सात फेरे हम तेरे - भाग 32 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सात फेरे हम तेरे - भाग 32

फिर एक खामोशी छा गई थी। आगे से विक्की ने कहा अरे दीदी क्या बात है इतना सन्नाटा क्यों है जैसे हम क्लास में बैठे हैं।

माया ने कहा अरे नहीं कुछ नहीं हुआ। कब पहुंचेंगे।

बिमल ने कहा बस अभी कुछ देर में।

बस भी गाड़ी रैडिसन ब्लू होटल पश्चिम बिहार में रुक गई।सब उतर आए और वेटर ने सामान निकाला।


विक्की बार बार नैना को देख रहा था कि कुछ बोले।पर नैना एक दम खामोश हो गई थी।
माया ने भी कुछ नहीं कहा।

सब अपने अपने कमरे में जाकर फ्रेश होने लगें।
माया ने नैना को समझाया कि मुड ठीक करो। फिर सब मिलकर नीचे खाना खाने पहुंच गए।
विक्की ने कहा खाना मंगवाया।


दाल फ्राई, सब्जी, भाजी, चावल, पापड़ खाने लगे।विमल और अतुल तो खाने पड़ टूट पड़े।
खाना खाने के बाद तीनों दोस्त लम्बी वाक् करने लगे।

माया और नैना सोने चले गए।

कुछ देर बाद माया का फोन बजा तो देखा कि विक्की का फोन था। माया ने कहा हां बोलो।
विक्की ने कहा कि कल हमें जल्दी निकलना होगा।बस में जाएंगे।
माया ने कहा हां ठीक है सब मिलते हैं कल।

माया भी सो गई।
दूसरे दिन सुबह की पहली चाय के साथ तीनों माया के कमरे में पहुंच गए।सब एक साथ मिलकर चाय पीने लगे। बहुत ही खुशनुमा पल था वो।।

फिर सभी तैयार होकर नाश्ता करने लगे।

माया ने कहा बहुत ही अच्छी जगह है। थैंक यू।।।


फिर सभी एसी बस में बैठ गई। माया और नैना बस में एक साथ बैठ गई। माया ने पूछा क्या हम डंडियां गेट जाएंगे।

विक्की ने कहा हां पहले हम इंडिया गेट जाएंगे।

दो बार होल्ट करने के बाद हमारी बस इंडिया गेट के सामने जाकर रुक गई।
सभी यात्रियों ने निवेदन है कि समय से पहले ही यहां पर आ जाए।

फिर सभी जाने लगें। प्रवेश द्वार पर ही टिकट लेकर अन्दर पहुंच गए।
वहां पर एक गाइड भी था जो हमें तरह-तरह की जानकारी दे रहा था।

सभी को नमस्ते, आकाशीय आकाशवाणी, दुनिया में सबसे अधिक प्रसारित होने वाले मौसम में से, आधुनिक आधुनिकता का एक मिक्सी है,
इंडिया गेट भारत के प्रसिद्ध इमारतों में से एक माना जाता है जिसे ‘अखिल भारतीय युद्ध स्मारक’ के नाम से भी जाना जाता है जब भी दिल्ली की बात होती है तो कही न कही इंडिया गेट का नाम हमारे दिमाग में जरुर आता है

दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित इंडिया गेट का निर्माण वर्ष 1931 में उन 90000 शहीदों की याद में करवाया गया था जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी इंडिया गेट के परिसर में स्थित अमर जवान ज्योति जो लगातार 1971 से जल रही है|

शाम के वक्त इंडिया गेट की लाइटिंग देखने लायक होती है जिसे आपको मिस नही करना चाहिए और ये बिलकुल फ्री है हर साल इंडिया गेट 26 जनवरी के परेड की मेजबानी करता है और इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री भी उपस्थित रहते हैं

माया ने कहा अरे बार शाम को आएंगे। विक्की ने कहा हां ठीक है। चलिए फोटो लेते हैं।
फिर सब मिलकर फोटो लेने लगें।

फिर सब जाकर बस में बैठ गए। फिर बस निकल पड़ी। विक्की ने बुक चेक करके बताया कि अब आधे घंटे में क़ुतुब मीनार पहुंच जाएंगे।

फिर सभी बहुत उत्सुक हो रहें थे।

फिर बस सीधे कुतुब मीनार पर रूक गया।

विक्की ने कहा वाह क्या जगह बनाया है।
फिर सभी अन्दर जाने लगें।

वहां पर एक,दो गाइड भी था जो सारी सूचनाएं दे रहा था।


वहां एक माइक लेकर बोलना शुरू किया।
क़ुतुब मीनार की गिनती दुनिया की सबसे ऊँची मीनारों में की जाती है जो दक्षिण दिल्ली में महरौली नामक स्थान पर स्थित एक प्राचीन ईमारत है जिसके निर्माण कार्य की शुरुआत वर्ष 1192 ईस्वी में क़ुतुब “उद-दीन-एबक” द्वारा किया गया था

बाद में कई शासको ने इसे अपने अपने शासन काल में पूरा करवाया था इस मीनार की कुल ऊंचाई लगभग 72.5 मीटर है और ये दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा स्मारक है इस स्थान पर क़ुतुब मीनार के अलावा भी कई और एतिहासिक इमारते है

जिसमे आयरन पिलर और अलाई दरवाज़ा काफी सुंदर है इसे यूनेस्को द्वारा ‘वर्ल्ड हेरिटेज साईट ‘का दर्जा दिया गया है

यहां तक के बाद सब एक जगह नाश्ता करने बैठ गए।
कचौड़ी सब्जी जलेबी सब लोग खा रहे थे।

विक्की ने कहा अब शायद लोटस् टेम्पल जाएंगे।


सब बस में बैठ गए। माया और नैना थोड़ा बहुत अपना मेकअप किट से टच अप दे दिया।

एक घंटे बाद सब लोटस टैम्पल पर पहुंच गए।


नैना ने कहा मैं थक गई हूं।
विक्की ने कहा चलो अन्दर बहुत ही शुकुन मिलेगा।

गाइड सब कुछ बता रहा था।
दिल्ली का प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल लोटस टेम्पल
दिल्ली के प्रमुख आकर्षणों में से एक लोटस टेम्पल एक सफ़ेद कमल के फूल के समान दिखता है जो दिल्ली के नेहरु प्लेस में स्थित है इस खुबसूरत मंदिर का निर्माण वर्ष 1986 में करवाया गया था इसका वास्तुकार एक कनाडाई व्यक्ति था जिसका नाम फारिवोज साहबा था|
लेकिन जानने वाली बात यह है की इस मंदिर के अंदर न तो कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार की पूजा पाठ होती है क्योंकि यह एक बहाई उपासना मंदिर है|

इसके बाद थोड़ा लम्बा सफर रहेगा। लंच ब्रेक के बाद ही वहां पहुंच जाएंगे।

सब एक बड़े से रेस्तरां में जाकर बैठ गए। सब फ्रेश होकर आ गए।
माया ने कहा दाल चावल पापड़ दही, भाजी ये सब खाते हैं।

अतुल ने कहा हां ठीक है। विक्की ने ये सब खाना मंगवाया।

नैना ने कहा अरे विक्की आप भी ये सब खाएंगे?

विक्की ने कहा हां क्यों नहीं मुझे ये सब पसंद है।

माया ने कहा निलेश को भी ये सब पसंद था। भगवान ने शायद कुछ सही किया होगा।

गर्म गर्म खाना आ चुका था।

सब बस खाते गए खाते गए।

फिर वहां से बस में बैठ गए।

अब बस स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर जाएगा। यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है।समय तो लगेगा।

अच्छा ठीक है पर रात को कहा रूकना होगा।।
विक्की ने कहा वहां पर ही एक होटल बुकिंग है। माया ने कहा अच्छा ठीक है फिर।
अतुल ने कहा फिर दूसरे दिन सुबह वापस आ जाएंगे।


विक्की ने कहा हां फिर दोनों दिन आराम करेंगे और फिर घुमाना।।

दिल्ली का प्रसिद्ध धार्मिक मंदिर स्वामीनारायण अक्षरधाम मन्दिर पहुंचने में दो घंटे लगेंगे।।

फिर सभी वहां पहुंच गए।गेट पर ही टिकट बुक करा लिया गया और फिर अन्दर पहुंच गए।

माया ने कहा बहुत सालों से मेरी इच्छा थी कि मैं यहां पर आऊ। विक्की ने कहा हां शायद भगवान यही चाहते हैं।

अन्दर गाइड भी था और फिर वो बताना शुरू किया।
स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर दिल्ली में यमुना नदी के तट पर स्थित्त एक विशाल हिन्दू मंदिर है जिसकी स्थापना 6 नवम्बर 2005 को की गई थी जहाँ मंदिर के अंदर भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति स्थापित है

यह मंदिर भारतीय संस्कृति और क्लाकिर्तियों को दर्शाता है तथा यह दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है ये इतना विशाल है की इसमें कुल 234 पिल्लर, 9 गुम्बद और करीब 20000 साधुओं और आचार्य की मूर्तियाँ है

इसके अलावा मंदिर में कुल 148 हाथी बनाये गये है इस मंदिर का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी शामिल है|


अगर आप अपने परिवार के साथ दिल्ली आये है तो कृप्या इस भव्य मंदिर को देखने जरुर जाये शाम के समय यहाँ वाटर और लाइट शो भी होतें है जिसमे एक इंसान के पैदा होने से मृत्यु तक के जीवन काल को पानी और रौशनी के अदभुत मिलाप से दशाया जाता है


अतुल ने कहा बाप रे ये गाइड भी ना क्या काम होता है।
नैना ने कहा हां कितना मेहनत भी करते हैं।


कमश: