..... देवदास कहीं के ।
विकी: हहाहहाहा.... देखते है! क्योंकि तुम आखिरकार मेरे वाले रास्ते पर ही आने वाले हो! तो खुद को तैयार कर लो! मेरे भाई ये सारी हेकड़ी मोहब्बत में निकल जाती है ।
सुलतान: आहा! अगर वह प्यार से मानी तो ठीक है और ना मानी तो भी चलेगा! पर रहेगी तो मेरे साथ ही! । मैं तुम्हारी तरह जाने नहीं देता और वह भला मना भी क्यों करेगी! आई मीन अच्छा दिखता हूं! पैसा हैं! दुनिया के सारे ऐशो आराम है और क्या चाहिए उसे!? इनफेक्ट वह खुशनसीब होगी जो सुलतान मल्लिक को भा गई है ।
विकी: ( जोर जोर से हंसते हुए ) यू आर डन.... ओह गॉड.... ( हंसी रोकते हुए ) ।
सुलतान: अब इसमें हंसने वाली कौन सी बात है!? ( मुंह बिगाड़ते हुए ) ।
विकी: बेटे! बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हो! अगर कभी हेल्प की जरूरत हो... तो पापा को कॉल कर लेना ( खुद की ओर उंगली करते हुए ) वैसे बहुत जल्द जरूरत पड़ेगी मेरी ।
सुलतान: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) तुम पागल हो गए हो! ।
विकी: हां हां! अभी तो ऐसा ही लगेगा।
सुलतान: ( चिढ़ते हुए ) व्हाट एवर! ।
विकी: सो... कब जा रहे हो... ।
सुलतान: बस चार दिन है! यहां कुछ काम है वह जैसे ही खतम होगा तो मैं सीधा यूएस।
विकी: ( गहरी सांस लेते हुए ) वेल! शुक्रिया... मेरी हेल्प करने के लिए ।
सुलतान: अबे.. चल चल ।
विकी: नहीं सच में यार! दिल से जितनी हेल्प तूमने की है उसका बदला तो में कभी भी नहीं चुका पाऊंगा।
सुलतान: या या..... और कुछ!? ।
विकी: अरे! यार आई एम... सीरियस.... तुम जानते हो स्तुति मेरे लिए कितनी इंपॉर्टेट है.... और..! ।
सुलतान: ( विकी की बात काटते हुए ) और तुम गधे हो जो उस लड़की के पीछे खुद को इतना जख्म दे रहे हो... खुदा कसम अगर वह तुम्हारे लिए इतनी खास ना होती तो कब का मैं उसका नामो निशान मिटा चुका होता... ।
विकी: आई नो आई नो... मिस्टर मल्लिक की तुम्हे वो पसंद नहीं है...! पर वो बुरी इंसान नहीं है.. बस भोली है यार दिल से सोचती है इस वजह से गुस्सा जल्दी हो जाती है ।
सुलतान: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) तुम आंखो पर पट्टी बांध कर घूम रहे हो... पर मैं अंधा नहीं हूं वह सबसे इडियट लड़की है जो तुम्हे पहचान नहीं पाई... आई मीन आज के जमाने में कौन इतना किसी भी लड़की के पीछे भागता है... तुमने उसे खुद से ज्यादा महत्व दिया है इसीलिए उसे तुम्हारी कद्र नहीं है ।
विकी: ( गहरी सांस लेते हुए ) फाइन फाइन... अब और बहस नहीं करते तुम.... तुम्हारा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ रहा है... ।
सुलतान: ( को आभास होता है की वह गुस्से में तमतमा रहा था ।) सॉरी.... तुम तो जानते ही हो...! ।
विकी: खैर.... चलो कहीं पर चलते है... मुझे भूख लग रही है.... ।
सुलतान: हां वैसे मेरा सिर फटा जा रहा है तो कॉफी पीने चलते है ।
विकी: यप लेट्स गो ।


सुलतान और विकी जा ही रही थे की तभी सुलतान का फोन बजता है... जिस वजह से वह विकी को कार पार्क में से निकालने के कहकर फोन पर बात करने चला जाता ।


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