प्रायश्चित- 11 - Anjana Safar Devika Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रायश्चित- 11 - Anjana Safar

हेलो मैं डैनी बोल रहा हूं 10 नवंबर की रात को किन-किन लोगों ने लंदन की टिकट करवाई थी क्या उन लोगों का नाम बता सकते हों

डैनी ने अपने आदमी से फोन पर बात करते हुए राज और पायल के बारे में पूछा उधर से उस आदमी ने उसे कुछ टाइम मांगा डैनी सर मुझे इसमें थोड़ा सा टाइम लगेगा मैं तुम्हें देख कर बताता हूं डैनी इतना कहकर फोन रख देता है।

क्या हुआ तुम्हारे आदमी ने क्या कहा माथुर ने उसे उत्साह पूर्वक पूछा

डैनी: तुम यार हर चीज में इतना उतावलापन क्यों कर रहे हो आराम से रहो सब काम हो जाएगा।

डैनी ने उसे कड़क कर कहा।

माथुर: तुम नहीं समझोगे वह तुम्हारा पैसा नहीं था।

डैनी:हां मुझसे ज्यादा कौन समझ सकता है मेरा भी उन पैसों पर उतना ही हक है जितना तुम्हारा है अब तुम मुझसे बहस करना चाहते हो तो तुम खुद ही कर लो यह सब मुझे मुझे अपने काम में किसी की दखल अंदाजी पसंद नहीं है।

माथुर उसका गुस्सा भाप चुका डैनी बहुत गुस्सैल आदमी था वह माथुर को अपने से नीचे ही समझता था इतना कहने के बाद माथुर चुप हो गया और डैनी उसे घूरता हुआ देखता था।




कुछ देर बाद डैनी के आदमी का फोन आया

डैनी: हां बोलो क्या खबर है हां सर आपने जिन लोगों के नाम बताए थे उनमें से एक उस रात लंदन की ली थी।

डैनी: उसका नाम क्या है।

आदमी: उसका नाम राज है।

डैनी: अच्छा!!! और राज के साथ उस कोई नही था।

आदमी: नहीं सर कोई नहीं था। उस रात राज के राज कोई नही था राज में अकेले ही टिकट की ली थी।

डैनी: ठीक है

इतना कहते हुए हैं डैनी ने फोन रख दिया और फिर बातों को बताया माथुर ने कहा इसका मतलब राज उस रात अकेले लंदन गया था उसके साथ कोई नहीं था

डैनी: उससे क्या करना है राज का पता चल गया कि वह लंदन में है तो उसका मतलब पैसे भी लंदन में ही होंगे ना।

बेवकूफ!!!

कुछ देर बाद वहां पर अंकित भी आ गया था तब तक माथुर जा चुका था डैनी ने अंकित को बताया की राज का पता चल चुका है उस रात वह लंदन की फ्लाइट पकड़कर लंदन जा चुका है

तब अंकित ने डैनी से पूछा

अंकित: क्या उसके साथ कोई लड़की भी थी।

डैनी: तुम्हें लगता है कि उसके साथ कोई लड़की भी होगी डैनी ने उससे पूछा

अंकित: हां मुझे लगता है।उसके साथ एक लड़की भी होगी और नाम पायल है।

डैनी: नहीं मुझे ऐसा कुछ पता नहीं चला डैनी ने कहा

अंकित: इसका मतलब राज अकेला लंदन गया है।

डैनी हां में सर हिलाया

अंकित: जहांतक मुझे पता है। राज एक लड़की से प्यार करता था। और वह उसे प्रपोज करने वाला था मुझे ऐसा लग रहा है उस लड़की ने मना कर दिया नहीं तो राज उस लड़की को जरूर लेकर जाता मुझे अभी यहां से निकलना चाहिए मैं सबसे पहले उस लड़की के पास जाना चाहता हूं और उससे पूछना चाहता हूं कि क्या राज उसकी कोई बात हुई थी।

डैनी: ठीक है तो मेरी गाड़ी लेकर जाओ जल्दी पहुंच जाओगे।

डैनी चाबी देते हुए कहा

अंकित अब गेट तक पहुंच चुका था उसने गाड़ी में चाबी लगाई और फॉरन मेन रोड पर पहुंच गया उसके तुरंत जाने के बाद डैनी ने अपने आदमियों को उसके पीछे लगा दिया उसके आदमी ने अंकित का पीछा किया।

दूर जाने के बाद कुछ दूर जाने के बाद अंकित उस फ्लावर शॉप पर पहुंचा पर एक अधेड़ उम्र लेडी खड़ी थी लेकिन पायल उसे कहीं भी नहीं दिखी वह गाड़ी से उतरा और फ्लावर शॉप में घुस गया।

उसने वहां पर खड़ी लेडी से पूछा

अंकित: मैडम आपके यहां पायल नाम की लड़की काम करती थी।

उस लेडी ने अंकित को घूर कर देखा और कहा कि तुम कौन हो बेटा

मैडम मैं पायल का दोस्त हूं उससे मिलने आया था तुम्हारा नाम क्या है उस लेडी ने अंकित से कहा

अंकित: मेरा नाम अंकित है आप पायल कहां है आप मुझे बता सकती हैं

अंकित ने पूछा

लेडी: नहीं बेटा वह 2 महीने से यहां आई नहीं है शायद उसने काम छोड़ दिया है और उसने अपनी सैलरी भी मुझसे नहीं ली वह यहां नहीं रहती थी वह एक अनाथ है बहुत गरीब थी उसके घर में कोई नहीं था।

अंकित क्या मैं किसी से उसके बारे में पता कर सकता हूं।

अंकित ने उस लेडी से पूछा

लेडी: नहीं बेटा उसका कोई नहीं है इस दुनिया अकेली थी

अंकित: इतने दिनों से वह यहां पर काम कर रही थी क्या कोई उसे मिलने नहीं आता था उसका कोई स्कूल का दोस्त

लेडी: तुम भी तो उसके दोस्त है तुम भी तो कभी नहीं मिलने आए उससे

अंकित: जी!!!! मैं काम के सिलसिले में मैं बाहर रहता हूं मैंने उससे कहा था कि मैं उससे मिलने जरूर आऊंगा लेकिन मैं जब आया तो अब वह यह पर थी ही नहीं।

लेडी: जहां तक मुझे याद है एक कस्टमर उससे डेली फूल लेने आता था उनकी बातों से मुझे ऐसा लगता था कि शायद उसके जान पहचान वाला है वह ज्यादा देर यहां रुकता नहीं था लेकिन उससे फूल लेने रोज आया करता था मैंने सोचा कि पहले मैं उससे बात करूं उसके बारे में पूछू लेकिन फिर मैंने जाने दिया मैंने सोचा कोई आम कस्टमर होगा।

अंकित: अच्छा नौकरी पर लगने से पहले उसने अपना आइडेंटी कार्ड या कुछ सर्टिफिकेट तो दिया ही होगा ना आपके पास वो है अभी

लेडी: एक भली लड़की लग रही थी मैंने सोचा मैं उसकी हेल्प कर दूं बिचारी अनाथ थी तो मैंने यह सोच कर उसे काम पर रख लिया

अंकित सोच रहा था बहुत अच्छा किया जो अपने प्रूफ नही लिया एक ऐसी लड़की जिसे यहां पर कोई जानता नहीं था उसका कोई पहचान वाला यह पर नहीं है। ना ही उसका आइडेंटी कार्ड ना ही उसका कोई सर्टिफिकेट है। असल में कागज पर वो लड़की है ही नहीं। अब ऐसी लड़की के गुम हो जाने पर क्या घंटा कोई ध्यान देता। वो चुप चाप आई और चुप चाप अपना काम कर के यहां से चली गई।

एस राज को भी यही लड़की मिली थी प्यार करने के लिए।

अंकित: ठीक है मैडम में चलता हुं अगर कुछ पता चले तो मुझे इस नंबर पर कॉल करना।

अंकित को अब लगने लगा था असली खीर तो बिल्ली खा गई और कुत्ते भोंकते ही रह गए।

वहां पर अंकित का पीछा करते-करते साल्वे भी उस तक पहुंच चुका था।

फ्लावर शॉप से बाहर आकर गाड़ी में बैठकर कुछ सोच रहा था राज तक पहुंचने का आखिरी जरिया भी उसके हाथ से निकल गया था वह कहां जाए किसके पास जाए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

कुछ देर बाद डैनी का कॉल आता है अंकित के मोबाइल पर आता है।

डैनी : अंकित तुम्हे कुछ पता चला कहां हो अभी तुम कहा हो

अंकित: नही डैनी मुझे अभी तक कुछ नहीं पता चला है।

ठीक है तुम आ जाओ मुझे तुमसे कुछ काम है। इतना कहने के बाद डैनी वहां से फोन रख देता है कुछ देर तक अंकित गाड़ी में बैठा रहता है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आप वह अपनी तलाश कहां से शुरू करें।

वह राज के बारे में सोच रहा था असल में राज किसी गलत लड़की के साथ तो नहीं फंस गया उस लड़की के बाद बारे में उसे कुछ पता तो नहीं चला था वह सोच रहा था उस लड़की ने ही शायद राज के साथ किया होगा।

साल्वे और वह दोनों आदमी जो डैनी ने उसके पीछे लगाए हुए थे। उनका नाम रॉबिन और रॉबर्ट था। इसके बारे में अंकित को जरा सा भी भनक नहीं थी।

असल में अंकित अब से डैनी की कठपुतली बन चुका था। और होता भी क्यों नहीं असल मे उसे राज को जो ढूंढना था असल में वह जानना भी चाहता था कि ऐसा क्यों हुआ है। वो सोच रहा था राज कोई मुसीबत में तो नहीं है। वो जरूर कोई मुसीबत में होगा इसीलिए वह से मिलने नहीं आया होगा और साथ-साथ व डैनी के बारे में भी सोच रहा था उसे डैनी पर पूरी तरह से भरोसा तो नहीं था पर उसे यह दिखाने के लिए वह उसकी की बात मान रहा था डैनी के अलावा और कोई नहीं था जो राज से उसे मिलाने में मदद करें।

लेकिन इतना बड़ा आदमी उसके दोस्त को ढूंढने में उसकी मदद कर रहा था यह बात उसे खटक रही थी वह डैनी के ऊपर थोड़ा शक भी कर रहा था। आखिरकार डैनी को उससे क्या मिलने वाला था आजकल कोई भी बिना वजह किसी की हेल्प नहीं करता है। डैनी तो उसे कुछ ही दिन पहले मिला था डैनी को राज से मुझे मिलाने में उसे क्या मिलने वाला था वह इन्हीं सवालों के जवाब सोच रहा था।

वह भी एक अच्छे मौके की तलाश में था।

और यह मौका उसे डैनी ही दे रहा था।

डैनी बेहद गुस्सैल और खतरनाक आदमी तो जरूर था लेकिन उसमें अपनी पहचान अपनी अंकित के सामने छुपा कर ही रखी थी उसे जरा सा भी भनक नहीं होने देता था कि असल में उसके शातिर दिमाग में क्या चल क्या रहा था।

कुछ टाइम बाद अंकित शहेरो की खाक छानता हुआ थक चुका था ना कोई सबूत मिले थे। ना कोई गवाह मिला था। और यही सोचते-सोचते वह डैनी के घर पहुंचा

वहां डैनी ने उसे बताया कि




डैनी: तुम्हें लंदन जाना होगा और राज को वापस लाना होगा क्या तुम अपने दोस्त से नहीं मिलना चाहते तुम्हारे पास एक मौका है अंकित ने यह मौका सुनते ही सोच में पड़ गया। उसे राज तक पहुंचने का रास्ता तो मिल गया था। अब उसे उस रास्ते पर चलना था। लेकिन वह एक अनजाने सफर पर जाने से घबरा तो रहा था लेकिन वो खुश भी था।

न जाने यह सफर उसे कहां ले जाता उससे कुछ सवालों के जवाब ढूंढने थे। और उसने ज्यादा सोचा नहीं

उसने डैनी को हां बोल दिया उसने कहा




अंकित: कब जाना है।

डैनी: आज शाम 5:00 बजे की फ्लाइट है।

तुम तैयार हो?

अभी दोपहर के 1:00 बज रहे थे। अंकित ने डैनी को हां कर दिया था वह जाने के लिए तैयार था।

अंकित ने अपने शहर से लंदन की फ्लाइट पकड़ ली थी वह लंदन पहुंचने के लिए पूरी तरह से खुश था कि अब शायद उसे अपना खोया हुआ दोस्त मिल जाएगा।

डैनी ने जिन 2 लोगों को अंकित के पीछे लगा रखा था। डैनी उन्हें भी अंकित के पीछे लंदन भेजा था।

और उन दोनों से कहा था।

डैनी: तुम मुझे पल-पल की वहां पर हो रहे घटने की बात बताते रहो।

और उन दोनों के पीछे साल्वे में भी था। साल्वे में भी था। वो भी लंदन के लिए उड़ चुका था। उसे भी पायल से अपना बदला लेना चाहिए था।

साल्वे सोच रहा था हो ना हो पायल राज के साथ ही होगी और पैसे भी उसके पास ही होंगे साल्वे यह नहीं चाहता था कि उसकी की गई इतनी मेहनत पर पानी फिर जाए।

हमारा प्यादा अब घर छोड़ चुका है देखते रहो इस खेल में कितना मजा आता है डैनी ने माथुर की तरफ कुटिलता से हंसते हुए कहा माथुर उसे देख कर मुस्कुरा रहा था। उसकी इतने शातिर दिमाग पर उसे पूरा भरोसा था।

लेकिन फिर माथुर ने उसकी हंसी रोकते हुए उससे पूछा

माथुर साहब: अगर अंकित ने हमारे साथ धोखा किया तो हम क्या करेंगे?

तब डैनी ने उसे कहा।

डैनी: अगर अंकित ने हमारे साथ धोखा किया जो कि वह राज से मिलने के बाद ही करेगा तब हमारे आदमी उसे धर दबोचा लेंगे और फिर हम उन पैसों के बारे में उससे पूछेंगे।

इस खेल में कोई भी किसी के ऊपर भरोसा नहीं कर सकता था। हर एक कदम फूंक-फूंक कर चलना था।




क्या राज अंकित को पकड़ने में कामयाब होगा। और क्या माथुर को क्या उसके पैसे मिलेंगे क्या साल्वे अपने चाल में कामयाब होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए।







प्रयाश्चित