उसकी इस आदत की वजह से उसे हर पीरियड में टीचर की डांट खानी पड़ती।पर उस पर इसका कोई ज्यादा असर न पड़ता।
वह एकदम फारवर्ड थी।वह किसी से भी नही घबराती थी।
लड़को से भी धड़ल्ले से बात करती थी।हंसी मजाक करती थी।स्कूल के कई लड़को के साथ उसका नाम जुड़ा था।यह उसे बदनाम करने की उन लड़कों की चाल थी।जिन्हें वह घास नही डालती थी।इससे वह जरा भी विचलित नही हुई।न ही उसने अपने स्वभाव या आदत में परिवर्तन किया था।
वह भी मन ही मन मे माया को चाहने लगा था।उससे प्यार करने लगा था।उसे अपनी बनाने के सपने देखने लगा था।लेकिन वह दूसरे लड़को की तरह माया से अपने प्यार का इजहार कभी नही कर पाया।और उसका माया को लेकर देखा सपना रेत के महल की तरह ढह गया था।
हायर सेकंडरी की परीक्षा खत्म होते ही माया अपने माता पिता के पास चली गयी थी।
माया के चले जाने पर काफी दिनों तक उसे उसकी याद आकर दिल को सताती रही।जब भी स्कूल की कोई लड़की उसे मिल जाती तो उसे माया याद आ जाती।लेकिन धीरे धीरे दिन बीतने के साथ उसकी यादों पर वक्त की धूल जमती चली गयी।और वह माया को भूल गया।लेकिन आज अचानक माया को देखते ही यादों पर पड़ी धूल छटने लगी।पहले वाली माया उसके सामने साकार हो उठी।वह मुस्कराते हुए बोला,"छुट्टी में गांव आया था"
"अब कहाँ जा रहे हो?"
"दिल्ली"
"वहाँ क्या कर रहे हो?"
"सर्विस,"अपने बारे में बताते हुए वह बोला,"मैने सुना था तुम्हारी शादी हो गयी?"
"सही सुना था।लेकिन तुम्हे किसने बताया।"माया ने प्रश्न किया था।
"एक दिन मधु कनॉट प्लेस पर मिल गयी थी।उसी ने तुम्हारी शादी के बारे में बताया था।"
मधु,माया की सहेली थी।वह भी उन्हीं के साथ रेलवे स्कूल में पढ़ती थी।मधु की भी शादी हो गयी थी।उसकी दिल्ली में ससुराल थी ।दो साल पहले जब राज नौकरी लगने पर दिल्ली गया तब मधु मिल गयी थी।राज ने उसे नही देखा था।मधु की उस पर नजर पड़ गयी थी।
"राज।"आवाज सुनकर उसने देखा था।
"अरे मधु तुम?"
और वह मधु को कॉफी शॉप में ले गया था।कॉफी पीते हुए वे एक दूसरे के समाचार पूछते रहे।और बातों ही बातों में वह बोला,"आजकल तुम्हारी सहेली माया कहाँ है?'
"माया आबू से जयपुर चली आयी थी।यहाँ पर उसने कालेज में एड्मिसन ले लिया था।उसके स्वभाव में और आदतों में कोई बदलाव नही आया था।कालेज में उसकी हिंदी के लेक्चरर से आंखे लग गयी।वह उससे प्यार करने लगी।गुरु शिष्या के रिश्ते को पवित्र माना जाता है।माया शिष्या थी और अमर गुरु।गुरु शिष्या का रिश्ता टूट गया,"मधु अपनी सहेली माया के बारे में बताने लगी।
"प्यार एक सुगन्ध के समान है।जैसे सुगन्ध को छुपाया नही जा सकता।ऐसे ही प्यार भी छिपता नही है।माया और अमर का प्यार भी छिपा नही रहा।चटकारे लेकर कालेज में उनके प्यार के चर्चे होने लगे।धीरे धीरे उनके प्यार की भनक प्रिंसिपल के कानों तक जा पहुंची।कालेज का मामला था।कही कालेज की बदनामी न हो जाये।इसलिए एक दिन प्रिंसिपल ने माया के पिता को कालेज में बुलवाया और सब कुछ उन्हें बता दिया।
पिता ने माया का कालेज छुड़ा दिया।पिता ने भाग दौड़ करके उसकी शादी चंडीगढ़ के एक लड़के से कर दी।