हम गरीब है साहेब - 1 DINESH DIVAKAR द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • किट्टी पार्टी

    "सुनो, तुम आज खाना जल्दी खा लेना, आज घर में किट्टी पार्टी है...

  • Thursty Crow

     यह एक गर्म गर्मी का दिन था। एक प्यासा कौआ पानी की तलाश में...

  • राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 14

    उसी समय विभीषण दरबार मे चले आये"यह दूत है।औऱ दूत की हत्या नि...

  • आई कैन सी यू - 36

    अब तक हम ने पढ़ा के लूसी और रोवन की शादी की पहली रात थी और क...

  • Love Contract - 24

    अगले दिन अदिति किचेन का सारा काम समेट कर .... सोचा आज रिवान...

श्रेणी
शेयर करे

हम गरीब है साहेब - 1

एक खौफनाक साया
एक बड़े से फाइव स्टार होटल से म्यूजिक की तेज आवाजें आ रही थी DJ में फुल आवाज में गाना चला रहा था। पुरा होटल रौशनी और जगमगाते लाइटों से जगमगा रहा था। बड़ी बड़ी बीएमडब्ल्यू गाडियां उस होटल के बाहर खड़े उस होटल की शोभा बढ़ा रहे थे।

सामने गेट को सफेद और नीले रंग के गुब्बारों से सजाया गया था और साथ ही पुरे होटल को भी। वही एक बड़े से बोर्ड पर " हैप्पी बर्थडे पुजा" लिखा चमचमा रहा था। अंदर MLA राममुर्ती की एकलौती बेटी पुजा का 19 वा जन्मदिन मनाया जाने वाला था।

जिसके लिए 100 आदमी सुबह से ही उन सभी चिजो का अरेंजमेंट सम्भाल रहे थे सभी को सख्त हिदायत दे रखी थी कि पार्टी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। किचन से स्वादिष्ट व्यंजनों की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और वही सामने एक बड़ा सा बियर बार था जहां पर अनेक आदमी शराब रूपी अमृत का सेवन कर रहे थे और अपने जीवन को सफल बना रहे थे।

राममुर्ती और उनकी फैमिली किसी भी समय वहां पहुंच सकतीं हैं लोग उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। वही पांच छः लोगों का एक ग्रुप आपस में बातचीत कर रहे थे सभी बड़े बड़े अधिकारी और मिनिस्टर थे।

"अरे वाह! क्या शानदार अरेंजमेंट करवाया है राममुर्ती ने।" उनमें से बलदेव जो कि पुर्व MLA थे वे बोले।

"हां अरेंजमेंट को लाजवाब है मानना पड़ेगा MLA साहब को।" उनमें से एक बिजनेस मैन बोला।

"हां राममुर्ती जी को तो मानना पड़ेगा अभी एक महीना भी MLA बनें नहीं हुआ और नाम और रूतबा देखो।" एक और आदमी बोला।

"सही कहा भ‌ईया पैसा और पावार लोगों को कहा से कहा पहुंचा देता है।" उनकी बातों पर सहमति जताते हुए एक और आदमी बोला।

"पर ये राममुर्ती है कौन! मैंने आजतक बस उनका नाम ही सुना है कभी देखा नहीं, और मैंने सुना है पहले इनके पास केवल 5-10 करोड़ रुपए ही थे लेकिन आज पुरे 100 करोड़ और अनेक गाड़ी बंगलों के मालिक हैं" सुमित जो कमिश्नर थे उन्होंने अपना सवाल दागा।

"राणा दग्गुबती को जानते हो।" इस बात को सुनकर बलदेव बोलें।

"हा!" सुमित आश्चर्य से बोला।

"ये वही हैं।" बलदेव फिर बोला

"क्या! राणा दग्गुबती, मुम्बई का सबसे बड़ा क्रिमनल । जिसने अपने ही मां बाप को पैसो के लिए मौत के घाट उतार दिया और ना जाने कितने लोगों की खुशियों को अपने पैरों तले रौंद दिया वो दग्गुबाती... लेकिन वो MLA क्यो बना है।" सुमित के चेहरे पर पसीना आ गया।

"छोटी मोटी रकम के लिए काम करने से वो अब तंग आ गया था इसलिए उसने MLA बनने का फैसला लिया और पैसे और ताकत से MLA की कुर्सी पर बैठ ही गया और सैकड़ों करोड़ों का मालिक बन गया! अब वो कुछ बड़ा प्लान कर रहा है।" बलदेव गंभीर होकर बोले।

"क्या इनके परिवार में किसी को पता नहीं कि यह एक गुंडा है।" सुमित ने अपनी शंका जाहिर की।

"हीं..... इनके परिवार में इनकी एकलौती बेटी पुजा के शिवाय और कोई नहीं है। पुजा की जन्म होते ही उनकी धर्मपत्नी का देहांत हो गया। बचपन से ही बलदेव पुजा से बहुत प्यार करता था उसके लिए अब वो ही उसकी दुनिया थी। पुजा को दुख ना हो इसलिए बलदेव ने उसे शक भी नहीं होने दिया कि वो क्या काम करता है।" बलदेव लम्बी सांस छोड़ते हुए बोले।

"तो क्या पुजा को कभी उसके पापा की सच्चाई पता नहीं चलेगा ? क्या राणा दग्गुबती ऐसे ही अपना कारोबार करता रहेगा ? सुमित एक बार फिर बोला।

"यह तो वो उपर वाला ही जान सकता है कि की आगे क्या होने वाला है।" बलदेव अपने वाणी को विराम देते हुए बोला।

"लेकिन।" सुमित बोलने ही वाला था कि एक शानदार बीएमडब्ल्यू कार तेजी से आकर वहां रूकी। ड्राइवर तेजी से उतर कर दरवाजा खोला उसमें से एक हट्टा-कट्टा आदमी शेरवानी पहन कर बाहर निकला गले में सोने की चैन और उंगलियों में हीरे की अंगूठी। कलाई पर रोलेक्स कंपनी की सबसे महंगी घड़ी और पैरों में नामी कंपनी के जुते वही राममुर्ती उर्फ राणा दग्गुबती था।

वही दुसरे दरवाजे से एक बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक लड़की बाहर निकली बाल एकदम काले और घुंघराले, आंखें मृग के जैसे मृगनैनी, होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ियां, गालों पर डिम्पल उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहे थे। नीले रंग के लहंगे में वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी। उसे बनाकर भगवान ने अपनी कलाकारी का अद्भुत परिचय दिया है। वह पुजा थी।

उसे देखकर वहां खड़े सभी लड़कों का होश खो गया सभी उसे एकटक देख रहे थे जैसे उसे हमेशा के लिए अपने आंखों में कैद कर लेंगे। पुजा के आते ही उसकी सहेलियों ने उसे विश किया और वहां खड़े बाकी लोग भी उसे बधाइयां देने लगें फिर पुजा की दोस्त उसे लेकर होटल के अंदर चल रहे डिस्को में चली गई।

इधर न‌ए MLA का भी सभी ने स्वागत किया और बातचीत करने लगे थोड़ी देर में गेट के पास कुछ शोर होने लगा राममुर्ती ने मैनेजर से पूछा "क्या बात है गेट के बाहर इतना शोर क्यो हो रहा है।"

"जी सर वो कुछ गरीब भिखारी हैं जो आपसे मदद मांगना चाहते हैं।" मैनेजर थोड़े धीरे स्वर में बोला।

"अरे यार पार्टी का सब मूड खराब कर दिया हटाओ उन सब को यहा से।" राममुर्ती थोड़े ऊंचे स्वर में बोले।

"मैंने कोशिश किया सर लेकिन वो टस से मस नहीं हुए वो लोग बिना आपसे मिले यहां से नहीं जाने वाले, कृपया आप उनसे एक बार मिल ले।" मैनेजर नम्रता से बोला।

"क्या बकवास है चलो ठीक है।" राममुर्ती गेट की ओर जाते हुए बोला।

गेट के बाहर मैले कुचैले और फटे पुराने कपड़े जिनसे वे अपने शरीर को ढके हुए थे, पुरा शरीर भुख और प्यास से सिकुड़ गया था, शरीर के नाम पर बस हंड्डीया बचे थे, आंखों में थोड़ी सी उम्मीद की किरण थी कि MLA साहब उनकी मदद करेंगे।

राममुर्ती के गेट पर आते ही चौकीदार ने सैल्यूट मारा और पीछे हट गया वहीं वहां खड़े उन लोगों ने राममुर्ती को नमस्कार किया।

"हां बोलो क्या बात है क्या चाहिए आप सभी को।" राममुर्ती रूखे स्वर में बोला।

"मालिक क‌ई दिनों से हम लोगों ने अन्न का एक दाना भी नहीं खाया, बूढ़े तो बूढ़े छोटे बच्चों ने भी तीन दिनो से कुछ नहीं खाया कृपया करके हमारी मदद कीजिए मालिक।" वे बेचारे लाचार और बेबस लोग एक साथ बोले।

"तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं तुम लोग मेहनत तो करते नहीं और मदद के लिए हम जैसे लोगों के सामने हाथ फैलाते हो।"

राममुर्ती बिगड़ते हुए बोले।

"नहीं मालिक आजकल पढ़ें लिखे लोगों को काम नहीं मिल रहा तो हम जैसे गरिबों को काम कौन देगा, हम बहुत गरीब आदमी है साहब कृपया हमारी मदद कीजिए।" वे फिर हाथ फैलाते हुए बोले।

"अरे हटाओ इन लोगों को पार्टी का पुरा मजा खराब कर दिया।" राममुर्ती अपने बाडीगार्ड से बोला

और बाडीगार्ड ने उन्हें वहां से मारते हुए भगा दिया वे बेचारे सड़क के किनारे बैठ गए तभी उनमें से एक बच्चा बोला " पापा हमें खाना नहीं मिलेगा क्या हम ऐसे ही मर जाएंगे क्या हमारा कोई सहारा नहीं??

बच्चे के उस बात को सुन सभी रो पड़े फिर एक बुजुर्ग बोला "हां बेटा हम जैसे गरिबों का यहां कोई सहारा नहीं है हम गरीबी में जीते है और गरीबी में ही मर जाते हैं इन बड़े लोगों को हम लोगों से कोई मतलब नहीं। होटल में वेटर को भले ही मोटी टीप दे देंगे लेकिन हम जैसे की मदद नहीं करेंगे।

"तो क्या हम लोगों की किस्मत में यही लिखा है ? क्या कोई फरिश्ता हमें इस गरीबी से मुक्ति दिलाने नहीं आएगा ?" एक आदमी बोला।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।

कहते हैं जब जब जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढता है।तब तब लोगों की रक्षा करने के लिए,और दुष्टों का विनाश करने के लिए वो ईश्वर हर युग में जन्म लेते हैं

अगर भगवान श्रीकृष्ण जी की यह वाणी सत्य है तो इस युग में भी हमारी रक्षा के लिए वे जरूर प्रगट होंगे............

आसमान में काली घटाएं छाने लगी और बिजली भी जोर जोर से कड़कने लगी और तभी आसमान से एक काला साया तेजी से नीचे आता हुआ दिखाई दिया....

इन सब बातों से अंजान उधर होटल के डिस्को में एक गाना चलने लगा।

बाला.. बाला, शैतान का साला

बाला.. बाला, रावण ने है पाला

बाला.. बाला, शैतान का साला

सभी उस गाने में डांस करने लगे और बाकी लोग उनके सम्मान में तालियां बजाने लगे थोड़ी देर बाद डांस खत्म हुआ पुजा के साथ बाकी सभी बाहर आए। बाहर राममुर्ती अपने दोस्तों से काफी देर तक बातचीत कर रहे थे।

"अरे भाई राममुर्ती तुमने क्या शानदार अरेंजमेंट करवाया है वाकई काबिले तारीफ है।" बलदेव मुस्कुराते हुए बोले।

"धन्यवाद बलदेव जी। एक ही तो बेटी है मेरी उसके खुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं, यह तो बस एक छोटा सा ट्रेलर था।" राममुर्ती बोलें।

वे कुछ और बातचीत करते उससे पहले ही वहां पुजा आ गई।

"हैप्पी बर्थडे पुजा बेटा।" बलदेव पुजा को विश करते हुए बोलें।

"थैंक्यू अंकल।" पुजा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"तुम्हारे पापा बहुत खुशनसीब है बेटी जिसे तुम जैसी बेटी मिली। पढ़ाई-लिखाई खेलकूद सभी में टाप।" बलदेव फिर बोले।

"खुशनसीब तो मैं हु अंकल जो मुझे इतने अच्छे और प्यारे पापा मिलें जो किसी का बुरा नहीं चाहते।" राममुर्ती के कार्य से अंजान मासुम पुजा बोली

"अच्छा अब चलो जल्दी से केक काटते हैं मुझसे अब और इंतज़ार नहीं होता।" राममुर्ती बात को पलटते हुए बोले।

"ओके पापा।" पुजा अपने सहेलियों के लिए स्टेज पर पहुंच गई वहीं राममुर्ती भी अपने दोस्तों के साथ वहां पहुंच गए। फिर राममुर्ती के एक इसारे पर वेटर एक बड़ा सा केक लेकर आया। पुजा आज बहुत खुश थी। राममुर्ती ने केक काटने के बोला।

पुजा एक प्यारा सा चाकु लेकर केक काटने के लिए तैयार हुई वहीं बाकी लोग हैप्पी बर्थडे टू यू वाला गाना गाने लगे। पुजा केक काटने ही वाली थी कि लाइट बंद हो गई सभी वजह से परेशान हो उठे।

तभी एक आवाज आई "हैप्पी बर्थडे पुजा" आवाज में इतना खौफ था कि सभी सहम गए और मोबाइल के टार्च आन करके इधर उधर देखने लगे लेकिन कोई भी नजर नहीं आया तभी वो आवाज फिर आया " हैप्पी बर्थडे टू यू, हैप्पी बर्थडे टू यू पुजा, हैप्पी बर्थडे टू यू"

तभीटार्च की रौशनी में एक साया दिखाई दिया उसे देख सभी के मन में एक अनजाना सा डर बैठ गया सभी इधर उधर भागने लगे।

तभी सामने एक परछाई दिखाई दिया पुरा शरीर सडा हुआ जिससे दूर दूर तक उसकी बदबू जा रही थी आंखें लाल, दांत और नाखून लंबे और नुकीले,एक हाथ में हंसिया ( धान की फसल काटने का औजार) और दूसरे हाथ में कलारी ( फसल मिसाई में काम आने वाला) लिए खड़ा था हंसिए का धार इतना तेज था कि थोड़ी सी लाइट पाने से भी चमक रहा था।

" क.... कौन हो तुम!" उसे देखकर राममुर्ती डरते हुए पूछा।

"हम गरीब है साहब" थोड़ी देर की शांति के बाद खून जमा देने वाला जवाब आया, आवाज में इतना दर्द और आक्रोश था कि सभी का दिल दहल गया।

"पहचाना नहीं मुझे मैं वहीं हु जिसे तुमने बड़ी बेरहमी से मार दिया था।" वह परछाई आक्रोश के साथ बोला

"न...न...नही तु..तु.. तुम राममुर्ती को जैसे झटका लगा वह हकलाते हुए बोला!"

"हां मैं वहीं हूं!" वह परछाई गुस्से से लाल हो गया।

और इससे पहले कि राममुर्ती कुछ सोच पाता उस परछाई ने एक झटके में उसके पास जाकर अपने हंसिए से एक ही वार में उसका गला काट दिया और दूसरे हाथ में पकड़े कलारी को उसके पेट में घुसा दिया।

राममुर्ती वहीं ढेर हो गया उसके शरीर से रक्त की धारा बहने लगी, उसके मौत के बाद उस परछाई को शांति मिली लेकिन पुजा चीख पड़ी .. "पापा!"

पुज अपने पापा के कटे शरीर के पास पहुंच गई और अपने पिता की ये हालत देख फुट फुट कर रोने लगी लेकिन उस परछाई के अलावा उसकी आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था।

वह परछाई भी वहां से जाने लगा तभी एक आवाज आई "रूको!"

पुजा भी अपने पिता की मौत का बदला लेना चाहती थी.. कौन हो तुम? मेरे पापा ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो उसे मार डाला ? क्या कसूर था मेरे पापा का ? पुजा की आंखों में फिर से आंसू निकल पड़े।

और हम लोगों का क्या कसूर था जिसे तुम्हारे पापा ने बड़ी बेरहमी से मार डाला, हम तो जी रहे थे जैसे तैसे हमने तुम्हारे पापा का क्या बिगाड़ा था ? उस परछाई के आंखों में आसूं आ ग‌ए।

"क्या पापा ने आपको मारा नहीं नहीं ये झुट है पापा कभी किसी को मार ही नहीं सकतें तुम झुट बोल रहे हों!" पुजा अपने आंसूओं को पोंछते हुए बोली

"उसने ही किया था उसने ही हम सब को मारा था उसी ने इस मौत के खेल को शुरू किया था उसी की वजह से आज हजारों लोग मर रहे हैं!" वह परछाई गुस्से से बोला।

"क्या?" पुजा घबरा गई।

हां जानना चाहती हो कौन था! तुम्हारा पापा क्या किया था उसने ! वह परछाई बोला

"हां।" पुजा धीरे से बोली।

तो सुनो.............................

TO BI CONTINUE

Ꭰɪɴᴇꜱʜ Ꭰɪᴠᴀᴋᴀʀ"Ᏼᴜɴɴʏ"