सात फेरे हम तेरे - भाग 21 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सात फेरे हम तेरे - भाग 21

नैना ने कहा हां अब हमें जाना होगा। फिर गाड़ी क्ल्ब में जाकर रुक गई। तभी एक नौकर आकर दरवाज़ा खोला और फिर हम बाहर आ गए।हमारा स्वागत फुलों से किया गया।


नैना ने देखा तो बहुत ही आलिशान महल जैसा लग रहा था। माया ने कहा विक्की बहुत ही खूबसूरत जगह है।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां दीदी आइए

आप को बहुत कुछ दिखाता हूं।


फिर विक्रम सिंह शेखावत के वहां पर तरह - तरह के खेलों की मेजबानी दिखाया। खाने पीने का जगह दिखाया।

फिर विक्रम सिंह शेखावत खुद खेलते हुए नजर आएं।


माया ने कहा नैना देखा ये है विक्रम सिंह शेखावत और मुझे लगता है ये तुम्हें चाहता है और फिर मुझे विश्वास है कि वो हमारे साथ डंडिया जाएगा। नैना ने कहा अरे माया दी धीरे बोलो।
माया हंसने लगी। और फिर बोली कि देख लेना।

कुछ देर बाद ही विक्रम सिंह शेखावत आकर बोला दीदी आप बोर नहीं हो रहे हो ना? माया ने कहा बिल्कुल नहीं। यहां बहुत मज़ा आ रहा है। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां ठीक है मैं कुछ देर बाद आकर आपलोगो को एक जगह पर ले जाऊंगा। माया ने कहा कि ओके। नैना ने कहा पता नहीं क्या समझते हैं खुद को। माया ने कहा हां विक्रम सिंह शेखावत आर्मी चीफ अफसर हैं कुछ समझने की जरूरत ही कहां है?

नैना ने कहा दीदी हम कुछ ज्यादा ही घुल-मिल गए। ऐसे ही पता चल जाएगा सबको लगेगा कि हम झूठ बोल रहे हैं।

माया ने कहा ऐसा कुछ नहीं होगा तुम नाकारात्मक पक्ष मत लो। नैना ने कहा हां ठीक है। फिर कुछ देर बाद ही विक्रम सिंह शेखावत आकर बोला दीदी चलिए। फिर हम दोनों विक्रम सिंह शेखावत के साथ चलने लगें।सब बड़े बड़े पदों पर नियुक्त थे वहां पर सबके साथ विक्रम सिंह शेखावत हंसते मुस्कुराते जा रहा था। उसके बाद ही विक्रम सिंह शेखावत ने कहा चलो अब खाना खाने चले। फिर काफी बड़ी सी जगह थी और पुरी तरह से खुली हुई थी तो हवाएं बहुत तेज चल रही थी। नैना को ये मौसम बहुत ही पसंद था तो वो खुश भी हो रही थी।


नीचे की तरफ घाटी था तो हवाएं चलने की आवाज दूर से सुनाई दे रही थी। माया ने कहा कितना अच्छी घाटी है।


विक्रम सिंह शेखावत ने कहा कि पता है दी इस घाटी की एक अलग कहानी है एक सत्य प्रेम कहानी।। माया और नैना एक दूसरे को देखने लगें। माया ने खाना खाते हुए कहा कि क्या कहानी है सुनाओगे? विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां थोड़ा बहुत पता है मुझे। उसने कहा कि एक लड़की रहती थी नाम था ऐना। बहुत ही खूबसूरत और एक सफल टीवी एंकर बनने वाली थी।तो उसके दोस्त बहुत थे।पर ऐना किसी को भी खास दोस्त नहीं मानती थी। एक दिन उसके जुनियर बेंच में एक लड़का आया उसका नाम था सेहन।। बहुत ही सीधा साधा सा था।उसे सब बहुत परेशान करते रहते थे।वो सबका ख्याल रखता सबका काम भी कर देता था।पर उसे कोई भी प्यार नहीं करता था।ऐना ये सब देख कर भी अनदेखा कर देती थी।उसे लगता कि कैसे कैसे लोग भगवान पैदा करते हैं। ऐसे ही दिन बीतने लगे। एक दिन ऐना का एक्सिडेंट हो जाता है पर उसे कोई भी डाक्टर के पास नहीं ले जाता है पर सेहन जैसे ही देखता है तो वो बेहोश ऐना को तुरंत अस्पताल लेकर जाता है और फिर डाक्टर जल्दी से बेहोश ऐना का इलाज करके उसे ठीक कर देते हैं।जब ऐना को होश आता है तो उसे सब बात पता चलता है कि सेहन ने उसकी जान कैसे बचाई।ऐना बहुत ही गुस्से में रहती हैं और फिर सेहन को बुलाती है जब सेहन अंदर पहुंचता है तो ऐना उसे अपने पास बुलाती है।सेहन जैसे ही पहुंचता है तो ऐना को इतना गुस्सा आता है कि वो सेहन के गाल पर दो चांटा जड़ देती है।सेहन अपने गालों को पकड़ कर डर सा जाता है। ऐना कहती हैं दो तके के नौकर तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुमने मुझे छुआ।सेहन अपनी सफाई में कुछ नहीं बोलता है और वहां से चला जाता है। माया और नैना कहानी को बहुत ही ध्यान से सुनते रहते हैं।
नैना ने कहा आगे क्या होता है? विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां बताता हूं। फिर ऐना ठीक हो कर घर वापस आ जाती है तो उसे उसकी दादी मां सच्चाई से अवगत करवाती है कि वहां उसके सारे दोस्त रहते हैं पर कोई उसे अस्पताल नहीं पहुंचाता है पर सेहन जैसे ही देखता है तो तुरंत उसे अस्पताल ले कर जाता है और तुम


उसे थैंक यू कहने के बदले चांटा जड़ दिया।छि छि।।
ऐना को सुनकर भी कोई गिला नहीं होता है।
कुछ दिन बाद ऐना ठीक हो कर काम पर निकल जाती है।
सेहन अपने काम से काम रखता है। ऐना उसे दूर से दिखती है और फिर अपने सीए को बोलती है कि सेहन का फाइल देने के लिए। ऐना की सीए फाइनल लेकर ऐना के केविन में जाकर दे देती है।
ऐना जैसे ही सेहन का फाइल खोलती है तो वो दंग रह जाती है क्योंकि सेहन तो अव्वल दर्जे का छात्र रह चुका है, गोल्ड मेडल जीता है और फिर एमबीए की डिग्री हासिल की है और फिर पता नहीं क्या क्या किया है।पर उसे यहां नौकर किसने बनाया था? ऐना बहुत सोचती है कि ऐसा क्यों हुआ पर फिर वो कुछ नहीं बोल पाती है।


घर आकर ऐना सारी बात दादी मां को बताती है। ऐना की दादी मां कहती हैं कि सेहन एक बहुत ही गरीब घर का लड़का है इसलिए उसकी ये हालत है। ऐना सोच कर भी कुछ नहीं कर पाती है। इसी तरह कई महीने बीत जाते हैं।सेहन मन ही मन ऐना को चाहने लगता है।पर ऐना उसे कभी भी अपने पास आने ही नहीं देती है। एक दिन सेहन ऐना को अपने प्यार का इजहार कर देता है। ऐना इस बात को हजम नहीं कर पाती है और सेहन को कह देती है कि वो एक दम नाकारा है। दुनिया में बोझ है और ऐसे लोगों को नहीं जीना चाहिए।सेहन ऐना की बात सुन कर एक दम सुन्न हो जाता है और फिर वो इसी घाटी के पास जाकर ऐना आई लव यू कहते कहते अपनी जान दे देता है और फिर वो आवाज़ चारों तरफ गुजने लगती है।।उस घाटी के आस पास के लोगों का बहुत भीड़ लग जाता है।सब समझ जाते हैं कि कोई दिवाना ही होगा जो आज घाटी में समा गया।
ऐना को जब पता चलता है तो वो खुद को सेहन की गुनहगार समझती है। दादी मां कहती हैं कि ऐना तुमने बहुत बड़ा पाप किया है जिसकी सजा तू खुद को देंगी।
एक रात ऐना घर से निकल कर उसी घाटी के पास जाकर बहुत रोती है और फिर कहती हैं सेहन मुझे माफ़ कर दो मैं तुम्हारे सच्चे प्यार को नहीं समझ पाई।पर मैं तुम्हारे पास आ रही हुं
ये कह कर ऐना भी घाटी में समा जाती है।बस उसी के बाद ही हर रात को इन दोनों की आवाज सुनाई देती है इस घाटी से। नैना एक दम रोने लगती है। माया ने समझाया। विक्की ने कहा नैना हिम्मत मत हारो ये कहानी से तुम्हें सीख लेनी चाहिए और तुम्हें रुलाने के लिए नहीं कहा था। माया ने कहा क्यों न मत वापस चलें। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां ठीक है चलिए


विक्रम सिंह शेखावत वहां पर सबसे मिलने के बाद दोनों को लेकर निकल गए।
नैना एक दम खामोश ही रही थी। बंगले में पहुंच कर ही विक्रम ने दोनों को गुड नाईट कह कर सोने चले गए। माया और नैना भी अपने कमरे में जाकर फेश् होकर बेड पर सोने लगे। माया ने कहा उस कहानी से कुछ सीख ले। नैना ने कहा हां दीदी कहानी तो मेरे ज़हन में है।

फिर दोनों सो गए।सात बजे उठ कर तैयार हो गए। फिर बाहर निकल कर सबको गुड मॉर्निंग कहा हुआं।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां गुड मॉर्निंग चलिए नाश्ता करते हैं। माया ने कहा हां नाश्ता करने के बाद हम चलें जाएंगे। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां ठीक है।
फिर सबने एक साथ नाश्ता किया और फिर नैना अपने बैग समेटने अपने रूम में चली गई।

विक्रम सिंह शेखावत ने जाकर नैना के रूम के बाहर नाॅक करता है। नैना चौंक जाती है। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा यार तुमको मेरे चहरे से दिक्कत है। मुझे पता है पर इन्सान बुरा नहीं हुं।
नैना ने कहा मुझे देर हो रही हैं। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा मुझे बोलने का मौका तो दो।। कहीं ऐसा ना हो निलेश की तरह मै भी बहुत दूर चला जाऊं। निलेश को खो चुकी हो अब मैं भी चला गया तो।। मुझे पता है तुम्हारे दिल में क्या है पर मैं तो तुमसे प्यार करता हूं जब से तुम्हें देखा है तुम बोलोगी तो मैं हमेशा के लिए इंडिया जा सकता हूं। हां।। नैना ने कहा मुझे कुछ नहीं कहना है मुझे जाने दिजिए।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा ओह तो ये बात है। जैसे ही नैना बाहर निकल आती है तब विक्रम सिंह शेखावत ने अपना हाथ दिवाल पर मारता है। नैना आवाज सुनकर पीछे मुड़कर देखने लगती है तो विक्रम सिंह शेखावत वहां से चला जाता है।

फिर नीचे पहुंच कर नैना और माया विक्रम सिंह शेखावत के दादा जी और दादी मां के पैर छुए तो दादी मां ने दोनों को एक एक सोने की अंगूठी देते हुए कहा कि ये इस घर का रिवाज है।
माया और नैना बड़े बुजुर्ग का मान करते हुए वो अंगुठी ले लिया और फिर बोली धन्यवाद नहीं बोलूंगी।पर आप लोग से जो प्यार और अपनापन मिला वो कभी भी नहीं भूलेंगे।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा चलिए आप लोग को बाहर तक छोड़ देता हूं। माया ने कहा अरे भाई तुम्हारे हाथ में क्या हुआ? विक्रम सिंह शेखावत नैना की तरफ देखते हुए कहा ये कुछ और नहीं ऐसे जख्म हैं जो जल्दी ठीक नहीं होंगे।

फिर नैना और माया पीछे बैठ गई। विक्रम सिंह शेखावत हाथ हिलाकर अभिवादन किया। फिर उनकी गाड़ी निकल गई।
माया रोने लगी। नैना ने कहा क्या हुआ दीदी। माया ने कहा एक भाई तो चला गया अब दूसरे को नहीं खो सकती हुं।

फिर दो घंटे बाद अपने होटल में पहुंच गए। दोनों का ही मन बहुत उदास हो गया था।


फिर रात को विक्रम सिंह शेखावत का फोन आया और फिर माया ने कहा एक दम मन नहीं लग रहा है पर परसों वापस जाना है। ऐसा कभी सोचा नहीं था कि एक भाई परदेस में मिल जाएगा। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां दीदी मैं भी आपको दीं मान चुका हूं।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा नैना ने मुझे तकलीफ़ दी है पर मैं उसे कभी भुल नहीं सकता हूं।मैं यहां रहुं गा पर मेरा दिल नैना के पास रहेगा। नैना कुछ बोलोगी नहीं? माया ने कहा हां ठीक है अभी हम सोने जा रहें थे।
फिर दोनों सो गए।
विक्रम सिंह शेखावत ने सोचा कि नैना क्या चाहती है उसे क्या मैं पसंद नहीं हुं? ऐसा क्यों कर रही है।
विक्रम ये सोचते हुए सो जाता है।
दूसरे दिन सुबह माया ने कहा आज अमेरिका में आखिरी दिन है। नैना ने कहा हां दीदी पर अपना देश अपना ही होता है। माया ने कहा तू फिर विक्रम सिंह शेखावत के साथ ठीक नहीं कर रही हो। नैना ने कहा क्या करूं जिंदगी ने इतना कुछ सीखा दिया और फिर मैं मनहूस हुं। किसी के साथ शायद घर नहीं बसा सकती हुं।
नैना बहुत रोने लगी।

माया ने कहा चल पैकिंग कर लेते हैं।।
नैना को भी दिल ही दिल में कुछ तो चाहत थी पर वो डरती थी। इसलिए चुप थी। फिर दोनों ने पैकिंग कर लिया और लंच करने के लिए नीचे पहुंच गए।

कमश: