प्रायश्चित- 6 - Tisra Koun Devika Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रायश्चित- 6 - Tisra Koun

राज सकते में आ गया था वह समझ नहीं पा रहा था कि यह तीसरा आदमी कौन है जो गोली चला सकता है अचानक वह पीछे देखता है तो वह वकील विशाल साल्वे और पुलिस वाले उसके पीछे खड़े थे।

साल्वे ने उसे कहा।

साल्वे: तुम्हें क्या लगा मैं तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ दूंगा ना ना ना यह तुम्हारी भूल है मैंने तुम्हें इसीलिए जाने दिया ताकि मैं तुम्हारा पीछा कर सकूं अगर मैं चाहता तो तुम्हें वही पकड़वा सकता था

तुम वहां से भाग गए तो उसके बाद मैंने पुलिस के साथ तुम्हारा पीछा किया और पीछा करते-करते यहां तक पहुंचा अब तुम सब के सब एक साथ पकड़े गए हो वह भी रंगे हाथों

माथुर ने मेरे घर से तुम्हें यह फाइल चोरी करने के इल्जाम में मैं तुम्हें अरेस्ट करता हूं पुलिस वाले ने कहा था रेस्ट करता हूं।

माथुर साहब: यह सब क्या हो रहा है क्या तू भी इन पुलिस वालों से मिला हुआ है मुझे यह पहले समझ जाना चाहिए था

इतना कहने के बाद सब लोग डर गए थे और

उनमें से एक नए साल में पर गोली चला दी गोली चलाने के बाद पुलिस वालों ने भी उन लोगों पर गोली चलाई कोई इधर भाग रहा है कोई उधर भाग रहा है राज ने अंकित को देखा हुआ अकेले वो खड़ा था उसने अंकित को पकड़ते हुए बाहर ले जाने की कोशिश की लेकिन वह चल नहीं सकता था।

राज के पास ज्यादा समय नहीं था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अंकित को कैसे निकाले वहां से

अंकित राज से कहता हैं

अंकित: भाई तुम मुझे यहां छोड़कर चले जा तु मुझे यहां से नहीं निकाल सकता यह सब मेरी गलती है अगर मैंने चोरी नहीं की होती तो आज हम इस मुसीबत में नहीं फसते मेरा पैर बुरी तरह घायल है मैं चल नहीं सकता पर राज का दिल नहीं मान रहा था वह सुबह से यहां से निकलने की कोई ना कोई तरकीब ही सोच रहा था।

राज ने देखा सब लोग अपनी जान बचाने के लिए यहां वहां भाग रहे थे।

अंकित अब धीरे-धीरे बेहोश हो रहा था

भाई मेरा तुझे वापस लेने के लिए जरूर आऊंगा यह मेरा वादा है तुझसे और बोलते हुए अंकित का हाथ छोड़ देता है वहां से भाग जाता है अब तक अंकित धीरे-धीरे अब तक अंकित बेहोश हो चुका था और गोलियों की आवाज थम चुकी थी कुछ लोग भाग चुके थे तो कुछ लोग मर चुके थे वहां पर लाशों का ढेर हो गया था।

उन लाशों में माथुर की शरीर नहीं मिली थी इसका मतलब माथुर वहा से भागने में कामयाब हो चुका था।

उन सब में अंकित बेहोशी की हालत में उन पुलिस वालों के हाथों मिला।

इतनी गोलीबारी के हो जाने के बाद मीडिया वालों ने भी यह खबर बहुत जोरों शोरों में न्यूज़ चैनल पर सुनाने लगे मीडिया वालों को जितना पता था उस हिसाब से उसी अंकित का चेहरा उन्होंने दिखाया और कहा कि इसका दोष फरार है और मसूर क्रिमिनल माथुर के बारे में उन्होंने चैनल पर बताया कि वह फरार है

माथूर का अभी तक कुछ पता नहीं था।

पुलिस अंकित को अस्पताल में भारती करा दी थी और वह माथुर के खोजबीन में लगे हुए थे लेकिन उन्हें कोई क्लू नहीं मिला था। अब फाइल भी गया था फाइल भी किस के पास थी यह अभी तक किसी को पता नहीं था।

उधर राज भागता हुआ रास्ते पर जा रहा था और सोच रहा था कि अंकित की हालत कैसी होगी अंकित कहां होगा उसे अभी तक नहीं पता था कि अंकित किसी हॉस्पिटल में भर्ती हो चुका था और वह सोच रहा था कि अब वह क्या करें।

रात के 8:00 बज चुके थे और राज को ख्याल आया कि उसे अभी पायल के पास भी जाना था पायल ने अभी तक उसे फोन नहीं किया था इसका मतलब वह एयरपोर्ट पर नहीं पहुंची थी रात की 9:00 बजे राज पायल से मिलने वाला था और वह सोच रहा था कि उनके को छोड़कर जाए तो कैसे जाए वह अंकित को अपने साथ लेकर जाने वाला था लेकिन अब तक अंकित पीछे छूट चुका था।

ऐसा ही सोचते हुए वो रास्ते पर जा रहा था कि अचानक उसके मोबाइल पर एक फोन आया वह फोन पायल ने किया था

पायल: तुम कहां हो मैंने पैसे निकाल लिए है। मैं एयरपोर्ट के लिए निकल रही हूं क्या तुम मुझे एयरपोर्ट पर मिलोगे?

राज कुछ सोचता हुआ उससे कहां।

राज: ठीक है तुम एयरपोर्ट पर पहुंचो मैं आ रहा हूं।

राज अपने दिल पर पत्थर रखकर भागता हुआ अपने घर पहुंचा और उसने अपने कपडे पहने और एक बैग उठाया और सीधा एयरपोर्ट के रास्ते पर चल पड़ा।

कुछ देर बाद राज एयरपोर्ट पर पहुंच चुका था रात के 9:00 बज गए थे उनकी फ्लाइट 9:30 की थी वहां पर पायल को उसने नहीं देखा उसने पायल को फोन किया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया राज ने सोचा कि पायल को भी पुलिस ने पकड़ लिया होगा तो राज और डर गया लेकिन एयरपोर्ट पर लगे टीवी पर सिर्फ अंकित की और माथुर की खबर बताई जा रही थी लेकिन पायल का कुछ अता पता नहीं था

राज ने सोचा शायद पायल ने उसे धोखा देकर भाग चुकी थी।

एक पल में उसके सारे सपने में मिट्टी होते हुए देख देख रहा था उसने क्या सोचा था और क्या हो गया और सोच रहा था पायल ने उसके साथ ऐसा क्यों किया। उसने 11:00 बजे तक पायल का इंतजार किया लेकिन वह नहीं आई। और ना ही उसका फोन लग रहा था। पैसे भी गए और दोस्त भी गया। उसे खुद पर ही बहुत गुस्सा आ रहा था कि उसने पायल पर भरोसा ही क्यू किया था।

एक अच्छी जिंदगी की तलाश में जिंदगी उसे कहा से कहा तक पटक चुकी थी।

राज अभी कुछ नहीं कर सकता था उसके हाथ में जो एक सोने की चिड़िया लगी थी वह भी उसके हाथ से निकल चुकी थी अब वह समझ नहीं पा रहा था कि वह कहां जाए आज नहीं तो कल उसे पुलिस तो पकड़ी ही लेती उसने यह शहर छोड़ने का फैसला किया और अंकित को वहां से छुड़ाने का फैसला किया।

एयरपोर्ट पर लगे टीवी पर बताए न्यूज़ से उसे पता चला उसके जरिए उस में पता किया कि अंकित किस हॉस्पिटल में भर्ती है वह हॉस्पिटल की की तरफ चल पड़ा।

हॉस्पिटल में पहुंचकर उसने उसने देखा कि चारों तरफ पुलिस का पहरा है अंकित को वहां से ले जाना मुश्किल ही था क्योंकि वह भी उन अपराधियों के साथ है एक अपराधी ही था पुलिस को पता नहीं था कि अंकित भी उन कमीनों की चंगुल में फंसा हुआ था। उन्हे तो यह लग रहा था कि अंकित एक शातिर मुजरिम ही था अभी तक पुलिस को कुछ पक्का सबूत नहीं मिले थे।

उसके होश में आने का इंतजार वह लोग कर रहे थे अगर वह होश में आ जाता तो उससे माथुर के बारे में वह लोग पूछते लेकिन अंकित को उनके बारे में कहां पता था

राज ने वहां पर साल्वे को भी देखा देखा वह एक तरफ पुलिस को खड़े होकर कुछ बता रहा था।

क्या पायल ने राज को धोखा दिया था। और कैसे बचाएगा राज अंकित को जाने के लिए पढ़ते रहें

प्रायश्चित