बॉलीवुड के भूले बिसरे संगीतकार और उनके गाने - 3 S Sinha द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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बॉलीवुड के भूले बिसरे संगीतकार और उनके गाने - 3

Part 3 

                                              बॉलीवुड के भूले बिसरे संगीतकार और उनके गाने 3 

 

                                                     6 . शौक़त हसन देहलवी - नाशाद 

 

शौकत हसन देहलवी को बॉलीवुड में नाशाद नाम से बेहतर जाना जाता है  . नाशाद अपने समय के बेहतरीन संगीतकार माने जाते थे  . 1947 से 1963 तक उन्होंने करीब 29 फिल्मों में संगीत दिया है  . 

1953 में पहली बार नाशाद ने  अशोक कुमार और नादिरा की फिल्म ‘नग़मा ´ में संगीत दिया था जिसका एक गाना ‘जादूगर बलमा  … ‘ बहुत पसंद किया गया  .कहा जाता है कि  शौकत हसन देहलवी से नाशाद बनने के पीछे एक कहानी है  . नक्शब  जारचवी  ने इस फिल्म में संगीत देने के लिए मशहूर संगीतकार नौशाद को ऑफर दिया था  . कहा जाता है कि नौशाद के मना करने पर नक्शब ने शौकत का नाम बदल कर ‘ नौशाद ‘ से मिलता जुलता नाम नाशाद रख दिया और उनसे संगीत दिलवाया  .  

नाशाद ने तलत महमूद से कुछ अच्छे ग़ज़ल गवाए थे  . 1954 की फिल्म ‘दरवाजा ‘के लिए तलत ने “एक दिल दो हैं तलबगार  …. “ गाया था जो बहुत ही पसंद किया गया  . 

इसके बाद 1955 की  फिल्म “बारादरी “ में उनका संगीत बहुत ही बेहतरीन था और उस फिल्म के कई गाने / ग़ज़ल सुपर हिट रहे थे जो आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं - तलत महमूद द्वारा गाया  ग़ज़ल तस्वीर बनाता हूँ  …. , रफ़ी और लता का डुएट - भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना  … , मोहब्बत की बस इतनी दास्तां है  ….’बारादरी ‘में नाशाद ने स्वयं एक गाना गाया था - चली वो नसीब  की आंधियां  .  

1955 की ही दूसरी फिल्म ‘जवाब ‘ में उनके द्वारा बनाया गाना जिसे रफ़ी ने गाया था , “ आज गम कल ख़ुशी , है यही ज़िन्दगी  … “ अत्यंत लोकप्रिय हुआ  . इसके बाद भी नाशाद ने हिंदी फिल्मों में संगीत देना जारी रखा  पर उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी , शायद तब तक लोगों का टेस्ट बदल चुका था  . 1964 में वे पाकिस्तान चले गए और वहां के फिल्मों में संगीत देना शुरू किया  . पाकिस्तानी फिल्म “ज़ीनत “ में उन्होंने संगीत दिया था जिसकी एक ग़ज़ल “ रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती का सामान हो गए  … “ की काफी सराहना की गयी  . 1995 में बनी आमीर खान की फिल्म ‘बाज़ी “ का एक गीत  है “ धीरे धीरे आप मेरे  …. “  . सम्भवतः  अनु मलिक ने नाशाद के उपरोक्त गाने से ही प्रेरित हो कर इस गीत की धुन बनाई थी  . 

नाशाद के कुछ अन्य गाने - 

दर्द  भरा दिल भर भर आये   .. फिल्म बारादरी - 1955 

खो दिया मैंने किसी को पा कर  …  फिल्म बारादरी - 1955 

चोरी चोरी दिल का लगाना बुरी बात है   .. फिल्म बड़ा भाई - 1957 

जुल्फों की सुनहरी छांव तले   .. फिल्म  ज़िंदगी या तूफ़ान - 1958 

प्यार जगाने वाला नींद चुराने वाला - फिल्म जरा  बच के - 1959 

 

                                                     7 . सोनिक ओमी 

 

हिंदी फिल्म के म्यूजिक डिपार्टमेंट में सोनिक ओमी की जोड़ी ने कुछ बेहतरीन धुनें दी हैं  . ‘मेरा साया , ‘ वो कौन थी ‘ आदि फिल्मों के सुपरहिट गानों में भी उनका  योगदान रहा है  . उनकी जोड़ी ने लगभग 70 फिल्मों में संगीत दिया हालांकि रेखा  की पहली फिल्म  ‘सावन भादो ‘ का गाना - कान  में झुमका चाल में ठुमका और सुन सुन सुन ओ गुलाबी कली , नूतन और धर्मेंद्र की फिल्म ‘दिल ने फिर याद किया ‘के कई गाने  जिनमें टाइटिल सांग और ‘ आ जा रे प्यार पुकारे  ‘  और ‘कलियों ने घूंघट खोले ‘बहुत पसंद किये गए   .

इसके अतिरिक्त फिल्म ‘ज़मानत ‘ के गाने - हम भूलेंगे  … और  तेरी आँखा सुरमेदानिया  …. भी उनके बेहतरीन गीतों में हैं  . विडंबना रही है कि एक कुशल संगीतकार होने के बावजूद बॉलीवुड की तथाकथित A ग्रेड की फिल्मों में उन्हें संगीत देने का खास अवसर नहीं मिला  . 

सोनिक ओमी के कुछ अन्य गाने - 

जिन्हें  हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं   … फिल्म आबरू - 1968 

दोनों ने किया था प्यार   … फिल्म महुआ - 1969 

आपसे प्यार हुआ आपसे खफा हो बैठे   .. फिल्म आबरू - 1968 

मन तेरा मंदिर आँखें दिया बाती  … फिल्म भक्ति में शक्ति - 1977 

बोल मेरी गुड़िया  … फिल्म भाई हो तो ऐसा - 1972  

खिले न कागज के कभी फूल   … फिल्म ज़मानत - 1977 

गोरे गालों से चिलमन हटा   … फिल्म सोल्डर 1969 

पैसा फेंक तमाशा देख  …फिल्म  ज्वाला डाकू - 1981 

शहीदों की चिताओं पर   … फिल्म रखवाले - 1994 

ऐ मेरी जान ए चमन   … फिल्म  मुजरिम    - 1970 

 

                                              8 . सपन जगमोहन 

 

सपन जगमोहन की जोड़ी हिंदी फिल्मों के एक भूले बिसरे संगीतकार हैं  . 1960  से 1980 के दशक  तक लगभग दो दशकों तक उन्होंने राहुल देव बर्मन के सहायक के रूप में काम किया था  . पंचम दा के कुछ लोकप्रिय धुनों में उनका बड़ा योगदान रहा है , जैसे - टाइटल ट्रैक ऑफ़ ‘शोले ‘ फिल्म और फिर इसी फिल्म में अमिताभ बच्चन जो माउथ ऑर्गन बजाते दीखते हैं वह भी इसी जोड़ी की देन  है  . कुछ बंगाली फिल्मों में भी इनका संगीत सराहनीय रहा है  . 

हालांकि सपन जगमोहन की जोड़ी ने करीब 60 फिल्मों में संगीत दिया है जिनमें कुछ बहुत बेहतरीन गाने हैं फिर भी बॉलीवुड की A ग्रेड फ़िल्में उनकी झोली में नहीं पड़ी  . चेतना , दो राहा और ज़मीर जैसी कुछ मुख्य फिल्मों में उनका संगीत प्रशंसनीय रहा है  . 

सपन जगमोहन के कुछ प्रमुख गाने - 

मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूंगा सदा। . ..  ,  जीवन है एक भूल सजनवा तेरे बिना। ..  - फिल्म चेतना 1971 

फिर वो भूली सी याद आई है  … , ना जाने कहाँ खो गया वो ज़माना  …  - फिल्म  बेगाना 1963 

तुम ही रहनुमा हो मेरी ज़िंदगी के  … -  फिल्म दो राहा 1972 

उल्फत में ज़माने की हर रस्म को  … फिल्म कॉल  गर्ल 1974 

कभी काँटों में महक है कहीं फूलों में चुभन है  … फिल्म मन तेरा तन मेरा 1971 

कई गम सही हैं ख़ुशी के लिए  … फिल्म अभी तो जी लें  1977 

तुम भी चलो हम भी चलें  … , ज़िन्दगी हंसने गाने के लिए  … 1975 

झिलमिल सितारों से  … फिल्म अम्बर 1985 

तेरा जिस्म देश दा  …. पंजाबी फिल्म 

 

क्रमशः 

नोट - त्रुटि संभावित  . सुधार का स्वागत