भाग-2
विष्णु और शंकर दो जिगरी दोस्त दोनों ही बेरोजगार और अब चाय की दुकान पर बैठे कल्लू चाय वाले के चेहरे के भाव को पढ़ने की कोशिश कर रहे थे ,जिस पर सिर्फ लालच नजर आ रहा था।
विष्णु ,"अगर वह चुड़ैल इतनी ही दयावान है और लोगों को अमीर बना देती है तो तुमने अपना जुगाड़ क्यों नहीं कर लिया, तुम भी उसके सवालों के जवाब देकर अमीर बन जाते'
कल्लू चायवाला," अरे हम कहां इतने पढ़े लिखे हैं पता नहीं कैसे सवाल पूछ ले वह चुड़ैल",,
शंकर अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ा हो गया था," "यह फालतू की बातें मत करो ,अच्छा चलो तुम एक भी आदमी का नाम बता दो जो अमीर बना हो उस चुड़ैल के द्वारा,,, है कोई आदमी ,,अब बोलोगे नहीं है,,''
कल्लू चाय वाला हाथ हीलाते हुए ,,"'सेठ मोहनदास का नाम सुना है,, सुना है या नहीं,, बोलो,,"''
शंकर ,,"कौन मोहनदास हमने तो किसी मोहनदास का नाम नहीं सुना",
कल्लू,'' चौराहे पर चले जाओ और राइट तरफ देखना जो सबसे बड़ी कोठी नजर आएगी वह सेठ मोहनदास की है अरबों की दौलत है उसके पास और यह सारी दौलत उस चुड़ैल ने ही उसे दी है"",,
विष्णु एकदम से,"" क्या कह रहे हो वह जो आगे चौराहे के मोड़ पर, कोठी है उसका मालिक उस चुड़ैल के द्वारा ही अमीर बना है,"''
कल्लू आंखें घुमाते हुए ,'और नहीं तो क्या, बहुत जबरदस्त दिमाग वाला इंसान है मोहनदास ,चुड़ैल के सारे सवालों के जवाब उसने चुटकियों में दे दिए और बन गया अरबपति साला,, वरना पहले तो यही ठेले पर सब्जी बेचा करता था"''
विष्णु आंखों में विश्वास का भाव लाते हुए ,,''फिर तो इस मोहनदास जी से मिलना ही पड़ेगा उससे पूछना पड़ेगा की चुड़ैल ने उससे क्या पूछा,'''
शंकर उसकी बात सुनकर हैरान रह गया था ,,"'अबे क्या बात कर रहा है यार ,तू जंगल में जाने की सोच रहा है मैं तो रात के वक्त शहर में भी बाहर नहीं निकलता ,,तू जंगल में जाने की सोच रहा है,,'''
कल्लू हंसते हुए ,,'देखा जो भी यह बात सुनता है लालच में आ ही जाता है, लगता है विष्णु भाई भी लालच में आ गए हैं,'',
विष्णु हाथ हिलाते हुए,,, मैं कोई लालच में नहीं आया मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था क्योंकि मुझे विश्वास नहीं हो रहा है,, इसलिए शायद मोहन दास से बात करके ही विश्वास आ जाए'",,
कल्लू ,,'मोहनदास के पास कोई टाइम नहीं है तुमसे मिलने का,, तुम्हें तो गेट पर से ही भगा देंगे ,,''
शंकर चेहरा लटका ते हुए ,,,"हां यह बात तो है ,,चल भाई विष्णु कमरे पर चलते हैं बड़ी जोरों से भूख लग रही है कुछ बना कर खा लेंगे,"",,
कल्लू ऊंची आवाज में ,,""रात को जंगल में मत चले जाना वरना कल अखबार में तुम्हारी खबर पढ़ने को मिलेगी''",
शंकर ,,"चुप कर बे,,, चुड़ैल को तो हम लोरी सुना कर सुला देंगे,"''
विष्णु स्टाइल मारते हुए,,,"' हम दोनों ने फर्स्ट डिवीजन से पढ़ाई की है ऐरा गैरा मत समझना हमें""",,
कल्लू ,,"अच्छा ऐसी बात है ,तो फिर मुझे भी ले चलना अगर जाने का मूड किया तो,, क्या पता तुम्हारे चक्कर में मैं भी अमीर बन जाऊं,,""'
शंकर,," ऐसी बकवास खबरों पर हम ध्यान नहीं देते ,,चल भाई यह तो हमें बातों में ही लगाए रखेगा '',,और विष्णु का हाथ पकड़कर आगे की तरफ बढ़ गया था,,,
विष्णु ,''कमाल है आजकल आधुनिक युग में भी ऐसी बातें प्रचलित रहती हैं,"",,
शंकर ,,'पर यार अखबार में यह खबर छपी है तो यकीनन कुछ तो है ,,इस खबर में,, वरना इतना बड़ा अखबार इस तरह जाहिलो की तरह खबर नहीं छापेगा,,,'''
विष्णु ,"'हां यह तो है चलो देखते हैं अगर चुड़ैल जागी है फिर तो रोज उसकी खबर अखबार में छपेगी"",,
अब यह दोनों बातें करते हो अपने एक छोटे से कमरे के दरवाजे पर पहुंचे थे,, जहां आते ही इनकी नजर दरवाजे के पास कुर्सी लगाए बैठे मकान मालिक गोपालराम पर पड़ती है,।
इन दोनों के चेहरे अब एकदम से उतर गए थे ,,क्योंकि इन दोनों ने पिछले 2 महीने से कमरे का किराया नहीं दिया था और आज कल -आज कल मैं बात टाल रहे थे।
अब दोनों ने तिरछी नजरों से सिर झुका कर एक दूसरे की तरफ देखा था।
शंकर धीरे से,,'' चलो वापस भाग चलते हैं रात को आ जाएंगे"',,
विष्णु,'' चुप कर भाई यह आज हमारा पीछा नहीं छोड़ने वाला है"",,
गोपाल राम ,,आओ आओ महानुभावो, मुझे देख कर रुक' क्यों गए,, मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं"",,
विष्णु अब चेहरे पर जबरदस्ती की मुस्कान लाते हुए ''नमस्ते अंकल जी कैसे हैं आप काफी दिनों से दिखाई नहीं दिए"",,,
शंकर ,'अंकल जी कहां थे आप""", और हाथ जोड़कर नमस्ते करता है,,,
गोपाल राम ,''मैं तो यही हूं पर तुम दोनों मुझे नजर नहीं आ रहे थे ,,सोचा आज मिल लूं और किराया भी ले लूं,, लाओ पाँच हजार रुपये दो'',,,
शंकर ,'''अरे रुकिए तो सही पहले कुछ चाय पानी पी लीजिए"",, और कमरे का दरवाजा खोलने आगे बढ़ता है
गोपाल राम ऊंची आवाज में ,,""रुको ताले को हाथ लगाने की जरूरत नहीं है ,,पड़ा रहने दो ताला जब तक मेरा किराया नहीं दोगे ,अब तुम इस कमरे के अंदर दाखिल नहीं हो सकते हो ",,
विष्णु और शंकर चेहरे पर मायूसी ले आए थे इनके चेहरे एकदम उतर गए थे।
विष्णु,,"" यह आप कैसी बात कर रहे हैं अंकल जी बहुत जल्द हम आपका किराया दे देंगे,, बस हमें नौकरी मिल तो जाने दीजिए,, सबसे पहले आप का ही भुगतान करना है,,""''
गोपाल राम आंखें दिखाते हुए ,,"मैं पिछले 2 महीने से तुम्हारी यह बातें सुन रहा हूं ,,यह तीसरा महीना भी खत्म होने वाला है ,,मैं और इंतजार नहीं कर सकता या तो मेरा किराया दो या यहां से चलते बनो,, मैं किसी दूसरे किराएदार को यहां रख दूंगा,"''
शंकर ,"अब हम कहां जाएंगे, शाम हो गई है अंकल जी कल हम चले जाएंगे आज रात तो रहने दीजिए"",,
गोपाल राम अपना हाथ घुमाते हुए ,,"अरे वाह बड़ी जल्दी है जाने की ,,अभी इसी वक्त यहां से दफा हो जाओ तुम्हारा सामान भी अब तुम्हें तब मिलेगा जब तुम मेरा किराया देकर जाओगे ,,चलो अब जाओ यहां से,"''
विष्णु हाथ जोड़ते हुए ,,'अरे अंकल जी आप तो ऐसे नहीं थे एकदम से ऐसा क्या हो गया है ,"",,
गोपाल राम अब फिर से कुछ बोलते ,तभी उनकी पत्नी राधा देवी एक तरफ से वहां आ पहुंची थी,,
राधा देवी ,,""अरे क्या हो गया क्यों बच्चों को परेशान कर रखा है किराया ही तो है दे देंगे,,'''
क्रमशः
क्या विष्णु और गोपाल अपने कमरे में रह पाएंगे,, क्या इरादा करेंगे अब यह दोनों जानने के लिए पढे अगला भाग