हंसी के महा ठहाके - 6 - इश्क़ का चक्कर (समापन भाग) Dr Yogendra Kumar Pandey द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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हंसी के महा ठहाके - 6 - इश्क़ का चक्कर (समापन भाग)

भाग 6 इश्क़ का चक्कर समापन भाग

पार्क में हंसी खुशी का वातावरण है। मामी की फरमाइश के अनुसार मौजी मामा उन्हें एक - दो शेरो शायरी सुनाने की शुरुआत करने ही जा रहे थे कि अचानक मामी के मोबाइल पर किसी का कॉल आ गया।फोन उनके मायके से था। मामा समझ गए कि अब वे अगले 15 से 20 मिनटों तक वेटिंग में ही रहेंगे। बगल की बेंच पर बैठी हुई लड़कियों की आवाजें अब धीमी हो गई हैं।उनमें से एक ने मोबाइल को सेल्फी मोड में लिया और वे दोनों अजीबोगरीब मुख मुद्राएं बना कर सेल्फी लेने लगीं।इधर मामा ने मामी को पार्क के बेंच पर ही छोड़ा और उन्हें अपने टहलने का इशारा करते हुए आसपास चहल कदमी करने लगे।कुछ बच्चे इधर से उधर दौड़ रहे हैं।कुछ बच्चे झूले के पास खड़े हैं और अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं।अब बच्चे हैं कि वे पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़ने के नियम को कहां मानने वाले हैं। एक बच्चा झूले से उतरा नहीं कि एक साथ कई बच्चे मचल पड़ते हैं। बच्चों के बदले उनके अभिभावकों में तू -तू, मैं -मैं होने लगती है।

एक ने कहा - ओ भई! मेरे बच्चे का नंबर है,झूले में।

दूसरे ने कहा-अरे भाई साहब, आपका बच्चा बड़ा है।मेरा बच्चा इतना छोटा है। आप देख रहे हैं ।अब यह रोने लगेगा तो उसे चुप कराना मुश्किल हो जाएगा।

पहले ने कहा -अब मेरा बच्चा झूले पर नहीं बैठा तो यह पार्क को सिर में उठा लेगा।

दूसरे ने उसे सलाह देते हुए कहा-अब बच्चे को आप सिर चढ़ाएंगे,तो ऐसे ही होगा।

बात आगे बढ़ जाती,लेकिन एक खनकती हुई मधुर आवाज ने युद्ध शुरू होने से पहले ही युद्ध विराम करवा दिया:-

"क्या आप अपने बच्चे को लेकर उन झूलों की ओर जाएंगे? वहां और भी झूले लगे हैं। यू नो, मेरा बेबी इतनी दूर नहीं जा सकता है।"

यह दूसरे व्यक्ति की श्रीमती जी थी।नगर निगम ने इस पार्क के एक कोने में महिलाओं के लिए फिटनेस जिम भी बनवा दिया है।ये मोहतरमा वहीं से आ रही थीं। अब इस आवाज के जादू का असर तो होना ही था।

पहले व्यक्ति ने कहा, "ऑफकोर्स…. व्हाय नॉट?"

और मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति ने अपने बच्चे को पीछे किया जैसे युद्ध के मोर्चे में आगे बढ़ रहे टैंक को अचानक रास्ता बदलना पड़ जाए। यह देखकर मामा भी मुस्कुरा उठे। सोचने लगे यह होता है मीठी आवाज…. या यूं कहें…. मीठी आवाज वाली का जादू…..।

दूसरे व्यक्ति ने विजयी मुद्रा के साथ अपने बच्चे को आर्क स्विंग झूले पर इस तरह आरूढ़ किया, जैसे वह अपने बच्चे का राज्याभिषेक कर रहा हो।

मामा की चहलकदमी जारी थी।पार्क में सुंदर फूल खिले हैं।पार्क के दूसरे कोने में लगाए गए गुलाब,गेंदे,पेटुनिया और हेलबोर के फूलों की सुंदरता पर मामा मंत्रमुग्ध हो उठे।मामा ने वहां एक दो फोटो खींची।कई युवा- युगल इन फूलों के इर्द-गिर्द थे।उन्होंने मामा को प्रेस फोटोग्राफर समझ लिया और पीली शर्ट वाले एक युवक और उसके साथ अजीबोगरीब आधुनिक वस्त्र धारण किए एक युवती ने कैमरे से बचने की कोशिश की।मामा ने उन्हें झेंप से बचाने के लिए खुद ही फोन वापस अपनी जेब में रख लिया। मामा ने थोड़ी देर और चहलकदमी की तथा पार्क का पूरा एक चक्कर लगा लिया।अब वे पार्क के प्रवेश द्वार के पास वाली बेंच की ओर बढ़े।मामी अभी भी फोन पर व्यस्त थीं। बगल की बेंच पर दृश्य बदल गया था।दोनों में से वहां केवल एक लड़की बैठी थी।वहीं उस दूसरी लड़की के सामने

एक लड़का जमीन पर घुटनों के बल बैठ एक हाथ आगे बढ़ाकर उसे गुलाब का फूल दे रहा था। लड़की बड़ी अदा से उसे स्वीकार कर रही थी। पहली लड़की वहां से जा चुकी थी।शायद वह इस प्रेम कहानी में दाल भात में मूसलचंद या कबाब में हड्डी नहीं बनना चाहती थी।

अचानक मामा का माथा ठनका। उन्हें लगा इस लड़के को मैंने कहीं देखा है।उन्हें तुरंत याद आया।अभी थोड़ी देर पहले उस कोने में फूलों के पौधों के पास यही पीली शर्ट वाला लड़का एक दूसरी लड़की के साथ इश्क चर्चा में मशगूल था। मामा ने अपने फोन की ओर देखा।वहां खींची गई दो - तीन फोटो में से एक में यह लड़का भी दिखाई दे रहा था।अचानक उस लड़के ने मामा को देख लिया और इधर ही आता देखकर न जाने लड़की से क्या कहकर कुछ ही सेकंड के भीतर तेजी से वहां से खिसक गया।लड़की उसे जाते हुए देखती रह गई।

मौजी मामा को आते देखकर मामी ने फोन रखते हुए उन्हें बड़े मनुहार के साथ पास आने का इशारा किया।मामा ने मामी को रुकने का इशारा किया और सीधे बगल में उस लड़की के पास जा पहुंचे।लड़की सकपकाई।

मामा ने कहा - तुम्हारे साथ वाला वह लड़का कहां गया, यह तो नहीं पता,लेकिन कहां से आया था,यह तुम जानना चाहती हो?

उस लड़की के कुछ जवाब देने से पहले ही मामा ने अपने फोन में उसे तुरंत उस पीली शर्ट वाले लड़के की फोटो दिखाई, जिसमें वह किसी दूसरे लड़की के साथ था।

लड़की ने कहा - अंकल सॉरी, मुझे पता नहीं था वह इतना धोखेबाज है…और इस हद तक कि इसी पार्क में किसी दूसरे से मिल रहा है…

मामा ने समझाते हुए कहा-बेटी,प्रेम करने से अधिक जरूरी है इस उम्र में पढ़ाई - लिखाई और अपने पैरों पर खड़े होना।अन्यथा यह इश्क़ का चक्कर सोशल मीडिया के स्टेटस की तरह लगातार बदलते ही रहेगा…..।

(समाप्त)

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय