मुस्कराते चहरे की हकीकत - 28 Manisha Netwal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 28

विवान अपनी बात पूरी करके वहां से चला गया था लेकिन किसी को समझ नहीं आ रहा था कि इस वक्त उसके दिमाग में क्या चल रहा है,,,,,,,

इधर दिल्ली में विनोद और प्रवीण हॉस्पिटल में डॉक्टर के केबिन में बैठे थे कुछ देर में डॉक्टर भी वहां आ जाता है विनोद, डॉक्टर से - डॉ शर्मा, क्या अवनी की हालत में सुधार के आसार है.....
डॉ शर्मा, अवनी की रिपोर्ट देखकर बोला - मिस्टर विनोद... आपको पता है कैंसर के मरीज को किन हालातों से गुजरना पड़ता है और ऐसी हालत में पेशेंट का मानसिक तरीके से ठीक रहना बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है उसे यकीन दिलाना होगा कि वह फिर से नॉर्मल लाइफ जी सकती है, हमने अवनी की रिपोर्ट देखी, उन्हें यह प्रॉब्लम दो-तीन सालों से नहीं है बल्कि बहुत पहले से है.... देखिए शायद उनके अकेलेपन या कोई ऐसी बात जो उन्हें बहुत ज्यादा परेशान कर रही है उसके कारण उनके दिमाग पर गहरा असर है.... हालाकी अभी अवनी की हालत ठीक है फिर भी यह दूसरा फेज है तो उन्हें बहुत सी तकलीफों से गुजारना पड़ेगा जिनमें हर महीने होने वाली chemotherapy (रसायन चिकित्सा, जो ब्लड कैंसर के मरीज़ के लिए सबसे महत्वपूर्ण है)भी है.... अभी हमने दवाइयां लिख दी है अगले महीने की दो तारीख को उन्हें पहली कीमोथेरेपी के लिए लेकर आना होगा....
प्रवीण-डॉक्टर अवनी कितने दिनों मे, महीने, साल में ठीक हो जाएगी.... मतलब वो पुरी तरह ठिक तो हो जायेगी ना...
डॉ शर्मा- यह तो हम नहीं बता सकते क्योंकि ब्लड कैंसर की गारंटी कोई नहीं दे सकता.... यह पैसेंट पर निर्भर करता है कि वह अपने आप को कितना मजबूत बनाकर इस सिचुएशन से लड़ सकता है.....
कुछ देर विनोद और प्रवीण डॉक्टर से बात करते हैं फिर बाहर आते हैं,,, अवनी पहले ही कार में आकर बैठ गई थी वह दोनों भी आते हैं और कार में बैठकर घर के लिए निकल जाते है,,,,,,,
एक डेढ़ घंटे के सफर के बाद तीनों घर पहुंचते हैं,,, रेणुका कब से उन्हीं इंतजार कर रही थी,, उन्होंने दरवाज़े से ही सवाल पूछना शुरू कर दिया था वह विनोद के पास आकर- क्या कहा डॉक्टर ने....
अवनी, उनके पास आकर- रिलैक्स मामी, मामू को बैठने तो दीजिए....
प्रवीण और विनोद अवनी की बात पर मुस्कुराते हैं और आकर सोफे पर सिर टिकाकर बैठ जाते हैं और अवनी भी प्रवीण के पास आकर बैठ जाती है रेणुका तीनों के लिए पानी लाती है और उन्हें देकर विनोद के पास बैठते ही फिर से वही सवाल दोहराती है - अब तो बताइए क्या कहा डॉक्टर ने.....
विनोद रेणुका को वह सारी बातें बता देता है जो डॉक्टर ने उनसे कहीं थीं....
उनके चहरे की परेशानी देखकर अवनी उन दोनों के पास आकर दोनों के हाथों को पकड़कर वहीं बैठ जाती है और मुस्कुराते हुए - डोंट वरी मामू.. मैं अपना ख्याल रखूंगी अवनी कमजोर नहीं है इतनी आसानी से तो मैं कैंसर को जीतने नहीं दूंगी... हां अगर आप ऐसे ही उदास रहे तो मैं खुद को स्ट्रांग नहीं बना पाऊंगी....
विनोद, उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला - हमें तुमसे यही उम्मीद थी बेटा... हां एक बात और तुझे कुछ दिनों के लिए अपने काम से छुट्टी लेनी होगी क्योंकि जॉब हेल्थ से बढ़कर तो नहीं है ना....
अवनी- मैं कंपनी की COO हूं मामू, इसलिए अब इतनी आसानी से जॉब तो छोड़ नहीं सकती और वैसे भी छः महीने का कांटेक्ट तो पूरा करना ही पड़ेगा... इसलिए मैंने एक दो महीने तक घर में ही काम संभालने की जिम्मेदारी ली है इसलिए चिंता मत कीजिए मैं यही घर से ही अपना काम करूंगी....
रेणुका - और घर पर मैं हमेशा हु तेरा ख्याल रखने के लिए.... अवनी मुस्कुराते हुए हा में सिर हिलाती है,,,,,,,,
देखते ही देखते रात हो चुकी थी अवनी डिनर के बाद सीधा अपने कमरे में आ जाती हैं कमरे की खिडकी से चांद की रोशनी कमरे में गिर रही थीं,,, अवनी खिड़की में ही पैर फैलाकर बैठ जाती हैं और आसमान में चांद को निहारने लगती है,,,
प्रवीण भी अंदर अवनी के पास आ जाता है और खिड़की से कंधे टीका कर खड़ा हो जाता है उसके हाथ में नॉवेल बुक्स थीं,,,,,
अवनी ने प्रवीण के हाथ में वह बुक्स देखकर कहा- आप नोवेल्स कब से पढ़ने लग गए भाई.....
प्रवीण बुक्स को अवनी के हाथों में थमाकर- यह मेरे लिए नहीं, मेरी प्यारी बहन के लिए....
अवनी, उन्हें देखकर खुश होते हुए- पर आपको किसने बताया कि मुझे यह बुक्स पसंद है मैंने तो आपको कभी नहीं बताया....
प्रवीण, कुछ सोचकर बोला - तो सोचो फिर कौन बता सकता है मुझे....
अवनी थोड़ी देर सोचती है फिर जोर से- नित्या....
प्रवीण मुस्कुराते हुए हा में सिर हिलाता है अवनी उन बुक्स को सीने से लगाकर - यू नो भाई... हॉस्टल में मैं जब भी बोर होती थी यही नोवेल्स पढ़ती थी, पर नित्या को अच्छा नहीं लगता था वह मेरी बुक्स छिपा देती थी.....
अवनी के चेहरे पर फिर से पुरानी वाली मुस्कुराहट देखकर प्रवीण भी खुश था दोनों कुछ देर एक दूसरे से बातें करते हैं अचानक अवनी को कुछ याद आता है वह खिड़की से नीचे उतर कर - भाई मुझे नित्या से बात करनी थी मैं तो भूल गई, परेशान होगी वह....
प्रवीण- ठीक है गुड नाइट.. तुम करो अपनी दोस्त से बाते......
प्रवीण बाहर चला जाता है अवनी पहले नित्या के पास कॉल लगाती है नित्या, रिया और श्रेया के पास बैठी थी अवनी का फोन कॉल देखकर तीनों खुश हो जाते हैं
अवनी कुछ देर तीनों से बात करती है फिर नित्या से- नित्या उस दिन जब मैं अग्रवाल मेंशन में थी उस समय काव्या के अपार्टमेंट से मेरी दवाइयां कौन लेकर आया था.....
नित्या - विवान लेकर आया था.. क्यों क्या हुआ..?
अवनी कुछ सोचकर - कुछ नहीं ऐसे ही गुड नाइट...
अवनी तीनों को बाय बोलकर फोन रख देती है फिर काव्या और करण को कॉल करती है कुछ देर उनसे बात करके फोन रख देती है और बेड पर जाकर सो जाती है,,,,,, अवनी मन ही मन सोचे जा रही थी,,,,, कहीं विवान ने वो डायरी पढ़ तो नहीं ली... कैसे बात करूं उससे..... वैसे भी उसमें कुछ नहीं था और अब तो मैं अपने सवालों से भी दूर नहीं तो मुझे डायरी की जरूरत नहीं.... लेकिन विवान को पता चला तो.....
यही सोचते सोचते अवनी को नींद आ जाती है,,,,,,

दिल्ली
तीन मंजिला सुंदर बिल्डिंग, जिसके सामने दाई और बड़ा सा गार्डन और गार्डन के बिल्कुल सामने पार्किंग एरिया था जहां लगभग 10 ब्लैक BMWX4 cars खड़ी थी और बिल्डिंग के बाई और स्विमिंग पुल था,,, बिल्डिंग के नेम प्लेट पर सुनहरे अक्षरों से लिखा नाम बाहर से आने वाले लोगों का ध्यान खुद ब खुद अपनी और आकर्षित करने के लिए काफी था,,,,,
बिल्डिंग के अंदर डाइनिंग टेबल पर सामने की चेयर पर एक आदमी बैठा था जिसके ललाट से पसीने की बूंदें छलक रही थी,,, उसके सामने खाने की प्लेट रखी हुई थी और चारों तरफ 7-8 लोग ब्लैक ड्रेस पहने खड़े थे,,, वह आदमी बहुत घबराया हुआ था, डर के मारे उसके हाथ पैर कांप रहे थे वह कभी खाने की तरफ तो कभी सामने खड़े लोगों की तरफ देख रहा था,,,, उनमें से एक व्यक्ति बाहर स्विमिंग पूल के पास आता है जहां पहले से चार पांच लोग खड़े थे वह भी चुपचाप वहा आकर खड़ा हो जाता है,,,,, सबकी नजर स्विमिंग पूल में स्विमिंग कर रहे व्यक्ति पर थी
कुछ देर में वह बाहर निकलता है उम्र 35,साल, बड़े बाल जो आंखों के नीचे तक आ रहे थे चेहरे पर भारी दाढ़ी-मूछ जिसमें चार जगह हलके कट्स लगे हुए थे, लाल आंखें जैसे नशे में धुत वक्ति की रहती है, हटा कट्टा शरीर, 6 फुट लंबा कद.. और पीठ पर RV नाम का टैटू लगा हुआ था.....
वह जैसे ही स्विमिंग पूल से बाहर निकलता है एक आदमी उसका टाउन लेकर आता है दूसरा जूस और तीसरे व्यक्ति के पास उसकी महंगी घड़ी और 3 अंगूठियां थी वह सब से अपना सामान लेता है और पास की चेयर पर बैठे-बैठे जूस पीने लगता है,,, एक आदमी उसके पीछे खड़ा उसके बालों में मालिश कर रहा था,,,,,,,,,
अंदर से जो व्यक्ति आया था वह बिलकुल उसके सामने सिर झुका कर खड़ा हो जाता है,,,
निचे बैठा वक्ती गिलास को साइड में रख कर सामने खड़े व्यक्ति से पूछता है - क्या बताया उसने...?
सर वो आपसे बात करना चाहता है,,,,, उस व्यक्ति ने कहा जो अंदर से आया था,,,,,,
वह उसकी बात सुनकर खड़ा हो जाता और अपने आदमियों के साथ अंदर आता है और डाइनिंग टेबल पर पहले से बैठे व्यक्ति के ठीक सामने आकर बैठ जाता है,,,,,
दो व्यक्ति उसकी प्लेट में खाना रखकर पीछे हट जाते हैं वह खाना खाते हुए सामने वाले व्यक्ति की तरफ देख कर बोला - डिटेक्टिव मिस्टर डिसूजा... क्या नई इनफार्मेशन मिली है आपको उस लड़की के बारे में जो आप डायरेक्ट मुझसे बात करने चले आए.....
Mr D'Souza, घबराते हुए - सॉरी सर... उस रात उस लड़की को किडनैप करने को मैने ही कहा था लेकिन उसने पूरा प्लान चौपट कर दिया,,, उस वक्त आपने कॉल नहीं किया होता तो आपके आदमी पुलिस की गिरफ्त में होते.....
वह अभी भी बिना किसी भाव के चुपचाप खाना खा रहा था तभी सीढ़ियों से नीचे आ रहे 55-56 साल के व्यक्ति की आवाज आती है जिसके हाथ में फोन था,,,, रणवीर, डीएसपी से मेरी बात हो गई है उन्होंने कहा है कि तुम भैया से मिल सकते हो, किस दिन मिलना है वह इन्फॉर्म कर देंगे,,,,,,,
रणवीर मेहता, खाने की प्लेट को साइड में रखकर उस सीढ़ीओ से आ रहे व्यक्ति की तरफ देखकर - उनसे कहिए चाचू ...मैं 15 दिनों के अंदर अंदर डेड से मिलना चाहता हूं....
प्रकाश मेहता (रणवीर के चाचा) उसके पास आकर- मैंने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की है उन्हें मनाने की... तुम और बात कर लेना.......
तभी प्रकाश की नजर डिसुजा पर जाती है जो दोनों की तरफ़ ही देख रहा था,,, प्रकाश उसे देखकर रणवीर से बोला- यह तो डिटेक्टिव्स डिसूजा है जिसको पांच साल पहले हमने जयनारायण व्यास की बेटी का पता लगाने भेजा था......
रणवीर खड़ा होकर डिसूजा के पास आता है और अपने दोनों हाथ उसके कंधों पर रखकर- हां यह वही डिसूजा है चाचू... तो बोलिए डिसूजा साहब क्या पता किया आपने इन पांच सालों में.....
रणवीर के इतने पास होने से डिसूजा घबराया हुआ था, उसने कहा- उसका नाम अवनी व्यास है जो एक रो एजेंट है साथ ही वह भोपाल में R.K. कंपनी की सीओओ भी है,, लेकिन हाल ही में उसने दोनों जॉब छोड़ दी अब उसने भोपाल भी छोड़ दिया.... फिलहाल वह कहां है मालूम नहीं....
रणवीर, गुस्से से - बस इतना ही मालूम है...बचपन से वह किसके साथ रहती थी, स्कूल कॉलेज उसके फ्रेंड्स कुछ नहीं मालूम क्या....
मिस्टर डिसूजा के बोलने से पहले ही प्रकाश ने रणवीर से कहा- उसका परिवार दिल्ली में ही है लेकिन वह उनके पास नहीं रहती.... ना अपने घर.. ना ननिहाल.. (डिसुजा की तरफ देखकर) फिर उसका साथ कौन दे रहा है और रो - एजेंट
Mr D'Souza - जयनारायण व्यास की मौत के बाद उसे दिल्ली के बोर्डिंग स्कूल में डाला गया था और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉलेज,,, जब वह कॉलेज में थी तो उसकी फ्रेंड का किडनैप हुआ था उसके बाद वह एक रो एजेंट बनी... तीन चार महीने पहले गिरिराज और उसके बेटे अभिषेक अग्रवाल के काले धंधे का पर्दाफाश उसी ने किया था... जब वह मुंबई किसी काम के सिलसिले से गई थी तब मैंने उसे पहली बार वहां देखा था खास बात यह है कि उसे अभी तक अपने माता-पिता के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है, इसी का फायदा उठाकर मैंने उसे फंसाने की कोशिश की लेकिन मेरा प्लान फेल हो गया उस दिन जब आप के आदमी गए थे उसका किडनैप करने तो उसने मुझे साफ-साफ कहा था कि मैं आ रही हूं लेकिन लास्ट मोमेंट पर उसने कुछ आदमी भेज दिए,,,,,
प्रकाश, असमंजन से - पर उसने भोपाल क्यों छोड़ा... कोई खास वजह....
मिस्टर डिसूजा - कृष्णमूर्ति अग्रवाल का बेटा और अग्रवाल संस ग्रुप कंपनी का नया सीईओ विवान अग्रवाल... वह अवनी से प्यार करता है और शायद वो भी उससे प्यार करती है,,, जब विवान ने सबके सामने अपने प्यार का इजहार किया तो अवनी को पता लग चुका था कि कोई उसका किडनैप करना चाहता है और उसकी वजह से विवान की जान खतरे में पड़ सकती है इसलिए उसने विवान को साफ मना कर दिया और उसी रात वह वहां से निकल गईं, उसके साथ के कुछ लोगो की नज़र मुझ पर थीं इसलिए पता नहीं कर पाया की वह कहा गई....
रणवीर, मुस्कुराते हुए- क्या इंट्रेस्टिंग कहानी है... अब यह कहानी ज्यादा रोमांचक होने वाली है मेरे लिए..... विवान अग्रवाल,,, मंजिल तक पहुंचने का रास्ता......
मिस्टर डिसूजा, खड़ा होकर रणवीर के पास आकर - सर आगे मुझे कुछ मालूम नहीं.... मुझे जैसे ही पता चलेगा मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.....
रणवीर अपने एक आदमी की तरफ इशारा करता है और डिसूजा के पास आकर - अब इसकी कोई जरूरत नहीं है आप आज से आजाद है मिस्टर डिसूजा (वह आदमी सूटकेस लाकर रणवीर को देता है)
रणवीर सूटकेस मिस्टर डिसूजा के हाथों में थमाते हुए- यह रही आपकी कमाई और ध्यान रहे यह बात आज तक जितनी सीक्रेट थी अभी भी उतनी ही रहनी चाहिए वरना आप मुझे अच्छे से जानते ही हो.....
Mr. डिसूजा हा में गर्दन हिलाता है और वहा से चला जाता है,,,,,
रणवीर भी ऊपर अपने रूम में आ जाता है प्रकाश उसके पीछे-पीछे आता है,,,,,
प्रकाश, असमंजन से- तुम उसका पता कैसे लगाओगे और डिसूजा को भी मना कर दिया.....
रणवीर खिड़की के शीशे पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए- शायद आपने ठीक से सुना नहीं डिसूजा ने क्या कहा था.. वह लड़की रो एजेंट है तो इतना दिमाग तो उसके पास भी होगा.. वह डिसूजा तक पहुंचने की कोशिश करेगी लेकिन डिसूजा उसे कुछ नहीं बताएगा और रही बात उसके पता लगाने की तो डोंट वरी समझ लो शिकार जल्द ही हाथ लगने वाला है,,,,,,,
प्रकाश को अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि रणवीर क्या बोल रहा है वह वापस नीचे आ जाता है और रणवीर अपने रुम में खड़ा किसी से फोन पर बात करने लगता है,,,,,,,,,,

Continue.....