इश्क़ ए बिस्मिल - 56 Tasneem Kauser द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ ए बिस्मिल - 56

ये वही कमरा था जहाँ उसने उमैर को घर से जाने से पहले आखरी बार देखा था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था उसका एहसास अभी तक इस कमरे में बाकी है।
हदीद उसे इस कमरे में लेकर आया था। उमैर के कहने के मुताबिक वह वैसा नहीं कर पाया था। उसे ये काम खुद करना चाहिए था मगर जैसे वह उमैर के कमरे में आया उसे पूरा कमरा घूमता हुआ नज़र आ रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था क्या और कैसे करना है इसलिए वह अपनी माँ आसिफ़ा बेगम के पास गया था मगर उन्होंने तो उसकी बात ही सुन ना ज़रूरी नहीं समझा, उपर से सोनिया ने अलग मशवरे दे डाले की जिसकी हिमायत करने उस दिन खड़े हुए थे, उसी से मदद माँगो... सो वह अरीज के पास आया था मदद मांगने के लिए।
“मुझे आपकी हेल्प चाहिए थी।“ हदीद ने बड़े ही मासुमाना अंदाज़ में कहा था।
“हाँ बोलो..क्या हेल्प चाहिए?” अरीज ने पहले अपने पीछे खड़ी अज़ीन को मुड़ कर देखा था फिर हदीद से कहा था।
अज़ीन का डर के मारे बुरा हाल हो रहा था।
“आप मेरे साथ चलेंगी तब मैं आपको बताऊंगा।“ हदीद की फरमाइश पर वह थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गई थी। भले ही वह एक बारह साल का बच्चा था मगर उसकी शरारत और कारनामे अरीज को उसके साथ चलने के लिए सोचने पर मजबूर कर रहे थे। मगर अरीज के हिम्मत किया और अपने पीछे अज़ीन से बोली...
“मैं थोड़ी देर में आती हूँ... तुम रूम से बाहर मत निकलना।“ अज़ीन ने सहम कर हाँ में गर्दन हिलाई थी। और अरीज हदीद के साथ चल पड़ी थी।
वह उसे लेकर सीढ़ियों से उपर की तरफ़ जा रहा था, चूंकि हदीद का कमरा भी उपर ही था इसलिए अरीज को बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं हुआ था की वह उसे लेकर उमैर के कमरे में पहुंच जायेगा।
उमैर के कमरे में घुसते ही अरीज को थोड़ी देर के लिए ये लगा की कहीं उमैर वापस तो नहीं आ गया है, मगर अगले ही लम्हें उसकी नज़रों ने उसकी सोच की नफ़ी की थी... पूरा कमरा खाली पड़ा था...वहाँ उमैर नहीं था... अरीज ने ना समझी से हदीद की तरफ़ देखा था।
“आप पहले मुझ से promise करें की आप भाई को नहीं बताएंगी... जो कुछ मैं अभी आपको बोलने वाला हूँ।“हदीद ने कहने के साथ ही अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाया था।
अरीज पहले उसे फिर उसके हाथ को कुछ लम्हों के लिए देखती रह गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर हदीद ऐसा क्या कहने वाला है जिसके लिए उसे कसमे वादे खिलाए जा रहे है।
अरीज ने कुछ सोच कर आखिर कार उसके हाथ पर अपना हाथ रखा था और साथ में कहा था।
“Promise… मैं आपके भाई से नहीं कहूंगी... अब बताओ क्या बात है?” अरीज ने अपने मूंह से तो कह दिया था मगर दिल में सोचा था की तुम्हारे भाई से मिलना होगा तब ना कुछ कहूंगी।
“भाई के wardrobe में उनके कुछ documents रखे हुए है... भाई ने वो documents मुझ से मांगे है... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है की कहाँ पर होगी उनकी documents… For me, it’s really a very tough task… Please help me in finding those documents….मगर भाई ने मुझ से कहा था की मैं ये किसी को ना बताओ...I’m really feeling very sorry for that.” हदीद अपनी कहे जा रहा था और अरीज के पूरे तन बदन में उमैर का नाम सुन कर सनसनी मच गई थी। वह जैसे बुत बनी खड़ी थी और हदीद को देखे जा रही थी।
उसके इस तरह से देखने पर हदीद उलझ गया था।
“आप समझ रहीं है ना...मैं क्या कह रहा हूँ?” हदीद उस से सब कुछ कह कर confirm कर रहा था।
“हाँ... हाँ.. समझ गई... मैं ढूँढती हूँ।“ उसके टोकने पर अरीज जैसे होश में वापस आई थी।
वह कुछ दिनों तक उमैर के कमरे में रही थी मगर उसने एक साइड टेबल के drawer के अलावा किसी भी चीज़ को कभी खोल कर नहीं देखा था। इसलिए उसे भी नहीं पता था की उमैर की कौन सी चीज़ कहाँ पर रखी हुई है।
बेड के दाहिने तरफ़ एक दरवाज़ा था, जो ड्रेसिंग रूम में खुलता था, ड्रेसिंग रूम की बायीं दीवार पर बड़ा सा आईना लगा हुआ था और उसके नीचे उतना ही बड़ा सा कैबिनेट बना हुआ था। वह पूरा कैबिनेट ड्रेसिंग टेबल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था... उसके उपर अलग अलग किस्म की perfumes की शिशियाँ रखी हुई थी... बोहत सारे imported luxurious skin and hair care products रखे हुए थे। ड्रेसिंग रूम की सीधी दीवार में बाथरूम का दरवाज़ा खुलता था, और ड्रेसिंग रूम की दाहिने पूरी दीवार में wardrobe बना हुआ था जो दिखने में बिल्कुल शीशा जैसा मालूम होता था मगर उसके differnet सेग्मेंट्स की वजह से पता चलता था की वह wardrobe है। (चूंकि बाथरूम ड्रेसिंग रूम के अंदर ही था इसलिए अरीज पहले भी यहाँ आ चुकी थी) ।
अरीज ने wardrobe का sliding दरवाज़ा घस्काया था और वह खुलता चला गया था। उमैर के पूरे wardrobe में भीनी भीनी ख़ुशबू का राज था। अरीज के दिल को किसी की बेतहाशा याद आई थी। Wardrobe के अंदर lights जल रही थी और उसे सब कुछ साफ साफ बड़ी आसानी से दिख रहा था। हर तरफ़ उमैर के कपड़े ही कपड़े हैंग किये हुए थे... अरीज को यहाँ पर कोई भी documents मिलने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे थे।
“आपके भाई ने wardrobe के अंदर कोई particular जगह बताई थी क्या... के documents वहाँ पे होंगे?” उसने हाथों से हैंग किये हुए कपड़ों को इधर से उधर करते हुए हदीद से पूछा था।
मगर हदीद की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया था। उसने मुड़ कर अपने पीछे देखा... हदीद अपनी टच स्क्रीन मोबाइल पर गेम खेल रहा था और उसका पुरा ध्यान गेम पर ही था।
अरीज ने दुबारा उस से वही सवाल किया, जब ही वह कुछ सेकंड्स के लिए अपने गेम से बाहर आया था।
“भाई ने कहा था wardrobe में ही है।“ उसके जवाब से अरीज समझ गई थी की अब जो भी करना होगा उसे ही करना होगा। इसलिए वह उसे छोड़ दुबारा से अपनी तलाश में लग गई थी। उसने इस compartment की slide को बंद किया था और दूसरी तरफ़ का दरवाज़ा घस्काया था। इस तरफ़ भी अलग अलग segments बने हुए थे। जिसमे उसे बोहत सारे drawers भी दिख रहे थे। उसने ये देख कर सुकून का सांस लिया था। और drawer को खोलने लगी थी मगर एक के बाद दूसरे सारे drawers लॉकड थे। उसने फिर से हदीद को आवाज़ लगाई और इस दफ़ा भी उसे की जवाब मोसूल नहीं हुआ तो उसने मुड़ कर देखा। इस दफ़ा हदीद उसके पीछे था ही नहीं।
अरीज ने तंग आकर नहीं में अपना सर हिलाया, और एक बार फिर से तलाशी में जुट गई थी... पूरा wardrobe चीज़ों से भरा पड़ा था... जैसे की इसे कभी किसी ने ठीक किया ही नहीं था। अरीज का सर इतने बखेड़ों को देख कर घूम गया था। उसे अब हदीद की हालत समझ में आ रही थी। ये एक बारह साल के बच्चे का काम नहीं था जो उसे करने के लिए दे दिया गया था।
उसने हर चीज़ को हटा कर, उठा कर अंदर झांक कर देखा था मगर उसे ऐसे कोई ज़रूरी documents नज़र नहीं आये थे... और मसला ये था की उसे कौन से documents चाहिए थे ये उसे खुल कर नहीं बताया गया था। जब ही उसके हाथ एक मोटा सा बड़ा सा envalope लगा था। उसने खोल कर उसके अंदर से चीज़े निकाली उसमे बोहत सारे photos थे... जिसमें उमैर तो उसे बड़ी आसानी से पहचान में आ रहा था मगर उसके साथ हर तस्वीर में वो मौजूद लड़की उसने कभी नही देखा था। लेकिन हर तस्वीर में उमैर के साथ उस लड़की की नज़दीकियाँ उसे सनम की तरफ़ इशारा कर रही थी। अरीज के दिल को जैसे एक साथ बोहत सारे घुसे पड़े थे, मगर वह फिर भी इस तकलीफ को बर्दाश्त किये जा रही थी और एक के बाद दूसरी तस्वीरों को पलट रही थी। हर तस्वीर में उन दोनों की नजदीकियों ने अरीज को ये ज़रूर समझा दिया था की अरीज उन दोनों के दरमियाँ कभी भी नही आ सकती और उसने जो फैसला किया था बिल्कुल सही किया था
ये एक बोहत बड़ी आज़माइश् होती है की आप जिस से मोहब्बत करते हो वो किसी दूसरे की मोहब्बत में गिरफ़्तार हो। अरीज भी बोहत बड़ी आजमाइश में घिरी थी सिर्फ़ इसलिए नहीं की उमैर अब उसके दिल पर बिराजमान हो चुका था बल्कि इसलिए भी की वह दोनों एक बोहत मज़बूत रिश्ते में बंधे होने के बावजूद वह एक दूसरे के लिए नहीं थे।