सात फेरे हम तेरे - भाग 5 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • ऋषि की शक्ति

    ऋषि की शक्ति एक बार एक ऋषि जंगल में रहते थे। वह बहुत शक्तिशा...

  • बुजुर्गो का आशिष - 9

    पटारा खुलते ही नसीब खुल गया... जब पटारे मैं रखी गई हर कहानी...

  • इश्क दा मारा - 24

    राजीव के भागने की खबर सुन कर यूवी परेशान हो जाता है और सोचने...

  • द्वारावती - 70

    70लौटकर दोनों समुद्र तट पर आ गए। समुद्र का बर्ताव कुछ भिन्न...

  • Venom Mafiya - 7

    अब आगे दीवाली के बाद की सुबह अंश के लिए नई मुश्किलें लेकर आई...

श्रेणी
शेयर करे

सात फेरे हम तेरे - भाग 5

निलेश ने कहा आप लोग मुझे एक मौका दिजिए मैं खुद को साबित करना चाहता हूं। मैं हमेशा नैना को खुश देखना चाहता हूं।
नैना ने कहा ये सब फिल्मों में बहुत अच्छा लगता है निलेश पर रियल लाइफ में नहीं हां, मुझे डर लगता है सब मुझे अकेला छोड़ कर चले जाते हैं। मुझे इसलिए दोस्त बनाने में भी बहुत प्रोब्लम है। मैं कुछ नहीं देखा सकती हुं पर मेरी आत्मा जिन्दा है अभी तो वो मुझे बार बार पीछे कर देती है।सब मुझे छोड़ कर चले गए और अब।।।
कल को वो छोड़ कर चले गए और फिर निलेश भी।। कोकिला ने कहा नहीं बेटा वो एक अच्छा लड़का है अच्छी नीयत से आया था। नैना ने कहा ओह।हम इस बारे में और बात नहीं करते हैं हां।। निलेश ने कहा हां ठीक है अब हम चलते हैं। ये मेरा कार्ड। कोकिला ने कहा अरे कुछ तो खाया नहीं। निलेश ने एक मिठाई उठकर खाने लगे और फिर बोला कि मैंने अपना मुंह मीठा कर लिया। माया ने कहा अच्छा नमस्ते हम चलते हैं। ये कहकर दोनों ही निकल गए।
उधर निलेश घर पहुंच कर एक दम चुपचाप सा हो गया था। माया ने कहा अरे सब कुछ बता दिया ना अब कुछ मत सोचो अगर तेरा प्यार सच्चा है तो नैना जरूर समझेंगी।
चलो अब खाना खाने चले। फिर दोनों खाना खाते हैं।
फिर दोनों अपने अपने कमरे में जाकर सो जाते हैं।निलेश रात भर सोचता रहा कि कैसे नैना को अपने प्यार का इजहार करे कैसे यकीन दिलाये।
सोचते हुए निलेश कब सो गया। और जब नींद खुली तो सात बज रहे थे। फिर जल्दी से तैयार हो निलेश बालकनी में गया और फिर माया चाय लेकर आई।चाय की चुस्कियां लेते हुए दोनों नैना के बारे में बात करने लगे।
माया बोली - देख भाई तू दिल से नैना को चाहता है तो उसका साथ दे।निलेश ने कहा हां दी मुझे किसी तरह से उसको यकीन दिलाना होगा।। माया ने कहा हां पर जल्दबाजी में कुछ ग़लत मत करना। ओके मैं चलती हूं।
इस तरह कुछ दिन बीत गया।पर निलेश के लिए सबकुछ पहले जैसा ही था उसके मन में कभी ये ख्याल नहीं आया कि नैना देख नहीं सकती हैं। पर उसे नैना की आंखें ही सबसे ज्यादा पसंद है।
और इधर नैना भी सोचने लगी कि क्या निलेश ही है जो उसे सच में चाहता है ना कि उसके पैसों को।। कोकिला नाश्ता के टेबल पर नैना को बोली बेटा क्या सोच रही है निलेश से बात कर उसके साथ बाहर जा थोड़ा सा समय बिता।नैना सोचने पर मजबूर हो गई और उसने कहा बूई वो कार्ड देना। कोकिला मुस्कुराते हुए बोली हां, हां ये लो। नैना ने कहा मुझे लगता है कि एक बार बात करूं। नैना अपने अंगुली के स्पर्श से कांड पर लिखे नम्बर को समझ कर फोन मिलाया। एक घंटी बजा और निलेश ने फोन उठाया और फिर बोला नैना बोलो। उधर से नैना बोली अरे तुम कैसे समझ गए कि मैंने फोन किया है। निलेश ने कहा हां बस समझ गया मन की आंखों से। और बताओ ।निलेश हेलो नैना कैसी हो? नैना ने कहा मैं तुमसे मिलना चाहती हुं।निलेश ने कहा ठीक है मैं शाम को आता हुं तुम्हारे घर।
नैना ने कहा ओके।
निलेश मन में सोचा कि मुझे पुरा यकीन है कि नैना देख पाएगी।अब मैं नैना को सबसे बड़े आई स्पेशलिटी डाॅ के पास ले जाऊंगा। मैं हार नहीं मान सकता हूं। फिर निलेश शाम होने का इंतजार करने लगा।
निलेश तैयार होकर बैठ गया। माया जैसे ही स्कूल से आ गई।
निलेश ने बताया कि नैना का फोन आया था और वो मिलना चाहती है घर जाना है माया ने कहा हां अभी चलते हैं।
फिर वो दोनों ही नैना के घर पहुंचे।
कोकिला ने उनका स्वागत किया और कहा मुझे निलेश बहुत ही अच्छा और नेक दिल इंसान लगा।अपनी नैना के लिए पसंद है पर नैना को यकीन नहीं हो रहा।
माया ने कहा आंटी आज कल ऐसा प्यार देखने को नहीं मिलता। प्लीज़ नैना को बुलायेंगे?
कोकीला ने कहा हां ठीक कहा।। नैना एक गुलाबी रंग की सूट में आ गई और नैना ने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा हेलो दी।
फिर नैना ने कहा जिंदगी प्यार से नहीं चलती मैं किसी पर बोझ होकर नहीं जीना चाहती हुं।मै अंधी हु पर सब कुछ समझ सकती हुं।
निलेश ने कहा ओके बाबा तुम्हें किसी के सहारे की जरूरत नहीं है पर मैं तो सिर्फ साथ देने आया हूं।क्या कल हम एक आई स्पेशलिटी के पास चल सकते है?।नैना ने कहा शायरी भी करते हो! निलेश ने कहा हां कर लेता पर हर किसी के लिए नहीं बस किसी खास के लिए ही।। नैना ने कहा क्या फायदा है डाक्टर के पास जाकर?
कोकिला ने कहा नैना चली जा बेटा।
निलेश बोला एक बार मेरे लिए क्या चल सकती हो ,और हां नैना ये स्केच लाया था तुम्हारे लिए।
नैना ने हंस कर कहा अरे मेरी तस्वीर?
निलेश ने कहा हां वो जब भी तुम को बालकनी में देखता तभी से मैंने बनाना शुरू किया था। मैं छुप कर तुम्हारी तस्वीर बनाई थी माफ़ कर देना मुझे।।
नैना ने कहा काश मैं देख पाती।
निलेश ने मन में बोला काश मैं अपनी आंखें उसे दे पाता।
कोकिला ने वो पेंटिंग खोला और कहा वाह! क्या बात है निलेश तुमने तो इस तस्वीर में जान डाल दी।
कोकिला ने कहा रेखा जा इसे नैना के रूम में लगा दें।
फिर निलेश और माया घर लौट आए।निलेश - रात को खाना खाने समय बोला दीदी भगवान भी कितनी परिक्षा लेते हैं।
माया ने कहा भाई मायुस मत होना।
उधर नैना निलेश द्वारा बनाई तस्वीर को छू कर महसूस कर रही थी कि कोई इतना प्यार कर सकता है। और वह तो खुद को इस बात पर यकीन नहीं ।नैना के आंसु सुख चुके हैं।पर उसे डर लगता है कि ये सब सपना टूट गया तो।
अगले दिन सुबह निलेश समय से पूर्व नैना के घर पहुंच गए।
कोकिला ने कहा बेटा लगता है तुम दोनों का पिछले जन्म का रिश्ता है।
निलेश ने कहा आंटी मैं कभी साथ नहीं छोड़ुगा।
नैना ने कहा हां बड़ी बड़ी बाते सुन कर अच्छा लगा पर यकीन नहीं होता हैं। निलेश ने कहा चलें।
फिर नैना निलेश निकल गए। डाक्टर अनिल कपूर आई के प्रसिद्ध डॉ है। बहुत ही बड़े चेम्बर् में जाकर काउंटर पर एक फार्म भर कर जमा कर दिया। कुछ देर बैठने को कहा गया। फिर
निलेश ने कहा नैना चलो हमारा नम्बर है। फिर दोनों डा अनिल कपूर के रूम में पहुंच गए। डाक्टर ने कहा मैंने नैना का रिपोर्ट पढ़ा और ऐसे केस में सिर्फ एक आई डोनर ही कुछ कर सकता है
पर फिर भी मैं एक बार नैना का आई चेक कर लेता हूं। फिर निलेश नैना को लेकर डाक्टर के पास बैठा दिया। डाक्टर ने कहा नैना सर ऊपर करो।
डाक्टर साहब ने आंखों को मशीन द्वारा देखा और फिर और कहा कि जैसा मैंने कहा था ।
नैना बोली डॉक्टर साहब कौन देगा मुझे आंख।निलेश बोला नैना सब अच्छा होगा।
डॉ - ने कहा निलेश मैं भी ध्यान में रखता हूं फिर तुमको बताता हु।
निलेश व नैना आई सेन्टर से बाहर निकल आए।
निलेश ने कहा नैना कैफे हाऊस चले।
नैना -ने कहा हां। मुझे बैल्क का
काॅफी पसंद है। निलेश ने कहा ऐसा क्या और मुझे भी।फिर दोनों हंसने लगे। निलेश ने नैना का हाथ ऐसे पकड़ा था कि कभी न छोड़ें। नैना को निलेश का स्पर्श अच्छा लग रहा था। निलेश ने दो बैल्क काॅफी आॅडर किया। और साथ में चीज़ सैंड बीच ।। फिर दोनों खाने लगे।
नैना बोली - निलेश तुम ये सब क्यों कर रहे हो।
निलेश ने कहा हां भरोसा नहीं है तुम्हें ?
नैना ने कहा कुछ नहीं हो सकता है मैं कभी तुम को नहीं देख सकती हुं।
निलेश ने कहा काश मैं तुम्हें अपनी आंखें दे पाता।नैना ने कहा क्या बोल रहे हो तुम ।
निलेश ने कहा हां सच बोल रहा हूं।
नैना ने कहा मैं तुमको देखना चाहती हुं ।
निलेश -ने कहा अच्छा अब हमें जाना होगा।
नैना ने कहा तुमने मुझे क्यो इतना सपना दिखाया। निलेश ने कहा अरे बाबा सपना पूरा हो जाएगा।। ज्यादा सोचो मत ओके। चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं। और फिर निलेश ने नैना को उसके घर छोड़कर अपने घर आया।
माया ने कहा भाई क्या हुआ सब ठीक था ‌तो निलेश ने सब कुछ बताया। और फिर बोला दी मैं कुछ सोच रहा हूं। माया ने कहा क्या और कौन नैना को अपनी आंख देगा।। निलेश ने कहा दीदी कोई न कोई तो होगा।। मुझे लगता है वो पेपर में भी कभी कभी निकलता है।
माया बोली अच्छा ठीक है चल फेश हो जा चल खाना खाने। निलेश अपने रूम में पहुंच गए।
फिर दोनों खाना खाने लगे।
फिर निलेश पेपर में देखने लगा। और फिर अपने दोस्तों से बात करने लगे।

क्रमशः