एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 11 ss ss द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • मुक्त - भाग 3

    --------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज...

  • Krick और Nakchadi - 1

    ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल काय...

  • आई कैन सी यू - 51

    कहानी में अब तक हम ने देखा के रोवन लूसी को अस्पताल ले गया था...

  • एग्जाम ड्यूटी - 2

    कॉलेज का वह कमरा छात्रों से भरा हुआ था। हर कोई अपनी परीक्षा...

  • प्रेम और युद्ध - 3

    अध्याय 3: आर्या की यात्रा जारी हैआर्या की यात्रा जारी थी, और...

श्रेणी
शेयर करे

एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 11


जब ये सब बाते सभी कर ही रहे थे कि उन्होंने देखा गांव वाले वापिस आ रहे थे। तभी शिवाय और करन अपनी जगह से उठे और उस बाबा को ढूढ़ने लगे। मुखिया जी ने कहा तुम दोनों किसे देख देख रहे हो बेटा। इसपे शिवाय ने कहा उन बाबा को जो हमे बताने वाले थे उस मझल के बारे में।
तभी उन्हें पीछे वो बूढ़े बाबा दिखे। वो दोनों बूढ़े बाबा कि तरफ़ा बढे और उनसे बोला बाबा हमे उस महल के बारे में जानना है। तभी सावी , रीया और समीर भी उनके पास आये।
इसपे बाबा ने कहा तुम सबको बड़ी जल्दी है , तुम सब शहर से आये हो तभी तुम्हे इतनी उत्सुकता है। तो ठीक है मेरे साथ चलो , तभी पीछे ये बाकि गांव वालो ने कहा बाबा हमे भी जानना है उस महल के बारे में , हमे भी नहीं पता उस महल के बारे में आखिर क्या हुआ था वहा ?
इसपे बाबा ने कहा ठीक है और वो जा के एक बरदगद के पेड़ के नीचे बैठ गए। बाकि सब उनके आस -पास बैठ गए।
फिर सबने बोला बाबा आप बताये आखिर क्या हुआ था ताकि हम अपने गांव को बचा सके।
बाबा ने बात शुरू करते हुए कहा - ये जो विशाल महल, जो खंडर बन चूका है ये पहले ऐसा नहीं था।ये बात हज़ारो सालो पुरानी है या यू कह ले राजा महाराज के वक़्त का , जब यहाँ राजा रहा करते थे।
ये महल बहुत भव्य और सुन्दर हुआ करता था। वहा रहने वाले सभी लोग भी बहुत खुश रहते थे। कहा जाता है इस महल के राजा राणादित्य प्रताप सिंह थे वो बहुत दयालू और सबका सम्मान करने वाले व्यक्ति थे , उनकी प्रजा भी उनका बहुत सम्मान करती थी और वो सबके आदरणीय थे क्यूकी राजा होने के बावजूद भी उनकी केवल एक ही पत्नी थी। जिनका नाम प्रेमावती था , जैसा उनका नाम था वैसे ही वो थी वो भी राजा की ही तरह सबका सम्मना और सबके प्रति दया भाव रखती थी और उनकी एक इकलौती बेटी रत्नावती जो महल की राजकुमारी थी लेकिन जब वो 4 साल कि थी तो उनकी माता , मतलब रानी प्रेमावाती कि मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु को ले कर भी ये स्पष्ट नहीं था कि उन्हें क्या हुआ था।
रानी की मृत्यु के बाद राजा और राजकुमारी अकेली रह गयी। पर क्यूकी वो राजा थे तो उन्हें अपने राज्य को भी देखना था इसलिए वो राजकुमारी के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पते थे। इसलिए सबने कहा - की राजा को दूसरी शादी कर लेनी चाहिए। लेकिन राजा दूसरी शादी नहीं करना चाहते थे पर क्यूकी राजकुमारी सिर्फ 4 साल थी तो उन्हें माँ कि जरुआत थी , इसलिए राजा दूसरी शादी के लिए तैयार हो गए। उनकी दूसरी पत्नी का नाम मायावती था ,जो एक साल पहले ही महारानी की मित्र बनकर महल में आई थी और वो पहली रानी की तरह बिल्कुल नहीं थी । बाकी किसी को उनके बारे में नही पता कि वो कहा से आयी थी और कौन थी।माया से राजा को एक बेटा हुआ। जिसका नाम वसुआदित्य रखा गया था।
ऐसे ही कुछ साल बीत गए ,वसुआदित्य और राजकुमारी अब बड़े हो चुके थे।अब राजकुमारी 24 साल की हो चुकी थी, वही वसुआदित्य उनसे छोटे थे और 20 साल के थे।
वासुआदित्य को सभी वासु कह के पुकारते थे। बेशक वासु राजा का बेटा था लेकिन वो महाराज कि तरह बिल्कुल नहीं था। ना वो राजा कि तरह सबका सम्मान करने वाला था और ना ही दयालू। बल्कि वो तो अय्यास था और उसे राजकुमार होने का बहुत घमंड था , जो काम कभी राजा नहीं किये वो सारे गलत काम उनके बेटे ने कर दिए थे। वो सबको यही कहता था वो ही राज्य का अगला महाराज है। नहीं वो किसी का सम्मान करता था।वही राजकुमारी बिल्कुल अपनी माता कि छवि थी उन्ही की तरह दयालु और सबका आदर करने वाली। क्यूकी वो बचपन में ही अपनी माँ को खो चुकी थी तो सभी उनसे बहुत प्यार करते थे और महल कि सभी दास दासिया हमेशा उनके आस - पास रहते थे ताकि राजकुमारी को कोई परेशानी ना हो। राजकुमारी भी सभी को सम्मान देती थी और अपने से बड़ो का आदर करना उन्हें अच्छे से आता था। वो युद्ध करने में भी बहुत कुशल थी। राजकुमारी को प्यार से सब एकजा कहते थे। ये नाम सुनते ही शिवाय ने ये नाम दुबारा दोहराया "एकजा "।
बाकि लोग भी ये नाम सुनके सब हैरान रह गए। और बाबा से पूछने लगे बाबा ये तो वही नाम है जो अक्सर उस महल से सुनाई देता है।
तभी शिवाय ने कहा -वासु आदित्य का वासु तो समझ आता है लेकिन राजकुमारी का इतना अलग नाम कैसे ? इसपे बाबा ने उत्तर देते हुए कहा राजकुमारी का नाम ही सिर्फ अलग नहीं था वो भी सबसे अलग थी। यहाँ तक की वो हर राज्य में एक चर्चा का विषय थी ?
ये बोलके बाबा चुप हो गए।
तभी शिवाय ने पूछा क्यू बाबा , वो इतनी चर्चा में क्यू थी ?वहा बैठे सभी ये बात जानना चाहते थे क्यूकी किसी को उस राजकुमारी के बारे में कुछ नहीं पता था।
इसपे सावी जो इतनी देर से चुप - चाप बैठी थी वो बोली क्यूकी वो बहुत सुन्दर थीऔर .........
ये सुनते ही सब सावी कि तरफ सवालिया नज़रो से देखने लगे।सावी इससे आगे कुछ कहती तभी उसने लोगो की नज़रो को अपने ऊपर महसूस किया और बात सँभालने कि कोशिश करते हुए बोली लड़किया अपनी खूबसूरती के लिए ही तो फेमस होती है ये तो आम बात है। तभी रीया ने भी हां में हां मिलाते हुए कहा हां सावी बात तो सही कह रही।
तभी बाबा ने कहा नहीं ऐसा नहीं है। ये सुनके सब हैरान रह गए , सब अपना - अपना अंदाजा लगा रहे थे तभी बाबा ने अपनी बात को आगे बताते हुए कहा - सुन्दर तो थी वो इसमें कोई शक नहीं क्यूकी वो प्रेमावती की पुत्री थी ,जो किसी अप्सरा से कम नहीं थी। इसलिए राजकुमारी भी किसी अप्सरा की तरह थी।
लेकिन राजकुमारी आम राजकुमारियों की तरह नहीं थी वो सबसे अलग थी।
इसपे रीया ने तपाक से बाबा से पूछा क्या अलग थी ?
इसपे समीर ने कहा तू चुप होगी तब ना बाबा कुछ बता पाएंगे। ये सुनके रीया समीर कि तरफ गुस्से से देखने लगी।
तभी बाबा ने कहा तुम सब चुप हो जाओ।
बाबा के ये बोलते ही सब शांत हो गए और बाबा कि तरफ देखने लगे। आखिर क्या था अलग उस राजकुमारी में ?
जानेगे आगे की कहानी में।
आखिर क्या हुआ आगे ?
क्या महल का राज जान पाएंगे शिवाय और उसके दोस्त ?
जानने के लिए पढ़ते रहे -"एकजा "