गरीब किसान की कहानी Dhinal Ganvit द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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गरीब किसान की कहानी

किसी ने क्या कमाल की बात कही हैं..! ऊपरवाला जब भी हमारे बारे में सोचता है तब सिर्फ हमें उस इशारे को समझने की बात होती हैं। वो ढेरों खुशियां लाकर हमें थमा ही देता है।

एक किसान गरीबी के दिनों में अपने परिवार के साथ जी रहा था। किसान के परिवार में वह, उसकी पत्नी और उसकी एक छोटी बेटी रहती थी। किसान के छोटी बेटी को बढ़ाई में काफी दिलचस्पी थी। लेकिन वो किसान उसकी आर्थिक परिस्थिति सही ना होने की वजह से काफी दुखी रहता था। और इसी वजह से अपनी बेटी पर भी वह चिल्ला देता था। इसीलिए किसान की बेटी पढ़ाई करने की बात कहने से उसकी किसान से डरती थी। और किसान की पत्नी भी वह अपने पति से जुदा ना हो जाए इस वजह से अपने बच्ची के लिए खामोश रहती थी।

थोड़ा वक्त यूं ही चला गया। 1 दिन उस किसान के घर एक स्वामी जी अपने सन्यास के दौरान उस किसान के घर पर जा पहुंचते हैं। किसान की पत्नी उस स्वामी जी को बढ़िया भोजन बना कर खिलाती है। विश्राम के दौरान स्वामी जी किसान की बेटी से पूछते हैं कि क्या तुम्हें पढ़ाई लिखाई आती है। तब उस किसान की पत्नी स्वामी जी को बड़े दुख के साथ बताती है कि स्वामी जी क्या करें कोई रास्ता नहीं है..! मुश्किल से दो वक्त का खाना निकाल पाते हैं। और मेरे पति भी आर्थिक परिस्थिति की वजह से इस बच्ची की पढ़ाई के खिलाफ है। तब वह स्वामीजी सभी बातें समझ जाते हैं। अंत में जाते समय वह स्वामी जी किसान की पत्नी को अपने सामान में से अनाज की एक छोटी सी पोटली थमा कर बोलते हैं कि भेजो अपना सन्यास पूरा करके यहां से लौटेंगे तब तक यह अनाज की पोटली तुम अपने पास संभाल कर रखना। किसान की पत्नी स्वामी जी का यह उद्देश्य समझ नहीं पाती है। स्वामी जी वहां से किशन की पत्नी को आशीर्वाद देकर चले जाते हैं। लेकिन किसान की पत्नी अब दुविधा में थी। की स्वामी जी ने अपने सामान में से सिर्फ और सिर्फ एक ही पोटली क्यों है थमाई और वह क्यों रख कर गए। यह बात किशन की पत्नी को समझ नहीं आ रही थी। और एक दिन यूं ही चला जाता है।

अगले दिन की सुबह को किसान अपनी पत्नी से कहता है कि इस बार फसल करने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं है। आखिर आने वाले साल में हम करें तो करें क्या? जैसे काफी दुविधा ओ में किसान और उसकी पत्नी फैले हुए थे। और जब फसल ही नहीं होगी तो अपनी बच्ची की पढ़ाई भी कैसे करवाएंगे..!

बारिश का समय शुरू हो रहा था। बारिश को देखते हुए ही किसान की पत्नी को स्वामी जी के साथ का वह दिन याद आता है। और किसान की पत्नी सोचते हैं कि स्वामी जी के आने तक के समय में यह फसल तैयार हो ही जाएगी। उसी सोच के साथ किसान और उसकी पत्नी स्वामी जी की पोटली में हुआ अनाज फसल के लिए खेत में डाल देते हैं।

किसान और उसकी पत्नी दोनों खूब मेहनत कर रहे थे। और इसी साल बारिश भी अच्छी तरह शुरू हुई थी। थोड़ा वक्त गुजरता है और फसलों में सोने के दाने जैसे ढेर सारा अनाज निकलता है। और इसके साथ ही किसान के घर में बड़ी ही खुशी छा जाती है क्योंकि अब उस किसान की बेटी पढ़ने लिखने के लिए जा पाएगी।

किसान और उसकी पत्नी सोचते हुए यह फैसला ले लेते हैं कि उसकी बेटी को स्वामी जी के आश्रम में पढ़ाई लिखाई के लिए रख आते हैं। और वहां वह स्वामी जी का जितना अनाज उन्होंने हमें दिया था उससे दुगना अनाज हम उनके पास लेकर जाएंगे।

किसान और उसकी पत्नी स्वामी जी के आश्रम में पहुंचते हैं। किसान की पत्नी स्वामी जी को याद दिलाते हुए 1 साल पहले की घटना स्वामी जी को बताती है और वह अनाज को स्वीकार करने के लिए बोलती है।

तब स्वामी जी किसान और उसकी पत्नी को मुस्कुराते हुए कहते हैं कि भगवान ने मुझे तुम्हारे पास मदद करने के लिए भेजा था। लेकिन तारीफ तुम्हारी सोच कर करनी चाहिए क्योंकि वह अनाज को तुमने उगाया है और मेहनत से तुमने इस फसल को पकाया है। स्वामी जी किसान से बहुत प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और उस किसान की बच्ची को अपने आश्रम में पढ़ाई लिखाई मुफ्त में करवाने की बात रखते हैं। और किसान और उसकी पत्नी को स्वामी जी के आश्रम में ही सभी बच्चों के लिए खाना बनाने की जिम्मेदारी उस किसान और उसकी पत्नी को सौंपते हुए स्वामी जी आशीर्वाद देते हैं।

उस गरीब किसान के घर में सालों बाद एक पर एक काफी खुशियां आ गई थी।

सच में किसी ने क्या खूब बात कही है.. ऊपर वाला जब भी हमारे बारे में सोचता है तब सिर्फ इशारे को समझने की बात होती है। वो ढेरों खुशियां लाकर हमारे हाथ में थमा ही देता है।