मुस्कराते चहरे की हकीकत - 22 Manisha Netwal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 22

अगले दिन रात के 2:00 बजे अवनी के फोन पर किसी का कॉल आता है, लेकिन अवनी फोन अटेंड नहीं करती और उसे साइड में रखकर सो जाती है नित्या भी अवनी के पास ही सोई हुई थी लगातार फोन बजने से नित्या उठ जाती है फिर अवनी को जगाते हुए नींद में ही बोलती हैं: अवनी एक बार देख तो ले किसका कॉल है कब से बजे जा रहा है,,,,,,, इतना कहकर नित्या वापस कंबल ओढ़कर सो जाती है। नित्या की बात सुनकर अवनी उठकर फोन में नंबर देखती है फिर फोन को साइड में रखकर चेहरे पर थोड़ी हैरानी लिए मन ही मन- इसको मेरे नंबर कैसे मिले..? मैंने तो सिम भी चेंज कर लिया... आख़िर चाहता क्या है मुझसे.. क्यों परेशान कर रहा है...?
अवनी फोन उठाकर खिड़की के पास चली जाती है फिर कुछ देर सोचकर उसके नंबर डिलीट कर देती है और फोन को बंद करने लगती है लेकिन फोन के बंद होने से पहले ही उसके पास मैसेज आता है जिसे पढ़कर अवनी उस इंसान के पास वापस कॉल लगाती है,,,,,,
अवनी, नित्या की तरफ देखती है फिर गुस्से से बोलती है: कौन हो तुम..? और क्यों परेशान कर रहे हो...?
सामने से किसी व्यक्ति की आवाज आती है जो हंस रहा था: परेशान और मैंने.... नहीं.. नहीं..., परेशान तो आप ने कर रखा है हमें पिछले 16 सालों से....
अवनी गुस्से से चिल्लाते हुए: तुम्हें जो कहना है साफ साफ कहो..... क्यों एक ही बात बार-बार दोहराते हो... और कौन से 16 साल.....
चलो अभी यह सब छोड़ो.. मुद्दे की बात करते हैं,,,, सामने वाला व्यक्ति बोलता है,
अवनी: देखो, मैं तुम्हें नहीं जानती... और कौनसे मुद्दे की बात करना चाहते हो तुम.. एक महीने से तुम मुझे परेशान कर रहे हो, अगर हिम्मत है तो एक बार सामने आओ...,
वह व्यक्ति हंसते हुए बोला: यदि तुम यही चाहती हो तो ठीक है यदि अपने पापा के बारे में जानना चाहती हो तो इसी वक्त मुझसे आकर मिलो.. मैं एड्रेस भेज रहा हूं..., इतना कहकर वह फोन रख देता है,,,,,,,
अवनी, हैरानी से- हेलो.. हेलो... क्या जानते हो तुम मेरे पापा के बारे में.. हेलो....,,,,, सामने से कोई जवाब नहीं पाकर अवनी पास रखी चेयर पर बैठ जाती है और अपने दोनों हाथों से सिर को पकड़कर- यह सब क्या हो रहा है मेरे साथ... मैं सब कुछ भूलकर आगे बढ़ने की कोशिश करती हूं फिर क्यों..
अवनी, कुछ सोचकर- लेकिन आज मुझे उस इंसान से मिलना होगा, चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए आखिर मैं भी तो यही जानना चाहती थी ना.....
अवनी अपने फोन में एड्रेस देखती है फिर बाइक की चाबी लेकर वहां से निकल जाती है।
कुछ देर बाद नित्या उठकर अवनी को देखती है लेकिन अवनी वहां नहीं थी, फिर बाथरूम का दरवाजा खोलती है बाथरूम में भी अवनी को ना पाकर नित्या बाहर आती है फिर गार्डन में देखती है लेकिन अवनी कहीं नहीं दिखाई देती,,,,, नित्या घबरा जाती है वह प्रवीण के रुम में आती है जो गहरी नींद में सोया हुआ था,,,,,
नित्या, प्रवीण को जगाते हुए- प्रवीण... प्रवीण... उठो वह अवनी.....
नित्या की आवाज सुनकर प्रवीण चौक जाता है फिर बेड से उठकर अपनी आंखों को मसलते हुए- क्या हुआ नित्या... इतनी रात को तुम यहां और तुम रो क्यों रही हो...? अवनी ठीक है ना.....
नित्या प्रवीण के हाथ पकड़कर घबराते हुए- अवनी... अवनी पता नहीं कहां चली गई है, मैंने सब जगह उसको ढूंढा लेकिन वह कहीं नहीं मिली... प्रवीण मुझे बहुत घबराहट हो रही है उसकी बाइक भी यहां नहीं है....
प्रवीण, हैरानी से- क्या... क्या बोल रहे हो तुम, अवनी......,,,, फिर भागते हुए बाहर आता है और जोर-जोर से अवनी को आवाज लगाता है प्रवीण और नित्या की आवाज सुनकर विनोद और रेणुका भी बाहर आ जाते हैं,,,,,
विनोद, प्रवीण के पास आकर- क्या हुआ बेटा... तुम इतनी जोर से क्यों चिल्ला रहे हो...?
प्रवीण, विनोद के गले लगकर- पापा, अवनी पता नहीं कहां चली गई हमने बाहर, सब जगह देखा लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला....
प्रवीण की बात सुनकर जैसे विनोद को बहुत बड़ा झटका लगा हो वह बिना कुछ बोले एकटक प्रवीण को देख रहा था, रेणुका सोफे के पास ही बैठ जाती है और रोने लगती है नित्या उनके पास आकर उन्हें संभालती है,,,,,,,
नित्या- अंकल, 2:00 बजे अवनी के पास किसी का कॉल आया था मैंने उसे कॉल अटेंड करने के लिए कहा था फ़िर मैं वापस सो गई कुछ देर बाद देखा तो अवनी वहां नहीं थी,,,,,
प्रवीण, नित्या के पास आकर- कॉल..... किसका कॉल था तुमने देखा..
नित्या- नहीं.... पर हमें एक बार अग्रवाल मेंशन में कॉल करना चाहिए... वहां गई हों...
प्रवीण- लेकिन वहां क्यों जाएगी... काव्या और करण तो आज ही आए थे,,,,,
नित्या, कुछ सोचकर- विवान... मैं अभी विवान को कॉल लगाती हूं..,,,
नित्या विवान को कॉल लगाती है, दो-तीन बार घंटी जाने के बाद विवान फ़ोन उठाता है,,,
नित्या- हेलो विवान... अभी तुम कहां हो..?
विवान , हैरानी से- नित्या, तुम इतना घबराई हुई क्यों हो... मैं घर पर ही हूं सब ठीक है ना... अवनी... अवनी ठीक है ना....
नित्या- नहीं.... अवनी घर पर नहीं है हमने सोचा वो वहा होगी.....
विवान- क्या... अवनी घर पर नहीं है और इतनी रात को यहां क्यों आएगी... तुम रुको मैं अभी आता हूं...

विवान कुछ देर में वहां पहुंच जाता है फिर नित्या के पास जाकर- कुछ पता चला नित्या... अवनी कहा है..?
नित्या- नहीं विवान... उसका कुछ पता नहीं चला और नहीं फोन लग रहा...,,
विनोद- हमें पुलिस को फोन करना चाहिए कहीं किसी ने अवनी को फसाने के लिए बुलाया हो....,
विवान-अंकल, अवनी कोई नासमझ बच्ची नहीं है वह खुद एक एजेंट है, ऐसे ही किसी के झांसे में नहीं आने वाली....,,
प्रवीण- पहले हमें उसे ढूंढना होगा... किसी पार्क या शायद आश्रम में कहीं हो...
विवान, प्रवीण के पास आकर- प्रवीण... तुम यहीं रुको, मैं जाता हूं कुछ इंफॉर्मेशन मिली तो मैं बता दूंगा यहां अंकल आंटी को तुम्हारी जरूरत है,,,,
प्रवीण- पर विवान... इतनी रात को तुम अकेले... कहां-कहां ढूंढोगे...?
विवान, प्रवीण के कंधे पर हाथ रखकर- डोंट वरी प्रवीण... मैं जल्दी वापस आ जाऊंगा एंड आई श्योर अवनी ठीक होगी...
विवान वहां से अपनी कार लेकर निकल जाता है और उन सारी जगहों पर जाता है जहां उसे अवनी के होने की संभावना थी लेकिन अवनी कहीं नहीं मिलती,,,,,
सुबह के 4:00 बज चुके थे चारों ओर अभी भी अंधेरा था,, अंधेरे में बाइक आकर अवनी के घर के सामने रूकती है वह बाइक अवनी की थी, अवनी बाइक से उतरकर अपना हेलमेट साइड में रखती है फिर फोन निकालकर किसी के पास कॉल करती है,,,,
अवनी- क्या हुआ सर.. कुछ पता चला....
अरविंद- हमारा सक सही था अवनी... वह लोग तुम्हें किडनैप करने आए थे, अच्छा हुआ तुमने सही समय पर फोन कर दिया....
अवनी- हां सर... इतनी रात को बुलाना मुझे पहले से ही अजीब लग रहा था लेकिन मैं बिना सोचे समझे घर से निकल गई फिर आपको कॉल किया....
अरविंद- पर वह लोग बच निकले.... लेकिन एक बात समझ नहीं आई, वह तुम्हें किडनैप क्यों करना चाहते थे...? अवनी तुम्हारी जान खतरे में है, अपना ख्याल रखना.....
अवनी- डोंट वरी सर.... अब मुझे उन लोगों का पता करना होगा, अभी मैं फोन रखती हूं घर पर पता चल गया तो सब परेशान हो जायेंगे.....,,,
अवनी फोन रखकर अंदर आती हैं और दरवाजे पर खड़ी हो जाती है,,, वह सामने देखती है जहां सोफे पर विनोद, रेणुका, नित्या और प्रवीण उदास बैठे थे,,,, उन सब की नजर भी अवनी पर पड़ती है,,, सब हैरानी से उसे देखने लगते हैं।
अवनी अंदर आती है,, रेणुका अवनी के पास आकर उसे गले लगाते हुए- कहां चली गई थी तू... हमारी जान निकली जा रही थी...,,,
विनोद- कब से परेशान है हम तेरे लिए, कहां थी तू... ठीक तो है ना बेटा.....
अवनी, विनोद के पास आकर- मामू में यही पास के गार्डन में चली गई थी... मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए.....
फिर नित्या और प्रवीण के पास आकर- सॉरी नित्या... सॉरी भाई... इतनी रात आप सब मेरी वजह से इतना परेशान हुए...,,,
प्रवीण,अवनी के गालों पर हाथ रखकर- मैं बहुत डर गया था अवनी...प्लीज आगे से इस तरह बिना बताए मत जाना....
नित्या, अवनी को गले लगाकर- नींद नहीं आ रही थी तो मुझे उठा लेती.... दोनों साथ में चलते इस तरह जाने की क्या जरूरत थी...,,,,,
अवनी, कान पकड़कर- सॉरी यार... आगे से कभी ऐसा नहीं होगा.....
प्रवीण, दरवाजे की तरफ देखते हुए- विवान कहां रह गया अवनी......
अवनी, हैरानी से- विवान.....
नित्या, अवनी को इस तरह हैरान देखकर- हां... तुम उसी के साथ आई हो ना....
अवनी- नहीं.... पर विवान यहां कैसे... आई मीन, उसे कैसे पता चला.....
विनोद- बेटा, विवान तुम्हें ढूंढने गया था.... एक घंटे से ज्यादा हो गया, उसे गए हुए..... नित्या ने उसे तेरे बारे में पूछा था फिर वो यहीं आ गया और तुम्हें ढूंढने निकल गया......
अवनी, परेशान होकर प्रवीण से बोलती हैं: भाई फोन कीजिए उसे.... पता नहीं कहां-कहां ढूंढेगा.. नित्या, क्या जरूरत थी उसे बताने की.....
प्रवीण विवान को फोन करता है,,,, विवान कार को रोड के साइड में करके, सीट पर सिर टिकाकर बैठा था,,,,, विवान प्रवीण का कॉल उठाकर उदासी से- सॉरी यार... मुझे अवनी नहीं मिली,,, सब जगह देख लिया लेकिन....
प्रवीण- डोंट वरी विवान... अवनी घर आ गई है....
विवान, हैरानी से- क्या..कब......?
प्रवीण- हा विवान.. तुम घर आ जाओ,,,,
विवान फोन रखकर गुस्से से अवनी के घर की ओर निकल जाता है,,,,, यहां सब खामोश बैठे थे, अवनी बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी,,,,,,,
अवनी, उन सब की तरफ देखकर मन ही मन- सब लोग इतना परेशान हो रहे हैं मेरे लिए, अगर मैंने सच बता दिया तो.. नहीं अभी मैं कुछ नहीं बता सकती....
कुछ देर में विवान वहां पहुंच जाता है फिर अंदर आकर अवनी की तरफ देखता है,,,,,
विनोद, विवान के पास आकर- सॉरी बेटा... हमारी वजह से तुम इतना परेशान हुए,,, हमें इस तरह तुम्हें फोन नहीं करना चाहिए था....
विवान- इट्स ओके अंकल.....अब मुझे घर जाना चाहिए,,,,
इतना कहकर विवान बिना किसी की तरफ देखे बाहर निकल जाता है,,,,
नित्या, विवान को इस तरह जाते देख- इसने तो पूछा भी नहीं कि अवनी कहां थी और बिना बात किए चला गया...
अवनी, नित्या से- देखा ना... कितना एटीट्यूड है एक बार पूछ लेता तो क्या बिगड़ जाता है इसका... खड़ूस कहिका...
प्रवीण, अवनी के पास आकर- वाव अवनी... वह पिछले एक- दो घंटों से अकेला, पता नहीं कहां-कहां तुम्हें ढूंढ रहा था और तुम...
अवनी- आई नो भाई.... लेकिन उसे बात तो करनी चाहिए थी ना....
नित्या- अवनी इस बार बात तुम्हें करनी चाहिए, तेरी वजह से वह इतना परेशान हुआ है..,,
नित्या की बात सुनकर अवनी उसकी तरफ देखती है फिर विवान के पीछे चली जाती है नित्या और प्रवीण भी उसके पीछे-पीछे आते हैं,,,,,,
विवान कार की खिड़की खोलकर उसमें बैठने ही वाला होता है तभी अवनी, उसके पिछे से- रुको विवान.... मुझे बात करनी है तुमसे..
विवान वापस खिड़की बंद करके बिना अवनी की तरफ देखे खड़ा हो जाता है
अवनी, धीरे से- क्या जरूरत थी तुम्हें मुझे ढूंढने की....
अवनी आगे कुछ बोलती उससे पहले ही विवान अवनी की तरफ मुड़कर उसे चुप कराते हुए उसके होठों पर अंगुली रखकर- चुप..... अब एक शब्द और नहीं....,,,, विवान को बहुत तेज गुस्सा आ रहा था उसने अपने दोनों हाथों से अवनी के कंधों को पकड़कर हीलाते हुए- मुझे फिक्र है तुम्हारी समझी... डर लगता है तुम्हें खोने का... डर गया था मैं... इसलिए बिना सोचे समझे आ गया तुम्हें ढूंढने.... और कुछ सुनना है....
विवान गुस्से से अवनी को छोड़कर अपनी कार में बैठ जाता है और वहां से चला जाता है,,,,, अवनी वही सुन्न खड़ी थी उसकी आंखों में आंसू थे, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि विवान क्या कहकर गया... नित्या और प्रवीण उसके पास आते हैं अवनी अभी भी वैसे ही खड़ी थी,
नित्या, अवनी को हिलाते हुए- क्या हुआ अवनी.... बात हुई तेरी विवान से,,
अवनी, नित्या और प्रवीण की तरफ देखती है फिर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चली जाती है,,,,,
प्रवीण, हैरानी से- इसे क्या हुआ.....
नित्या, कुछ सोचकर- मैं समझ गई....
प्रवीण- क्या...क्या समझ गई तुम...?
नित्या- अंदर चलो, सब कुछ बताती हूं... नित्या अन्दर चली जाती है, प्रवीण भी कुछ देर सोचकर अंदर चला जाता है,,,,,

Continue....