muskarate chahare ki hakikat - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

मुस्कराते चहरे की हकीकत - 7

अगले दिन सुबह 7:00 बजे
अवनी सुबह उठती है तो दिखती हैं कि उसके पास गर्म पानी,पट्टियां और कुछ टैबलेट्स पड़ी हुई थी तब उसे रात की याद आती हैं की लास्ट टाइम विवान उसके साथ था अवनी घबराकर बाहर आती हैं लेकिन विवान यहां नहीं था, अवनी वही बैठ जाती हैं और रात को जो हुआ सोचने लगती हैं तभी काव्या का फोन आता है
काव्या- अवि आज तुम्हें कही नही जाना, जल्दी से मेरे घर आ जाओ प्लीज़ मम्मा- पापा सब तुम्हारा वेट कर रहे हैं मना मत करना.........
अवनी- ऑके मै अभी आती हूं, मैने कहा था ना में कहीं नहीं जा रही आज,,,,
अवनी तैयार होकर काव्या के घर जाती हैं वहां हल्दी की रस्मे हो रही थी, अवनी काव्या और उसकी मम्मी से जाकर मिलती है
काव्या की मम्मा, अवनी के पास आकर- अवनी हमने तुम्हें अपनी बेटी माना है लेकिन शायद तुम हमें अपना नहीं समझती,,,,
अवनी उनकी बात पर हैरानी से- नहीं.. नहीं... आंटी प्लीज ऐसा मत कहिए आप सभी मेरे अपने हो।
स्वाति- तो फिर कल गुस्से में यहां से क्यों गई थी तुम इस तरह......
अवनी स्वाति के गले लगकर - सॉरी आंटी वो........
स्वाति उसके सिर पर हाथ फेरते हुए- मैं समझती हूं बेटा अब उस बात को भूल जाओ तुम्हें आज बहन होने का एक फर्ज निभाना होगा निभाओगी ना.....
अवनी- जरूर आंटी काव्या मेरी बेस्ट फ्रेंड ही नहीं, मेरी बहन भी है आप बताइए...
स्वाति, अवनी के हाथ में हल्दी का थाल देकर- तुम्हें अग्रवाल मेंशन जाकर यह हल्दी पहुंचानी होगी कावीन अभी छोटा है और हम जा नहीं सकते,,,, जाओगी ना बेटा
अवनी- पर आंटी.....
काव्या, उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए- तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती.....
अवनी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए- ओके मैं अभी चली जाती हूं एंड यू काव्या तुम्हारे लिए मेरी जान भी हाजिर है कभी मांग कर देख लेना......
काव्या अवनी को गले लगाकर- इसकी कोई जरूरत नहीं लव यू अवि.....
अवनी मुस्कराकर- लव यू टू मेरी जान....
कुछ देर में अवनी हल्दी का थाल लेकर अग्रवाल मेंशन में पहुंचती है,,,,,,
अग्रवाल मेंशन में सामने हॉल में सुधा जी, शालिनी जी, कविता, रश्मि, और कुछ औरतें हल्दी की रस्म की तैयारियों में लगी हुई थी अवनी उनके पास आकर सुधा जी के पैर छूती है और हल्दी का थाल सुधा जी को देते हुए- दादी यह स्वाति आंटी ने भेजा है करण के लिए........
शालिनी अवनी के पास आकर- हम इसी का ही वेट कर रहे थे थैंक यू बेटा...
अवनी-नहीं.. नहीं...आंटी थैंक्यू मत कहिए काव्या मुझे अपनी बहन मानती हैं और यह तो मेरा फर्ज था,,,,,
शालिनी अवनी के हाथों पर हाथ रखकर- नहीं बेटा थैंक्यू इसके लिए नहीं कल वाली बात को भुलाकर यहां आने के लिए,,,,,
अवनी सुधा जी के पास जाकर- नहीं आंटी कल गलती मेरी थी मैंने सब को हर्ट किया था दादी आप सबसे बड़ी है इसलिए कल के लिए आई एम रिएली सॉरी... मैं अपनी दादी से बहुत प्यार करती थी लेकिन अब वह मेरे पास नहीं है और कभी आएगी भी नहीं इसलिए मैं जब भी आपसे मिलती हूं मुझे उनकी याद आती है। कल के लिए आप मुझे माफ कर देना।
सुधा जी अवनी को गले लगा लेती और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए- तो क्या मैं तुम्हारी दादी नहीं हूं और तू अपने आपको कल के लिए जिम्मेदार मत समझ तेरी कोई गलती नहीं है समझी,,,, हमने तो तूझे कभी पराया समझा ही नहीं,,
शालिनी- पता नहीं हमारा तुमसे इतना गहरा रिश्ता कब जुड़ गया लगता है जैसे काव्या के साथ तुम भी इसी घर की सदस्य हो,,,,
अवनी मुस्कुराते हुए- रहने दीजिए आंटी वरना मुझे सच में आप सब की आदत हो जाएगी और वैसे भी मैं यहां केवल काव्या की शादी तक ही हूं....
अवनी कुछ देर तक वहीं बैठती है और उनसे बातें करती है दूसरी तरफ करण, कुणाल, यश विवान, रिया, श्रेया, रूही और प्रिया बैठे थे। अवनी भी वहां से उठकर उनके पास आती है और विवान और प्रिया को छोड़कर सब से हाथ मिलाती है विवान और प्रिया हैरानी से उसे देख रहे थे और सब भी,,, लेकिन सबको विवान और अवनी के झगड़े के बारे में पता था इसलिए किसी ने कुछ नहीं कहा।
अवनी करण के पास बैठकर- हेलो जीजू.....आपकी हल्दी आ गई है....
करण हैरानी से- जीजू.....
अवनी- आज मैं आपकी दोस्त नहीं साली बनकर आई हूं काव्य के घर से आपकी हल्दी का सगुन लेकर,,,,,
यश, बिच में ही- वैसे अवनी तुम्हारी तबीयत कैसी है अब....?
अवनी थोड़ी देर चुप रहती है फिर विवान की तरफ देखकर- मैं ठीक हूं....
अवनी विवान की तरफ देखती है जिसके पास प्रिया बैठी थी प्रिया अवनी को देखकर विवान के कंधे पर हाथ रखकर विवान से बातें करने लगती है
अवनी वहां से खड़ी होकर जाते हुए- वैसे करण तुमसे एक बात पूछनी थी,,,,,,
करण- हां अवनी, बोलो....
अवनी प्रिया और विवान की तरफ देखकर- आपके बड़े परिवारों में यह गले में हाथ डालकर बैठने की कोई रश्म है या बचपन की आदत,,,,,,
इतना कहकर अपनी वहां से चली जाती है विवान प्रिया का हाथ हठाकर उससे दूर बैठ जाता है।
रिया, हंसते हुए विवान से- भाई शायद अवनी ने आपसे ही कहा था लेकिन आज आपको गुस्सा नहीं आया,,,,,
विवाना अभी भी अवनी को जाते हुए देख रहा था रिया की बात सुनकर विवान- तुम्हें कैसे पता उसने मुझे कहा है और मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता समझी तुम......
विवान वहां से उठकर जाने ही वाला होता है तभी यश विवान के पास आकर- वैसे विवान तुम रात को कहां थे...? (अपने बोहे ऊपर करते हुए)
विवान सब की तरफ देखता है फिर हैरानी से यश से- कहां था.... अपने रूम में था,, मतलब क्या है तुम्हारा....
कुणाल के अलावा सभी विवान और यश की बातें सुनकर हैरान थे
विवान वहां से चला जाता है और सब अपने अपने काम में लग जाते हैं।
विवान बाहर आकर- अब इस अवनी की मिस्ट्री सॉल्व करनी पड़ेगी,,,, मुझे पहले काव्या भाभी से मिलना होगा।
विवान कार लेकर काव्या के घर की ओर निकल जाता है
इधर अवनी के पास प्रवीण का फोन आता है और अवनी प्रवीण के पास चली जाती है।
प्रवीण- अवनी आज हमें डॉक्टर के पास भी जाना है तुम्हें याद है ना....
अवनी- भाई इसकी कोई जरूरत नहीं है मैं ठीक हूं।
प्रवीण- अवनी मुझे पता है ना तुम कितनी ठीक हों,,,, अब जिद नहीं चलो मेरे साथ,,,,
अवनी- लेकिन भाई.......
प्रवीण गुस्से से- कुछ नहीं सुनना मुझे तुम चलो मेरे साथ,,,,,
प्रवीण और अवनी कुछ देर में दोनों डॉक्टर के पास जाते हैं। दोनों डॉक्टर के केबिन में जाकर और उनके सामने रखी चेयर पर बैठ जाते हैं
प्रवीण डॉक्टर से- आई एम प्रवीण मिश्रा एंड सि इज़ माय सिस्टर... मैने फोन पर आपसे बात की थी इसके बारे में...
डॉक्टर- हा मिस्टर प्रवीण, हमारी बात हुई थी लेकीन हमें अवनी की पुरानी रिपोर्ट्स देखनी पड़ेगी उस आधार पर हमे जाच करके नई रिपोर्ट्स बनानी पड़ेगी,,,
प्रवीण, डॉक्टर को अवनी की पुरानी रिपोर्ट्स देकर- ठीक है डॉक्टर जैसा आपको ठीक लगे...
डॉक्टर- अवनी आप अंदर चलिए हम अभी आपकी रिपोर्ट तैयार करते हैं
अवनी वहा से दूसरे रूम में जाती हैं डॉक्टर भी उसके पीछे पीछे उसके साथ जाता है प्रवीण केबिन में ही उनका वेट करता है।।।
यहां विवान काव्या के घर पहुंचकर काव्या के पास जाता है जो अपनी दोस्तों के साथ बैठी थी
विवान काव्या के पास आकर- हाय भाभी,, मुझे आपसे बात करनी थी....
काव्या अचानक विवान को देखकर हैरान हो जाती है
काव्या, हैरानी से- विवान तुम यहां! अचानक क्या बात करनी थी....?
विवान- मेरे साथ बाहर चलोगी, प्लीज ओनली फाइव मिनट्स,,,,,,
अवनी उठकर विवान के पास आकर- आके विमान चलो...
विवान और काव्या बाहर गार्डन में आते हैं जहां कोई नहीं था ।
काव्या- बोलो विवान क्या पूछना था....
विवान थोड़ी देर रुककर- भाभी प्लीज बुरा मत मानना लेकिन मुझे अवनी के बारे में पूछना था।
काव्या हैरानी से- लेकिन क्यों क्या हुआ विवान, अवनी ठीक है ना वह तुम्हारे घर गई थी.........
विवान- भाभी सब ठीक है.... मुझे पूछना था कि आपकी और अवनी की फर्स्ट मीटिंग कब हुई थी। आई मीन आप कहा मिले थे,,,,
काव्या- मै अवनी से कॉलेज के बाहर मिली थी उसने मुझे रूम के बारे में पूछा था और मैं उसे अपने घर ले लाई... मेरे पुराने दोस्त प्रवीण मल्होत्रा ने उसे मेरे पास भेजा था...... पर तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो विवान...?
विवान, काव्या से थोड़ा दूर जाकर- कुछ नहीं ऐसे ही..... (वापस काव्या के पास आकर) उसने अपने परिवार के बारे में कुछ बताया आपको.....
काव्या, कुछ सोचकर- नहीं बस इतना बताया था कि वो इंदौर से हैं.... (काव्या थोड़े गुस्से में)विवान प्लीज़ उसके बारे में इन्वेस्टिगेशन करना बन्द करो मुझे पता है तुम ये सब इसलिए पूछ रहे हो कि अवनी ने उस दिन नित्या के बारे में बात की थी लेकिन उसे तुम्हारे बारे में नहीं पता था....
विवान- नहीं मैं उस बात से नाराज नहीं हूं मैं तो बस यूंही उसके बारे में जानना चाहता था,,, क्या आप मुझे प्रवीण मल्होत्रा के नंबर दे सकती है....
काव्या- विवान तुम....
विवान- प्लीज़ भाभी.....
काव्या विवान को प्रवीण मल्होत्रा के नंबर दे देती है और उठ कर वहां से जाते हुए- मुझे नहीं पता विवान तुम क्या कर रहे हो लेकिन तुम्हारी वजह से अवनी को खरोच भी आई तो.......
विवान बीच में ही- नहीं भाभी ट्रस्ट मि...... मेरी वजह से उसे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी प्रॉमिस,,,
काव्या वहां से अन्दर चली जाती है और विवान अपनी कार में बैठकर प्रवीण मल्होत्रा को कोल लगाता है कुछ देर में प्रवीण मल्होत्रा कॉल उठाता है।
विवान- हेलो प्रवीण मैं काव्या का दोस्त बोल रहा हूं
प्रवीण मल्होत्रा- हां बोलो क्या हुआ..?
विवान- तुम अवनी मिश्रा को जानते हो...
प्रवीण मल्होत्रा- नहीं... मैं किसी अवनी को नहीं जानता,, लेकिन क्या हुआ...?
विवान- कुछ नहीं.....
विवान फ़ोन रखकर- अब एक और झूठ पकड़ा गया मिश अवनी तुम्हारा..... (विवान कुछ सोचकर) एक बार वहा जाकर बात करनी होंगी आख़िर ये है कौन...?
इधर डॉक्टर रिपोर्ट लेकर प्रवीण के पास आता है और उसे रिपोर्ट दिखाते हुए - देखिऐ प्रवीण अवनी की हालत दिन दिन ज्यादा खराब होती जा रही है यदि इनकी हालत ऐसी ही रही तो हम भी कुछ नहीं कर पाएंगे,, आप समझ रहे हैं ना,,,,,,
प्रवीण हां में सिर हिलाता है और बाहर अवनी के पास आकर खड़ा हो जाता है
अवनी, प्रवीण को उदास देखकर- अब चले भाई.......
प्रवीण,अवनी के कंधे पर हाथ रखकर- अवनी ये सब छोड़ दे.... तेरी हालत ठीक नहीं है अभी... और घर चल प्लीज,,,,
अवनी- नहीं भाई,,,,अब ये आसान नहीं। मेरे पास सारे सबूत और गवाह है अब कुछ दिनों की ही तो बात है बस उस जगह का पता लग जाए.... और भाई आप मेरी बिल्कुल चिंता मत कीजिए कुछ नहीं होगा मुझे....
प्रवीण- अवनी घर पर किसी से बात भी नहीं करेगी क्या...? अवनी, अपनी उदासी भरी मुस्कराहट के साथ दुसरी तरफ मुंह करके- कौन सा घर भाई... और किससे बात करूं.. चाचा- चाची अब मेरी शक्ल भी नहीं देखना चाहते और मामा मामी अभी पहले की बातें भी नहीं भूले आपको क्या लगता है वो मुझसे बात करेंगे,,,,,,, इतना कहकर अवनी वहां से बाहर प्रवीण की कार में आकर बैठ जाती है
प्रवीण, अवनी को जाते हुए देखता रहता है उसके पास कोई शब्द नहीं थे उसे कहने को,,,
प्रवीण,मन ही मन- सॉरी अवनी मै तुम्हारा भाई होकर भी तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकता।।।।
प्रवीण भी आकर कार में बैठ जाता और दोनों घर की तरफ निकल जाते हैं।
यहां विवान अनाथाश्रम आता है और अवनी के बारे में पूछता है तभी पीछे से महेश जी की आवाज आती है
महेश जी, विवान को देखकर हैरानी से- छोटे साहब आप यहां और क्या हुआ अवनी बिटिया को....
विवान महेश जी के पास आकर उनका आशीर्वाद लेता है विवान- अंकल क्या आप जानते हैं अवनी के बारे में...?
हां बेटा मैं अवनी को यहां लाई थी- सुरेखा जी की आवाज आती है
विवान, उनके पास आकर- आप.... कहां मिली वह आपको...?
सुरेखा जी- बेटा मैं दिल्ली से भोपाल आ रही थी और अवनी भी वहीं से मेरे साथ बैठी थी,उसे भी यही आना था इसलिए वह मेरे साथ आ गई यहां....
विवान- तो क्या आपने ही उसे नित्या के बारे में बताया था...?
महेश जी- नित्या बिटिया.. नहीं हमने इस बारे में उससे बात नहीं की लेकिन क्या अवनी उसके बारे में जानती है।
विवान, सुरेखा जी और महेश जी की तरफ़ देखता है जो एक दुसरे की तरफ़ हैरानी से देख रहे थे।।
विवान, बात पलटते हुए- नहीं अंकल, मै तो बस यूंही आ गया यहां बच्चों से मिलने... अवनी हमारे पास के ऑफिस में ही काम करती है, उसने आपके बारे में बताया था इसलिए.....
विवान वहां से बच्चों के पास जाता है जो गार्डन में एक साथ खेल रहे थे
विवान बच्चों को अपने पास बुलाता है,,सारे बच्चे विवान के पास आ जाते हैं और झुंड बनाकर खड़े हो जाते हैं,
विवान - पहले तुम यह बताओ कि तुम में से बाहर पढ़ने कौन-कौन गया था.....
सारे बच्चे विवान को हैरानी से देखते हैं तभी उनमें से एक बच्चा विवान के पास आकर- भैया वो बहुत बुरे आदमी है पहले हमें स्कूल भेजने के लिए यहां से ले गए और फिर हमें एक कारखाने में डाल दिया.....
विवान हैरानी से- फिर तुम्हें किसने छुड़ाया वहां से.......
पता नहीं भैया एक दीदी थीं और उसके साथ दो लोग और थे उनमें से एक हमे यहां छोड़ कर गया था और किसी को बताने से मना किया था,,,,,
विवान उस बच्चे की बात सुनकर हैरानी से उन सब को देखकर- चलो तुम जाओ यहां से मुझे अभी यहां से निकलना होगा अर्जेंट है मैं कल तुम्हारे पास आता हूं।
और विवान वहां से अपने कार में आकर बैठ जाता और घर चला जाता है
विवान अपने रूम में जाकर- मतलब अवनी ठीक बोल रही थी बच्चों को पढ़ाई के बहाने किडनैप किया जाता है और हमें पता भी नहीं, मुझे कल अवनी से बात करनी होगी.....
विवान यही सोचते सोचते सो जाता है,,अवनी भी काव्या के घर पहुंचती है

Continue......

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