सात फेरे हम तेरे - भाग 42 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सात फेरे हम तेरे - भाग 42


सुबह सुबह विक्की,अतुल, बिमल चाय लेकर आ गए।
माया तैयार हो गई थी साड़ी पहनी थी माया। माया ने कहा देखो तो। विक्की ने कहा किसी की नजर न लगे।।


तभी विक्की का फोन बजा और कुछ देर बाद ही विक्की ने कहा अरे आज सागर जी नहीं आ रहें हैं।

माया ने कहा हां मुझे पता था किस मुंह से आएगा।
विक्की ने कहा अरे दीदी ऐसा नहीं है। चलिए हम आज फतेहपुर सीकरी चलते हैं।


फिर सब तैयार हो कर निकल गए।


फिर हम सब एक टैक्सी में बैठ गए और फिर निकल गए फतेहपुर सीकरी।

कुछ घंटे बाद ही हम वहां पहुंचे। फिर वहां पर एक दो गाइड थे जो सारी जानकारी दे रहे थे।

विक्की ने कहा हमे फिर से सारी बात बता दिजिए।

गाइड बोलने लगा।
नगर है जो कि मुगल सम्राट अकबर ने सन् 1571 में बसाया था। वर्तमान में यह आगरा जिला का एक नगरपालिका बोर्ड है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह यहाँ के मुगल साम्राज्य में अकबर के राज्य में 1571 से 1585 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही फिर इसे खाली कर दिया गया, शायद पानी की कमी के कारण। यह सिकरवार राजपूत राजा की रियासत थी जो बाद में इसके आसपास खेरागढ़ और मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में बस गए। फतेहपुर सीकरी मुसलिम वास्तुकला का सबसे अच्‍छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्‍का की मस्जिद की नकल है और इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्‍तुशिल्‍प से लिए गए हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार ५४ मीटर ऊँचा बुलंद दरवाजा है जिसका निर्माण १५७३ ई० में किया गया था। मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्‍ती की दरगाह है जहाँ नि:संतान महिलाएँ दुआ मांगी

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में फतेहपुर सीकरी एक शहर है। आगरा से पश्चिम दिशा में तक़रीबन 40 किमी दूर यह स्थान स्थित है। 1571 की साल में मुघल बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी को अपने मुगल साम्राज्य की राजधानी बनाया था। 1571 में स्थापित हुआ यह शहर 1585 की साल तक अकबर बादशाह के राज्य की राजधानी के रूप में कार्यरत रहा था। 1610 में पंजाब में हुए अभियान की वजह से अकबर ने यह शहर को छोड़ दिया।

मुघल बादशाह की राजधानी फतेहपुर सीकरी आज भी बादशाह ने बनाये कई किले के साथ अपनी प्राचीन धरोहर के साथ मौजूद है। जिसमे कई फोर्ट लुप्त होचुके है। तो कई आज भी अपनी प्राचीन अवस्था को उजागर करते हुए स्थित है। यह शहर अपने आप में बहुत ही बड़ा इतिहास लेके खड़ा है। यह शहर को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशो से भी कई यात्री देखें के लिए आया करते है। फतेहपुर सीकरी के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारा पूरा आर्टिकल पढ़े।

राज्य उत्तर प्रदेशकिले का नाम फतेहपुर सीकरी (fatehpur sikri fort)निकटतम नगर आगराfatehpur sikri was built byमुघल बादशाह अकबरऊंचाई 280 फुटकिले का प्रकार सांस्कृतिकता

अगर फतेहपुर सीकरी का इतिहास देखा जाये तो 16वीं शताब्दी में राणा सांगा को बाबर ने युद्ध में हराया था। और सीकरी गांव को देखने के बाद उन्हें यह स्थान के साथ बहुत लगाव होचुका था। और बाद में यही गांव को उसने शुकरी या शुक्रिया नाम दिया था। यह उसकी आत्मकथा बाबरनामा में लिखा मिलता है। बाबर ने यहाँ पर एक बगीचा बनवाया जिसका नाम “गार्डन ऑफ़ विक्टरी” रखा था। उस बाग में एक अष्टकोणीय मंडप का निर्माण करवा के बाबर वहा आराम और लेखन का कार्य करता था।

उसके नजदीक ही उन्होंने झील के केंद्र में बड़ा मंच का भी निर्माण करवाया था। बाबर के बाद मुग़ल बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी को अपने साम्राज्य की राजधानी बनाया था। और अपने अच्छे शासन से कई स्मारक खड़े किये थे। लेकिन पानी की कमी की वजह से परेशान होकर के राजधानी को आगरा का किला में बदल दिया गया था। ऐसा भी कहा जाता है। की कबर नि:संतान था इसीलिए उसने यह स्थान पर सूफी संत शेख सलीम चिश्‍ती से प्रार्थना यह स्थान से की थी।

गाइड ने कहा।

फतेहपुर सीकरी का नाम कैसे पड़ा –

आपको बतादे की यहाँ सीकरी गाँव पहलेसे ही स्थित था। लेकिन बाद में फतेहपुर नाम जुड़ा और फतेहपुर सीकरी बन चूका था। यह गांव में पहले से कई राजाओ ने अपना अधिपत्य जमाया था। लेकिन 1999-2000 की साल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई से पता चला की बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी के रूप में यहाँ कई स्मारक बनाये थे। जिसमे मंदिर, मस्जिद और कई वाणिज्यिक केंद्र शामिल थे। सीकरी गाँव में शेख सलीम का खानकाह पहले से बना हुआ है।

1569 में अकबर बादशाह के पुत्र जहाँगीर का यहाँ पर हुआ था। (fatehpur sikri was built by) उसी लिये अकबर ने शेख सलीम की याद में धार्मिक परिसर बनाया था। क्योकि उन्होंने ही जहांगीर के जन्म की भविष्यवाणी का प्रमाण भी दिया था। अपने बेटे के जन्मदिन के एक साल के बाद ही बादशाह ने शाही महल और चारदीवारी को बनाना शुरू किया। और 1573 में हुए गुजरात विजयी के बाद यह शहर को फतेहपुर सीकरी यानि “विजय का शहर” नाम दिया गया था।
आगे बोला।
अकबर ने फतेहपुर सीकरी को राजधानी से क्यों छोड़ा –

1610 में फतेहपुर सीकरी से बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को आगरा का किला में बदल दिया गया था। उसका मुख्य कारन यह था। की पानी की आवस्यकता था। क्योकि यहाँ पर पानी की जरुरत पूरी नहीं हुआ करती थी। कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है की बादशाह को यह शहर से रुचि कम हुई और उसने अपनी राजधानी को बदल दिया था। बादशाह ने जिस समय फतेहपुर को अपनी राजधानी उस वक्त लाल रंग के बलुआ पत्थरों से यह फोर्ट को बहुत अच्छे से बनवाया था।


फतेहपुर सीकरी में का प्रवेश शुल्क –

आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ फतेहपुर सीकरी गुमने के लिए जाते है। तो फतेहपुर सीकरी की जानकरी बताये यात्रियों के लिए। यहाँ घूमने के लिए कोई फीस नही रखी है।

अगर आप किसी स्थान पर गुमने के लिए जाते है। तो उसका शुरू और बंद होने का समय जरूर पता होना चाहिए। वैसे ही फतेहपुर सीकरी गुमने के लिए जाते है। तो timings of fatehpur sikri 24 घंटे यह शहर में आप बहुत आसानी से घूम सकते है।

फतेहपुर सीकरी के नजदीकी पर्यटक स्थल –

अगर आप फतेहपुर सीकरी में घूमने के लिए जाते है। तो आपको फतेहपुर सीकरी में पर्यटक स्थल की जानकारी होना बहुत जरुरी है। उस के आसपास पर्यटन स्थलों को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते रहते हैं। आपको बतादे की बादशाह अकबर कला का शौकीन व्यक्ति था। और जब से उसने फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाया तब से उस में कई इमारतों का निर्णाण कराया एव यहाँ के सभी स्मारक और मस्जिद स्थापत्य शैली में बनाये गए है।

इसके बाद हम यहां पहुंचे हैं। नैना ने कहा क्या शानदार जगह है।
दीवान ए खास फतेहपुर सीकरी स्थान जहाँ पर अकबर बादशाह अपने नौ रतनो के साथ राजनीतिक और अन्य चर्चा किया करते थे। इसीलिए यह बहुत ही महत्व पूर्ण क्षेत्र है। यहां सिर्फ खास लोगो ही पहुंच सकते थे। यह धरोहर किला परिसर में स्थित है। और उसमे अकबर का पैलेस विश्राम गृह, पंच महल व संगीत शिरोमणि तानसेन और बैजू बाबरा के राग छेडऩे का चबूतरा समेत कई भवन स्थित हैं।

दीवान-ए-आम में बादशाह सलामत अकबर जनता दरबार लगाया करते थे।

अपनी जनता की फरियाद और शिकायतों का यहाँ पर सुनते थे।

और उसका समाधान यहीं बैठकर करते थे।

गायन प्रतियोगिताओं के लिए उपयोग किये जाने वाला अनूप तलाव फतेहपुर सीकरी में घूमने की जगह है। यह बेहद खूबसूरत तालाब को आपको जरूर देखने चाहिए। तालाब के बीचों बीच एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है। जिसपर गायन हुआ करता ।

यह स्थान का निर्माण उस तरह किया गया है। की आपको यह हिरन के सींगों की तरह उभरे हुए पत्थर दिखाई देते है। हिरण मीनार इमारत की सजावट पत्थरो से की गई है। जो बहुत ही लाजवाब दिखाई देती है।

शेख सलीम का मकबरा निर्माण सफेद संगमरमर से हुआ है। यह स्थान शेख सलीम चिश्ती की दरगाह सलीम चिश्‍ती को समर्पित है। उसमे संत की कब्र है। मस्जिद के उत्तर में जामा मस्जिद के आंगन में सलीम चिश्ती का मकबरा में नि:संतान महिलाएँ दुआ मांगने आती हैं। और नक्काशीदार खिड़कियों की जालियो पर लाल धागे बांध कर मन्नत मांगकर जाते है।1581 में निर्मित दरगाह बड़ा ही आकर्षक है। लाखों लोग हर साल चिश्ती की मजार पर चादर चढ़ाने आते हैं

विक्की ने कहा चलो सब मिलकर धागा बांध लें।
नैना, माया और फिर अतुल बिमल भी धागा बांध दिया।
विक्की ने कहा जिसका भी मन्नत पूरी होने पर यहां आकर धागा खोलने का रिवाज भी है।
नैना ने कहा हां देखते हैं।

जोधाबाई भवन के उत्तर पश्चिमी दिशा में बीरबल भवन स्थित है। उसके बाहर एव अंदर की दीवारों पर मनमोहक और शानदार नक्कशि काम को देख सकते है। यह महल बादशाह के नवरत्न में सबसे प्रिय बीरबल को समर्पित है।

पैलेस में एक पाँच मंज़िला इमारत है। जिस का निर्माण बौद्ध विहार शैली मेंकरवाया गया है। फर्श को प्रत्येक स्तर पर जटिल नक्काशीदार है। एव 176 खंबो पर टिकी यह पांच मंजिला इमारत में अकबर बादशाह शाम का समय बिताता था। यह महल की हर मंजिला धीरे-धीरे आकार में घटता है। ऊपर की मंजिल एक बड़ी गुंबद जैसी छतरी की तरह दिखाई देता है। और उसका निर्माण महिलाओं के लिए करवाया था। उसकी पांचवी मंज़िल से दूर तक का नजारा दिखाए देता है। किला परिसर के पंचमहल को महिलाओं के विलास और मनोरंजन लिए उपयोग किया जाता था।

बादशाह अकबर ने अपनी हिंदू रानियो के लिए जोधाबाई का महल बनाया था ,यह महल में हिन्दू वास्तुकला दिखाई देती है। यह भी पैलेस के परिसर में स्थित है। यहाँ बादशाह की सभी हिंदू रानियां रहती थीं। यह महल जोधा बाई में आपको हिंदुओं और मुस्लिमों की शिल्पकला (fatehpur sikri architecture) का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।

फतेहपुर सीकरी फोर्ट के में परिसर में बनने वाली

पहली इमारत में जामा मस्जिद भी एक थी।

उसका अर्थ मण्डली की मस्जिद होता है।


ख्वाबगाह या ख्वाब महल जहाँ पर बादशाह सलामत अकबर शयन करते यानि सोते थे। और साथ में तानसेन एव बैजू बावरा का संगीत सुनते थे। यह महल अकबर का शयनकक्ष हुआ करता था। यह महल की दीवारें महान् चित्रकारों के कलाकृति से भरा हैं। उसमे कई कलाकृति बुल फजल की सूक्तियाँ अंकित है

buland darwaza fatehpur sikri को 1601 में बादशाह अकबर ने गुजरात विजय के बाद बनाया था। 176 फीट ऊंचा यह दरवाजा एशिया का सबसे ऊंचा दरवाजा है। यह दरवाजे पर कुरान की आयतों को बड़े अरबी अक्षरों में उकेरा गया है। यह भव्य दरवाजा शेख सलीम चिश्ती की दरगाह का प्रवेश द्वार है। उसके निर्माण कार्य में 12 साल लगे थे। और उसके केंद्र में शिलालेख अकबर के धार्मिकता का वर्णन मिलता है।

स्मारक नगरी फतेहपुर सीकरी में प्रवेश करते ही उसका द्वार दिखाई देता है। उसे आगरा गेट के नाम से पहचाहना जाता है। यात्री जब नगर में प्रवेश करते है। तो उसे पहले यही वैभवशाली स्मारक देखने को मिलता है। उसके निर्माण में दोनों ओर बहुत ऊंची और चौड़ी शाही दीवार बनाई है।

फतेहपुर सीकरी में रुकने के लिए होटल्स –

अगर आप फतेहपुर सीकरी और उसके नजदीकी प्रमुख पर्यटक स्थल में घूमने जाते है। तो आपको फ्रेंड्स और फैमली को ठहरने के लिए फतेहपुर सीकरी में कम बजट से लेकर लग्जरी बजट तक की सभी प्रकार की होटल्स और गेस्ट हॉउस उपलब्ध हैं। यहाँ स्थान पर पुरे साल भर पर्यटक आते हैं। अगर आप चाहते है। तो घर बैठे ही अपने ठहरने के लिए होटलों की प्री बुकिंग करा सकते हैं। कुछ होटल के नाम हम बताते है। जिन्हे आप बहुत
रेलवे से फतेहपुर सीकरी तक कैसे पहुँचे –

अगर आप फतेहपुर सीकरी जाने के लिए (Train) ट्रेन यानि रेलवे मार्ग को पसंद करते है। तो आपको बतादे की आगरा कैंट उसका सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह आगरा में स्थित और तक़रीबन शहर से 40 कि.मी दूर है। आगरा कैंट से पहले फतेहपुर सीकरी आता है। और यह रेलवे स्टेशन से भारतीय शहरों की ट्रेनें गुजरती रहती हैं। यहाँ से अवध एक्सप्रेस, हल्दीघाटी दर्रा, कर्नाटक एक्सप्रेस, झेलम एक्सप्रेस और पंजाब मेल जैसी कई सुपर-फास्ट और रूटीन ट्रेनें चलती हैं। वह स्थान से आप टैक्सी या बस की सहायता से फतेहपुर सीकरी पहुंच सकते है।

सड़क मार्ग से फतेहपुर सीकरी कैसे पहुँचे –

अगर आप फतेहपुर सीकरी जाने के लिए (Raod) सड़क मार्ग को पसंद करते है। तो आपको बतादे की दिल्ली से 210 और agra to fatehpur sikri 37 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम से कई बसें नियमित से संचालित होती रहती है। उसके अलावा वोल्वो एव डीलक्स बसों से फतेहपुर सीकरी जा सकते हैं। अपने अच्छे परिवहन मार्ग के कारन यात्री बहुत आसानी से फतेहपुर सीकरी पहुंच सकते है।

सपना था या हकीकत इतना अच्छा जगह से भला कोई वापस आएगा।

चलो अब चलते हैं।
क्रमशः