अब तक आपने पढ़ा कि राहुल अपने दोस्त गौरव की तलाश में फिर से उसी घर मे आ जाता है जहां उसे मुड़िया लेकर आई थी। तलाशी के दौरान राहुल को कई सुराख़ मिलते हैं और रहस्यमयी सीढ़िया भी दिखाई देती है।
अब आगें...
राहुल ने लालटेन लिया और सीढ़ी उतरने लगा। यह तहखाना जरूर बहुत से रहस्यों से पर्दा उठाएगा ऐसा सोचकर राहुल तेज़ कदमो से सीढी उतरने लगा। वह दो-चार सीढ़ी उतरा ही था कि अचानक उसका पैर फिसल गया और लुढ़कता हुआ वह तहख़ाने के फ़र्श पर आ गया। लालटेन का कांच टूट गया और उससे केरोसिन रिसकर फ़र्श पर फैल गया।
तहखाने में घुप्प अँधेरा हो गया। राहुल ने खड़े होने की कोशिश की तो दर्द से कराह उठा। उसका पैर की नस चढ़ गई थी। वह रेंगता हुआ आगें बढ़ने लगा। हाथों के सहारे आगे बढ़ते हुए उसका हाथ किसी चीज़ से स्पर्श हुआ। जैसे ठंडा पड़ गया शरीर हो। राहुल का दिमाग सुन्न होने लगा। अनेक अनुमान उसके जहन में दौड़ने लगे।
ल..ल..लाश....!! डर से कांपते होठों से वह बड़बड़ाया। कही गौरव की ही लाश तो नहीं है। इस विचार से ही वह सहम गया। उसने हड़बड़ी में लाइटर निकाला और उसकी रोशनी उस तरफ़ डाली जहाँ वह लाश पड़ी थी। जैसे ही लाश के मुँह पर रौशनी पड़ी राहुल चेहरा देखकर चौंक गया...
मुड़िया....? सफ़ेद झक चेहरा , अंदर धँसी हुई खुली आँखे और वही गुदने के हरे निशान।
राहुल रेंगता हुआ डर से पीछें हटा तो एक बार फिर किसी से टकराया। राहुल को लगा अब उसकी मौत ही उसके सिर पर खड़ी है। गले से थूक गटककर वह मुड़ा।
गौरव.....
कुर्सी से बंधा हुआ गौरव था। वह ज़िंदा है या बेहोश यह देखने के लिए राहुल कुर्सी का सहारा लेकर खड़ा हुआ। उसने गौरव की नाक के पास अपनी उँगली लगाई। सांसे चल रही थीं। तुरंत गौरव की रस्सी छुड़ाकर राहुल ने गौरव को झकझोरा।
गौरव ने हौले से आँखे खोली। सामने राहुल को देखकर गौरव ने उसे गले से लगा लिया।
मैंने इसे नहीं मारा राहुल - गौरव ने राहुल से ऐसे कहा जैसे वह अदालत में जज से अपनी बेगुनाही की गुहार लगा रहा हो।
राहुल ने कहा - कल जब तुमने कॉल किया तब तो सब कुछ सही था अचानक ये सब कैसे हुआ..? तुम्हें किसने बांधा औऱ यह औरत कैसे मरी..?
गौरव कल हुई घटना राहुल को बताने लगा।
तुम्हें पता ही है राहुल मैं पिछले दो-तीन सालों से जंगल मे रहकर यहाँ पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ीबूटियों पर रिसर्च कर रहा हूँ। यह तहखाना ही मेरी लेबोरेटरी है जिसके बारे में सिर्फ मुड़िया जानती थी। वह भी जड़ीबूटियों की जानकर थी और मेरी मदद किया करती थी। एक दिन मुझें वह सफलता मिल गई जिसके लिए मैं रात-दिन जी तोड़ मेहनत कर रहा था। मैंने ऐसी दवाई बना ली जिसके सेवन से बूढ़ा इंसान भी फिर से जवान हो जाएगा। यही जरूरी बात तुम्हे बताने के लिए कॉल किया था। ऐसा ही एक कॉल मैंने आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान के प्रमुख को भी किया था। उन्हें भी मैंने यहाँ बुलाया पर वो बिना पूरी बात जाने यहाँ आने के लिए राज़ी नहीं हुए। मजबूरन यह गुप्त बात मुझें उन्हें बतानी पड़ी।
मैं इसी चेयर पर बैठा आगें की रणनीति की योजना बना रहा था। तभी मुड़िया मेरे लिए चाय लाई। मैंने चाय पी उसके बाद अचानक सिर घूमने लगा। उसके बाद मैंने खुद को चेयर से बंधा हुआ पाया। मुड़िया मेरे सामने खड़ी हुई थी। उसने मेरी बात सुन ली थी दवाई का रहस्य वह जान गई थी। वह मुझसें दवाई मांगने लगी। मैंने कहा भी की अभी इंसानों पर प्रयोग नहीं किया है उसके लिए मुझें अनुमति लेनी होगी। मैंने उसे यकीन भी दिलाया कि यह दवाई उसे जरूर दुंगा बस कुछ समय और इंतजार कर ले। पर वह नहीं मानी और उसने मेरी लेबोरेटरी में रखी सारी दवाई खा ली। दवाई खाने के कारण अचानक उसके शरीर का रंग सफ़ेद हो गया। उसकी आँखें अंदर धंस गई। वह झटपटाने लगी। मैं बंधा हुआ था चाहकर भी कुछ नहीं कर सका और मेरी आँखों के सामने ही वह तड़पते हुए मर गई।
गौरव की आपबीती मेरे अलावा कोई और भी सुन रहा था और वह थी तहख़ाने की सीढ़ियों पर खड़ी हुई मुड़िया। अब भी वह भयानक लग रही थी पर उसकी आँखों मे अपनी गलती का पछतावा साफ़ झलक रहा था।
अचानक उसके चेहरे के भाव बदल गए वह दोनों को क्रोध से देखने लगी। उसकी लाश फर्श पर थी । लालटेन का केरोसिन फैलकर उसकी लाश तक आ गया था। जैसे ही वह हमला करने के लिए गौरव पर झपटी राहुल ने केरोसिन की धार पर लाइटर जलाकर फेंक दिया। हल्की सी चिंगारी पाते ही केरोसिन ने आग पकड़ ली। लाश धु-धु करके जलने लगी। और उसी के साथ वह ख़ौफ़नाक मुड़िया भी आग के धुंए के साथ हवा हो गई।
गौरव और राहुल तहख़ाने से बाहर आ गए। खौफ की वो रात बीत चूंकि थी। सुबह होने वाली थी। रात को भयावह दिखने वाला जंगल अब सुंदर लग रहा था।
राहुल हंसकर गौरव से बोला - यार कोई ऐसी दवाई भी बना जो जवान लोगो को फिर से जिंदा कर दे। तेरी जवानी वाली दवाई के चक्कर मे मैं तो मर ही जाता।
हा हा हा ! राहुल और गौरव ठहाके लगाकर हँसते है।
-----------------समाप्त-----------------------