प्रकरण-78
इस प्रसिद्ध हेयरस्पेशलिस्ट का दवाखाना बहुत आलीशान था। केतकी और भावना जैसे ही वहां जाकर बैठीं, वॉर्डबॉय उनके लिए पानी लेकर हाजिर हो गया। पानी पीने के बाद खाली गिलास वापस ले जाने के समय उसने पूछा, “चाय लेंगी या कॉफी?” दोनों को आश्चर्य हुआ। रोगी की इतनी चिंता? डॉक्टर से पहले ही उनकी एक खूबसूरत असिस्टेंटने केतकी से तरह-तरह के कई प्रश्न पूछे और कंप्यूटर पर कुछ दर्ज कर लिया। यह सब आधा-पौन घंटा चला। उसी समय एक जाने-माने खिलाड़ी को डॉक्टर के केबिन से बाहर निकलता देखकर भावना खुश हो गई। कुछ देर में केतकी को अंदर बुलाया गया। दोनों बहनें अंदर पहुंचीं तो डॉक्टर लैपटॉप में मगन थे। कुछ देर में उन्होंने लैपटॉप से नजरें उठाकर उन दोनों की तरफ देखा। केतकी और भावना को देखने के बाद पूछा, “केतकी जानी कौन है?”
केतकी बोली, “मैं हूं केतकी...मेरे सिर में...”
“मेरा समय बर्बाद मत करें...मुझे पूरी जानकारी मिल चुकी है।”
“लेकिन डॉक्टर मुझे जानना है कि ...”
“देखिए, मेरा समय अनमोल है...रात को 11 बजे तक भी मरीजों की कतार खत्म नहीं होती। इस लिए मैं कम शब्दों में जितना जरूरी होगा उतना ही बताऊंगा। मैं जब बोलूं तो बीच में मुझे डिस्टर्ब मत कीजिएगा। बालों के बिना जीना बहुत मुश्किल है...खासतौर पर महिलाओं के लिए..सिवाय ऐसे पूरा जीवन बंदरों की तरह स्कार्फ लपेट कर तो गुजारा नहीं जा सकता। दवाइयां शुरू करेंगे, लेकिन समाज में हंसते-खेलते घूमने-फिरने के लिए एक विग बनवा लें। ”
भावना ने हिम्मत की, “दीदी को विग के काऱण अजीब सा लगता है। पहले ही बनवा लिया था लेकिन उसे उसकी आदत नहीं हो पा रही थी।”
“किसी से भी, कैसा भी विग बनवाएंगी तो ऐसा तो होगा ही....इस विग से वैसा नहीं होगा।” इतना कहकर उन्होंने कागज पर कुछ लिखकर दिया। दोनों ने उस कागज को देख ही रही थीं कि डॉक्टर ने कॉल बेल दबाकर अगले मरीज को अंदर बुला लिया।
बाहर काउंटर पर जाकर केतकी ने वह कागज दिखाया। रिसेप्शनिस्ट ने कंसल्टेशन के एक हजार रुपए मांगे। विग के 80 हजार बताए। केतकी दुविधा मनःस्थिति में थी। लेकिन भावना ने केतकी के पर्स में से 5 हजार रुपए निकालकर दे दिये। रसीद देकर रिसेप्शनिस्ट ने चार दिनों के बाद फोन करने के लिये कहा।
भावना इस डॉक्टर का दवाखाना, स्टाइल, फीस, ट्रीटमेंट और सिस्टम देखकर बहुत प्रभावित हुई। उसको इस बात का विश्वास था कि अच्छे दर्जे का यह विग केतकी को फिट बैठेगा। उसे पहनकर उसका संकोच और असहजता दूर हो सकी तो ठीक। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 80 हजार का विग केतकी ने केवल एक दिन पहना। वह भी घर में रहते हुए, छुट्टी के दिन। इस विग के साथ उसमें 80 हजार रुपए बर्बाद होने का वजन भी उसके दिमाग को परेशान कर रहा था। उसका सिर परायी चीज को स्वीकार करने के लिए राजी ही नहीं था। कुछ दिन बाद पहनूंगी, ऐसा कहकर केतकी ने उस विग को एक पुरानी साड़ी में लपेटकर, एक बैग में संभालकर रख दिया। उस समय उसे इस बात की कल्पना भी नहीं थी कि इतना महंगा विग आज के बाद वह कभी भी पहनने वाली नहीं थी।
.....................
अब गंजापन और उसके इलाज जैसी बातों को लेकर तारिका की कोई रुचि बाकी नहीं थी। और अब वह केतकी के साथ किसी भी डॉक्टर या वैद्य के पास जाने से बचने लगी थी, हालांकि वह केतकी के साथ मीठा-मीठा बोलने का नाटक करके समय न होने का बहाना बना देती थी। केतकी उसे अपनी अच्छी सहेली मानती थी इस लिए उसकी बातों को वह सच मान लेती थी। केतकी और भावना की भागदौड़ को देखते हुए शांति बहन के मन में संदेह पैदा हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। उस पर से केतकी अब अपने कमरे से बाहर कम ही दिखाई देती थी। सुबह शाला जाने के लिए निकलती थी और शाला से लौटे के बाद शाम को अपने कमरे में चली जाती थी। शांति बहन को डर लगा कि कुछ गड़बड़ हो गयी तो रणछोड़ दास पुणे से लौटकर उसे खूब फटकारेगा। उन्होंने एक दिन कड़क आवाज में पूछा तो यशोदा के पास सच बताने के अलावा कोई और पर्याय बचा ही नहीं था। यह बात जानकर शांतिबहन को चिंता की जगह डर लगने लगा कि यदि जीतू ने केतकी को मना कर दिया तो यह जीवन भर उनके सिर पर बैठी रहेगी। नहीं, ऐसा तो होने नहीं देना है। इस लड़की के कारण इस घर पर एक के बाद एक संकट आते रहते हैं। अब इसे हमेशा के लिए घर से बाहर निकालने का समय आ गया है। जितनी जल्दी हो सके, यह काम करना ही होगा।
दूसरे दिन जीतू घर आया तो शांति बहन ने मौका साधा। केतकी के सामने उन्होंने शादी की तारीख के बारे में पूछा। उनको लगा कि जीतू कहेगा कि उसकी मां से आकर मिलें। लेकिन जीतू ने ऐसा कहने के बजाय शब्दों में कह दिया, “मेरी बहन कल्पु की शादी होने के बाद ही मेरा नंबर आएगा। और फिर केतकी भी पूरी तरह से कहां राजी और समझदार हुई है शादी के लिए? उसको कुछ दिन और आपके घर में रहने दीजिएष कुछ और काम सीख लेने दीजिए, उसका दिमाग ठंडा हो जाने दीजिए। पति की बातें सुनने की अक्ल आ जाने दीजिए उसके बाद करेंगे शादी का विचार।”
यह सुनकर तो शांति बहन को झटका ही लगा। केतकी मन ही मन हंस रही थी कि इस घर से जल्द से जल्द छुटकारा मिल जाये इसी कारण तो मैंने जीतू जैसे लड़के से शादी करने के लिए राजी हुई थी, लेकिन वह अभी शादी करने के लिए तैयार नहीं है। नयी-नयी और कठिन परीक्षाएं लेने के लिए ईश्वर को मैं ही दिखती हूं क्या? ठीक है, ले लो परीक्षा, जितनी लेनी हो, देखते हैं कौन थकता है?
अपने गये हुए बाल वापस आ जाएं और जो हैं वे टिके रहें, इसके लिए केतकी ने अथक प्रयास किये। इस दौरान जो एक बात उसके ध्यान में आई वह यह कि उसकी और उसके बालों की चिंता सच्चे अर्थों में केवल दो ही लोगों को है, एक भावना और दूसरी मां। उसको यही लगता रहता था कि सभी लोगों का ध्यान सिर्फ उसी की तरफ है। लोग मेरे स्कार्फ के आरपार देखना चाहते हैं। कुछ लोग मुंह छुपा कर हंसते हैं, तो कुछ उसकी तरफ देखना टालते हैं। निश्चित ही, इसमें सच्चाई कम और उसका भ्रम अधिक था। इस भ्रम में वह एक और बात से अनजान थी, वह यह कि उसके इस ऑटो इम्यून डिसऑर्डर की बड़ी चिंता करने वाला एक और व्यक्ति था..प्रसन्न शर्मा। और एक दिन उसके मोबाइल पर प्रसन्न शर्मा द्वारा भेजे गये एक मैसेज से उसे यह मालूम हुआ।
‘यह कितना सीधा, सरल और संवेदनशील व्यक्ति है। न जाने कितने दिन हो गये मैंने उससे ठीक से बात तक नहीं की है। और कोई होता तो वह इसे अपना अपमान समझता, उसे गुस्सा आ जाता। आज जानबूझकर इससे मिलकर इसे धन्यवाद देना होगा। ’ शाला में प्रसन्न शर्मा से भेंट होते ही केतकी ने जब प्रसन्न शर्मा को धन्यवाद दिया तो वह उत्साह से बताने लगा, “मैंने गांधीनगर के एक डर्मेटोलॉजिस्ट का नंबर आपको भेजा है। बड़े अनुभवी और विशेषज्ञ हैं। उनकी अपॉइन्टमेंट जल्दी मिलती नहीं है। मैंने दो-तीन दिन लगातार कोशिश करके अपने फेसबुक पेज के दो-तीन मित्रों की मध्यस्तता से जुटाया है। एक बार आप उनसे मिल लें। आपको एतराज न हो तो मैं भी आपके साथ चलूंगा। ”
कौन जाने किस लिए, लेकिन केतकी ने एकदम रूखी आवाज में प्रसन्न के उत्साह पर यह कह कर पानी फेर दिया, “मैं किसी से मिलना नहीं चाहती। प्लीज, बेवजह जिद न करें। यह मेरी समस्या है, मैं ही रास्ता निकालूंगी।”
अनुवादक: यामिनी रामपल्लीवार
© प्रफुल शाह
........................