हम दिल दे चुके सनम - 5 Gulshan Parween द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हम दिल दे चुके सनम - 5

हेलो दोस्तों अभी तक आपने पढ़ा मिहिर अनुष्का को मन ही मन चाहता है, लेकिन अनुष्का मिहिर को भाऊ भी नही देती है। अब आगे.......




दिन पर लगाकर उड़ने लगे, अनुष्का का एग्जाम भी आ गया था। वह बहुत मेहनत से पढ़ रही थी और खुश भी थी कि आखिर इसका अमेरिका अकेले जाने का सपना जो पूरा होने जा रहा था। नाश्ते के मेज पर सब जमा थे, अनुष्का भी एक हाथ में किताब लिए पढ़ रही थी और दूसरे हाथ से नाश्ता कर रही थी उसने स्कूल से छुट्टियां ले रखी थी एक्जाम के लिए।

"बेटा पहले ठीक से नाश्ता तो कर लो फिर आराम से पढ़ लेना" मिस्टर मलिक ने अनुष्का से कहा।

"नहीं पापा मैंने नाश्ता कर लिया है ठीक से, बस आज लास्ट पेपर है हो जाए फिर आराम से खाऊंगी" अनुष्का चाय का कप ले कर खड़ी हुई और हंसते हुए बोली।

" इसने अब तक किसी की सुनी है, जो आज आपकी सुनेगी" मिसेज मलिक बीच में बोल पड़ी।

"जब टाइम आएगा तब सुन लूंगी, अनुष्का अपने कमरे में वापस जाते जाते मुड़ी और अपनी मां की बात सुन कर फिर अपने कमरे में वापस चली गई।

"हेलो" अनिल ऑफिस से आने के बाद खाना खाकर बिस्तर पर लेटा और अपने घर फोन लगाया।

"हेलो बेटा कैसे हो?? दूसरी तरफ से आवाज आई इसकी मम्मी थी जिसे उसने तुरंत पहचान लिया।

"मम्मी मैं बिल्कुल ठीक हूं, मम्मी वैसे आज आज फोन आपने उठाया, पापा कहां हैं?? अनिल ने पूछा।

"बेटा वह जरा बाहर गए हैं और जाते हुए मोबाइल ले जाना भूल गए हैं, इसलिए मैंने उठाया है फोन" दूसरी तरफ से अनिल की मम्मी ने बताया।

"अच्छा ठीक है घर में सब कैसे हैं, छोटी और बाकी लोग।

"हां बेटा सब ठीक है आज तो तुम्हारी आंटी आई हुई थी"दूसरी तरफ से जवाब आया

"ओह चली गई क्या??? अब अनिल ने पूछा।

"हां बेटा तुम्हारे पापा उन्हीं को छोड़ने गए हैं" अनिल की मां ने कहा।

"अरे मम्मी मेरी छोटी से बात करा दीजिए, कितना टाइम हो गया इससे बात नहीं हुई है"

"हां बेटा छोटी भी बहुत याद कर रही थी, वो कह रही थी कब आएंगे भैया मेरी बात कराओ, हमने कॉल भी लगाई थी" अनिल की मम्मी ने कहा।

"मम्मी बहुत काम होता है ना ऑफिस में, इसलिए मोबाइल बंद कर देता हूं"

"अच्छा छोटी से तो बात कराइए" अनिल ने अपनी छोटी बहन से बात करने की ख्वाहिश जाहिर की

"बेटा!! वह तो सो रही है अभी, कहो तो उठा दूं ??अनिल की मां ने पूछा।

"नहीं रहने दीजिए अनिल ने कहा।

"हां बेटा और बताओ नानी कैसी है??

"नानी तो सो रही है वरना बात करा देता, वैसे वह बहुत ध्यान रखती है मेरा, बिल्कुल आप की तरह, अच्छा मम्मी एक बात करनी थी आपसे?? अनिल ने अपनी मां से कहा।

"हां बेटा बोलो"

"मम्मी इस संडे को ही मुझे अमरीका जाना है, 1 हफ्ते के लिए ऑफिस के कुछ जरूरी काम है उसी के सिलसिले में"

"अमेरिका!!! इतना दूर और किस लिए?? तुम तो कहते थे सारा काम इंडिया में ही है, कहीं बाहर नहीं जाना होगा" अनिल की मां ने एक साथ कई सवाल पूछ दिया।

"हां मम्मी कोई काम आ गया है, इसलिए जाना पड़ रहा है और सिर्फ एक हफ्ते की तो बात है" अनिल ने अपनी मां को समझाते हुए कहा।

"लेकिन बेटा अमरीका तो बहुत दूर है, मेरा तो तुम्हें मुंबई भेजने में भी दिल घबरा रहा था इतना दूर कैसे भेज दूं" अनिल की मां ने जज्बाती होते हुए कहा।

"मम्मी आप परेशान मत हो, यह बस कुछ ही दिन की बात है" अनिल ने अपनी मां को फिर से समझाने की कोशिश की।

"ठीक है बेटा लेकिन अगर अमरीका जाओगे तो किसके साथ" अनिल की मा ने पूछा।

"वह कंपनी के कुछ लोगों के साथ ही जाऊंगा, लेकिन अकेला नहीं जाऊंगा" अनिल ने मा से झूठ बोलते हुए कहा क्योंकि उसे मालूम था कि उसकी मम्मी अकेले उसे जाने नहीं देगी।

"ठीक है बेटा जाने से पहले मुझे जरूर बता देना और वहां भी कॉल करके हालचाल पूछते पूछते रहना" अनिल की मां ने कहा।

"ठीक है मेरी प्यारी मम्मी जैसी आपकी हुक्म अब मैं बहुत थका हुआ हूं, मुझे नींद आ रही है, मैं सो जाऊं" अनिल ने अपनी मां से पूछा।

"ठीक है सो जाओ और खाना-वाना जरा टाइम पर खाया करो" उसके बाद अनिल की मां ने फोन रख दिया और और अपने बहते हुए आंसू पोछने लगी। पूरे 3 महीनों से उन्होंने अपने बेटों का चेहरा नहीं देखा था। यह 3 महीने उसकी मां के लिए एक-एक पल एक-एक सेकंड अपने लाल के बिना कैसे गुजरी यह सिर्फ उसका दिल ही जानता था। और अनिल तो इसका एकलौता लड़का था। अनिल के अलावा इसकी एक बेटी थी जो मैट्रिक में थी और अनिल के पापा एक छोटी सी नौकरी करते थे, इनके घर का गुजर बसर आसानी से हो जाता था। अनिल सुर्ख व सफेद रंग का लड़का था। घुंघराले बाल छोटी छोटी आंखें गुलाबी होंठ इस में कोई शक नहीं था कि वह खूबसूरत नौजवान था। वह अपने काम से काम रखने वाला लड़का था। इसे इन बड़े शहरों की रंगीनया कहां से भाती। लड़कियां इसे देखते ही उंगलियां होंठों में दबा लेती थी, लेकिन वह सबसे अलग अपने काम में लगा रहता था। वह अपनी नानी के घर रुका हुआ था। इसके अलावा इसके मामा भी थे जो पुलिस इंस्पेक्टर थे वह ज्यादा तर घर से बाहर ही रहते थे। अनिल और इसकी नानी किराए की घर में रहते थे, जिसमें 2 ही रूम था। अनिल बी बी ए प्राइवेट कर रहा था। यूनिवर्सिटी कभी-कभी ही जाता था पूरा दिन ऑफिस में काम करता और देर रात घर वापस आता था। कभी-कभी वह छुट्टियां लेकर यूनिवर्सिटी में चला जाता था और संडे को फ्री टाइम में वह अपनी पढ़ाई करता था।

"अंकल आप अनुष्का को किसी अनजान के साथ ऐसे कैसे जाने दे सकते हैं" मिहिर ड्राइंग रूम में बैठा मिस्टर मलिक से पूछ रहा था।

"बेटा मैं जिस लड़के के साथ इसे भेज रहा हूं, वह बहुत अच्छा आदमी है मैंने बहुत सोच समझकर यह फैसला लिया है" मिस्टर मलिक चाय का कप रखते हुए बोले

"तो मैं चला जाता हूं ना मसला क्या है?? मिहिर बिना सोचे समझे बोला।

"अगर बेटा अनुष्का इस बात पर राजी होती तो हमें जरूरत ही क्या थी किसी और को भेजने की, इसकी जिद है कि इसे अकेले जाना है और अनुष्का ने इस लड़के को देखा हुआ नहीं है इसलिए मैं उसे भेज रहा हूं, वह इसके साथ रहकर भी इसकी हिफाजत करेगा और अनुष्का इसे पहचान भी नहीं पाएगी" मिस्टर मलिक ने डिटेल से बताइए।

"अच्छा आपकी बात भी ठीक है, वैसे अनुष्का भी बिना बात का जिद पकड़ कर बैठ जाती है।

"हां मैंने अच्छे से इन्वेस्टिगेट भी किया है इस लड़के के बारे मे तुम इस की तरफ से बेफिक्र रहो बिल्कुल" मिस्टर मलिक ने कहा।

"ठीक है कल कितने बजे की फ्लाइट है" मिहिर ने कॉफी के कप ट्रे में रख दिया।

"कल दोपहर 3:00 बजे है"

"ठीक है मैं कल एयरपोर्ट पर ही पहुंचता हूं, अब इजाजत दीजिए" मिहिर खड़ा हो गया।

"अच्छा बेटा आज अपने डैडी को शाम 6:00 बजे ऑफिस भेज देना वह तो अपनी शक्ल भी नहीं दिखाते अब" मिस्टर मालिक भी खड़े हो गए

"जी ठीक है अंकल जरूर मिहिर कहता हुआ अनुष्का के रूम की तरफ रुका.....

कहानी जारी है