हम दिल दे चुके सनम - 8 Gulshan Parween द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हम दिल दे चुके सनम - 8

दोस्तों अभी तक आपने पढ़ा अनुष्का अमेरिका पहुंच जाती है। अनिल भी उसके साथ ही अमेरिका जाता है और उसके घर के पास ही होटल में रुकता है अब आगे...

"अरे बेटा अचानक कैसे-आना हुआ और वह भी अकेले" आकाश ने अनुष्का से पूछा

"जी अंकल आप सबको सरप्राइस जो देना था" अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा।

"अच्छा बेटा चेंज करके आराम कर लो, रात काफी हो गई है थक गई होगी" मिसेज आकाश बोली।

"जी ठीक है" अनुष्का कहते हुए ऊपर की तरफ चली गई।

अनिल भी होटल में पहुंच कर नहा धोकर सो गया। सुबह उठने के बाद फ्रेश होकर नाश्ते का आर्डर दिया, नाश्ते के बाद वह होटल से निकल आया थोड़ी दूर चलने पर उसे एक पार्क नजर आया जहां काफी लोग एक्सरसाइज कर रहे थे अनिल भी अंदर चला गया और रनिंग करने लगा। मुंबई में भी इसका रोज का रूटीन था।

अंश और अंशिका की स्कूल बस आ चुकी थी वह सब नाश्ते की मेज पर जमा थे

"मामा आज स्कूल जाने का दिल नहीं कर रहा है, दीदी आई है ना इसलिए" अंश ने मासूमियत से बोला।

" मैं भी मैं भी दीदी के साथ रहूंगी" अंशिका भी झट से बोली

"अरे बच्चों तुम सब स्कूल जाओ आने के बाद हम फिर खेल लेंगे पूरा दिन हमारे पास है, अब तो तुम लोग तैयार भी हो गए हो स्कूल के लिए" अनुष्का ने बच्चों को समझाए।

"ठीक है मैं फिर ट्यूशन नहीं जाऊंगा" अंश ने कहा

" ठीक है नहीं जाना मगर अभी स्कूल तो चले जाओ" मिसेज आकाश बोली।

"चलो चलो कही बस ना निकल जाए, तुम लोग जल्दी खड़े हो जाओ अनुष्का ने बराबर में बैठे अंश और अंशिका को खड़ा किया।

"बेटा तुम कहां जा रही हो?? आकाश ने अनुष्का को खड़ा देखकर पूछा।

"अंकल मैं बराबर वाले गार्डन में वॉक करने जा रही हूं वैसे भी अकेले बोर हो जाऊंगी" अनुष्का अंशिका का हाथ पकड़े हुए कहा।

"चलो अच्छा है तुम्हारा दिल भी लग जाएगा" मिसेज आकाश बोली।

अनुष्का अंश और अंशिका को बस में बैठाया और बाय बाय कहते हुए आगे बढ़ गई। बचपन से इसका यहां आना जाना लगा लगा था इसलिए यहां के रास्तों को भी अच्छी तरह जानती थी। इसलिए उसने हेडफोन अपने कानों में डाली और मोबाइल हाथ में पकड़े वॉक करने लगी कि अचानक इसकी नजर अनिल पर गई जो कुछ आदमी के साथ मजाक मस्ती कर रहा था। मुलाकात के दौरान इसने पहली बार अनिल मुस्कुराते देखा था।

"अरे वाह इसको तो हंसना भी आता है" अनुष्का ने सोचा।

"मुझे लग रहा था शायद यह मेरा पीछा कर रहा है, मगर लगता है इसका ठिकाना यही तक है शायद मुझे गलतफहमी हुई होगी वह भी चलते चलते इसके पास आ पहुंची

"हेलो अंकल कैसे हैं आप?? अनुष्का ने जाकर इनमें से एक बुजुर्ग से हेलो किया मगर नजर अनिल पर जमाई हुई थी।

"यह तो सब को जानती है" अनिल ने मन ही मन कहा।

"हैलो बेटा कैसे आना हुआ यह और तुम्हारे मम्मी पापा कहां है बुजुर्ग ने गर्मजोशी में पूछा।

"नहीं मैं अकेली आई हु यहां" अनुष्का ने जवाब दिया।

"क्या बात है बेटा आप तो बड़ी हो गई"

"अच्छा अब मैं चलता हूं घर जाकर नाश्ता करना है" इनमें से एक बुजुर्ग ने जवाब दिया।

"चलिए ठीक है मैं भी चलती हु" अनुष्का मुस्कुराती उसकी तरफ चल पड़ी जहां अनिल गया था। अनिल तेज तेज कदमों के साथ जमीन पर नजर जमाए चल रहा था।अनुष्का भी भी तेज तेज कदमों से चलती हुई उसके पास पहुंच गई।

"आप कहां रहते हैं?? अनुष्का ने बहुत आराम से पूछा शायद जिंदगी में पहली बार किसी से इतने आराम से बात की थी।

"जमीन पर" अनिल ने अनुष्का की आवाज पर पीछे मुड़ते हुए देखा।अनुष्का को ऐसी जवाब उम्मीद नहीं थी।

"जमीन पर सच्ची मुझे लगा आप मार्स से आए हैं इसलिए मैने पूछा" अनुष्का ने अनिल को उसी के अंदाज में जवाब दिया।

"अच्छा चलो आप आपकी गलतफहमी दूर कर दी मैंने अनिल धीरे से बोलते हुए वहीं खड़ा हो गया।

"वैसे जमीन पर जो जगह पर रहते इसका कोई नाम भी होगा ना" वह वही पास बलि बेंच पर बैठ गई जबकि अनिल अभी भी खड़ा हुआ था।

"जी नाम है न इसको साइंस की भाषा में अर्थ कहते है अनिल मुस्कुराते हुए कहा मुस्कुराया।

"आप जगह का नाम बताना पसंद करेंगे" अनुष्का ने फिर पूछा।

"जी मुजफ्फरनगर" अनिल संजीदगी से कहता हुआ दोबारा चलने लगा।

"मुजफ्फरनगर नाम तो सुना लग रहा है लेकिन कहां है??"

"ऐ मिस्टर रुको तो" अनुष्का ने आवाज दी।

"यह मुजफ्फरनगर इंडिया में है ना"

"जी बिलकुल इंडिया में है" अनिल ने कहा।

लेकिन ये फ्लाइट तो मुंबई से आया है और आप तो मुंबई से ही मेरे साथ है" अनुष्का ने कहा।

"मै मुजफ्फरनगर में रहता था अभी मैं मुंबई में रहता हु" अनिल ने उसे समझाते हुए कहा।

"मुझे तो आप पढ़ी-लिखी नही लगती है"

"तो सीधा-सीधा बोल देते बातें बताने की क्या जरूरत थी"अनुष्का भी मुंह बनाते हुए बोली।अनिल इसका जवाब दिए बगैर ही बाहर की तरफ बढ़ गया।

"इसके साथ प्रॉब्लम क्या है पहले पीछे-पीछे आ जाता था और अब आगे आगे जाता है" अनुष्का अनिल को जाते हुए देख रही थी।

"अरे मिस्टर रुको तो" अनुष्का को अचानक कुछ याद आया वह इसके पीछे भागी।

"अब क्या प्रॉब्लम है यार" अनिल उसकी बात से तंग आ गया था।

"आपने अपना नाम नहीं बताया" अनुष्का इसके पास आकर बोली।

"आपने पूछा ही नहीं" अनिल नजरे झुकाए हुए बोला।

"क्या पूछ सकती हूं आपका नाम??? अनुष्का ने पूछा।

"जी पूछ सकती हैं, अब आपके में तो एल्फी नहीं लगी है और न ही मेरे गले में" अनिल ने फटाफट बोला।

"यार बताना है तो बताओ नहीं बताना तो मत बताओ फिर दिमाग मत खाओ" अनुष्का भी अब तंग आ गई थी।

"ठीक है बाय बाय" कहता हुआ अनिल तेजी से वहा से निकल गया।

"अरे यह तो सच में चला गया बदतमीज कहीं का" अनुष्का वही खड़ी होकर उसे जाते देख रही थी।जैसे नाम सुनकर मैं इसे अगवा कर लेती, नाम बता देता तो पता नहीं क्या चला जाता है वह खुद से बड़बड़ाती हुए घर पहुंची पूरा दिन वह अनिल बारे में ही सोच सोच रही थी। शायद वह दोबारा आएगा गार्डन में तो इससे पूछ लूंगी इसका नाम और अगर वह कल भी नहीं बताया तो.... अनुष्का नाम है मेरा भी इसके मुंह से निकलवा ही लूंगी इसका नाम, वैसे बंदा अच्छा है दिल का बुरा नहीं है। वो बिस्तर पर लेटी मन ही मन सोच रही थी और मुस्कुरा भी रही थी। इसकी आंटी के आवाज ने इसे अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर ले आई।

"बेटा खाना लग गया है आ कर खा लो"

जी आंटी आ रही हु" अनुुष्का कहती हुई बाहर निकल आई।

आगे जारी है....

दोस्तो अगर आपको कहानी पसंद आ रही है तो अपनी समीक्षा में जरूर बताइए।