प्रायश्चित- 5 - Raaj ki Pareshani Devika Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रायश्चित- 5 - Raaj ki Pareshani

राज ने उसकी बात सुनी और चौक गया और वोही रूक गया उसे समझ में नही आ रहा था। अचानक इसको क्या हो गया अब भी तक तो यह मुझ पर भरोसा नहीं कर पा रही थी। अभी यह मुझसे पूछ रहीं है।

राज: क्यू अब क्या हुआ बोलो क्या तुमें मुझ पर भरोसा हो गया है। यह तुम कुछ और सोच रहीं हो।




पायल: मुझे तुम भरोसा तो नहीं है पर मैं अपने आप पर तो भरोसा कर सकती हु।




राज: कहना क्या चाहती हो तुम मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।




पायल: तुम्हें समझने की की जरूरत नहीं पड़ेगी मैं तुम्हारे साथ हूं।

राज: ठीक है फिर मैं तुम्हें एक पासपोर्ट बना कर देता हूं और तुम यह पैसे बैंक से निकाल कर आज शाम तक यह देश छोड़कर चले जाना। मेरी फिकर मत करना मैं तीन-चार दिन में तुम्हारे पास आ जाऊंगा।

पायल: और अगर ना आए तो और मैं वहां पर अकेली पड़ गई तो तो मैं क्या करूं उसका भी कोई प्लान है।




राज: तुम अकेली पड़ गई लेकिन तुम्हारे पीछे उस टाइम कोई नहीं होगा तुम अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकती हो यह सब तुम्हारे लिए कर रहा हूं।




पायल: नहीं मैं तुम्हारे साथ ही चलूंगी!!!

पायल कितना बोलते हीरा समझ गया था कि पायल उस पर भरोसा नहीं करती हो सोच रहे थे अकेले जाने में खतरा है मेरे को मुझे साथ में ले कर जाएगी लेकिन मुझे लेकिन मुझे लेकिन राज को अपने दो संगीत को छुड़ाना भी तो था इसलिए उसने कहा कि




राज: ठीक है रात के 8:00 बजे तक मैं अगर एयरपोर्ट नहीं पहुंचा तो तुम चली जाना लेकिन 8:00 बजे तक मेरा इंतजार करना। अभी मैं चलता हूं। रात में मिलूंगा।

उसके जाने के बाद पायल सोचने लगी उसे अब क्या करना है उसने ज्यादा सोचा नहीं जा रहा था। और दुकान को अपनी मालकिन को सौंपते हुए कहा कि मुझे आज जल्दी घर जाना है घर पर कुछ काम है और घर जाकर वह अपने सारे सामान एक बैग में समेटने लगी और समय-समय से सोच भी रही थी कि आगे क्या होने वाला है उसे आगे का कुछ पता नहीं था पर था उसे कुछ कुछ भरोसा तो हो चुका था राज की बातों पर इसलिए इतना बड़ा खतरा उठाने के लिए वह तैयार हो गई थी और इसमें उसका भी तो स्वार्थ था इसमें

पर यहां पर राज उसके बारे में सोच रहा था कि क्या कर बैठा हूं उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था उससे से प्यार करता है उसे जोखिम में कैसे डाल सकता है लेकिन इसके अलावा उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। सोच रहा था वक्त आने पर वह खुद समझ जाएगी कि मैंने उसके लिए यह अच्छा ही किया है।

कुछ समय बाद पायल बैंक के पास पहुंची उसने दरवाजा हिचकते हुए खोला और बैंक के अंदर घुस गई।

बैंकर: जी मैडम मैं आपकी क्या हेल्प कर सकता हूं।




पायल: मुझे मेरे अकाउंट से पैसे निकालने हैं सारे के सारे




बैंकर ने उसे ऊपर से नीचे घूरते हुए कहा




बैंकर: अपना नाम और अकाउंट नंबर बताइए प्लीज।

पायल: मेरा नाम नेहा शर्मा है।

और उसने अकाउंट नंबर दे दिया।

बैंक का अकाउंट नंबर लेने के बाद कंप्यूटर में अपना सर घुसाए कंप्यूटर में कुछ देखने लगा

उसके बाद उसने पायल से कहा

बैंकर: आप पूरे पैसे क्यों निकालना चाहती हैं पायल ने बेखौफ होते हुए कहा

पायल: उससे कि उसे आपको क्या करना है मेरे पैसे हैं मैं निकालूं या ना निकालूं उसे आपको उससे आपको क्या करना है

इतना सुनते ही बैंकर कर चुप हो गया और उसे इंतजार करने को कहा पायल को अब धीरे-धीरे डर लगने लगा था कहीं उसका भांडा फूट ना जाए लेकिन उसने अपने चेहरे पर डर को नहीं लाया पायल लेना सोच रही थी कि कहीं उसे को उसकी सच्चाई पता ना चल जाए।

कुछ समय बाद बैंकर ने उससे पैसे लाकर दे दिया तब उसके जान में जान आई।

मैं सोच रही थी यह तो बड़ा आसान था। एक पल में उसका सारा डर खत्म हो गया था।

वह पैसे लेकर बैंक के बाहर जा रही थी

एक आदमी ने उससे पीछे से जोर से बुलाया

अरे मैडम रुकिए !!!

इतना कहते पायल को लगा उसकी असलियत सब के सामने आ गई वो पीछे मुड़ी तो देखा कि वो आदमी उसका बैग लिए खड़ा था

आदमी: अरे मैडम आप अपना बैग वोही भूल गई थी यह लीजिए।

पायल ने बैग लेते हुए उसे देखा और थैंक्यू बोलते हुए वहा से बाहर आ गई

एसे ही कुछ बैंकों के अकाउंट नंबर उसे पता थे। और ऐसे ही कुछ बैंकों में जाकर उसने पैसे निकाले।

अब उसे राज पर थोड़ा-थोड़ा यकीन होने लगा था वह सोच रही थी रात जो कह रहा है वह सच कह रहा था।

लेकिन उसे यह समझ में नहीं आया कि यह पैसे आखिर में है किसके। उसने जादा सोचा नही।

अरे यहां पर राज माथुर साहब के बंगले के नीचे खड़ा था वह फाइल लेकर और अंदर घुसा

माथुर साहब: आ गए बरखूरदार आओ जैसा कि मैंने कहा था कि तुम्हारे दोस्त को कुछ नहीं होगा मैंने उसे कुछ भी नहीं किया। फाइल कहां है

राज: पहले मेरे दोस्त को दिखाओ फिर मैं फाइल दूंगा।

माथुर साहब: अरे ले आओ रे उसे

कुछ आदमी अंकित को पकड़ कर ले आए थे। उसके पैर से खून निकलता ही जा रहा था उसकी हालत बहुत खराब थी।

राज: यह क्या किया तुमने इसका यह तो ऐसे मर जाएगा

माथुर साहब: मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुम्हारा दोस्त को कुछ नहीं करूंगा इसलिए मैंने इसे कुछ नहीं किया है तुम जैसा छोड़ कर गए थे बिल्कुल उसी हालत में है। अब फाइल दो और इसे ले जाओ

राज ने फाइल माथुर को दे दी और यह फाइल देते ही

माथुर ने कहा

माथुर साहब: खत्म कर दो दोनों को मैं कोई सबूत पीछे नहीं छोड़ता मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुम्हारे दोस्त को कुछ नहीं करूंगा लेकिन मैंने तुमसे यह नहीं कहा था कि मैं तुम्हें भी कुछ नहीं करूंगा तुम मेरे लिए आगे जाकर खतरा बन सकते हो और मैं यह नहीं चाहता

राज: मैं आपके लिए क्या खतरा बन सकता हूं आपने जो कहा मैंने वह किया और आप मेरे साथ अब यह ऐसा नहीं कर सकते




माथुर साहब: हां शायद तुम सच कह रहे हो लेकिन मैं कोई चांस नहीं लेना चाहता।




राज: नही रुक जाओ




माथुर साहब: अरे यार यह दूसरा वाला बाते बहुत करता है इसे खत्म करो यार!!!!!!

इतना कहते ही माथुर के आदमी ने राज और अंकित पर गोली तान दी और वे गोली चलाने वाले ही थे कि उनके हाथ से गन छूट कर गई गोली चली तो थी।

लेकिन गोली माथुर साहब के आदमी ने नहीं किसी तीसरे ने चलाई थी।




कौन था यह तीसरा आदमी क्या वो राज को बचाना चाहता था।

क्या वह राज को जानता था।

और क्या होगा क्या जब पायल राज को छोड़ कर चली जाएगी। जाने के लिए पढ़ते रहिए