खोफ़ की वो रात (भाग-6) Vaidehi Vaishnav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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खोफ़ की वो रात (भाग-6)

अब तक आपने पढ़ा- मुड़िया के रूप को देखने के बाद गौरव की तलाश में राहुल एक बार फिर से उसी जर्जर मकान के पास जाता है।

अब आगें....

रात के क़रीब ढाई बज रहे थे। रात और गहरा गई थी। घर मे जल रहे लालटेन बुझ गए थे। चारों और घुप्प अंधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था।

जो होगा देखा जाएगा ऐसा सोचकर मन को मजबूत करके राहुल ने घर मे प्रवेश किया।
वह सबसे पहले रसोईघर में दाखिल हुआ। चूल्हें में अब भी गर्म नारंगी अंगारे दहक रहे थे। चूल्हे पर रखी हांडी से राहुल ने ढक्कन हटाया तो गर्म भाँप के साथ चावल की खुश्बू आई। चूल्हें के पास लाइटर रखा हुआ था। राहुल ने लाइटर उठाया और उसे जलाया। मंद रौशनी में उसे दीवार पर टँगा हुआ लालटेन दिखा। राहुल लालटेन के पास गया और उसे जला दिया। राहुल ने लालटेन लिया और घर का मुआयना करने लगा। घर मे गौरव के कई सारे सामान मिले।
एक डायरी भी थी जिसकी लास्ट इंट्री आज सुबह की थीं। गौरव ने लिखा था आज की उपलब्धि का जश्न अपने अज़ीज दोस्त के साथ....

इसका अर्थ यह है कि सुबह तक गौरव यहाँ था। उसकी ऐसी क्या उपलब्धि थी जिसे वो मुझें बताना चाहता था। उसके ग़ायब होने के पीछे कोई साजिश तो नहीं..?

गौरव जंगल की जड़ीबूटियों पर रिसर्च कर रहा है वह जँगलो में उगने वाले जंगली पौधों से मिलने वाली दवाई के बारे में एक बार बोला भी था कि उसे संजीवनी मिल गई है और यह रिसर्च तहलका मचा देगी। कहीं यही वो उपलब्धि तो नहीं है। पर इससे किसी और को क्या समस्या होगी ?

ऐसे अनेक प्रश्न चक्र की तरह राहुल के मन मे घूम रहें थे। अपने होठों पर उंगली रखे विचार की मुद्रा में राहुल ने खिड़की की तरफ देखा तो चोंक गया।
एक जोड़ी आँखे खिड़की की दरार से उसे ही देख रही थीं। डर के कारण राहुल के हाथ से लालटेन छूट गया। कमरे में घुप्प अंधेरा हो गया।

लाइटर जला कर राहुल खिड़की कि तरफ़ बढ़ता हुआ चिल्लाकर बोला - कौन है उस तरफ़ ?

वह खिड़की के पास पहुँचा तो वहाँ कोई नहीं था। जैसे ही वह मुड़ा... वही सफ़ेद धँसी हुई आँखों वाला चेहरा उसके ठीक सामने था।
राहुल के हाथ से लाइटर छूट गया।


बाहर से कौएं की कर्कश काँव - काँव की आवाज़ आ रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सैकड़ो कौए एक साथ चिल्ला रहे हो। अचानक एक कौआ खिड़की से होता हुआ कमरे के अंदर आ गया। कौए से बचने के लिए राहुल झट से बैठ गया। उसने हाथ से टटोलकर लाइटर उठाया।
लाइटर की रौशनी से देखा तो न ही वहाँ वह भयानक मुड़िया थी औऱ न ही कौआ।

वह खड़ा हुआ और तेज़ी से कमरे के कोने में रखे लालटेन कि ओर गया। उसने लाइटर से लालटेन जलाया तो देखा लालटेन जिस जर्जर सी लकड़ी की मेज़ पर रखा था उसके नीचे एक छोटा दरवाजा था। उसने तुरंत उस मेज़ को उठाकर दूसरी जगह रखा और दरवाजा खोल दिया। वहाँ सीढियां थी।

शेष अगलें भाग में...