कहानी का भाग 17
तांत्रिक शक्ति जो आधुनिक दुनिया से अहंकारा साम्राज्य में आ पहुंचा था 1000 साल पीछे,,, और इस वक्त अपने चारों साथियों के साथ एक तांत्रिक हवन की शुरुआत कर चुका था।
दूसरी तरफ
विष्णु और शंकर जो अपने आप को बचाने के लिए नदी में जपकर गए थे और तैरते हुए काफी दूर निकल आए थे इनकी किस्मत अच्छी थी जो किसी भी जलीय जीव ने इन पर अभी तक हमला नहीं किया था।
एक सुरक्षित स्थान देखकर यह दोनों अब पानी से बाहर निकल आए थे और रेत पर जा लेटे थे ,,
विष्णु ,,,""मैं तो काफी थक गया हूं अब तो मुझ में चलने तक की हिम्मत नहीं बची है"",,
शंकर,," मेरी भी ऐसी ही हालत है भाई, कई किलोमीटर तैर कर हमारी हालत खराब हो गई है,, पर शुक्र है हमारी जान बच गई,,
,,"' शायद अभी तक तो उस लड़की को मार दिया गया होगा"'' और फिर उस लड़की को याद कर के चेहरे पर निराशा के भाव ले आया था,,,
"''कितनी खूबसूरत थी वह लड़की , उसका चेहरा तो मेरे दिल में बस गया है"",,
विष्णु अब बैठते हुए ,पर उसकी दोनों हथेलियां पीछे रेत में धंसी हुई थी,,"" कमाल है ऐसी जगह बैठ कर भी तू उस लड़की के बारे में सोच रहा है हमें तो यहां से निकलने के बारे में सोचना चाहिए"",,
शंकर ,""ठीक कह रहे हो भाई फिर तो हमें अपनी यह थकान भूलनी पड़ेगी,,"""
विष्णु जो अब नदी की तरफ देख रहा था उसे अब नदी के पानी में तेज हलचल होती महसूस होने लगी थी,, उसकी धारा कई बार ऊंची उठ रही थी,,,,
""नदी का पानी बढ़ रहा है क्या मुझे ऐसा ही लग रहा है""
शंकर ,"क्या कह रहे हो,, ऐसा तो कुछ भी नहीं है बस लहरें ऊंची उठ रही हैं"",,
विष्णु को अब ऐसा महसूस हुआ था जैसे उसके हाथ जमीन पर धस गए हो,।
वह अब एकदम से सीधा हुआ था और अपने पैरों पर खड़ा हो गया था,, इसी के साथ उसके पैर भी अब कुछ इंच नीचे चले गए थे, और वह अगले ही पल समझ गया था कि वे दलदली जमीन पर है,।
विष्णु ,,''हम दलदल के ऊपर हैं शंकर भाई और हमारा शरीर अब नीचे जा रहा है"',,
शंकर भी अब तेजी से खड़ा हुआ था और उसके पैर भी नीचे की तरफ जाने लगे थे।
""भागो यहां से",,,, और यह दोनों तेजी से घने पेड़ों की तरफ भाग निकले थे।
पर उसी वक्त नदी से निकले एक जलीय जीव ने तेजी से अपने हाथ आगे बढ़ाकर इन दोनों के पैरों को पकड़ लिया था।।
शंकर और विष्णु का चेहरा रेत पर आ लगा था और उन्होंने तेजी से पलट कर पीछे की तरफ देखा था,, जहां स्टार फिश जैसी बड़ी मछली इन्हें वापस नदी की तरफ खींच रही थी।
शंकर और विष्णु बड़ी जोर से चिल्ला उठे थे और अपने आप को बचाने की कोशिश करने लगे थे इन्होंने एक दूसरे का हाथ पकड़ लिया था और दूसरे हाथ से नदी के किनारे लगी हुई बड़ी घास को पकड़ने की कोशिश करने लगे थे।
पर जैसे ही यह उस घास को पकड़ते ,,वह घास भी अपनी जगह से उखड़ जाती और इस चक्कर में अब शंकर के हाथ पत्थर आ गया था और उसने उसे उस बड़ी स्टार फिश के चेहरे की तरफ फेंक दिया था,,।
पत्थर सीधा जाकर उसके बड़े से सिर पर लगा था उसने अपनी पकड़ एकदम से इन दोनों पर ढीली छोड़ दी थी।
विष्णु का पैर अब एकदम से आजाद हो गया था और उसने शंकर का हाथ पकड़कर बड़ी जोर से झटका दिया था ,,,वह भी अब अपने पैरों पर खड़ा था और यह दोनों अब तेजी से दोबारा किनारे की तरफ भाग पड़े थे।
दलदली जमीन पर इनके पैर धस रहे थे पर फिर भी पेड़ों तक पहुंचने में कामयाब हो गए थे,
अब इन दोनों ने पीछे मुड़ कर देखा था जहां वह बड़ी स्टार फिश पानी में ऊपर नीचे गोते लगा रही थी,,।
विष्णु,,,'' अच्छा हुआ कि हम पहले ही यहां से निकलने की सोचने लगे थे वरना हमारा बचना नामुमकिन था"",,
शंकर ,,",मैं तो यह सोच रहा हूं कि जब हम नदी में तैर रहे थे तब यह जलीय जीव कहां था,, अगर उस वक्त इसने हमें पकड़ लिया होता तब तो अभी तक हम इसका भोजन बन गए होते,,'',,
स्टार फिश इस बार जब दोबारा पानी से ऊपर आया तो उसके ऊपर एक युवक भी बैठा नजर आया था और उसने हवा में जंपली थी अब वह सीधे जमीन पर आ खड़ा हुआ था।
शंकर और विष्णु अब फिर से हैरान रह गए थे अपने ही जैसे इंसान को देखकर और अब वह इंसान तेज कदमों से इन्हीं की तरफ बढ़ा चला आया था जिसे देखकर इन दोनों ने दोबारा से भागने का प्लान बना लिया था।
अभी यह दोनों पलट कर भागते तभी उस युवक की आवाज उनके कानों में आ पड़ी थी।
"'' रुक जाओ भागने की जरूरत नहीं है वरना मौत तुम्हारे और करीब आ जाएगी,,",,
शंकर और विष्णु उसकी आवाज सुनकर रुक गए थे और अपनी बड़ी हुई धड़कनों को उन्होंने थोड़ा शांत किया था।
युवक अब इनके पास आ पहुंचा था जो बेहद अजीब सा एकदम चिकनी मिट्टी की तरह नजर आने लगा था।
शंकर,,,,"" कौन हो तुम"",
युवक ,"मेरा नाम युवराज जलज है और हमारा साम्राज्य इस नदी के भीतर है अब आप दोनों को मेरे साथ वही चलना होगा"",,,
विष्णु ,""यह आप क्या कह रहे हैं हमें आपके साथ क्यों चलना होगा ,,हमें तो वापस अपनी दुनिया में जाना है हम यहां गलती से आ गए हैं,,,'"
शंकर ,,""उस बड़ी सी मछली को तुमने ही हमें पकड़ने के लिए भेजा था ',,,
युवराज जलज ,,"हां मैंने ही उसे भेजा था पर तुमने उसे पत्थर मारकर डरा दिया,, हम जलीय जीव बेहद कोमल होते हैं तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था,,,,"''
शंकर ,""हमें लगा कि वह हमें मार डालेगा,,,,,"
युवराज जलज ,,"अगर मारना होता तो हम तुम्हें कब का मार देते ,,जब तुम नदी में तैर रहे थे,, पर उस वक्त हम तुम्हारे बारे में नहीं जानते थे,, अब तुम्हारे बारे में सब कुछ जानने के बाद हमें एहसास हुआ है कि तुम्हें हमारी दुनिया में चलना होगा,,,"'''
विष्णु,"" हमने कहा ना हमें कहीं नहीं जाना है हमें सिर्फ हमारी दुनिया में जाना है"",,
युवराज जलज ," देखो मेरी बात मानो,, वरना जो चुड़ैल तुम्हें यहां लेकर आई है वह बहुत जल्द तुम्हें मार भी डालेगी'',,,
क्रमशः
आखिर क्या चल रहा है इस दुनिया में ,,क्या यह दोनों दोस्त बिना किसी शक्तियों के निपट पाएंगे जानने के लिए बने रहे इस हॉरर के साथ