प्रायश्चित- 17 - Pyada Ghar Pahuch Gya Devika Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

प्रायश्चित- 17 - Pyada Ghar Pahuch Gya

उधर डैनी फोन पर फोन लगाया जा रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रॉबर्ट कहां गया उसका फोन भी नहीं लग रहा था उसे लग रहा था क्या पता अंकित ने रॉबर्ट को मार तो नहीं दिया।

क्या अंकित को उसकी सच्चाई पता चल गई क्या अंकित को राज मिलने के बाद भाग गया।

इन सारे सवाल डैनी को खाए जा रहे थे। अब उसके चेहरे पर शिकन साफ नजर आ रही थी।

माथुर साहब : क्यू डैनी साहब रोबोट मारा गया क्या मैंने कहा था अंकित पर भरोसा मत करो वह भरोसे लायक नहीं है।

डैनी: तुमने कब कहा था कि भरोसा मत करो बल्कि तुमने ही मेरे इस प्लान को सुनकर मेरी मुझे शाबाशी दी थी।

माथुर साहब: मुझे सब याद है मुझे इतना याद मत दिलाओ मैंने क्या कहा था क्या नहीं।

डैनी: अब अगर तुमने अपना मुंह बंद नहीं किया तो सबसे पहले मैं तुम्हें मार दूंगा और इससे मेरा काम आसान हो जाएगा तुम जानते हो क्यों क्योंकि सारे पैसे मेरे होंगे समझे तो आगे से से संभल कर बात करना। मुझसे

यह बात सुनकर माथुर घबरा गया उसने उस समय कुछ नहीं कहा लेकिन उसके अंदर थोड़ी खुशी थी कि डैनी पहली बार इतना सोच रहा था किसी के बारे में।

उसने डैनी को कभी भी इतना टेंशन में नहीं देखा था डैनी जो चाहता था वह उसे आसानी से मिल जाता था लेकिन इस बार खेल कुछ और ही था।

डैनी के इस शतरंज के खेल में डैनी ने वजीर की चाल तो बड़े अच्छे से चली थी। लेकिन उसने यह नहीं देखा कि सामने वाले का प्यादा अपने घर पहुंच चुका था।

डैनी के हाथ से उसका साम्राज्य जाता हुआ दिख रहा था।

लेकिन डैनी इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं था।

तब डैनी ने अपनी अगली चाल चली।

उसने रॉबिन को फोन किया। और उससे पूछा कि वह कहां है उस समय रॉबिन साल्वे का पीछा कर रहा था।

रॉबिन ने डैनी से कहा।

रॉबिन: जी सर मैं साल्वे का पीछा कर रहा हूं। जैसा कि आपने कहा था।

डैनी: रॉबिन क्या तुम्हें रॉबर्ट का फोन आया था वह कहां है क्या उसने तुमने फोन किया था?

रॉबिन: नहीं सर उसने मुझे अभी तक कॉल नहीं किया मैंने उसे कॉल किया था लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा है

असल में रॉबर्ट रॉबिन का बड़ा भाई था वह दोनों सगे भाई थे और अगर रॉबिन को पता चल जाता कि रॉबर्ट मर चुका है तो टूट जाता पर बेकाबू हो जाता सिचुएशन को संभालते हुए डैनी उसे अपनी डर का एहसास उसे नहीं कराया।

इतना सुनने के बाद डैनी ने फिर कहा कि अभी तुम कहां हो।

रॉबिन: सर मैं अभी पुराने कार की यार्ड में हूं।

डैनी: तुम वहां क्या कर रहे हो साल्वे यहां पर आया था सर मैं भी उसके पीछे-पीछे चला आया।

दरअसल साल्वे में यहां पर पायल की सुपारी देने आया था। साल्वे जानता था कि वह इतना बड़ा काम खुद अकेले नहीं कर सकता था वह किसी का मर्डर नहीं कर सकता था उसे यह काम आता ही नहीं था हां वह बिल्कुल एक अच्छा वकील था लेकिन वह अपने हाथों को गंदा नहीं करना चाहता था।

साल्वे उन लोगों के पास जाता है। और उनसे कहता है मुझे एक लड़की को मरवाना है तुम कितने पैसे लोगे।

दरअसल साल में जिस आदमी से बात कर रहा था

उस आदमी का नाम डेविल डेड था। वह आदमी कद काठी में साल्वे के 2 गुना था। उसने एक हरे कलर की टी-शर्ट पहनी हुई थी। उसकी हथेलियों की उंगलियां पैरों के अंगूठे के बराबर थी। अपनी फ्रेंच कट दाढ़ी को शहराता हुआ उसके पास आकर खड़ा हो जाता है।

और कहता है।

डेविल: 20 लाख यूरो

साल्वे: क्या इतने पैसे

साल्वे में अपने मन में यह सोच रहा था इतने सारे पैसों को अगर वो इंडिया में दे तो वह कितने लोगों का कत्ल करवा सकता है क्या इतने सारे पैसे उसको देने के बाद वह पैसे इसे मिलेंगे इसका भी कोई गारंटी नहीं था। वह सोच में पड़ जाता है कि असल में उसे वह पैसे दे या ना दे।

तब डेविल साल्वे से कहता है कि जो सोचना है जल्दी सोचो मेरे पास वक्त नहीं है।




वह सोचता है इतने सारे पैसे एक लड़की के लिए बर्बाद करना वह भी पैसों के लिए यह एक अकल मंदी का काम नहीं है और वह सोच कर वहां से जाने लगता है तब डेविल उसे रोकता है।

उसे कहता है।

डेविल: कहां जा रहे हो ?

यहां पर जो आता है खाली हाथ वापस नहीं जाता।

यह सोचकर साल्वे उसे उस पैसे देता है तब डेविल गुस्सा हो जाता है और उससे कहता है।

डेविल: मैं पैसों की बात नहीं कर रहा हूं तुम अपना काम बताओ

तुम्हारा काम हंड्रेड परसेंट होगा।

साल्वे: अच्छा तो कोई डिस्काउंट।

ठीक है तुम्हें डिस्काउंट चाहिए ना मैं देता हूं ना तुम्हें डिस्काउंट अपने काम में मैं हाफ मर्डर करके उसकी बॉडी तुम्हें लौटा दूंगा तुम हाफ पेमेंट कर देना ओके तो डील

कोई बात नहीं जाने दो मैंने अपना मूड चेंज कर दिया है। मैंने उसका मर्डर नहीं कराना।

यह सुनकर डेविल थोड़ा गुस्सा हो जाता है और उसे रोककर कहता है।

डेविल: तुम आए थे अपनी मर्जी से लेकिन जाओगे मेरी मर्जी से यहां पर जो आता है उसका काम चाहे वह कर आना चाहे या ना कर आना चाहे

उसे अपना काम यहीं पर छोड़ कर जाना होता है वह अपने काम के साथ यहां से नहीं जा सकता।

साल्वे: डायलॉग तो बड़ी अच्छी मारते हो किसी पिक्चर के पहले राइटर थे क्या।

डेविल उसे घूरता हुआ थोड़ा हंस रहा होता है लेकिन उसकी शैतानी दिमाग में कुछ और ही चल रहा होता है।

डेविल: हां तू बोल तो तेरा पिक्चर यही सूट कर दु बिना पैसों के तेरे लिए बिल्कुल मुफ्त है क्या कहता है तू उस पिक्चर का हीरो होगा और तुझे पता है ना हीरो का क्या हाल होता है मूवी में।

साल्वे थोड़ा डर जाता है।

वह उसे कहता है

साल्वे: ठीक है मुझे माफ कर दो मैंने कुछ ज्यादा ही कह दिया। तुम्हें।




साल्वे: ठीक है। यह रही उसकी फोटो उसे ढूंढ कर तुम्हें इसे मारना नहीं है उसे मेरे पास लेकर आना है मुझे उससे कुछ पूछना है।




डेविल: हां क्या आखरी इच्छा पूरी करेगा उसकी।

साल्वे: जितना कहता हूं उतना करो उन पैसों से मतलब है ना तुम्हें मिल जाएंगे आज मेरा काम जैसा कहता हूं वैसा करो।

इतना कहने के बाद फोटो रखकर साल्वे वहां से जाने लगता है। तब डेविल उसे से जोरदार आवाज लगाकर वापस बुलाता है।

डेविल: अबे ओ कबूतर एडवांस क्या तेरा बाप देगा!!!!!

साल्वे: आइंदा कभी भी मुझसे इस तरह तुमने कहा तो तुम जानते हो कि मूवी के अंत में गुंडे का क्या हाल होता है मैं जितना सीधा हूं उतना ही खराब हुं।

इतना कहने के बाद साल्वे एक पैसे की भरी गड्डी उसके टेबल पर फेंक कर वहां से निकल जाता है डेविड पास खड़े उसे बस देखता ही रहा डेविल ने उसका कुछ जवाब उसे नहीं दिया।

असल उसे वो को बहुत ही पसंद आया था।

वह पहला ऐसा आदमी था जो उसे डरा नहीं था।

वरना जितने भी लोग यहां पर आते हैं। उसकी शरीर को देखकर ही उनकी हवा टाइट हो जाती है।




और दूसरी तरफ पायल की हालत बहुत खराब थी। उसके पास पैसे तो थे लेकिन वह अब यह सोच रही थी कि राज के बारे में अगर वह पुलिस कंप्लेंट करती भी है तो उसे राज के मिलने तक रुकना पड़ सकता है। और वो इतना वक्त यहां पर जाया नहीं करना चाहती थी। उसे पता था कि साल्वे में कुछ ना कुछ प्लान तो कर ही रहा होगा यह तूफान के आने की पहली की शांति है जो इतनी शांत उसे लग रही थी जो कि आगे आने वाला उसे तूफान भी उसे अभी से ही दिख रहा था।

मैं सोच रही थी कि अब उसे करना क्या चाहिए।

क्या वह पैसे लेकर भाग जाए अगर वह पैसे लेकर भाग जाती तो इसमें वही फसती क्योंकि उसके घर में एक लाश भी थी। और उसने अभी तक उसे ठिकाने नहीं लगाया था।

इस खेल की सबसे बड़ी शातिर खिलाड़ी पायल ही थी जो कि आज एक पिद्दी खिलाड़ी से हर चुकी थी।

सारे जगह से उसके रास्ते बंद होते जा रहे थे। आज कोई उसके काम नहीं आ रहा था। लालच की वजह से वो राज के करीब आती थी। और अब वही लालच की वजह से आज वो उससे इतनी दूर भी हो गई थी।

इतने सारे पैसे भी थे लेकिन पैसे उसके कोई काम नहीं आने वाले थे।

और उधर अंकित राज को अपने होटल पर लेकर आ जाता है और उसे अपने बेड पर सुला देता है और उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसके पास बैठ जाता है। कुछ घंटों के बाद राज की आंख जब खुलती है। तो अंकित को अपने पास पाकर बहुत खुश होता है उसे यकीन नहीं हो रहा होता है कि अंकित उसके साथ यहां पर आज है। ऐसे वक्त में अपने ही काम आते हैं राज सोच रहा होता है कि अंकित उस लड़ाई में मर चुका होगा राज सही मायनो में आज बहुत खुश था।

राज इतना खुश था कि उसकी आंखों से पानी निकलने लगते हैं लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाता वह उसे बस देखता ही रहता है। उसकी आंखों से पानी निकलता देख अंकित उसकी आंखों के आंसू पूछता है।

अंकित के इतनी जतनों के बाद दो दोस्त आखिर में इतने दिनों बाद मिल रहे होते हैं।

राज उसके सामने कुछ बोल नहीं पाता लेकिन अंकित उसकी सारी बात समझ जाता है।

दरअसल राज बताना चाहता था। कि वह पायल के साथ यहां पर है और वह यहां पर बहुत खुश है। और वह अंकित से पायल को मिलाना चाहता था। अंकित को भी पता चले कि पायल कौन है। लेकिन राज को शायद पता नहीं था की पायल की असलियत क्या है पायल के बारे में अंकित पूरी तरह से अब जान चुका था।

पायल किस तरह की लड़की थी।










क्या अंकित राज को पायल की असलियत बता देगा और क्या पायल अब मरने वाली थी क्या साल्वे में अपने चाल में कामयाब होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए।







प्रायश्चित