प्रायश्चित- 16 - Uth Aaya Pahad Ke Niche Devika Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रायश्चित- 16 - Uth Aaya Pahad Ke Niche

जैसे ही अंकित ने उस कमरे का दरवाजा खोला वह राज को देखकर बहुत खुश हूं और साथ-साथ उसे इस हालत में पाकर उसे बड़ा दुख हो रहा था राज की हालत खराब थी उसके मुंह से ऑक्सीजन पाइप लगा हुआ था अंकित को यह सोचने में बड़ी दिक्कत हो रही थी कि आखिर राज के साथ ही ऐसा क्यों हुआ राज इतना अच्छा है। तब उसे समझ में आया कि अच्छे लोगों के साथ ही अच्छा होता है राज उससे बहुत प्यार करता था लेकिन आज उसे इस तकलीफ में देखते हैं देखने के बाद उसे समझ आ गया था कि राज उससे 2 महीने तक हस्पताल में क्यों मिलने नहीं आया था। उसका सारा गुस्सा अब का कफूर हो चुका था उसे सारी बात अब पता चल चुका थी।

अंकित सोच रहा था कि मेरे यह दोस्त की हालत शायद उस कमीनी पायल के वजह से हुआ है। उसने शायद मेरे दोस्त के साथ कुछ गलत किया होगा मेरा दोस्त इतना बीमार कभी नहीं था।




नर्स ने उससे कहा कि आप जल्दी करिए यहां पर किसी का आना अलाउड नहीं है मैंने तुमने यहां पर आने की इजाजत दी हैं। मैं तुमे जल्दी से इसे देख कर बाहर आओ राज ने हां में सर हिलाया और नर्स कमरे के बाहर चली गई अंकित उसे देखता रहा।

मैं सोच रहा था इसका बदला वह पायल से बदला जरूर लेगा।

वह उसे कहीं से भी ढूंढ कर मार उसे मार देगा।

अंकित ने अपने मन में कहा राज तो फिकर मत कर मैं तेरे साथ हूं तू जब तक यहां पर रहेगा मैं तब तक तेरे साथ हुं अब मैं आ गया हूं मैं सब संभाल लूंगा।

असल में अंकित राज से ज्यादा चालाक था। वह जल्दी किसी पर भरोसा नहीं करता था। इसीलिए उसके दोस्ती भी बहुत कम लोगो से थी। राज उसके बचपन का दोस्त था। और उसका इकलौता गार्जियन भी था।

कुछ देर बाद नर्स कमरे में आई और अंकित को उसने कहा कि चलो अब यहां से डॉक्टर आ रहे हैं हमें यहां से चलना होगा तुम जाकर अपने बेड पर लेट जाओ तुम इसकी चिंता बिल्कुल मत करो यह कहीं जाने वाला नहीं है यह यहीं पर रहेगा पर अंकित को लगने लगा था कि रात के लिए यहां पर रहना खतरे से खाली नहीं होगा क्योंकि डैनी के ऊपर उसे भरोसा नहीं था वह जाने अनजाने में यही सोच रहा था कि डैनी ने उसे यहां पर आने के लिए भेजा होगा तो कुछ सोच कर ही भेजा होगा अब राज का पता मैंने लगा लिया है। तो इसका मतलब यह है की राज के लिए यहां पर रहना खतरे से खाली नहीं होगा।

उसने नर्स को कहा कि मुझे यहां से राज को निकालना है। उसकी दवाई का जितना खर्चा होगा मुझे बता दो।

नर्स ने कहा

नर्स: हां डॉक्टर ने उनकी वाइफ से कहा था कि इन्हे अपनों के साथ जितना हो सके उतना समय गुजारना इनके लिए बहुत अच्छा होगा वह अभी आप सारे फॉर्मेलिटीज पूरी करके इसे ले जाओ। वो इसे ले जाने वाली थी। लेकिन वह पता नहीं कहां गायब हो गई। शायद मेडिकल पर दवाइयां लेने गई हो होंगी।

वाइफ का नाम सुनते ही अंकित के कान खड़े हो चुके थे। वह सोच रहा था। क्या राज ने यहां पर उससे शादी भी कर ली है। अगर ऐसा है तो रात के पूरे पैसों के लिए अधिकारी पायल ही होगी कानूनी तौर पर

राज को होश आने लगा था तब तक अंकित कमरे के दरवाजे तक पहुंच चुका था। वह राज को पीछे मुड़ कर देखा तब राज ने एक धुंधली भरी निगाहों से अंकित की तरफ देखा राज को लगा कि अंकित यहां पर आ चुका है। लेकिन वह उसे ठीक से देख नहीं पा रहा था उसने अभी-अभी आंख खोली थी उसकी आंखों में कीचड़ लगा हुआ था इस कारण से उसे साफ नहीं दिख रहा था। पर उसे इतना तो यकीन हो चुका था कि उसने अंकित को उसने उस समय दरवाजे पर देखा था।

अंकिता को अपने कमरे में आकर सोच रहा था कि राज को यहां से कैसे निकाला जाए। उसके दिमाग में कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।

और उधर दूसरी तरफ रॉबर्ट पायल को बंदूक दिखा कर डरा रहा था।

आखिरकार एक दिन वह को पहाड़ के नीचे आना ही था और आज वह दिन आ चुका था रॉबर्ट की निशाना बहुत ही अच्छी थी उसका निशाना कभी चुका नहीं था। रॉबर्ट ने उसे सोफे पर बैठे ही रहने का आदेश दिया।

और डैनी को फोन लगाने लगा।

सर मैंने पायल को पकड़ लिया है।

दूसरी तरफ डैनी मैं उससे कहा अरे गधे किस पायल को पकड़ लिया है। मैंने तुझे अंकित पर नजर रखने के लिए कहा था तो किस लड़की को पकड़ लिया है।

रॉबर्ट: अरे सर आप समझ नहीं रहे हैं यह वही लड़की है जो राज के साथ इंडिया से लंदन आई थी यह राज की माशूका है सारे खेल की जड़ यही है। इसी के पास वह पैसे रखे हुए हैं यानी हमें उन पैसों के बारे में यह बता सकती है और साल्वे में भी इस से मिला हुआ है।

डैनी: साल्वे कौन साल्वे?

डैनी ने उससे पूछा

रॉबर्ट: अरे सर वही साल्वे वह वकील जिसकी फोटो मैंने आपको अभी कुछ देर पहले ही खींच कर दी थी आप भूल गए क्या।

डैनी: हां हां मुझे याद आया अच्छा वो कमबख्त साल्वे वकील भी उससे मिला हुआ है।

एक काम कर लड़की को किडनैप कर और अंकित को छोड़ यह लड़की हमें उन पैसों तक पहुंचाएगी अगर लड़की हमारे पास है तो राज अपने आप हमारे पास चला आएगा और उसके पीछेजेडपीछे हमारे पैसे।

समझ में आया मैं क्या कह रहा हूं।

रॉबर्ट: हां सर समझ गया हां सर समझ गया।

डैनी: रॉबिंन से बात हुई

रोबिन को मैंने साल्वे के पीछे लगा रखा था उसका अब तक फोन नहीं आया। है।

रॉबर्ट: में देखता हुं सर

इतना कहने के बाद डैनी ने वहां से फोन काट दिया उसके फोन काटने के बाद पायल समझ चुकी थी कि उसका अपहरण होने वाला है। उसने डैनी की आवाज फोन पर सुन ली थी वह समझ गई थी।

उसे जल्द से जल्द कुछ करना ही था सोफे पर बैठ कर वो यही सोच रही थी कि उसे किसी न किसी तरीके से इस से पीछा छुड़ाना ही पड़ेगा।

पहले पायल ने रोबोट को रिझाने की कोशिश की लेकिन रॉबर्ट बहुत ही सख्त आदमी था। वह उसके जाल में नहीं आने वाला था। तब मजबूरन उसे बहुत कड़ा फैसला लेना पड़ा।

उधर रॉबर्ट फोन नीचे कर अपने जेब में रख ही रहा था तभी सामने पड़े मेज पर रखें चाकू को उठाकर पायल ने सीधा उसका गला काट दिया एक पल में रॉबर्ट वहीं ढेर हो गया उसके गले से लहू पानी की तरह निकल रहा था पूरा फर्श लाल रंग से रंग चुका था माहौल में पूरी तरह सन्नाटा पसर चुका था पायल के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी। उसने इससे पहले बहुत सारे लोगों का कत्ल भी किया था। असल में वह लालची के साथ-साथ एक कातिल भी थी।

उसने जल्दी-जल्दी खून को साफ किया। और उसकी बॉडी को अपने बाथरूम में रखे एक टब में डाल कर उसके अंदर पूरी तरह बर्फ से भर दिया ताकि बॉडी के अंदर से कोई पद बदबू बाहर ना आए।

अब आगे क्या करना था वह समझ चुकी थी वह सोच रही थी कि राज को भी यहां लाकर उसे जहर देकर वह उसे मार दे और वह सारे पैसे लेकर यहां से भाग जाए।

लेकिन ऐसा करना बड़ा रिस्की था। अगर पायल और राज के घर में किसी तीसरे आदमी की लाश किसी को मिलती तो इसमें पायल भी फस सकती थी इस रॉबर्ट ने आकर उसका पूरा प्लान खराब कर दिया था पायल का यही प्लान था। लेकिन अब उसे अपने प्लान में चेंज करना था। साल्वे से डरती नहीं थी।

बस उसे अपने काम में कोई अड़चन नहीं चाहिए था।

सारा काम खत्म करने के बाद वह सोफे पर पसर गई और व्हिस्की की ग्लास हाथ में लेकर सोचने लगी।

उसे अब देर नहीं करना चाहिए। वह अब यह सोच रही थी।

सारा प्लान बनकर रेडी था राज तो वैसे ही कैंसर से मरने वाला था। अगर वह जहर से मरता तो कोई शक भी नहीं करता सारे पेपर उसने हॉस्पिटल से निकलवा चुके थे उसके मरने के बाद वह उसे कहीं भी तो दफना सकती थी सबको यही लगता है कि बेचारा कैंसर से मारा।

लेकिन इसके पीछे पायल का सबसे बड़ा हाथ था यह किसी को कभी पता ही नहीं चलने वाला था।

पायल ने रोबोट का फोन भी अपने पास रख लिया था।

रात के 8:00 बज रहे थे। अंकित के दिमाग में पूरी तरह से प्लान बन चुका था वह रात को यहां से भगा लेना चाहता था।




उधर पायल राज को लेने के लिए हॉस्पिटल की तरफ अपनी गाड़ी में बैठ कर आ रही थी।

उस रात उसे मेन हाईवे पर बहुत ज्यादा भीड़ थी। पायल ने देखा किसी फेस्टिवल की वजह से यहां पर इतनी सारी भीड़ उमड़ पड़ी थी कुछ लोग वहां पर आतिशबाजी आ कर रहे थे पायल को अब हॉस्पिटल में पहुंचने में थोड़ा देर हो रहा था। पायल सोच रही थी कि हॉस्पिटल में पहुंचकर आज राज का काम तमाम कर दें लेकिन वह भीड उसे आगे जाने से रोक रही थी लगता है भगवान भी राज के साथ ही थे।




रात के 9:00 बज चुके थे।

पायल अभी भी उस भीड़ का शिकार बनी थी। और बनती चली जा रही थी।




हॉस्पिटल मेन रोड से ज्यादा दूर नहीं था पायल ने सोचा क्यों ना अपनी गाड़ी को लगाकर यहीं पर वह हॉस्पिटल पैदल चली जाए।

वो गाड़ी से उतरकर हॉस्पिटल की तरफ पैदल चल पड़ी।

राज ने सोचा यही सही मौका है वो पायल का भरोसा नहीं कर सकता था उसे जो करना था आज ही करना था वह अपने कमरे से बाहर आया और यहां वहां देखने लगा। सब कुछ सही देखकर वो राज की कमरे की तरह बड़ा।

उसने राज को उसके कमरे से उठाया और अपने साथ हॉस्पिटल के गलियारे से चलता हुआ हॉस्पिटल के बाहर ले गया हॉस्पिटल के बाहर ले गया।

बाहर एक वैन खड़ी थी जो कि अंकित ने पहले से ही बुला कर रखी हुई थी।

इस काम में वो नर्स अंकित का साथ दे रही थी क्योंकि अंकित ने उसे पैसे खिलाए थे।

अंकित का काम आसानी से हो चुका था।

उसी समय पायल ने अंकित को राज को ले जाता हुआ देखा उसे समझ में नहीं आया जो आदमी राज को गाड़ी में ले जा रहा था। वह साल्वे नहीं था वह कोई और था। पायल को यह समझ नहीं आ रहा था कि आज उसके साथ ही यह क्यू हो क्या रहा है।

पहले मेन हाईवे पर उसने सोचा साल्वे उसके पीछे पड़ा था लेकिन वह साल्वे नहीं था। असल में वो

रॉबर्ट निकला और अब वह सोच रही थी कि साल्वे राज को लेकर जा रहा है लेकिन वह साल्वे नहीं था। कोई और था।

उसके साथ ही यह क्या हो रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था उसे लगा कि यह दोनों आदमी साल्वे ने हीं उसके लिए भेजे थे।

क्योंकि साल्वे के उसे बोल चुका था कि अगर मेरे पैसे मुझे नहीं मिले तुम समझ सकती हो मैं क्या कर सकता हूं यह सोच के यह उसका दिमाग में घूमे जा रहा था।

असल में साल्वे कहीं भी नहीं था। इन सब में यह सब सिर्फ पायल के दिमाग में चल रहा था वह सोच रही थी कि साल्वे ने ही यह सब कराया है उसे धमकी मिलने के बाद साल्वे में ही उसके दिमाग में छाया हुआ था।

वह अपने साथ हुए हर बुरे काम की जिम्मेदार साल्वे को ही समझ रही थी।

अपने प्लान पर पानी फिरता देख पायल दौड़कर उस वैन पास जा रही थी।

लेकिन उसके पहुंचने से पहले ही अंकित राज को ले जा चुका था। पायल ने उसके गाड़ी का नंबर नोट किया और अपनी कार की तरफ दौड़ने लगी दरअसल वह वैन जिसमें अंकित राज को ले जा रहा था। पायल की भी वैन उसी तरह खड़ी थी। जहां पर पायल ने अपनी गाड़ी पार्क की थी।




पायल बहुत जोर से दौड़ते हुए अपनी गाड़ी तक पहुंची वह जानती थी कि अंकित जिस गाड़ी में उसे ले जा रहा था। दरअसल वह एंबुलेंस थी एंबुलेंस को देखते ही भीड़ वहां से हट जाती और फिर अगर पायल सोच रही थी।

अगर उसने देर की तो वह आदमी राज को लेकर चला जाएगा।




अब अंकित की गाड़ी भीड़ में घुस चुकी थी। और पायल भी अब अपने गाड़ी तक अभी तक पहुंच नहीं पाई थी।

अंकित गाड़ी में बैठा भीड़ को चीरते हुए निकल गया और पायल उसे देखती रह गई। वह उस समय कुछ नहीं कर पाई। आज उसके खेल का आखिरी दिन था लेकिन बाजी कोई और मार चुका था।

क्या इन सब के पीछे साल्वे ही था। और डैनी रॉबर्ट के मरने पर क्या करने वाला था। क्या पायल पूरे पैसे लेकर भाग जाती और अंकित राज को कहां लेकर जा रहा था।

जानने के लिए पढ़ते रहिए।







प्रयश्चित