Chhatrapati Shivaji Maharaj's reverence for mother cow books and stories free download online pdf in Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज की गौमाता के प्रति श्रद्धा

बारह वर्ष की आयु में ही शिवाजी को यह अहसास था कि इस देश के मूलनिवासी गरीबी और दासता का जीवन बिता रहे है, जबकि दूर देश से आये मुस्लिम हमलावरों के वंशज यहां के लोगों की सम्पत्ति पर ऐश कर रहे हैं। क्रूर शासक मखमल और रेशम पहनते हैं और मस्ती लूटते हैं, जबकि गरीब जनता को खाने के लिए सुखी रोटी भी नहीं मिल पाती।
इन विचारों और अहसासों के साथ ऐश्वर्य के अम्बरों के बीच से गुजरते हुए शिवाजी कभी क्रोध से होंठ काटते थे, कभी भौंहे चढ़ाते थे और आंखे तरेरते थें। उन्हें यह सब अच्छा नही लग रहा था।
तभी उन्होंने देखा कि एक दाढ़ी वाला खूंखार-सा लगने वाला मुसलमान एक गाय को हांकते हुए ले जा रहा था। उसके हाथ में एक डंडा था, जिससे वह उसे बार-बार पीट रहा था। गाय आगे जाना नहीं चाहती, चीखती थी और इधर-उधर कातर नेत्रों से देखती थी। वो गाय को वध के लिए ले जा रहा था। गाय समझ गयी थी कि उसका अंत निश्चित है। गाय की आंखो से आंसू निकल रहे थे, वो पछाड़े खा-खा कर जमीन पर गिर रही थी। कसाई उसे लाठी, लात और नुकिले सुऐ से गोदकर आगे खींच रहा था। इधर-उधर जो हिंदू थे, वे मस्तक झुकाये ये सब देख रहे थे। उनमें इतना साहस नहीं कि कुछ कह सकें। मुसलमानी राज्य में रहकर वे कुछ बोलें तो पता नहीं क्या हो। उस समय मुस्लिम शासकों का शासन था। गो वध उनके लिए एक सामान्य बात थी। विरोध करने वाले की निर्मम तरीके से हत्या कर दी जाती थी। पूरे बाजार में सब लोग चुपचाप खड़े रहकर तमाशा देख रहे थे। शिवाजी की आंखो में इस दृश्य और गाय की पीड़ा को देखकर आंसू भर आये। उनके ह्रदय और मस्तिष्क में क्रोध की अग्नि जलने लगी। उन्होंने तुरंत उस कसाई को रोककर गाय छोड़ने को कहा। कसाई ने गाय छोड़ने की बजाय शिवाजी को अपशब्द कहने शुरू कर उन पर हमला कर दिया।

बालक शिवा ने राजपूती शान की प्रतीक छोटी तलवार लटका रखी थी। शिवाजी ने तुरन्त अपनी तलवार निकालकर उस कसाई का पहले हाथ काटा फिर सर धड़ से अलग कर दिया और गाय को आजाद कराकर सुरक्षित स्थान पर छोड़ आये।
अब तो चारो ओर से भीड़ घटना-स्थल की ओर दौड़ पड़ी। खून से सनी तलवार हाथ में पकड़े वीर शिवाजी हर चुनौती के लिए तैयार होकर तनकर खड़े हो गए। बालक का रौद्र रूप देखकर किसी की आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हुई।
सेवको ने भीड़ को बताया कि यह बालक वीर योद्धा शहाजी का बेटा है और फिर शिवाजी को समझा-बुझाकर घर ले गए। यहीं से वीर शिवाजी ने अत्याचारी मुगल-सल्तनत को उखाड़ फेंकने का संकल्प कर लिया। उन्होने मराठा हिंदू वीरो को एकत्र कर औरगंजेब की विशाल सेना को अपने युद्ध कौशल से अनेक बार परास्त किया और गाय की रक्षा से शुरू हुई उनकी यात्रा “हिन्दवी स्वराज” पर जाकर रुकी।

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