चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 19 Parveen Negi द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 19

कहानी का भाग 19

राजकुमारी मोहनी, इस वक्त भरे दरबार में खड़ी थी उसके चेहरे पर क्रोध के भाव नजर आ रहे थे।

अब सभा में एक और युवक ने कदम रखा था एक तरफ खड़े संतरी ने ऊंची आवाज में उस युवक का नाम पुकारा था।

"राजकुमार बली सभा में पधार रहे हैं"',

अब सभी का ध्यान उस राजकुमार बली की तरफ चला गया था जिससे चेहरे पर भी तनाव की रेखाएं साफ नजर आ रही थी।

राजकुमार बली सभा में आते ही एक नजर पहले अपनी बहन मोहनी की तरफ देखता है और फिर महाराज को हाथ जोड़कर प्रणाम करता है।

महाराज शूरवीर ,,"" राजकुमार, देखो तुम्हारा भाई तुम्हारी इस विद्रोही बहन मोहिनी को पकड़कर ले आया है ,,"""

राजकुमार बली अपनी बहन के लिए आंखों में नफरत का भाव लाते हुए,,'यह तो बहुत अच्छा हुआ, अब इसे कठोर दंड दीजिए महाराज,,"

राजकुमार सिंघम अपनी जगह से खड़े होते हुए ,,""ठीक कह रहे हो भाई,, मैं भी यही चाहता हूं पर पिताजी तो इस पर जाने क्यों अपनी करुणा दिखा रहे हैं "",,,और अपनी तलवार तो आधा म्यान से निकालकर बड़ी जोर से दोबारा उसे म्यान में डालता है,।

राजकुमार बली ,,""सिंघम क्या कह रहा है महाराज, क्या आप इसे क्षमा करने का विचार बना रहे हैं,,,,"'

महाराज शूरवीर बड़े जोर से हंसते हुए ,,""नहीं ऐसा कुछ नहीं है इस राजकुमारी मोहिनी ने हमारे विरुद्ध जाकर जनता को हमारे खिलाफ भड़काया है,, इसका दंड इसे अवश्य मिलेगा,, पर तुम्हें जिस काम के लिए भेजा था उसका क्या हुआ,,""'

राजकुमार बली सिर झुकाते हुए,," पिताश्री अहंकारा राज्य के पूर्वी इलाके में इस मोहनी ने जो विद्रोह को जन्म दे दिया था,, मैं उसे पूरी तरह से कुचल कर आ गया हूं वहां अब चारों तरफ शांति है और उस क्षेत्र में हमारा दोबारा से प्रभुत्व स्थापित हो गया है"",,,,,

राजकुमारी मोहिनी अब यह सुनते ही गुस्से से उबल पड़ी थी,,, नहीं ,,ऐसा नहीं हो सकता है तुम वहां की निर्दोष जनता पर अत्याचार नहीं कर सकते हो बली,,"""

राजकुमार बली ,,"तो तुम्हें क्या लगता है मोहनी तुम अकेली इस साम्राज्य के ऊपर अपना अधिपत्य स्थापित कर लोगी,,""''

राजकुमारी मोहनी,,, मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है मैं तो चाहती हूं कि यहां के हर प्रजा वासी को उचित न्याय मिले उचित कार्य मिले ,अनुचित कर ना लगाए जाएं,,"""

महाराज शूरवीर ,,,राज्य में क्या होना है तुम इसकी फिकर मत करो,, और हां अब हमे पूर्ण रूप से सत्य बता दो आगे तुम्हारा क्या विचार है,, क्या तुम अभी भी अपने कार्य को जारी रखोगी या फिर,,,,,,,",

राजकुमारी मोहिनी अपने पिता की बात काटते हुए """आपको क्या लगता है मैं पीछे हट जाऊंगी, मैं भी आपकी ही बैटी हूं पिताजी और जो मुझे सही लगेगा मैं अपनी अंतिम सांस तक वही कार्य करूंगी"",,,

महाराज शूरवीर अब एक गहरी सांस लेते हैं और अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, ""आखिर तुम क्या चाहती हो पुत्री तुम हमारी बात मान क्यों नहीं लेती,,,,,

""आज मुझे अफसोस हो रहा है कि क्यों मैंने तुम्हें शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया,, अच्छा होता मैं ऐसा ना करता और किसी राजकुमार से तुम्हारा विवाह कर देता,,"""

राजकुमार सिंघम ,,''आप क्यों इसके प्रति इतना भावुक हो रहे हैं पिताजी,, मुझे आदेश दीजिए हमारे साम्राज्य के खिलाफ जाने वाले हर व्यक्ति को हम जो सजा देते हैं वही सजा मैं इसे पल भर में दे देता हूं,,""""

राजकुमारी मोहिनी,,"" जो दंड देना है दीजिए मैं बिल्कुल निर्भयई हूं'',,,

महाराज शूरवीर अब अपनी पुत्री की तरफ देखते हैं और ""ले जाओ इससे और हमारे कारागार में डाल दो"",,,

राजकुमार बली,,"" यह क्या है पिताश्री सिर्फ इतनी सी सजा ,,इससे तो हमारे साम्राज्य में गलत प्रभाव जाएगा हमारे खिलाफ खड़े होने वाले हर व्यक्ति को हमने अभी तक मौत दी है इसे भी यही सजा दी जाए,,"''

महाराज शुरवीर,," चुप करो मैंने जो फैसला लिया है वही उचित है',,,,'

सैनिक अब आगे आ गए थे और सिर झुकाकर वे राजकुमारी मोहिनी को पकड़कर वहां से ले गए थे,,,,,

महाराज अब अपनी जगह से खड़े होते हैं और,,'" दक्षिणी क्षेत्र में उस चुड़ैल तापसी का कहर बढ़ता जा रहा है उसे रोकने के लिए कुछ करो राजकुमार बली,, सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेवारी तुम्हारे ऊपर है,,"''''

राजकुमार बली ,,"आप निश्चिंत रहिए पिताश्री वह चुड़ैल तापसी कभी भी अपने क्षेत्र से बाहर नहीं आ पाएगी'',,,,

महाराज शूरवीर,," और तुम राजकुमार सिंघम युवराज जलज से मित्रता करने की कोशिश करो ,क्योंकि अगर वह हमारे मित्र रहे तो कोई भी शत्रु इतनी आसानी से हमारे ऊपर आक्रमण करने की कोशिश नहीं करेगा,,""""

राजकुमार सिंघम ,,"मैं कोशिश कर रहा हूं पिताश्री पर वह युवराज जलज बेहद अभिमानी है उसे अपनी शक्तियों पर बेहद अहंकार है',,,,

महाराज शुरवीर ,,""शक्तियों के मामले में तुम भी कोई कम नहीं हो ,,जाओ जैसे भी करो इस कार्य में तुम्हें सफल होना है,, बहुत से शत्रुओं की निगाह हमारे साम्राज्य पर हैं,,"'''

अब दोनों राजकुमार अपने पिता को प्रणाम करके राजसभा से बाहर निकल आए थे और एक तरफ को एक साथ आगे बढ़ गए थे,,,,

बली,," चलो भाई भोजन कर लेते हैं उसके बाद आज एक साथ आखेट करने चलेंगे",,,

सिंघम ,,,""ठीक है भाई,, बहुत समय से हमने साथ समय व्यतीत नहीं किया है कुछ समय हम साथ व्यतीत करेंगे,,""""

बलि,," पर मुझे इस बात का अफसोस है कि पिताजी ने मोहनी को जीवित छोड़ दिया ,,काश वह उसे मृत्युदंड दे देते तो काफी अच्छा था ,,इससे प्रजा का जो मनोबल बड़ा था वह टूट जाता,,""

राजकुमार बली,," ठीक कह रहे हो ,,जब तक राजकुमारी जीवित रहेगी प्रजा को उससे आशा लगी रहेगी,,''''

राजकुमार सिंघम चेहरे पर मुस्कान लाते हुए और यह मुस्कान बेहद घातक थी ,,""क्यों ना हम अपने तरीके से मोहनी का अंत करवा दें ,,हमारे लिए यह काम ज्यादा मुश्किल नहीं है,,''',

राजकुमार बलि ,,'पर वह तो पिताजी के सुरक्षित कारागार में है, वहां हम उसे कैसे मरवा सकते हैं और अगर पिताजी को पता लग गया तो वे नाराज भी हो सकते हैं,,""'

राजकुमार सिंघम,,, पता लग जाएगा तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा,, पिताजी हम दोनों को कोई दंड नहीं दे सकते हैं ,,क्योंकि हमारे ही बदौलत यह साम्राज्य एक बड़ी शक्ति बना हुआ है,,'""

अब यह दोनों भोजन कक्ष में आ गए थे और आराम से भोजन करने लगे थे,, तरह-तरह के व्यंजन इनके सामने परोसे जा रहे थे,, बीसीयो दासी इनकी सेवा में उपस्थित थी,,,

और तभी एक सुरीली आवाज में सिंघम का ध्यान अपनी तरफ खींचा था

क्रमशः

क्या राजकुमारी कारागार से बाहर आप आएगी,,, आएगी तो कैसे ,,जानने के लिए बने रहे