Confession - 25 (अंतिम भाग ) Swati द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Confession - 25 (अंतिम भाग )

शुभांगी  की ज़ोर से चीख  निकली  और  तभी पॉल  एंडरसन  सामने  आ गए। उन्होंने क्रोध  और नफरत  की आग में  जलती नूरा  पर  एक दृष्टि  डाली। नूरा  ने भी उन्हें  देखा , मगर  शुभांगी  को  अपने  चंगुल  से  आज़ाद  नहीं किया  ।   यश  भी घुटनों  का  सहारा  लेकर खड़े  होने  की कोशिश  करने लगा। मगर फिर  गिर गया  । चिल्लाती  और दहाड़ती  नूरा  को एक  आवाज़  ने आकर्षित  किया  ।   पॉल  एंडरसन  के हाथों  में  नवजात  शिशु  है ।  उन्होंने  कहना  शुरू  किया, नूरा यह  तुम्हारा  बच्चा  है, जो  जन्म  लेते  वक़्त  मर  गया था, मैं  इसे  परम  पिता परमात्मा  से  मांगकर  लाया  हूँ  । नूरा  ने उस  शिशु  को देखा  तो उसकी  शुभांगी  की गर्दन  पर पकड़  ढीली  हो गई । उसका   तमतमाता  चेहरा  शांत  होने  लगा  । पकड़ ढीली  होने  के कारण वह  ज़मीन  पर गिर गई।   नूरा  उस   बच्चे  की और  लपकी, मगर पॉल  एंडरसन  ने यह  कहकर  उसे  रोक  दिया कि  इन  बच्चों  और   शैतान  को  छोड़ना  पड़ेगा  ।  तभी  तुम  अपने बच्चे  को  स्पर्श  कर पाऊँगी  ।  नूरा  ने ज़मीन  पर गिरी   शुभांगी  को देखा  और  अपने  सामने  लटकते   शैतान  को, जिसे  वो और एंडरसन  देख  पा  रहे  हैं  ।   शैतान  ने नूरा  को अपनी  ओर  खींचा । मगर  उसकी ममता  अब उस पर हावी  हो गई  ।  वह  ज़ोर  से  चिल्लाई  और  लपककर उस  नन्हे  शिशु  को पकड़  लिया  ।  मुस्कुराते  शिशु  को देखते  ही   नूरा  अपने  असली  रूप  में  सबको  नज़र  आने  लगी  । शुभांगी  ने देखा, नूरा  सचमुच  खूबसूरत  है, गहरी  नीली  बड़ी  आंखें और  चेहरे  पर  नूर।  उसे  देखकर  नहीं लग  रहा  है  कि यह  औरत अभी थोड़ी देर  पहले  शैतान थीं । 

ममता  और  प्यार से  उस  शिशु  को निहारती नूरा एक  माँ  और  अपने पिता  की प्रेयसी  प्रतीत  हो रही  है। उसके  इस रूप  में  आते ही शैतान  का अस्तित्व  शून्य  हो गया ।  पॉल  एंडरसन  यह  सब देखकर  मुस्कुराए । तभी  एंड्रू  भी  उनके सामने  आकर  उन्हें  देखकर  मुस्कुराने  लगे  और आँखों  की भाषा  में  उन्हें  धन्यवाद  दिया ।  शुभु  के  पिता  शांतनु  उसके पास  आए  और  उसके  सिर  पर हाथ  रख  दिया ।  वह  नूरा  के पास  गए और उससे  हाथ  जोड़कर  माफ़ी  मांगी  । इस  दफा नूरा  के चेहरे  पर उभरी शांति  बता रही है कि  उसने  उन्हें माफ़  कर दिया। पापा ! शुभु  की आवाज़  है। "बेटा, अब मैं  चलूँगा, अपना ख्याल रखना ।" उनके  इतना कहते  ही  शांतनु, नूरा और एंडरसन शुभु  को एक नज़र  देखकर  चले  गए  । उनके  जाते  ही  सभी  नकरात्मक  शक्तियाँ  भी  उस  घर को छोड़  गई । "अब  सही  मायने  में  यह पॉल  एंडरसन  का घर लग रहा  है, शांत, सौम्य और  सकारात्मक  ऊर्जा  से  भरपूर ।" एंड्रू  ने पूरे घर  पर नज़र  डालते  हुए  कहा । उसे  यकीन  नहीं आ  रहा  है  कि  वह  और यश  ज़िंदा है  । अब  उसके सभी  सपने पूरे  होंगे । यहीं  सोच उसके चेहरे  पर मुस्कुराहट  आ गई  । वह  घायल  पड़े  यश की  तरफ़  बढ़ने लगी  ।  तभी  यश  ज़ोर  से  चिल्लाया। शुभु  मुझे  बचाओ ! मुझे बचाओ ! शुभु  और  एंड्रू  यश  की तरफ  दौड़े ।   मगर वह  दौड़ते  हुए  नीचे  गिरे  सामान  से  टकराई  और  यश पर आ  गिरी। यश  के हाथ में  जो टूटा हुआ काँच का टुकड़ा  है,  वह  उसके  पेट  में  घुस  गया  और  उसकी  चीख  निकल  गई ।  शुभु  को लहूलुहान देख, वह चीखा।  शुभु  !! फादर !!  शुभु  को बचाओ । कहते हुए  वह  पागलों  की तरह  एंड्रू  को  ज़ोर-ज़ोर से  हिलाकर  शुभु  को बचाने  के लिए  कहने लगा । यश ! यश मेरी बात  सुनो ! अब यहाँ  कोई नहीं  है । कोई  नहीं है । तुमने  शीशा  क्यों उठाया था ? एंड्रू, यश का हाथ पकड़  उसे समझाते  हुए  पूछने  लगे। मगर यश होश में  नहीं  है । वह लगातार कह रहा है, "शैतान ने मारा, शुभु को शैतान ने मारा" एंड्रू, यश को समझने की कोशिश में जैसे ही उसे कड़ते है, वैसे ही वह काँच टुकड़ा  एंड्रू  के पेट में  लग  जाता है और वह भी  वहीं  गिरने लगते हैं और फादर  को सँभालते  हुए यश  भी उसी  कांच से जख्मी होकर ज़मीन पर गिर जाता है। 

शुभु!  शुभु!  यश  ज़ोर से चिल्लाया, जब  यश  की आँख  खोली  तो  वह हॉस्पिटल  में  है।  मेरी शुभु  कहाँ  है ? वह  चिल्लाया और उठने को हुआ। आप  आराम से लेट  जाए ।  आपके सिर  और  हाथों  पर गहरी  चोट  है ।  नर्स  ने उसे  समझाते  हुए कहा। पहले  बताए, मेरी शुभु  कहाँ  है ? फादर एंड्रू कहाँ   है? वे  दोनों  तो अब नहीं रहे । नर्स  ने उसको  बिस्तर पर लिटाते हुए कहा । शुभु !!!!!! यश फ़िर  चिल्लाते हुए  चीख-चीखकर रोने लगा। उसने आज शुभांगी  को हमेशा  के लिए खो दिया है । 


एक हफ्ते  बाद  सभी  स्टूडेंट्स  हॉल  में  बैठे है, यश का मुँह  उतरा  हुआ है । उसकी  आँखों में  नमी है । वह  फादर एंड्रू  और शुभु  की मौत  से  बेहद दुःखी  है ।  वह अब भी  सदमे में  है। तभी  तालियाँ  बजती  है और उसका  नाम  पुकारा  जाता है । यश  अपने  तीन दोस्तों  के साथ  बुझे मन से  स्टेज पर जाता  है । कॉलेज के चेयरमैन कह रहे है, "हम अपने  कई  मेहनती और होनहार स्टूडेंट्स को खो  चुके हैं । आज  अगर  शुभांगी, विशाल, रिया और अतुल ज़िंदा होते  तो  इस  ईनाम  के असली  हकदार वो होते । उनका  पॉल एंडरसन पर बना  प्रोजेक्ट  सचमुच प्राइज के काबिल है । मगर  अब कॉलेज कमेटी  ने यह  डिसिशन  लिया है कि  यश एंड ग्रुप  को आगे की पढ़ाई  के लिए  यू.के. जाने  का मौका  कॉलेज  की तरफ  से  दिया जायेगा क्योंकि शुभांगी  एंड  ग्रुप  के बाद यश का प्रोजेक्ट ही विनर  घोषित  किया जाता है ।कॉलेज की तरफ  से स्कॉलर्शिप और लगातार वहाँ  तीन  साल  रहने का खर्चा  मैनजमेंट  देगी । सेकंड  आए  यश  एंड ग्रुप  को आज किस्मत ने फर्स्ट कर दिया है ।" यह  सुनते  ही  सब ज़ोर  से तालियाँ  बजाने  लगे । यश  ने भारी  मन से  मार्कशीट, स्कॉलर्शिप  और ट्रॉफी  हाथ  में  ले ली ।

वह  हॉल  की उस  दीवार को देख रहा है, जिस पर  शुभांगी, रिया, विशाल, अतुल, संध्या और समीर की तस्वीर  लगी है और कैप्शन में  लिखा है, " Great soul rest in peace" यश की आँखों  में  आँसू  आ गए । तभी  प्रभात  उसे  गले लगाता  हुआ बोला, "तेरी  तो लाइफ बन गई  यार, तेरा बाप  तो तुझे  मुंबई  नहीं  भेज  पा  रहा था और  अब  कहाँ तू  और  तेरे  चिरकुट दोस्त  यू.के. में  ऐश करोंगे । अपने पापा की फैक्ट्री के मालिक की गाड़ी चलाने वाला, अब खुद की नई ब्रैंडेड गाड़ी में घूमेगा । "मैंने  अपना प्यार  हमेशा के लिए खो दिया। क्या  फायदा,  इस  स्कॉलर्शिप का, उन महँगी गाड़ियों का? "यश का चेहरा गंभीर है। शुक्र  मना, उनमे से  कोई  नहीं  बचा। अगर  एक भी बच  जाता  तो  हम यहीं  इंडिया की ख़ाक छानते, मैंने खुद मैनेजमेंट  को कहते सुना  है। चेतन  ने यश  से हाथ मिलाते  हुए कहा । "छोड़  न यार ! क्या फर्क  पड़ता है । मेरी  शुभु  नहीं  तो कुछ नहीं ।" कहते  हुए, यश  आँसू  पोंछता  हुआ कॉलेज से  निकल गया। सभी  को उससे  हमदर्दी है।

तीन  हफ्ते बाद  यश  यू.के. की फ्लाइट  में  बैठा  हुआ  है । अब वह  अपने तीन  दोस्तों  के साथ  आगे  की पढ़ाई के लिए विदेश  जा रहा है। मगर उसका चेहरा बता रहा है कि  वो बहुत उदास है। उसका दोस्त चेतन  उसके साथ  बैठा  है । बाकी दो दोस्त पीछे की सीट पर है। वह  लगातार  प्लेन की खिड़की से नीचे देख रहा है । तभी  एयर होस्टेस उनके पास ड्रिंक  रखकर  चली जाती है । "पी  ले  यार ! सॉफ्ट ड्रिंक है । कब तक  मुँह  लटकाकर बैठा  रहेगा।" चेतन उसे  गिलास  पकड़ाते हुआ बोला । उसने गिलास  पकड़ा और गहरी  सांस  लेते हुए कहा, "मिस  यू  शुभु!"  और  एक ही सांस  में  ड्रिंक पी  गया। फ़िर  चेतन की तरफ  देखने लगा तो चेतन  की हँसी  छूट  गई।  और  यश भी ज़ोर से  हँसने  लगा।  साले!  यश, दोबारा  बोलियों, "आई  मिस यू  शुभु!" चेतन  के  यह कहते  ही दोनों  दोस्त  फ़िर हँसे  और  पूरा  प्लेन  उनके ठहाकों  से गूंज  उठा ।   

 

समाप्त